एलोपैथी दवा से कोहनी दर्द के उपचार का सटीक उपाय

एलोपैथी दवा से कोहनी दर्द के उपचार

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    कोहनी दर्द में एलोपैथी दवा का सेवन जहां फौरी राहत देता है तो दूसरी तरफ लंबे समय तक दर्द से छुटकारा भी दिलाता है। कोहनी हाथ की ऐसी संरचना होती है जो गोल घुमावदार आकृति में हाथों को मोड़ने सहित घुमाने में भी सहायक सिद्ध होती है। हाथ के इस जोड़ में कटोरी नुमा आकृति की एक हड्डी होती है जिसमें फ्लूड भरा होता है। यही फ्लूड हड्डियों से जुड़ी मांसपेशियों के साथ उनमें मौजूद नर्म ऊतकों की सुरक्षा करता है। जब भी चोट या मोच लगती है तब मांसपेशियों में दबाव या खिंचाव के चलते नर्म ऊतकों की क्षति होती है। कई बार चोट की अधिकता के चलते शल्य क्रिया के द्वारा मांसपेशियों के कुछ भाग को काटकर निकाला जाता है और हड्डियों के जोड़ों को पुनर्स्थापित करने की प्रक्रिया अपनाई जाती है। हालांकि इस तरह की समस्याएं अधिक चोट या फिर किसी आंतरिक संक्रमण के चलते आई परेशानी की वजह से अमल में लाया जाता है।

    वैसे तो दुनिया मे कई तरह की उपचार पद्धतियां मौजूद हैं जो इस तरह की समस्याओं को ठीक करने का दावा करती है, लेकिन उन सब में एलोपैथी एक ऐसा साधन है जिसका सटीक प्रयोग हड्डियों से संबंधित रोगों में तुरंत राहत भी पहुंचाता है और दर्द का लंबे समय तक समाधान भी देता है।

    कोहनी दर्द में एलोपैथिक दवा और उसके फायदे

    कोहनी दर्द होने पर तुरंत राहत देने वाली एन्टी पायरेटिक दवाओं का सेवन किया जाता है। यदि दर्द सामान्य है और मामूली चोट या मोच के लगने से उत्पन्न हुआ है तब मरीज को हल्की पेनकिलर जैसे आईब्रूफेन, डिक्लोफेनेक सोडियम जैसी दवाओं को लेने की सलाह दी जाती है। यदि दवाओं के सेवन के बाद भी दर्द समाप्त ना हो रहा हो तब यह सुनिश्चित करने के लिए कि क्या वाकई कोहनी के जोड़ और उसके ऊतक सुरक्षित हैं! इसके लिए एक्सरे सहित एमआरआई कराने की सलाह दी जाती है। यदि परीक्षण में स्थिति खराब होती है या फिर चोट की वजह से हड्डियों में फ्रेक्चर या फिर मांसपेशियों में तेज खिंचाव है तब मरीज को प्लास्टर लगाने की सलाह दी जाती है। इस दौरान मरीज को सूजन कम करने के लिए एन्टी बायोटिक दवाओं का सेवन करने को कहा जाता है। कोहनी दर्द में एलोपैथिक दवा के रूप में पेन किलर के साथ सूजन कम करने वाली क्रीम और एन्टी ऑक्सीडेंट के साथ एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन नियमित करने की सलाह दी जाती है। इस उपचार माध्यम में सबसे बड़ी बात यह होती है कि यह दुनिया की इकलौती ऐसी उपचार इकाई है जिसमें फौरी राहत देने की क्षमता होती है। कोहनी में दर्द की समस्या चोट लगने के अलावा कुछ स्थिति में आनुवंशिक भी होती हैं। हालांकि चिकित्सा विज्ञान में अनुवांशिक रोगों के पूर्ण इलाज की कोई विधि मौजूद नही है लेकिन नियमित उपचार से काफी हद तक ऐसी समस्याओं से पार पाया जा सकता है। इसके अलावा मोटापा और बढ़ता हुआ वजन भी अक्सर इस तरह की समस्याओं का बड़ा कारण बन जाता है। कुपोषण सहित हड्डियों में कैल्शियम की मात्रा घटने पर एलोपैथिक दवाओं से तुरंत आपूर्ति के लिए इंजेक्शन सहित कैप्सूल और टेबलेट की मदद से तकलीफ दूर की जाती है।

    कोहनी दर्द में एलोपैथिक दवाओं संबंधित जटिलतायें

    एलोपैथी चिकित्सा दुनिया की इकलौती ऐसी विधा है जिसमें दर्द के दौरान फौरी राहत देने की दवाएं मौजूद होती हैं। चोट, मोच या फिर किसी भी वजह से उत्पन्न हुआ कोहनी दर्द पेन किलर से समाप्त हो जाता है। इस तरह की दवाएं इंसान के नर्व सिस्टम से दर्द को महसूस करने वाली नसों को ब्लॉक करती हैं। एलोपैथी दवाओं के हड्डी से संबंधित रोगों में जितने फायदे होते हैं कमोवेश उतने नुकसान भी होते हैं। एलोपैथिक दवाओं का असर तुरंत तो होता है लेकिन इसके साइड इफेक्ट या दुष्परिणाम बेहद दूरगामी होते हैं। एलोपैथी या पेन किलर के ज्यादा मात्रा में इस्तेमाल करने से कई बार पेट मे घाव सहित आंतों में अल्सर बन जाता है। इसके अलावा एंटीबायोटिक दवाओं का असर सीधा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर पड़ता है। कोहनी दर्द में ऐलोपैथिक दवा के फायदे तो होते हैं लेकिन कुछ मामलों में कई तरह की विसंगतियों को जन्म भी देते हैं। काफी लंबे इलाज के बाद इंसान की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती जाती है और शरीर पर दवाओं का असर होना कम हो जाता है। कई बार अनुवांशिक रोगों के चलते गठिया और अर्थराइटिस जैसी बीमारियों में लंबे इलाज के बाद भी मरीज को फायदा ना होकर कई अन्य तरह के रोग भी पनपने लगते हैं जो दवाओं के साइड इफ़ेक्ट के रूप में सामने आते हैं।

    एलोपैथी दवा के उपयोग संबंधित सावधानियां

    कोहनी दर्द से पीड़ित मरीज को कभी भी बिना चिकित्सक की सलाह के इस तरह की दवाओं का सेवन नही करना चाहिए। एलोपैथिक दवाओं के कई प्रकार के रिएक्शन देखे जाते हैं जो कई बार मानव जीवन के लिए जानलेवा भी साबित हो जाते हैं। चिकित्सक की सलाह से ली गई दवाओं से शरीर पर उसके रिएक्शन या फिर ओवरडोज़ का असर नही होता। ओवरडोज़ की स्थिति में तुरंत आपातकाल सेवाओं का सहारा लिया जाना चाहिए। यदि मरीज एलोपैथिक दवाओं के साथ किसी अन्य माध्यम की दवा का भी प्रयोग कर रहा हो तो उसे बिना चिकित्सक को सूचित किये किसी भी दवा का सेवन नही करना चाहिए। दवा की मात्रा और समय पर कितनी खुराक खाने की जरूरत है यह बात अपने चिकित्सक से उम्र के हिसाब और रोग के लिहाज से जरूर पूछ लेने की जरूरत होती है। एलोपैथी चिकित्सा में खुद से ली गई दवाओं के दुष्प्रभाव काफी खतरनाक होते हैं।

    डॉ आकांक्षा

    • 7 Years of Experience
    • (BHMS)
    • Quora

    मै डॉ आकांक्षा होम्योपैथिक चिकित्सा में बैचलर हैं. इन्हें जॉइंट्स पेन (जोड़ों का दर्द) और बैक पेन (पीठ दर्द) जैसे रोगों का विशेषज्ञ माना जाता है. इन्होने अपने उपचार से देश के हजारों मरीजों को नया जीवन दिया है. डॉ आकांक्षा को जॉइन्स पेन( जोड़ों का दर्द) और बैक पेन

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