होम्योपैथिक चिकित्सा का जोड़ों के दर्द में फायदे और नुकसान

जोड़ों के दर्द में होम्योपैथिक चिकित्सा

हमारे डॉक्टर से सलाह लें

    जोड़ों में दर्द कि समस्या बदलते युग में पूरी दुनिया के लिए गंभीर समस्या बनती जा रही है. पहले यह दर्द बुढ़ापे में होता था लेकिन आज के दौर में यह हर पीढ़ी के लोगों में देखने को मिल जाती है. यह ऐसी समस्या है जिससे समाज का हर तबका प्रभावित हो रहा है. एक सर्वे के मुताबिक़ जोड़ों का दर्द महिलाओं को ज्यादा सताता है. चिकित्सा विधा के लिहाज़ से आज हम इस लेख द्वारा होम्योपैथिक दवाओं के दर्द में प्रयोग से नफ़ा नुकसान के बारे में बताने वाले हैं.

    होम्योपैथ से जोड़ों के दर्द में फायदे

    आमतौर पर कुछ लोगों का मानना है कि होम्योपैथ की दवाइयां किसी भी तरह की एलर्जी को दूर भगाने में सहायक होती हैं. मसलन जोड़ों में हो रहे दर्द के लिए भी दीर्घकालिक इलाज़ से काफी राहत मिलती है. इस विधा में चिकित्सक मरीज को कुछ चीनी जैसी गोलियां और लिक्विड इस्तेमाल के लिए देते हैं. इसे नियमित खाने की सलाह दी जाती है. मसलन लिक्विड को पानी के साथ मिलाकर पीने को बताया जाता है. किसी भी दर्द में यह विधा फायदा पहुंचाती है लेकिन वक्त ज्यादा लगता है. यह एक तरह का लंबा इलाज़ कहा जाता है. आकस्मिक स्थिति में इस विधा से इलाज़ नामुमकिन होता है. हालांकि कई शोधों में यह पाया गया है कि इस तरह की दवाइयों से रोगी को काफी आराम प्राप्त होता है.

    चलने फिरने में असमर्थता, जोड़ों में लगातार दर्द, रह रहकर गांठों में दर्द इत्यादि होने की दशा में गवायेकम नामक होम्योपैथी दवा के सेवन के लिए कहा जाता है. इसकी कुछ बूंदे पानी में मिलाकर पीने से कुछ दिनों बाद असर दिखना शुरू हो जाता है.

    अर्थराइटिस या गठिया बाई वाले मरीजों में कई तरह के लक्षण प्रकट होते हैं हालांकि ऐसे लक्षण उम्र के मुताबिक़ और दर्द के आधार पर उपचार के लिए सही तरीकों का चयन करते हैं. बुखार आना, सिर चकराना, घबराहट, पसीना आना, दर्द का सहन ना होना सहित उठने बैठने में भी परेशानी की अनुभूति होने पर इउस विधा में ब्रायोनिया नामक दवा के सेवन की सलाह दी जाती है. इसकी कुछ बूंदों को रूगी के हिसाब से पानी में मिलाकर सेवन कराया जाता है. इसके सेवन से मरीज को धीरे-धीरे स्वास्थ्य लाभ मिल जाता है.

    होम्योपैथ के नुकसान

    होम्योपैथिक चिकित्सा विधा का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि मरीज की आपात स्थि‍ति के समय यह दवाएं किसी काम की नहीं है, क्योंकि यह शरीर पर धीरे-धीरे असर करती है. शल्य चिकित्सा या अन्य परिस्थितियों में, जब मरीज को तुरंत इलाज की आवश्यकता होती है, तब होमियोपैथी इलाज़ बेकार साबित हो जाते हैं.

    इसी तरह शारीरिक पोषण को पूरा करने में यह विधा पूरी तरह फेल साबित हुई है. मसलन कैल्शियम की कमी जिससे जोड़ों में दर्द होता है इस दवा से पूरा नही किया जा सकता। इन दवाइयों में बहुत से परहेज होते हैं जिनके ना करने पर मरीज की हालत बिगाड़ सकती है. इसके अलावा यदि इन दवाओं को समय सीमा से अधिक खाया जाता है तो यह पेट में कई तरह के संक्रमण पैदा कर सकती है.

    डॉ विवेक

    • 9 Years of Experience
    • (BHMS)

    डॉ विवेक को होम्योपैथी में स्नातक हैं. इनकी चिकित्सा से देश के हज़ारों मरीज गठिया रोग से निजात पा चुके हैं. डॉ विवेक को इस क्षेत्र में 8 साल का अनुभव है. डॉ विवेक का कहना है कि होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति समरूपता के सिद्धांत (like cures like) पर काम करती

    हमारे डॉक्टर से सलाह लें