कंधे में अकड़न, पीठ और जोड़ों में दर्द जैसी शिकायतों को लोग आम समस्याओं में गिनते हैं लेकिन ये परेशानियां कब गंभीर हो जाएं इसका पता नहीं चलता। इन आम समस्याओं की वजह से आपको रोज़मर्रा के कार्यों में कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में आपके लिए ये जानना कुछ बाते जानना बेहद ज़रूरी हैं, जैसे जोड़ों में दर्द होने के कारण, लक्षण और उसके उपचार। इन सारी बातों की जानकारी आपको इस लेख से मिलेगी। सबसे पहले जानते हैं जोड़ों के दर्द होने की वजह
- जोड़ों के दर्द का कारण
- बदलते मौसम की वजह से जोड़ों में दर्द
- जोड़ों में दर्द के लक्षण
- पुरुषों में जोड़ों का दर्द
- महिलाओं में जोड़ों का दर्द
- जोड़ों में दर्द होने से पहले रोकथाम
- जोड़ों में दर्द हो जाने पर रोकथाम
- एलोपैथ से जोड़ों के दर्द का इलाज
- यूनानी से जोड़ों के दर्द का इलाज
- आयुर्वेद से जोड़ों के दर्द का इलाज
- जोड़ों का दर्द में होम्योपैथ इलाज
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जोड़ों के दर्द का कारण
जोड़ों में दर्द अचानक से नहीं पैदा होता है। इस समस्या के उतपन्न होने के कई कारण हो सकते हैं। रूमेटीइड गठिया और ल्यूपस जैसी बीमारियां इसके पीछे का कारण हो सकती हैं। जोड़ों में मौजूद थैली में सूजन आने की वजह से भी इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा गाउट, किसी इंफेकश्न, चोट, फ्रैक्चर, ऑस्टियोअर्थराइटिस, ऑस्टियोमाइलाइटिस की वजह से भी जोड़ों में दर्द हो सकता है।
बदलते मौसम की वजह से जोड़ों में दर्द
मौसम में बदलाव होने की वजह से पैरों, घुटनों और जोड़ों में दर्द की दिक्कत होने लगती है। खासतौर से बारिश और सर्दियों के मौसम की बात करें तो इन दिनों यह दर्द बढ़ जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि बरसात या जाड़े के मौसम के दौरान वायुमंडल का दबाव होता है। जिस वजह से जोड़ों में सूजन होने की संभावना बढ़ जाती है। इस सूजन के अंदरूनी हिस्से में होने की भी संभावना ज़्यादा होती है जिस वजह से नसों में खिंचाव पैदा हो जाता है और फिर इस खिंचाव की वजह से दिमाग तक दर्द का संकेत पहुंचता है।
जोड़ों में दर्द के लक्षण
जोड़ों में दर्द होना जब शुरू होता है तो उसके कुछ लक्षण भी समझ आने लगते हैं। लेकिन बहुत से लोग इन लक्षणों की पहचान नहीं कर पाते,जिसकी वजह से छोटे-छोटे लक्षण एक बड़ी समस्या का रूप ले लेते हैं। ऐसे में आपके लिए ये जानना बेहद ज़रूरी है कि जोड़ों में दर्द होने के लक्षण कौन से होते हैं। जोड़ों में अकड़न महसूस होना, दर्द का अनुभव होना, लालिमा आना या जोड़ों से संबंधित गतिवधियां करने में दिकक्तों का सामना करना इस समस्या के लक्षण हो सकते हैं।
पुरुषों में जोड़ों का दर्द
महिलाओं की अपेक्षा पुरूषों में जोड़ों के दर्द की समस्या ज़्यादा देखने को मिलती है। ऐसा इसलिए क्योंकि पुरूषों का वजन महिलाओं के मुकाबले ज़्यादा होता है उनकी मांसपेशियां भी मजबूत और कठोर होती हैं। जिसकी वजह से जोड़ों में मौजूद ल्यूब्रिकेंट को अपना काम करने में दिक्कत महसूस होने लगती है। जोड़ों में मौजूद ल्यूब्रिकेंट मूवमेंट के लिए ज़िम्मेदार होता है और जब यह अपना कार्य करना बंद कर देते हैं तब जोड़ों में दर्द, सूजन और लालिमा जैसी दिक्कतें महसूस होने लगती है।
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महिलाओं में जोड़ों का दर्द
महिलाएं घर के साथ बाहर के कार्यों को भी संभालती हैं। जिसकी वजह से वह अपनी जीवनशैली पर ध्यान नहीं दे पाती हैं। यहां तक अपने बैठने- उठने और सोने जैसी गतिविधियां भी वह गलत तरीके से काफी सालों से करती हुईं चली आती हैं और एक समय के बाद ऐसी आदते इनके जोड़ों में दर्द पैदा कर देती हैं। इसके अलावा बढ़ते वजन पर समय रहते नियंत्रण न करना भी जोड़ों में दर्द की समस्या को पैदा कर सकता है। गर्भावस्था के दौरान और मासिक धर्म के चलते भी महिलाओं को जोड़ों, पैरों और कमर में दर्द उभर सकता है।
जोड़ों में दर्द होने से पहले रोकथाम
जोड़ों में दर्द की समस्या का सामना न करना पड़े इसके लिए आपको अपनी जीवनशैली पर ध्यान देना चाहिए। सही मुद्रा में सोना, उठना, बैठना, चलना भी आपको इस तकलीफ से दूर रख सकता है। खानपान सही करने से, कैल्शियम, विटामिन और मिनिरल की सही मात्रा का सेवन करने से भी जोड़ों में दर्द की शिकायत नहीं होती है।
जोड़ों में दर्द हो जाने पर रोकथाम
जोड़ों में दर्द पैदा होने के बाद आप कोशिश करें कि ज़्यादा भारी सामान न उठाएं। जोड़ों से संबंधित गतिविधियों को कम से कम करें। जितना हो सके दर्द से प्रभावित क्षेत्र में समय-समय पर मालिश करते रहें। पैरों के जोड़ों में दर्द है तो ज़मीन पर पैर मोड़कर न बैठें। जंकफूड न खाएं और अपने शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा को नियंत्रण में रखें।
एलोपैथ से जोड़ों के दर्द का इलाज
इन दिनों लोग एलोपैथिक उपचार में ज़्यादा भरोसा करते हैं और ऐसा इसलिए क्योंकि एलोपैथिक दवाएं अपना असर कुछ ही समय में दिखा देती हैं। बीमारी कोई भी हो, एलोपैथ में लगभग हर बीमारी का हल मिल जाता है। हां दवाईयों का खर्चा भले ही ज़्यादा आता है लेकिन इनका असर पैसे खर्चने पर पछतावे का एहसास नहीं करवाता है। लेकिन एक बात का ध्यान ज़रूर रखें कि एलोपैथिक दवाएं राहत तभी पहुंचाती हैं जब इनका सेवन सही सलाह से किया जाए। अगर बिना डॉक्टर की सलाह के इन दवाईयों का सेवन कर लिया तो इनका साइडफेक्ट भी हो सकता है। जोड़ों के दर्द को दूर करने के लिए कई तरह की एलोपैथिक दवाईयों का बनाया गया है जो मार्केट में उपलब्ध हैं। ऐसे में आप अपनी समस्या के मुताबिक और डॉक्टर की सलाह से जोड़ों के दर्द के लिए एलौपैथिक दवाई का सेवन कर सकते हैं।
यूनानी से जोड़ों के दर्द का इलाज
यूनानी दवाओं प्राचीन काल से हड्डियों के रोग में अपना अच्छा असर दिखाती आ रहीं हैं।यूनानी चिकित्सा में हर बीमारी के लिए अलग-अलद जड़ी बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। यह जड़ी बूटियां काफी प्रभावशाली होती हैं। हालांकि हर एक को इनके बारे में ज्ञान नहीं होता है लेकिन यूनानी चिकित्सा के जानकार जड़ी-बूटियों का ऐसा मिश्रण देते हैं जिससे रोग जड़ से खत्म हो जाता है। जोड़ों के दर्द के लिए भी ऐसी जड़ी- बूटियां मौजूद हैं जिनके इस्तेमाल से आप इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। (और पढ़ें – जोड़ों दर्द का यूनानी इलाज)
आयुर्वेद से जोड़ों के दर्द का इलाज
प्राचीन काल से ही आर्युवेदिक उपचार को संत महात्मा हर तरह के रोगों को दूर करने के लिए इस्तेमाल करते आ रहे हैं। आयुर्वेदिक उपचार की खासियत ये है कि ये पूरी तरह से हर्बल है साथ ही इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है। इसके अलावा ये काफी सस्ता है और प्रभावशाली भी है। जोड़ों के हर प्रकार के दर्द के लिए आयुर्वेदिक उपचार काफी असरदार है। किसी जानकार की सलाह से अगर आयुर्वेदिक उपचारों का इस्तेमाल जोड़ों के दर्द के लिए करें तो आपको इसका प्रभाव कम पैसों को खर्च करके भी देखने को मिलेगा। (और पढ़ें – जोड़ों दर्द का आयुर्वेदिक इलाज)
जोड़ों का दर्द में होम्योपैथ इलाज
होम्योपैथी इलाज करवाने के लिए व्यक्ति को काफी सबर रखना पड़ता है। क्योंकि इस उपचार का असर तो होता है लेकिन काफी देर में। होम्योपैथिक उपचार में मीठी गोलियों के साथ जड़ी बूटियों का रस मिलाया जाता है जो पीड़ित व्यक्ति को आराम पहुंचाने में और रोग को जड़ से मिटाने में मदद करता है। लेकिन इन दवाईयों का भी सेवन डॉक्टर की सलाह से करना चाहिए है। (और पढ़ें – जोड़ों दर्द का होम्योपैथिक इलाज)