इंसान की गांठों में लगातार असहनीय दर्द या रुक रुक कर दर्द की क्रिया जो अनवरत काफी समय तक शरीर को प्रभावित करती है इसे आमतौर पर गठिया कहा जाता है. इस रोग को चिकित्सकीय भाषा में संधिशोथ भी कहा जाता है. इस रोग को दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है पहला उत्तेजक और दूसरा अपकर्षक. चिकित्सा पद्धति में इस रोग पर काबू करने के लिए परहेज और खानपान की गुणवत्ता में सुधार करने की बात कही जाती है. यह सही आहार और सटीक उपचार के द्वारा ही काबू में आता है. आमतौर पर यह रोग बूढ़े बुजुर्गों में बहुतायत से पाया जाता है लेकिन गलत दिनचर्या के चलते अब युवा पीढ़ी भी इसकी जद में आने लगी है.
- गठिया रोग का कारण
- बदलते मौसम में गठिया का दर्द
- पुरुषों में गठिया रोग
- महिलाओं में गठिया रोग
- गठिया रोग के लक्षण
- गठिया होने से पहले रोकथाम
- गठिया रोग हो जाने पर रोकथाम
- एलोपैथ से गठिया का उपचार
- यूनानी है गठिया रोग में बेहतर विकल्प
- आयुर्वेद से गठिया का इलाज
- गठिया रोग में होम्योपैथ
- गठिया में क्या करें/ क्या ना करें
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गठिया रोग का कारण
गठिया, आर्थराइटिस या संधि शोथ इंसान की उम्र अवस्था और आन्तरिक रोगों के चलते वर्गीकृत किए जाते हैं. गठिया बाई हो जाने पर गांठो में सूजन हो जाती है. इसके अलावा जोड़ों में छोटी गाँठ भी पड़ जाती है जिससे सूजन और तनाव बना रहता है. गलत खानपान और दिनचर्या अपनाने वाले इंसानों में यूरिक एसिड की अधिकता से भी इस रोग का कारण बन जाता है.
बदलते मौसम में गठिया का दर्द
बदलता मौसम कई रोगों को अपने साथ ले आता है. जहाँ तक गठिया रोग की बात है तो सर्दियों का मौसम इस रोग के पनपने के लिए माकूल समय होता है. सर्दियों में नसों में संकुचन हो जाता है और इंसान पानी की मात्रा भी कम कर देता है. गर्मियों की अपेक्षा इंसानी शरीर से पसीने के रूप में अवशिष्ट पदार्थ बाहर नही निकल पाते जो गलत खानपान के चलते यूरिक एसिड के रूप में शरीर में जमना शुरू हो जाते हैं. मांशपेशियों में संकुचन की वजह से भी गांठो का जन्म इस समस्या को दुरूह बना देता है. सर्दियों के अलावा बहती हुई पुरवाई हवा भी इस रोग के दर्द को बढ़ा देती है.
पुरुषों में गठिया रोग
धूम्रपान की आदतें इंसान के भीतर गठिया जैसी समस्या को पैदा करता है. यह एक ऐसा रोग है जो किसी भी उम्र के व्यक्ति की हड्डियों पर प्रभाव दाल सकता है। यह समस्या हो जाने पर व्यक्ति को तेज दर्द हो सकता है जिसके चलते वह दैनिक क्रिया निपटाने में भी सक्षम नहीं रह जाता है। इस रोग का असर शरीर अंदरूनी हिस्सों में मौजूद ऑर्गन्स पर पड़ सकता है जिससे कई समस्याएं जैसे गुप्त रोग होने की आशंका कई गुना बढ़ जाती है।
महिलाओं में गठिया रोग
भारत में महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा गठिया रोग का ज्यादा शिकार होती हैं. यह जानकार हैरानी होगी कि विश्वभर की करोड़ों महिलाएं हर साल गठिया से ग्रस्त हो जाती हैं। सर्वे के मुताबिक यह समस्या पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में बहुतायत से पाई जाती है। महिलाएं अर्थराइटिस रोग का सबसे ज्यादा शिकार होती हैं. महिलाओं में गठिया की समस्या उनकी प्रेग्नेंसी भी बन जाती है। दरअसल महिलाओं के शरीर का निचला हिस्सा पुरुषों की तुलना में अधिक लचीला होता है। इस कारण प्रेग्नेंसी के समय जोड़ों के अधिक घूम जानें की वजह से डिलीवरी के बाद महिलाओं में अक्सर गठिया की समस्या हो जाती है. इसके अलावा आयरन, फोलिक एसिड और कैल्सियम की कमी के चलते महिलाएं ज्यादा प्रभावित होती हैं.
गठिया रोग के लक्षण
अर्थराइटिस होने पर कई तरह के लक्षण प्रकट होते हैं जो आम दर्द की तरह ही होम सकते हैं जैसे घुमाने या मूव करने में परेशानी होना, जोड़ों में सूजन आ जाना। जोड़ों में दर्द रहना। जोड़ों में भारीपन आ जाना। जोड़ों को घुमाने–फिराने में देर लगना।
गठिया होने से पहले रोकथाम
शरीर में दर्द जैसा भी हो हमेशा तकलीफ ही पहुंचाता है। अर्थराइटिस या फिर गठिया जैसी व्याधि हड्डियों को बेहद कमजोर बना देती है। आज के ज़माने में दुनिया उपचार के क्षेत्र में काफी उन्नत और आधुनिक हो गई है। हड्डियों के इलाज के लिए नित नए शोध किए जाते हैं। यदि किन्हीं कारणों से यह समस्या हो जाए तब उपचार की मान्यता प्राप्त एलोपैथ, आयुर्वेद सहित होम्योपैथ और यूनानी माध्यम काफी असरदार साबित हो सकते हैं।
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गठिया रोग हो जाने पर रोकथाम
दर्द चाहे जिस वजह से हो दुखदाई हो ही जाता है. यदि आपको गठिया दर्द शुरू हो गया है तो इससे बचने के लिए कई तरह के तरीके मौजूद हैं. आधुनिक दौर में चिकित्सा विज्ञान ने नए आयाम स्थापित किए हैं जिसके चलते कई तरह की चिकित्सा पद्धतियाँ मौजूद हैं. गठिया के उपचार में एलोपैथ, आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथ प्रयोग में लाए जाते हैं.
एलोपैथ से गठिया का उपचार
आधुनिक उपचार की सबसे तीव्र असर कारक माध्यम एलोपैथी गठिया की चकित्सा में बेहद काम की चीज साबित हुई है। दर्द से तुरंत रहत राहत पाने के लिए इससे अच्छा उपचार कोई भी नहीं है। उपचार के इस माध्यम की कई विशेषताएं होती हैं। सबसे खास बात यह है कि इनका सेवन बिना पंजीकृत डॉक्टर की सलाह के कभी नहीं करना चाहिए। गठिया जैसी मर्ज को ठीक करने के लिए डॉक्टर प्रारंभिक दौर में कुछ पेन किलर के इस्तेमाल के साथ एंटीबायोटिक के सेवन की सलाह देते हैं। उपचार सटीक और निरंतर करते रहने से काफी लम्बे अरसे तक रोग पर नियंत्रण पाया जा सकता है। यदि दवाओं के लगातार सेवन के बावजूद रोग नहीं ठीक हो रहा है तब चीर फाड़ विधि से नर्म ऊतकों की क्षतिपूर्ति की जाती है। साथ ही फ्लूड की कमी दूर कर एक नया जीवन एलोपैथ दे सकता है। (और पढ़ें – गठिया रोग का एलोपैथिक इलाज)
यूनानी है गठिया रोग में बेहतर विकल्प
गठिया की दवा के लिए यूनानी चिकित्सा का इस्तेमाल सदियों से होता आया है। यह ऐसा माध्यम है जिसने जोड़ों की तकलीफ दूर करने में कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं। हर्बल यानि पूरी तरह कुदरती जड़ी बूटियों से निर्माणित ऐसी दवाएं हड्डी के रोगों में असर तो धीमी गति से करती है लेकिन सही और सटीक तरीके से परहेज करने पर रोग को जड़ से समाप्त कर देती है। (और पढ़ें – गठिया रोग का यूनानी इलाज)
आयुर्वेद से गठिया का इलाज
कालांतर से ही मानव सभ्यता में आयुर्वेद का जिक्र होता आया है। हमारे आसपास उगने वाली कई तरह की प्राकृतिक जड़ी बूटियां हमारे शरीर में मौजूद हड्डी के इस रोग को ठीक करने में खासे असरदार होते हैं। दर्द दूर करने में अशोक से लेकर दशमूल आदि जड़ी काफी असर करती है। डॉक्टर कई तरह की बूटियों को मिलकर गठिया जैसी मर्ज के उपचार में सेवन के लिए देता है। कुछ परहेज और दवा के समय से इस्तेमाल करने से रोग तेजी से ठीक होने लगता है। (और पढ़ें – गठिया रोग का आयुर्वेदिक इलाज)
गठिया रोग में होम्योपैथ
जर्मन उपचार माध्यम होम्योपैथी गठिया जैसी मर्ज को दूर करने में कारगर साबित हुआ है। दुनिया भर के कई मरीजों पर हुए शोध के बाद 10 में से 7 से 8 मरीज नियमित और परहेज युक्त दिनचर्या अपनाकर स्वास्थ्य लाभ उठा चुके हैं। अर्थराइटिस में हड्डियों का कमजोर होना आम होता है। इस दौरान चकित्सक मरीज की स्थिति के अनुसार डा के उपयोग की सलाह देता है। हालाँकि यह माध्यम काफी लंबा चलता है लेकिन कुछ मामलों में गठिया रोग के जड़ से दूर होने की सम्भावना प्रबल हो जाती है। (और पढ़ें – गठिया रोग का होम्योपैथिक इलाज)
गठिया में क्या करें/ क्या ना करें
गठिया रोग हो जाने पर कुछ परहेज और दैनिक क्रियाओं में सावधानी करूरी होती है. खासकर खानपान में सुधार बहुत जरूरी कदम माना जाता है.
- भोजन में वसा का कम से कम प्रयोग करें
- दैनिक आहार में दूध फल और हरे पत्तेदार साग सब्जियों का सेवन करें
- अंकुरित बीजों का सेवन करें
- अल्कोहल को एकदम से ना कहें
- धूम्रपान से बचें
- ज्यादा मात्रा में पानी पीयें
- दिनचर्या में सुधार करें/ नियमित करें
- ज्यादा शारीरिक श्रम से बचें
- नियमित योगा और व्यायाम करें (और पढ़ें – गठिया रोग में योगासन)
- खाने के बाद कुछ दूर पैदल चलें
- एक जगह बैठकर काम करने से बचें
- किसी बी एक जगह ज्यादा देर तक खड़े ना हों
- खट्टे और ज्यादा मीठे पदार्थों को खाने से बचें