यहां पाएं स्पॉन्डिलाइटिस से संबंधित संपूर्ण जानकारी

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    अगर आपको अक्सर कमर और पीठ में दर्द रहता है तो उसे हल्के में न लें। यह स्पॉन्डिलाइटिस की शुरुआत हो सकती है। यह एक प्रकार का आर्थराइटस है जो आपकी रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है। इस बीमारी में रीढ़ के जोड़ आपस में गुंथ जाते हैं जिससे रीढ़ की हड्डी कमज़ोर हो जाती है। इसकी वजह से आपको गर्दन से लेकर कमर के निचले हिस्से में दर्द, ऐंठन और सूजन महसूस हो सकती है। इससे सांस लेने में और चलने-फिरने में दिक्कत हो सकती है।
    कई बार बहुत देर बाद इस बीमारी का पता चलता है। दरअसल, लोग इसके लक्षणों को अधिक गंभीरता से नहीं लेते। ऐसे में बीमारी गंभीर हो जाती है और मरीज़ के व्हीलचेयर पर आने का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन समय रहते अगर इस बीमारी का इलाज करा लिया जाए तो काफ़ी हद तक इसे कंट्रोल किया जा सकता है।

    स्पॉडिलाइटिस होने के कारण

    स्पॉन्डिलाइटिस होने की निम्न वजहें हो सकती हैं:

    • हड्डियों का बढ़ना (Overgrowth of bones): हड्डियों का असामान्य रूप से बढ़ना स्पॉन्डिलाइटिस होने का अहम कारण है। हड्डियों के बढ़ने से कशेरुकाएं आपस में गुंथ जाती हैं जिसे बोन फ्यूशन (Bone fusion) कहते हैं। यह फ्यूशन गर्दन, कमर और कूल्हे की हड्डियों को प्रभावित कर सकता है जिससे उनमें दर्द महसूस होता है। रिब्स या उरोस्थि में ऐसा होने से सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।
    • बढ़ती उम्र(age): स्पॉन्डिलाइटिस का विकास किशोरावस्था और 30 की उम्र के बीच हो सकता है।
    • (Gender): महिलाओं की तुलना में पुरुष इस बीमारी से अधिक प्रभावित होते हैं।
    • नस्ल का असर (Ethnicity): एक रिसर्च के मुताबिक अमेरिका, कनाडा, अलास्का के कबीलाई लोगों में यह बीमारी अधिक होती है।
    • आनुवांशिक कारण (Genetic Reasons): इस बीमारी के कुछ आनुवांशिक कारण भी हो सकते हैं। मां-बाप से यह बीमारी बच्चों को हो सकती है। आमतौर पर इस बीमारी से पीड़ित लोगों में HLA-B27 नामक जीन पाया जाता है।
    • खराब जीवन शैली (Bad Lifestyle): इस बीमारी का एक अहम कारण खराब जीवन शैली भी है। एक ही पोज़ीशन में बैठकर लगातार काम करने, हमेशा सिर झुकाकर उठने-बैठने, व्यायाम न करने आदि के कारण गर्दन और मेरूदंड पर अधिक दबाव पड़ सकता है। उनमें सूजन व दर्द की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
    • भारी बोझ उठाना (Carrying heavy weight): बहुत अधिक शारीरिक श्रम करने के कारण भी यह बीमारी हो सकती है। वे लोग जो अधिक बोझ उठाने वाला काम करते हैं इस बामारी से अधिक पीड़ित होते हैं।

    स्पॉडिलाइटिस के लक्षण

    स्पॉडिलाइटिस के लक्षण

    स्पॉन्डिलाइटिस के लक्षण उसके कारण और प्रकार पर निर्भर करते हैं। स्पॉन्डिलाइटिस मुख्य तौर पर तीन प्रकार का होता है- पहला, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस (गर्दन के पीछे दर्द), दूसरा, लम्बर स्पोन्डिलाइटिस (कमर में दर्द) और तीसरा, एन्किलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस (कमर के नीचले हिस्से, कूल्हों, घुटनों और सीने में दर्द)।

    पर कुछ लक्षण हैं जो इस बीमारी में बेहद आम हैं। यह बीमारी होने पर मरीज़ को निम्न स्पॉडिलाइटिस के लक्षण महसूस हो सकते हैं:

    • दर्द और अकड़न (Pain and Stiffness in bone): आपको तीन महीने से अधिक समय तक पीठ दर्द की समस्या हो सकती है। आपकी कमर, कूल्हों और नितंबों में दर्द महसूस हो सकता है। रात में कमर के निचले हिस्से में दर्द बढ़ सकता है और अगले दिन सुबह उठने पर दर्द हल्का महसूस हो सकता है। घुटनों, कंधों और जबड़ों में भी दर्द महसूस हो सकता है।
    • टेंडन और लिगामेंट में दर्द (Pain in tendons and ligaments): स्पॉन्डिलाइटिस की समस्या होने पर हड्डियों और मांसपेशियों को जोड़कर रखने वाले टेंडन और लिगामेंट में सूजन आ सकती है। इससे उन हिस्सों में दर्द महसूस हो सकता है।
    • मुद्रा में बदलाव (Change in posture): अगर समय रहते स्पॉन्डिलाइटिस का इलाज न किया जाए तो आपकी मुद्रा में बदलाव आ सकता है। रीढ़ की हड्डी के सख़्त हो जाने से वे लचीली नहीं रह जातीं। इससे आप कंधे झुकाकर चलते हैं।
    • सांस लेने में दिक्कत (Breathing problems): इस बीमारी से आपके सीने की हड्डी (Breastbone) में भी विकार उत्पन्न हो सकता है। मुद्रा में असामान्य बदलाव आने से आपके फेफड़े भी प्रभावित हो सकते हैं। इससे सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।
    • बुखार (Fever): आपके शरीर में हमेशा हल्का बुखार रह सकता है।
    • थकान महसूस करना (Feeling tired): दर्द की समस्या के कारण आपको सोने में कठिनाई हो सकता है। इससे आप हमेशा थके-थके महसूस कर सकते हैं।
    • हाथ-पैर की उंगलियों में सूजन (Swollen fingers): आपके हाथ और पैर की उंगलियां सूज सकती हैं।

    स्पॉन्डिलाइटिस के मरीज़ के लक्षण अधिक गंभीर भी हो सकते हैं। कई अन्य बीमारियों के लक्षण स्पॉन्डिलाइटिस होने का संकेत हो सकते हैं:

    • यूवेन्टिस (Uventis): स्पॉन्डिलाइटिस की बीमारी यूवेन्टिस के बेहद करीब है इसलिए आपको आंख से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। आपको आंखों में सूजन, दर्द, लाइट-सेन्सिटिविटी की समस्या हो सकती है। इसके अलावा आपकी आंखों की रोशनी कमज़ोर हो सकती है।
    • सोरायसिस (psoriasis): स्पॉन्डिलाइटिस के लगभग 10 फीसदी मरीज़ों को सोरायसिस की समस्या होती है।
    • दिल की समस्या (Heart problems): सूजन से आपके दिल पर भी प्रभाव पड़ सकता है।
    • पेट या आंत संबंधी बीमारी (Inflammatory bowel disease): सूजन से आपकी पाचन प्रक्रिय भी प्रभावित हो सकती है। इससे आपको डायरिया, पेट फूलना, पेट दर्द, मल में खून आना और थकान की समस्या हो सकती है। आपका वज़न अचानक घट सकता है।

    स्पॉन्डिलाइटिस का इलाज

    स्पॉन्डिलाइटिस का इलाज

    स्पॉन्डिलाइटिस का इलाज उसके अंतर्निहित कारणों, लक्षणों और प्रकार पर निर्भर करता है। इसके इलाज के लिए निम्न विकल्प उपलब्ध हैं:

    • एलोपैथिक उपचार से करें इलाज- आधुनिक चिकित्सा पद्धति को एलोपैथी कहा जाता है। यदि लक्षण अधिक गंभीर हैं और मरीज़ को तुरंत राहत की आवश्यकता है तो एलोपैथी चिकित्सा पद्धति काफी फायदेमंद साबित हो सकती है। इसके लिए डॉक्टर आपको नॉन स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लामेट्री दवाएं या कोर्टिकोस्टेरॉयड इंजेक्शन (Corticosteroid injections) दे सकते हैं। ज़रूरत पड़ने पर सर्जरी भी की जा सकती है।
    • यूनानी चिकित्सा से पाएं आराम-यह प्राचीन चिकित्सा पद्धति है जो आयुर्वेद के बेहद करीब है। इस चिकित्सा पद्धति में स्पॉन्डिलाइट के उपचार के कई विकल्प मौजूद हैं, जैसे, डायटोथेरेपी (डाइट चार्ट बनाना), फर्माकोथेरेपी (पौधों के विभिन्न हिस्सों से बनी दवाओं द्वारा सूजन व दर्द आदि का इलाज) और रेजीमेंटल थेरेपी (शरीर से विषैल पदार्थ बाहर निकालना)। इसके अलावा खान पान और जीवन शैली में तब्दीली की भी सलाह दी जा सकती है।
    • आयुर्वेदिक उपचार है प्राकृतिक समाधान: स्पॉन्डिलाइटिस का दर्द के लिए आयुर्वेदिक उपचार काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। इसके लिए मरीज़ को दर्द की तीव्रता के आधार पर थेरेपी दी जा सकती है। रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से में दर्द के लिए अभंग, स्वेदन, वस्ति, कटि वस्ति, पिचु आदि थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा रोज़ाना योग करने से शरीर की अकड़न दूर करने में मदद मिलती है।
    • होम्योपैथिक इलाज से मिलेगी राहत: स्पॉन्डिलाइटिस का होम्योपैथिक इलाज में कम से कम दर्द निवारक दवाइयों के सेवन से मरीज़ की रीढ़ की हड्डी की सूजन, ऐंठन व दर्द को दूर करने का प्रयास किया जाता है। सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस में होम्योपैथिक इलाज काफी कारगर साबित हो सकता है। इसके लिए खान पान और जीवन शैली में बदलाव के साथ कुछ होम्योपैथिक दवाएं भी दी जाती हैं।

    स्पॉन्डिलाइटिस का दर्द का घरेलू उपचार

     स्पॉन्डिलाइटिस का दर्द का घरेलू उपचार

    कई दफ़ा स्पॉन्डिलाइटिस कुछ आनुवांशिक कारणों की वजह से होता है। पर कई दफ़ा यह समस्या खराब जीवन शैली की वजह से भी उत्पन्न हो सकती है। ऐसे में निम्न स्पॉन्डिलाइटिस का घरेलू उपचार अपनाकर आप इस समस्या से निजात पा सकते हैं:

    • सोने की मुद्रा को बदलें: सोने के लिए सख़्त गद्दे का प्रयोग करें। अगर आपको सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस की समस्या है तो गर्दन को 15 डिग्री पर मोड़ने वाले तकिए का प्रयोग करें।
    • मसाज थेरेपी लें: मसाज करवाने से आपको दर्द से निजात मिल सकता है। उदाहरण के लिए एक्यूपंचर मसाज से दर्द से राहत दिलाने वाले हार्मोन्स सक्रिय हो जाते हैं। लेकिन किसी भी तरह की मसाज थेरेपी लेने से पूर्व चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।
    • सिकाई करें: दर्द वाले हिस्से पर ठंडी व गर्म सिकाई की जा सकती है। ठंडी सिकाई के लिए दर्द वाली जगह पर बर्फ़ लगाई जा सकती है। गर्म सिकाई के लिए हीटिंग पैड का इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन बहुत अधिक देर तक गर्म सिंकाई न लें। इससे सूजन का खतरा बढ़ सकता है।
    • गर्म स्नान करें: गर्म पानी से स्नान, शरीर की अकड़न और दर्द दूर करने में सहायक है। गर्म पानी से स्नान के बाद अगर आप स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज़ करेंगे तो यह और अधिक फायदेमंद साबित होगा।
    • व्यायाम करें: शरीर को लचीला और स्वस्थ बनाए रखने के लिए रोज़ाना व्यायाम करना ज़रूरी है। लेकिन इसके लिए फीज़ियोथेरेपिस्ट की सलाह ज़रूर लें।

    मौसम के बदलाव का स्पॉन्डिलाइटिस पर असर

    कई दफ़ा मौसम में बदलाव स्पॉन्डिलाइटिस का दर्द का कारण हो सकता है। सर्दी के मौसम में जोड़ों की समस्या अधिक होती है। वहीं गर्मी में नर्जलीकरण के कारण शरीर जल्दी थक सकता है, जबकि बरसात के मौसम में पुरानी बीमारियां या अंदरूनी चोट उभर सकते हैं। इससे रीढ़ की हड्डी में दर्द उत्पन्न हो सकता है।

    पुरुषों में स्पॉन्डिलाइटिस का दर्द

    महिलाओं की तुलना में पुरुषों की हड्डियां अधिक लंबे समय तक विकसित होती हैं। इसलिए महिलाओं की तुलना में वे अधिक मज़बूत होती हैं। लेकिन इस बीमारी को लेकर आम समझ यही है कि यह बीमारी पुरुषों को अधिक होती है।
    पुरुषों में स्पॉन्डिलाइटिस का दर्द अधिक धूम्रपान करने, ऑफ़िस की कुर्सी पर अधिक लंबे समय तक बैठे रहने और खराब पोज़ीशन के कारण हो सकता है। इसके अलावा गठिया, हर्निया या अधिक वज़न के कारण भी स्पॉन्डिलाइटिस का दर्द हो सकता है।

    महिलाओं में स्पॉन्डिलाइटिस का दर्द

    स्पॉन्डिलाइटिस को लेकर आम समझ यही है कि यह पुरुषों की बीमारी है। लेकिन हाल के अध्ययन बताते हैं कि महिलाएं और पुरुषों दोनों ही लगभग समान रूप से इस बीमारी से पीड़ित हो सकते हैं। पुरुषों की तुलना में महिलाओं की हड्डियां कमज़ोर होती हैं। घर के काम-काज भी अधिकतर महिलाएं ही करती हैं। पुरुषों की तरह महिलाएं भी खेल-कूद में हिस्सा लेती हैं। मासिक धर्म और गर्भवावस्था व रजोनिवृत्ति के कारण उनके शरीर में कई हार्मोनल बदलाव होते हैं। इसलिए उन्हें सेहत संबंधी अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में पूरी संभावना है कि उन्हें स्पॉन्डिलाइटिस में दर्द की शिकायत हो। महिलाओं मे अधिकतर लंबर स्पॉन्डिलाइटिस की समस्या होती है।

    स्पॉन्डिलाइटिस का दर्द होने से पहले सावधानी

    स्पॉन्डिलाइटिस का दर्द से बचने के लिए निम्न नियमों का पालन किया जाना चाहिए:

    • गर्दन व कमर के शुरुआती दर्द को दर्द निवारक दवाओं और बेल्ट से दूर किया जा सकता है।
    • हल्के दर्द को नज़रअंदाज़ न करें। चिकित्सक से सलाह ज़रूर लें।
    • सर्जरी की सलाह तभी दी जाती है जब उससे मस्तिष्क की नसों को नुकसान पहुंच सकता हो।
    • रोज़ाना व्यायाम शरीर को लचीला और स्वस्थ रखता है।
    • नियमित रूप से योग करने से भी स्पॉन्डिलाइटिस से बचा जा सकता है।

    स्पॉन्डिलाइटिस का दर्द में खान पान के तरीके

     स्पॉन्डिलाइटिस का दर्द में खान पान के तरीके

    स्पॉन्डिलाइटिस एक तरह का आर्थराइटिस है। इसलिए आर्थराइटिस से जुड़ा खान पान स्पॉन्डिलाइटिस के उपचार में सहायक है। इसके लिए अपने आहार में लहसुन, अजमोद, अदरक, सेब साइडर सिरका, कैमोमाइल टी शामिल करें। इसके अलावा फल, हरी पत्तेदार सब्ज़ियां, नट्स और सीड्स व सी फूट सूजन सूजन दूर करने में मददगार है। खट्टे, नमकीन व डेयरी प्रोडक्ट खाने से बचें।

    डॉ आकांक्षा

    • 7 Years of Experience
    • (BHMS)
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    मै डॉ आकांक्षा होम्योपैथिक चिकित्सा में बैचलर हैं. इन्हें जॉइंट्स पेन (जोड़ों का दर्द) और बैक पेन (पीठ दर्द) जैसे रोगों का विशेषज्ञ माना जाता है. इन्होने अपने उपचार से देश के हजारों मरीजों को नया जीवन दिया है. डॉ आकांक्षा को जॉइन्स पेन( जोड़ों का दर्द) और बैक पेन

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