हाथों से जुड़ी कलाई के जोड़ो में दर्द कई तरह की समस्याओं के कारण होता है। कलाई के दर्द की सामान्य स्थिति में इलाज जल्द असर करता है लेकिन लापरवाही से यह घातक भी हो जाता है। हथेलियों में मोच, चोट या फिर कोहनी में खिंचाव सहित उंगलियों में तनाव भी इस तरह की समस्या के कारक बन जाते हैं। टेनिस या क्रिकेट जैसे खेलों के दौरान कलाई का मुड़ना दर्द दे जाता है जो सामान्य स्थिति का दर्द माना जाता है। नाड़ीग्रंथ पुटी जैसी स्थितियों में कैंसर रूपी गांठे भी जो हाथों के जोड़ों में मौजूद होती हैं अक्सर सही उपचार ना होने पर जानलेवा साबित हो जाती हैं। ऐसी स्थिति में हड्डी के जोड़ में मौजूद मज्जा और फ्लूड सूखने लगता है और नर्म ऊतक नष्ट होने लगते हैं।
हाथ मे दर्द होना वैसे तो एक सामान्य कारण भी माना जा सकता है लेकिन ऐसी स्थिति के बार अर्थराइटिस रोगों की तरफ भी इशारा करती है। दुनिया मे मौजूद कई उपचार माध्यमों से इस तरह के रोगों का इलाज किया जाता रहा है। आज इस लेख के माध्यम से हम उपचार की विधा एलोपैथी, आयुर्वेद, यूनानी सहित होम्योपैथी के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे और साथ ही ऐसी समस्याओं के कारण, लक्षण सहित स्थाई समाधान के बारे में भी बताएंगे।
कलाई दर्द के प्रमुख कारण
कलाई के दर्द के कई कारण और विससंगति हो सकती है। चोट के कारण कलाई में सूजन जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है और मांसपेशियों में खिंचाव के चलते दर्द हो जाता है। चोट के दौरान हड्डियों के चटकने या टूटने के दौरान हाथ मे दर्द होना स्वाभाविक है। इस दौरान हड्डियों में मौजूद मज्जा या नर्म ऊतकों में विच्छेदन हो जाता है जो बहुत ही कष्टकारी होता है। कई बार ऐसी स्थिति में शल्य क्रिया तक कि नौबत आ जाती है जिसके माध्यम से हड्डियों को जोड़कर फिर से कलाई को ठीक किया जाता है।
खिलाड़ियों में कलाई के दर्द के पीछे हाथों की नसों में दबाव या फिर खिंचाव की वजह से होता है। क्रिकेट या फिर टेनिस खेलने वाले खिलाड़ी अक्सर अपनी कलाई का भरपूर इस्तेमाल करते हैं। इस दौरान कलाई की नसों का एक दूसरे पर चढ़ना या खिंचाव दर्द की वजह बन जाता है।
रोगों या यूं कहें कि आंतरिक शारीरिक विसंगतियां के बार कलाई के दर्द का कारण बन जाती हैं। गठिया या कैंसर जैसे रोग दर्द को बढ़ा देते हैं। यह समस्या शरीर मे मौजूद के तरह के विषैले तत्वों की वजह से होती है जिसका समय से उपचार ना होने पर जानलेवा हो जाती हैं। इसके अलावा मधुमेह और रक्तचाप में अनियमितता भी हाथों का दर्द बढ़ा देता है।
पोषण की कमी या शरीर मे कैल्शियम का स्तर गिर जाने से भी कलाई दर्द जैसी समस्याओं का उदय होता है। शरीर की हड्डियां कैल्शियम से ही निर्मित होती हैं। खान पान में विसंगतियों के चलते अक्सर ऐसी समस्याओं से दो चार होना पड़ता है।
कलाई दर्द के प्रमुख लक्षण
कलाई के दर्द में मरीज कप या कोई भी छोटा सामान उठाने पर दर्द का अनुभव करता है। इस दौरान हाथ के पंजों को मोड़ने पर तीव्र या धीमी गति का दर्द हो सकता है। उंगलियों में ऐंठन भी कलाई दर्द का लक्षण माना जाता है। कलाई के जोड़ों में गांठ का बनना और दबाने पर दर्द का अनुभव भी इसका लक्षण माना जाता है जो कई बार कैंसर सहित फाइलेरिया का लक्षण भी हो सकता है। दर्द के दौरान मरीज को कई तरह की समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। तेज बुखार के साथ ही लिखने तक मे समस्या उत्पन्न हो जाती है।
पुरुषों में कलाई का दर्द
पुरुष जिनका अंग महिलाओं की शारीरिक संरचना में भिन्न होता है कई बार हाथ में दर्द होने की समस्या से ग्रस्त हो जाते हैं। मदिरा का भारी मात्रा में सेवन और धूम्रपान की लत हड्डियों को कमजोर बनाती है जिसके चलते शरीर मे कैल्शियम की मात्रा का विकास नही हो पाता यह कारण पुरुषों में कलाई दर्द की वजह बन जाता है। कारीगरी या फिर प्लम्बर का काम करने वाले लोग ऐसे दर्द की चपेट में आ जाते हैं। इसके अलावा भारी मशीनों को चलाने और लगातार ड्राइव करने वाले पुरुषों में कलाई दर्द हो जाता है। काम या खेल के दौरान चोट या मोच भी इस तरह के दर्द का कारण होते हैं।
महिलाओं में कलाई दर्द
पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं कलाई के दर्द या फिर हड्डियों के रोग से परेशान होती हैं। गर्भावस्था के दौरान या डिलिवरी के बाद शरीर मे ओमेगा 3 और कैल्शियम की कमी भी इस तरह के दर्द का कारण बन जाता है। गठिया जैसे रोगों से ग्रस्त महिलाओं के हाथ मे दर्द होना व्यापक समस्या है। एक सर्वे के मुताबिक इस तरह की समस्या से देश मे 30 साल से 60 साल की महिलाएं ज्यादा प्रभावित होती हैं। घरेलू कामकाज हो या दफ्तर का काम के बार तनाव और नींद का अभाव भी महिलाओं में ऐसे मर्ज पैदा कर देता है।
मौसम के साथ कलाई के दर्द
बदलता मौसम अपने साथ कई तरह के रोग लेकर आता है। मसलन मौसम के बदलाव के साथ अक्सर लोग सर्दी जुकाम से पीड़ित रहते हैं लेकिन सर्दियों के मौसम में हड्डियों का कमजोर होना भी एक बड़ी समस्या है। इस मौसम के दौरान शरीर से पसीना कम निकलता है और शरीर से अवशिष्ट पदार्थ पूरी तरह से बाहर नही निकल पाते। हाथ में दर्द होना मौसम के बदलने के साथ भी उत्पन्न होता है।
कलाई दर्द होने से पहले करें रोकथाम
हाथ मे दर्द के उपाय के लिए कुछ जरूरी चीजें जीवन मे अपनाकर काफी हद तक इस कलाई की समस्या से निजात पाई जा सकती है। जीवनशैली में निरंतरता अपनाने के साथ खान पान में सुधार करके ऐसे दर्द को मात दी जा सकती है। हल्का दर्द होने पर चिकित्सक की सलाह से दवाओं का चुनाव और मानसिक सकारत्मकता ऐसे दर्द को आने से पहले ही समाप्त करने में सक्षम है।
कलाई में दर्द हो जाने पर उपचार
हाथ मे दर्द के उपाय के लिए आधुनिक दुनिया मे कई तरह की उपचार प्रणालियों के उदय हुआ है। यूनानी और आयुर्वेद जैसी परंपरागत उपचार माध्यमों के अलावा एलोपैथी और होम्योपैथ भी कलाई के दर्द में बेहद असर डालता है।
यूनानी से कलाई दर्द का उपचार
दुनिया के कई शोध इस बात को सिद्ध करते हैं कि यूनानी हाथ मे दर्द के उपाय के लिए दुनिया की बेहतरीन उपचार विधा मानी जाती है। यूनानी में कलाई दर्द के उपचार के लिए हर्बल विधा से तैयार दवाएं शरीर मे मौजूद गठिया और कैंसर जैसे रोगों में भी असरदार होती हैं। हालांकि रोग का उपचार उम्र और दर्द की मौजूदा परिस्थितियों के आधार पर किया जाता है। दवाओं का सेवन कुछ परहेज के साथ करने से ऐसे दर्द कुछ समय मे समाप्त हो जाते हैं।
आयुर्वेदिक विधा से उपचार
जड़ी बूटियों से निर्मित आयुवेर्दिक दवाओं का इस्तेमाल सदियों से हड्डियों के दर्द में होता आया है। दशमूल सहित चरक और कई तरह की संहिताओं से दर्द के लिए बनाई गई पारंपरिक दवाओं का सेवन काफी असरदार होता है। खास बात यह होती है कि इन दवाओं का कोई खास साइड इफेक्ट नही देखा गया है और जरूरी होने पर एलोपैथी का भी इसके साथ इस्तेमाल किया जा सकता है।
एलोपैथी से कलाई के दर्द का उपचार
कलाई के दर्द का उपचार करने में आधुनिक या एलोपैथी माध्यम तुरन्त असर करता है। यह दुनिया की इकलौती ऐसी उपचार विधा है जो दर्द में फौरी राहत प्रदान करती है। उम्र और रोगी की मौजूदा स्थिति के आधार पर पेन किलर सहित कैल्शियम और एंटीबायोटिक दवाओं से उपचार किया जाता है जो लंबे समय तक दर्द से निजात दिलाता है। वैसे इस तरह की दवाओं का तुरंत असर तो होता है लेकिन कुछ साइड इफेक्ट बेहद बुरा असर डालते हैं।
होम्योपैथी से कलाई दर्द का उपचार
एक सर्वे के मुताबिक होम्योपैथी पद्धति शरीर से कई तरह की एलर्जी और साइड इफेक्ट दूर करने का काम करती है। जर्मन तकनीक से बनी इन दवाओं का सेवन हाथ मे दर्द होने पर भी बेहद असरदार होती हैं। हालांकि ऐसी दवाएं काफी देर बाद दर्द से निजात दिलाती हैं। इन दवाओं का असर शरीर पर धीमी गति से होता है और रोगी को धैर्य से काम लेने की जरूरत होती है। इस पद्धति से हजारों लोगों को ऐसे दर्द से राहत भी मिली है। होम्योपैथी में फौरी राहत प्रदान करने वाली दवाएं मौजूद नही होती और इसके साथ एलोपैथी का इस्तेमाल शरीर पर बुरा असर भी डाल सकता है।
कलाई के दर्द में क्या करें/ क्या ना करें
हाथ मे दर्द होना इंसान को भारी पीड़ा तो पहुंचाता ही है बल्कि पूरी दिनचर्या भी बिगाड़कर रख देता है। महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान ओमेगा 3 के साथ कैल्शियम की मात्रा का सेवन करना चाहिए। पुरुषों को आलस्य नही करना चाहिए क्योंकि यह आदत हड्डियों को नुकसान पहुंचाती है। मदिरा पान ओर धूम्रपान की लत को छोड़ देना चाहिए। खान पान में गुणवत्ता के साथ समय पर भोजन करने की आदत डालनी चाहिए। भोजन में दूध, अंडों के साथ मछली का सेवन कलाई मजबूत बनाने में लाभकारी होता है। अधिक से अधिक पानी का इस्तेमाल शरीर से यूरिक एसिड जैसे हड्डियों के दुश्मन को बाहर निकलता है। योग और व्यायाम पर भी ध्यान देने की जरूरत होती है। भोजन में प्याज और लहसुन की मात्रा बढ़ाना चाहिए। ऐसा भोजन इस्तेमाल में लाएं जिससे वात रोग उत्पन्न होने का खतरा ना रहे। मोटापे पर नियंत्रण के साथ चिकित्सक की सलाह पर दवाओं का सेवन लाभकारी होता है।