उपचार का आयुर्वेदिक माध्यम दिला सकता है एड़ी दर्द से निजात

उपचार का आयुर्वेदिक माध्यम दिला सकता है एड़ी दर्द से निजात

हमारे डॉक्टर से सलाह लें

    एड़ी का दर्द आयुर्वेदिक उपचार एक ऐसा उपाय है जिसे सदियों से हमारे पूर्वज उपयोग में लाते रहे हैं। एड़ियो में दर्द या जकड़न हड्डियों से जुड़ी ऐसी समस्या है जो तंग जूतों के पहनने या फिर एथलीट के दौरान देखी जाती है। मैराथन में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ी हों या फिर क्रिकेट या फुटबाल के मैदान में दम दिखाने वाले युवा, हल्की चोट या मोच से एड़ियों को भारी नुकसान उठाना पड़ जाता है। सामान्य तौर पर एड़ियों के लिगामेंट में सूजन या फिर जोड़ों में सामान्य फ्रैक्चर से नर्म ऊतकों को भारी क्षति का सामना करना पड़ जाता है। आम तौर पर इन तरह को समस्या गंभीर तो नही होती लेकिन ध्यान ना देने पर जटिल जरूर हो जाती है। एड़ी हमारे शरीर की हड्डियों का सबसे निचला जोड़ होता है जो चेन की तरह कूल्हों की हड्डियों से जुड़ा होता है। इसमें हल्की चोट लगने पर मष्तिष्क में सीधा असर होता है। इससे जुड़े कुछ ऊतक सीधे तौर पर हृदय की मांशपेशियों को भी प्रभावित कर सकते हैं। बढ़ता वजन से लेकर कई अन्य कारक ऐसे हैं जो हड्डियों को ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। हम आगे इस विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे। दुनिया में उपचार के कई ऐसे माध्यम सामने आए हैं जिनका सटीक प्रयोग काफी हद तक हड्डियों से जुड़ी समस्या का निदान करने का दावा करता आया है। इनमें से हमारा पारंपरिक उपचार माध्यम आयुर्वेद भी है। इस लेख के माध्यम से हम आपको आयुर्वेदिक दवाओं का एड़ी दर्द को दूर करने में किस तरह प्रयोग किया जा सकता है विस्तार से बताएंगे और साथ ही उसके फायदे ओर नुकसान के बारे में भी चर्चा करेंगे।

    एड़ी दर्द के मुख्य लक्षण और कारण।

     

    एड़ी दर्द के मुख्य लक्षण और कारण

    सामान्य तौर पर एड़ी दर्द का इलाज बेहद आसान होता है। हल्की चोट या मोच की वजह से पनपने वाले दर्द को हल्की मालिश या फिर सिंकाई के द्वारा समाप्त कर सकते हैं लेकिन इससे जुड़ी कई जटिलतायें इंसान को बेहद तकलीफ देती हैं। अर्थराइटिस या गाठिया रोग से जहां इंसान अपंगता की तरफ अग्रसर होता है तो वहीं कुछ ऐसे भी कारक होते हैं जिनकी वजह से एड़ियां धनुषाकार हो जाती हैं। पोलियो जैसी स्थिति तक इंसान के पहुंचने का सबसे बड़ा कारण उसका आहार और कुछ अनुवांशिक लक्षण भी हो सकते हैं। एक तरफ जहां कुपोषण एड़ी रोग की समस्या बन जाता है तो वहीं बिगड़ी जीवनशैली से इंसान की हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। शरीर में विटामिन डी की कमी से एड़ी का दर्द अधिक देखा जाता है। विटामिन डी की कमी से बोन्स की क्षति होती है और हड्डियों का टूटना शुरू होने लगता है। नीद की कमी से इंसान की हड्डियां कमजोर पड़नी शुरू हो जाती हैं। नकारात्मक विचार और अवसाद से ग्रसित इंसान इस तरह की समस्याओं का सामना करता है। आहार की गुणवत्ता से समझौता काफी भारी पड़ सकता है तो वहीं मदिरापान और धूम्रपान से हड्डियों के असाध्य रोगों के पनपने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। एड़ी दर्द के सामान्य लक्षणों में पैरों को हल्का सा भी जमीन पर रखने पर तेज या हल्का दर्द हो सकता है। इसके अलावा तलवों में सूजन और एड़ी में खिंचाव महसूस होती है।

    एड़ी दर्द में आयुर्वेदिक दवाओं के लाभ।

     

    एड़ी दर्द में आयुर्वेदिक दवाओं के लाभ

    एड़ी का दर्द आयुर्वेदिक उपचार के लिए जड़ी बूटियों का बेहद महत्वपूर्ण स्थान होता है। आयुर्वेदिक चिकित्सक या वैद इंसान की नाड़ी पकड़कर उसके रक्तसंचार के बारे में अध्ययन करता है। प्राचीन काल से ही नाड़ी देखकर वैद असाध्य रोगों के बारे में भी बता दिया करते थे हालांकि आज के दौर में आधुनिक मशीनों ने उसकी जगह ले ली है। सामान्य एड़ी दर्द का इलाज के लिये मरीज की उम्र और स्थिति के लिहाज से दवाओं के सेवन की सलाह दी जाती है। यदि सामान्य दर्द है तो कुछ जड़ी बूटियों को बांधने की सलाह के साथ ही कुछ गुग्गुल आदि के सेवन की सलाह दी जाती है। थोड़े दिन मालिश और दवा सेवन के बाद स्थिति ठीक होने लगती है। हृदय रोगों या आंतरिक अंगों में संक्रमण की अवस्था में होने वाले दर्द के लिए जड़ी बूटियों द्वारा निर्मित खाने और पीने की कुछ दवाओं के सेवन की सलाह दी जाती है। साथ ही कुछ ऐसे परहेज बताये जाते हैं जिनको अमल में लाना अनिवार्य होता है। दवा के सेवन के दौरान धूम्रपान और मदिरा पान वर्जित किया जाता है। मरीज को कुछ सप्ताह या फिर महीनों के लिए दवा के सेवन की सलाह दी जाती है। दवाओं के सेवन के साथ ही कुछ प्रकार के योग करने की सलाह भी आयुर्वेदिक दवाओं के एक अंग के रूप में बताया जाता है। सबसे खास बात इस उपचार में यह है कि इन दवाओं का किसी भी प्रकार का कोई साइड इफेक्ट नही होता है। पंचकर्मा सहित कुछ अन्य उपाय अपनाकर आयुर्वेद द्वारा कई असाध्य रोगों पर विजय प्राप्त की जा चुकी है।

    एड़ी के दर्द में आयुर्वेदिक दवा संबंधित जटिलतायें।

     

    एड़ी के दर्द में आयुर्वेदिक दवा संबंधित जटिलतायें

    दुनिया की हर उपचार विधाओं की कुछ ना कुछ जटिलताएं होती ही हैं। एड़ी का दर्द का आयुर्वेदिक उपचार में हालांकि किसी भी तरह का कोई साइड इफ़ेक्ट तो नही देखा गया है लेकिन कई सावधानियां जरूरी होती हैं। आयुर्वेदिक दवाओं के साथ परहेज सबसे आवश्यक होता है। इस तरह की दवाएं पूरी तरह जड़ी बूटियों से तैयार की गई होती हैं इसलिए परहेज ना करने पर शरीर पर इनका प्रभाव समुचित तरीके से नही होता। जंक फूड सहित ज्यादा मिर्च मसाले वाली चीजों का सेवन आयुर्वेदिक दवाओं के साथ नही किया जाना चाहिए। इस उपचार माध्यम के साथ अन्य पद्धति की दवाएं तेजी से अभिक्रिया कर सकती हैं। जब बजी आयुर्वेद के साथ अन्य किसी भी तरह की दवा का सेवन करें चिकित्सक की सलाह जरूर ले लें। आयुर्वेदिक दवाओं म3न शरीर के पोषण के लिए उपचार तो मौजूद होता है लेकिन फौरी राहत के लिए उपचार मौजूद नही है हालांकि कुछ दवाइयां अब बाजार में आ रही हैं जो दर्द को तुरंत खत्म करने का दावा करती हैं। उपचार आयुर्वेद से करें तो अपने वैद या चिकित्सक के इतिहास के बारे में अवश्य जान लें। कुशल और प्रशिक्षित Joints Pain Healers आयुर्वेदाचार्य ही आपको सटीक उपचार मुहैया करा सकता है।

    डॉ आकांक्षा

    • 7 Years of Experience
    • (BHMS)
    • Quora

    मै डॉ आकांक्षा होम्योपैथिक चिकित्सा में बैचलर हैं. इन्हें जॉइंट्स पेन (जोड़ों का दर्द) और बैक पेन (पीठ दर्द) जैसे रोगों का विशेषज्ञ माना जाता है. इन्होने अपने उपचार से देश के हजारों मरीजों को नया जीवन दिया है. डॉ आकांक्षा को जॉइन्स पेन( जोड़ों का दर्द) और बैक पेन

    हमारे डॉक्टर से सलाह लें