एड़ी दर्द, कारण और जटिलताएं।
एड़ी का दर्द वैसे तो कई कारणों की वजह हो सकता है। बढ़ता वजन, शुगर सहित कुछ आंतरिक रोगों के चलते भी यह समस्या देखी जा सकती है। एड़ी से लेकर दांत तक विटमिन डी की कमी से खराब होने लगते हैं। हल्की चोट या फिर मांसपेशियों में लगातार खिंचाव इंसान को चलने फिरने में अक्षम बना देता है। एड़ी रोगों में गठिया सबसे जटिल माना जाता है। अनुवांशिक कारणों के चलते भी इस तरह की समस्या देखी गई है। एड़ी में दर्द के पीछे हृदय रोगों को भी कारण माना जा सकता है। एक हालिया स्वास्थ्य सर्वे के मुताबिक हृदय से जुड़ी समस्याओं में एड़ी के दर्द के लक्षण प्रकट होते हैं। इस तरह के दर्द को कभी भी नजरअंदाज नही किया जाना चाहिए।
प्लांटर फेशिआइटिस एक ऐसी वजह है जिसे एड़ी दर्द का मुख्य कारण माना जाता है। प्लांटर फेशिया जोड़ों के ऊतकों का ऐसा हिस्सा होता है जो एड़ियों की हड्डियों को हमारे पैरों के अंगूठों के साथ जोड़ने का कार्य करता है। यह रोग अक्सर आम होता है लेकिन कभी कभी इसकी जटिलताएं इंसान को अपंग तक बना देती हैं।
एड़ी दर्द में पिण्डिकासन योग के फायदे।
यह ऐसा योग है जो पैरों के जोड़ों को नई शक्ति देखर ऊतकों की सुरक्षा करता है. मांसपेशी में खिंचाव या संक्रमण के होने पर नियमित सुबह शाम इसका प्रयोग एड़ी दर्द में बेहद लाभ पहुंचता है। इस योग से शरीर में कैल्शियम की मात्रा का विकास होता है और साथ ही मज्जा का विकास और फ्लूड की सुरक्षा होती है।
योग की विधि।
दीवार की तरफ मुंह कर खड़े हो जाएँ। अब दोनों पैरों को पीछे की तरफ ले जाएं। हाथों को दीवार से सटाकर हल्का वजन पैरो पर डालना शुरू करें। पैरों की एड़ियों को अपने नीचे तलवों के साथ कुछ देर तक रखे। आपकी शरीर के कमर के हिस्सा इस प्रक्रिया में हल्का ऊपर नीचे होते रहना चाहिए। अब ऐसा करते हुए पंजों के बल खड़े होने का प्रयास करें। ऐसा करेब 5 से 7 मिनट तक दोहराएं। एड़ी दर्द में योग के लिए ये विधि सर्वोत्तम मानी जाती है। ऐसा खाली पेट और सूर्योदय के समय करने से बेहद लाभ प्राप्त होता है।
एड़ी दर्द में उत्कटासन के लाभ।
एड़ी दर्द का योग के लिए उत्कटासन बेहद उपयोगी होता है। यह घुटनों की हड्डियों को तो मजबूती देता ही है बल्कि एड़ी और पैर दर्द को भी राहत पहुंचाता है। इस योगासन से हड्डियों के जोड़ों में मौजूद फ्लूड की सुरक्षा होती है तो दूसरी तरफ कैल्शियम की सकारात्मक गुणवत्ता भी शरीर में बनी रहती है।
योग की विधि।
कमर को सीधा करते हुए जमीन पर बैठ जाएं। इस दौरान पैरों को थोड़ा दूर रखें। सिर को बिलकुल सीधा रखते हुए सावधान मुद्रा में बैठ जाएं। अब सांस ऊपर खींचते हुए पंजों के सहारे दोनों पैरों को ऊपर की तरफ उठाने का प्रयास करें। कूल्हों को एड़ियों ओर टिकाएं ओर कोहनियों को घुटनों पर रखेंम इस दौरान थोड़ी देर के लिए इस अवस्था में रहें और हल्की सांस छोड़ते हुए सामान्य मुद्रा में वापस आ जाएं। इस योग को सूर्योदय के समय और ठंडे स्थान पर करना सबसे उत्तम माना जाता है। मांसपेशियों में खिंचाव के चलते रक्तस्राव सामान्य होता है और हड्डियों को नई ऊर्जा प्राप्त होती है।
एड़ी दर्द में बालासन के फायदे।
बालासन एक ऐसा सामान्य योग है जो बेहद सरलता के साथ किया जा सकता है। इस योग से जहां शरीर को लचीलापन प्राप्त होता है तो दूसरी तरफ कैल्शियम को भरपूर मात्रा हड्डियों को मिलती है। एड़ी के दर्द में बालासन योग लाभ तो देता ही है बल्कि इस योग में तनाव कम करने की भी क्षमता होती है।
बालासन योग की विधि।
जमीन या चटाई पर एड़ियो के बल बैठ जाएं। अपने कूल्हों को एड़ी पर टिका लें या उसका वजन एड़ियों पर रखें। इस दौरान अपनी कमर को आगे की तरफ झुकाते हुए माथे को जमीन से टिका दें। हथेली को आगे की तरफ ले जाते हुए फर्स पर रख दें। इस दौरान अपनी छाती से हल्का दबाव अपनी जांघों पर दें। ऐसा करते हुए आपकी शरीर का लगभग भाग जांघों पर टिका रहता है। इस आसन को लगभग 5 मिनट तक कर सकते हैं। यह एड़ी दर्द में बेहद फायदा पहुंचाता है।
एड़ी दर्द में योग से सम्बंधित जरूरी सुझाव।
पैरों के किसी भी हिस्से में दर्द की अपेक्षा एड़ी का दर्द ज्यादा दुखदायी होता है। दर्द की सामान्य सी वजह के चलते भी इंसान अपने पैरों को जमीन पर रखने में भी तकलीफ़ महसूस करता है। प्राचीन काल से ही व्यायाम और योग ने जहां इंसान की क्या को सुंदर बनाने का काम किया है वहीं आंतरिक रूप से हड्डियों को मजबूत बनाने में भी योग का बड़ा हाथ है। वास्तव में योग ऐसा माध्यम है जिससे रोगों में अप्रत्याशित फायदे पहुंचते हैं। किसी कुशल योग गुरु की देखरेख में योग करना श्रेयष्कर माना जाता है। यदि व्यायाम अथवा किसी भी वजह से एड़ियों में ज्यादा दर्द होने की अनुभूति हो रही हो तो इस परिस्थिति में फौरन चिकित्सक के सलाह से उपचार करें ।