जोड़ों के दर्द में आयुर्वेदिक उपचार के फायदे और नुकसान

जोड़ों के दर्द के लिए आयुर्वेद

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    सर्दियों का मौसम शुरू होते ही जोड़ों के दर्द की समस्या शुरू हो जाती है. मसलन यह समस्या किसी मौसम विशेष की बड़ी वजह ना होकर पुरानी चोट, आन्तरिक रोग, हार्मोनल विसंगतियां, अनुवांशिकता सहित शरीर का भारीपन भी होता है. विज्ञान ने तेजी से बदलते इस युग में कई चिकित्सा पद्धतियाँ इजाद की हैं जिनमें आयुर्वेद एक बहुत ही पुराना उपचार माध्यम रहा है.

    इस विधा से सदियों पहले हमारे वेदों पुराणों में वर्णित जड़ी बूटियों के माध्यम से इलाज़ किया जाता रहा है. कमोवेश हर चिकित्सा विधा के कई फायदे तो होते हैं साथ ही कुछ नुकसान भी होते हैं. इस लेख के माध्यम से हम आपको इस उपचार माध्यम से होने वाले नफ़ा नुकसान के बारे में बताएंगे.

    अश्वगंधा

    अश्वगंधा

    यह ऐसी जड़ी बूटी होती है जिसके सेवन से शरीर और मन की गति को नियंत्रण मिलता है. यह एक तरह का ऐसा तत्व होता है जो रक्त उतकों के निरंतर प्रवाह को एक नई दिशा देता है. इसकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह कब्ज बात और पित्त दोष को भी जड़ से समाप्त कर देता है. एक चम्मच अश्वगंधा पाउडर का इस्तेमाल जोड़ों, तंत्रिकाओं, लिगामेंट्स और मांसपेशियों को उर्जा प्रदान कर उन्हें स्वास्थ्य लाभ देता है. यह जोड़ों में ग्रीस बनाने के काम के साथ यह जोड़ों में दर्द और सूजन से निजात दिलाता है.

    हरिद्रा का सेवन

    हरिद्रा का सेवन

    हरिद्र गठिया या फिर जोड़ों के दर्द का प्रमुख कारक वात को संयमित कर तकलीफ़ को कम करने का कम करता है. दर्द के मुताबिक़ 4 से 5 ग्राम सूखे हरिद्र पाउडर को 10-20 मिलीलीटर ताजा हरिद्रा जूस में मिलाकर सेवन करें. हरिद्रा में मौजूद दो तरह के रासायन करक्यूमिनोइड्स और करक्यूमिन की प्रचुरता के चलते जोड़ों की विसंगतियों, सूजन आदि को कम करने में मददगार होते हैं.

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      हल्दी का सेवन

      हल्दी का सेवन

      हल्दी भोजन की शान कहा जाता है. बिना इसके रसोई में कोई भी लजीज भोजन बन ही नही पाता. यह तत्व एक तरह का प्राकृतिक एंटीबायोटिक होता है. इसके सेवा से आंतरिक चोट भी ठीक हो जाते हैं. दूध में हल्दी डालकर पीने से जोड़ों की सूजन व कमर दर्द में राहत मिलती है. हल्दी में मौजूद करक्यूमिन जोड़ों की बीमारियों से राहत दिलाता है.

      आयुर्वेद के नुकसान

      अधिकतर मामलों में आयुर्वेदिक दवाओं का कोई नुकसान सामने नही आता लेकिन बिना चिकित्सकीय सलाह के दवाइयों का सेवन कम और ज्यादा मात्रा में किए जाने से शरीर को भारी नुकसान होने की संभावना होती है. इसलिए जब भी आयुर्वेदिक उपचार को अपनाएं चिकित्सक की सलाह से ही दवाइयों का सेवन करें.

      डॉ आलिया

      • 7 Years of Experience
      • (BUMS)

      डॉ आलिया यूनानी चिकित्सा में स्नातक हैं. इन्हें कंधे के दर्द को ठीक करने में महारत हासिल है. इस विधा में इन्हें करीब 6 साल का अनुभव है. अपने इलाज से डॉ आलिया ने कंधे दर्द जैसे रोगों के लिए देश के हज़ारों मरीजों का सफलता से उपचार किया है.

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