अक्सर आपने गले में पट्टा बांधे लोगों को देखा ही होगा. यह इस बात की तरफ इशारा करता है कि अमुक व्यक्ति गर्दन की समस्या से जूझ रहा है. गर्दन में होने वाले दर्द को अमूमन लोग यह सोचकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं कि यह सामान्य सी बात है लेकिन कई बार यह दर्द बेहद खतरनाक साबित हो जाता है. आमतौर पर गर्दन में दर्द किसी भी उम्र के महिला-पुरुष और बच्चों में कभी भी हो सकता है. भागदौड़ भरी दिनचर्या के कारण बीते कुछ दशकों में सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस जैसे रोगों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है.
- गर्दन दर्द के कारण
- बदलते मौसम में गर्दन दर्द
- पुरुषों में गर्दन दर्द के कारण
- महिलाओं में गर्दन दर्द
- गर्दन दर्द के लक्षण
- गर्दन दर्द होने से पहले रोकथाम
- गर्दन दर्द हो जाने के बाद रोकथाम
- एलोपैथ से गर्दन दर्द का उपचार
- यूनानी से गर्दन दर्द का उपचार
- आयुर्वेद से गर्दन दर्द का इलाज़
- होम्योपैथ से गर्दन दर्द का उपचार
- गर्दन दर्द में क्या करें/क्या ना करें
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गर्दन दर्द के कारण
कई बार कंधों के जोड़ यानी उपरी भाग में गर्दन का दर्द स्पोंडिलोसिस के कारण हो जाता है जो अनुवांशिक परिस्थितियों की वजह से भी हो सकता है. स्पोंडिलोसिस जैसी बीमारी होने के कई कारण होते हैं मसलन उम्र का बढ़ना और सोते समय गर्दन के नीचे तकिया का इस्तेमाल. शरीर में कैल्शियम और विटामिन डी की कमी के चलते गर्दन की हड्डियों के कमज़ोर होने के चलते गर्दन दर्द की समस्या उत्पन्न हो जाती है. इसके अलावा इस तरह का दर्द पुरानी चोट, मांसपेशियों में खिंचाव, पुराने रोग और जोड़ों के घिसने की वजह से दर्द का कारण बन जाता है.
बदलते मौसम में गर्दन दर्द
बदलता मौसम हड्डियों और मांसपेशियों में दर्द का कारण बन जाता है. जहाँ तक बात गर्दन दर्द की है तो यह जाड़ों के मौसम में ज्यादा ही परेशान करता है. सर्दियां आते ही मांसपेशियों और नसों में संकुचन जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है. गर्मियों की अपेक्षा सर्दियों में इंसानी शरीर से पसीने के रूप में अवशिष्ट पदार्थ बाहर नही निकल पाते जो गलत खानपान के चलते हड्डियों में दर्द का कारण बन जाते हैं.
पुरुषों में गर्दन दर्द के कारण
पुरुषों में गर्दन का दर्द कई कारणों से होता है. मसलन धूम्रपान और अल्कोहल सहित ड्रग्स के लती लोगों में यह समस्या आम हो जाती है जो सर्वाइकल के रूप में सामने आती है. गलत रूप से अधिक शारीरिक श्रम करने से खिंचाव और लम्बे समय तक कंप्यूटर और स्मार्ट फोन के इस्तेमाल के कारण गले का दर्द हो जाता है. इसके अलावा कई घंटों तक बाइकिंग और ड्राइविंग करने से दर्द बढ़ जाता है. कैल्शियम की कमी और कुपोषण भी इस समस्या का बड़ा कारण माना जाता है.
महिलाओं में गर्दन दर्द
पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं किचन में ज्यादा सक्रिय रहती हैं. हार्मोनल विसंगतियों सहित थायरोइड की समस्या से गर्दन में दर्द हो जाता है. सिलाई बुनाई करते समय ज्यादा समय तक सिर झुकाकर काम करने की वजह से भी दर्द हो ही जाता है. इसके अलावा गठिया रोग भी इस तरह की समस्या का कारण बन जाता है. बढ़ती उम्र के साथ जोड़ों के घिसने से दर्द की समस्या हो जाती है.
गर्दन दर्द के लक्षण
गर्दन दर्द के लक्षण कई तरह के हो सकते हैं. गर्दन के पिछले हिस्से में खिंचाव सहित दर्द की अनुभूति होना, हांथों में सुन्नता प्रकट होना, सर में चकराहट का महसूस होना, खाने या कुछ पीने पर गले में दर्द महसूस होना, लिम्फ नोड में सूजन महसूस करना इत्यादि गर्दन में दर्द होने की तरफ इशारा करते हैं.
गर्दन दर्द होने से पहले रोकथाम
शरीर के जोड़ हमारे शरीर की के अभिन्न अंग होते हैं. इन जोड़ों में गर्दन का जोड़ शारीरिक संरचना में बेहद ख़ास होता है. इसके चलते खाने पीने, बात करने जैसे काम कर पाते हैं. गर्दन के पीछे दर्द ना हो इसके लिए कुछ टिप्स अपनाना जरूरी होता है. किसी भी कुर्सी पर बैठकर लगातार काम करने से बचें. अनियमित दिनचर्या से बचने की जरूरत होती है महिलाएं गर्भावस्था के दौरान विशेष ख़याल रखें. खानपान की गुणवत्ता बनाएं रखें. योगा और व्यायाम नियमित रूप से करें. आहार में कैल्सियम और विटामिन्स को प्रचुरता से शामिल करें. अल्कोहल या धूम्रपान से जितना संभव हो बचने की जरूरत होती है.
गर्दन दर्द हो जाने के बाद रोकथाम
दर्द तो दुःख देता ही है. खासकर जब हमारे गले या गर्दन के आसपास यह हो जाता है तब हमें कुछ भी निगलने और गर्दन हिलाने डुलाने तक में परेशानी होने लगती है. यदि आपको भी किसी वजह से गर्दन में दर्द की अनुभूति हो तो इससे बचने के लिए कई तरह के तरीके मौजूद हैं. आधुनिक दौर में चिकित्सा विज्ञान ने नए आयाम स्थापित किए हैं जिसके चलते कई तरह की चिकित्सा पद्धतियाँ मौजूद हैं. गर्दन के दर्द के लिए योग एक बेहतर साधन होता है. इसके अलावा गर्दन दर्द की दवा के रूप में एलोपैथ, आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथ प्रयोग में लाए जाते हैं.
एलोपैथ से गर्दन दर्द का उपचार
एलोपैथ में इस दर्द के इलाज़ के लिए कुछ तरह की स्ट्रॉइड दवाइयां सहित एक्यूपंक्चर और पेनकिलर जैसी विधा से सर्वाइकल या गर्दन में हो रहे दर्द का उपचार किया जाता है. इस पद्धति से किया जाने वाला उपचार फौरी राहत प्रदान करता है लेकिन इसके कई तरह के जोखिम भी होते हैं. इन दवाइयों के साइड इफेक्ट इंसानी रूह के लिए बाद में बड़ा ख़तरा बन जाते हैं. (और पढ़ें – गर्दन दर्द का एलोपैथिक इलाज)
यूनानी से गर्दन दर्द का उपचार
हड्डियों और जोड़ों के दर्द सहित गर्दन दर्द में यूनानी विश्व की सबसे सटीक दवा मानी जाती है. यूनानी हर्बल दवाओं सहित मसाज और स्टीमिंग इत्यादि के फ़ॉर्मूले से इस समस्या को जड़ से उखाड़ फेंका जा सकता है. सबसे ख़ास बात यह है कि इस चिकित्सा पद्धति की दवाइयां हमारे शरीर पर कोई दुष्परिणाम नही डालती. (और पढ़ें – गर्दन दर्द का यूनानी इलाज)
आयुर्वेद से गर्दन दर्द का इलाज़
आयुर्वेद ऐसी विधा है जिसका प्रयोग यूनानी हर्बल दवाओं के साथ किए जाने पर गर्दन में दर्द की समस्या से जड़ से निजात पाई जा सकती है. अग्निकर्म जैसी विधा से जिसमें मरीज को मांशपेशियों और हड्डियों के जोड़ों पर एक तरह का लोशन लगाया जाता है. इस विधा में यूनानी दवाओं का सबसे ज्यादा उपयोग होता है. (और पढ़ें – गर्दन दर्द का आयुर्वेदिक इलाज)
होम्योपैथ से गर्दन दर्द का उपचार
इस विधा में केल्केरिया फास जैसी दवाइयों के माध्यम से गर्दन दर्द का इलाज़ करने की बात कही जाती है. सबसे बड़ी बात यह है कि इस दवा के इस्तेमाल के बाद यदि आपका किसी कारणवश दर्द बढ़ जाता है तो तुरंत राहत पहुचने वाली एलोपैथिक दवाओं का सेवन शरीर में अभिक्रिया या रियक्शन कर सकता है. (और पढ़ें – गर्दन दर्द का होम्योपैथिक इलाज)
गर्दन दर्द में क्या करें/क्या ना करें
गर्दन में दर्द या सर्वाइकल हो जाने के बाद कुछ चीजों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है, खासकर डॉक्टर की सलाह और परहेज सहित खानपान में सुधार करें.
- ज्यादा देर तक कंप्यूटर या स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल ना करें
- हमेशा गर्दन सामान्य अवस्था में रखे ज्यादा हिलाएं-डुलाएँ नही
- बाइक या कार चालते समय सावधानी बरतें कोशिश करें कि ड्राइविंग कम से कम करें
- सोते समय ज्यादा ऊँची तकिया का इस्तेमाल ना करें
- अपने भिजन में फायबर युक्त अनाजों और दालों का शामिल करें
- हरे पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें
- ज्यादा तली भुनी चीजों और खटाई लाल मिर्च का सेवन ना करें
- दूध और कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें
- पानी का अधिक मात्रा में सेवन करें.