आयुर्वेद में छिपा है स्पॉन्डिलाइटिस का रामबाण इलाज

आयुर्वेद में छिपा है स्पॉन्डिलाइटिस का रामबाण इलाज

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    स्पॉन्डिलाइटिस एक तरह का गठिया रोग है जिसमें रीढ़ की हड्डी में विकार उत्पन्न हो जाता है। कशेरुकाओं के जोड़ सख़्त हो जाने से रीढ़ की हड्डी कठोर हो जाती है। गर्दन और कमर के निचले हिस्से के बीच कहीं भी सूजन आ सकती है और आपको दर्द की समस्या हो सकती है। न्डिलाइटिस का आयुर्वेदिक इलाज , स्पॉन्डिलाइटिस के लक्षणों को दूर करने में बेहद कारगर है। खासकर सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस में यह उपचार बहुत अधिक फ़ायदेमंद साबित होता है। महिलाएं अक्सर लम्बर स्पॉन्डिलाइटिस से प्रभावित होती हैं। इसके लिए वे योग व आयुर्वेद के घरेलू उपचार अपना सकती हैं।

    कैसा होता है स्पॉन्डिलाइटिस का आयुर्वेदिक इलाज

    स्पॉन्डिलाइटिस का आयुर्वेदिक इलाज स्पॉन्डिलाइटिस के दर्द को दूर करने में सक्षम है। यदि आयुर्वेदिक नज़रिए से देखा जाए तो वात, पित्त और कफ दोष में असंतुलन के कारण मानव शरीर में दर्द की समस्या उत्पन्न होती है। गठिया के उपचार में आयुर्वेदिक इलाज काफी फायदेमंद है। अब क्योंकि स्पॉन्डिलाइटिस भी गठिया के बेहद करीब है इसलिए आयुर्वेदिक उपचार इसमें भी फायदेमंद साबित हो सकता है। इसके साइडिफेक्स भी कम हैं। इसलिए अधिकतर लोग स्पॉन्डिलाइटिस के लिए अब आयुर्वेदक चिकित्सा पद्धति अपना रहे हैं। इस चिकित्सा पद्धति में दवाओं के साथ-साथ खान पान, योग और जीवन शैली में बदलाव की सलाह दी जाती है।

    आयुर्वेद में स्पॉन्डिलाइटिस का खान पान

    दवाओं के साथ-साथ उचित आहार लेना भी ज़रूरी है। अपने आहार में फॉस्फोरस, कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल करें। इसके लिए आप दूध, चीज़, दही, बीन्स, बादाम, हरी पत्तेदार सब्ज़ियां, कद्दू के बीज, नट्स, सोयाबीन आदि का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा शरीर में नमी बनाए रखने के लिए थोड़ी-थोड़ी देर में पानी पीते रहें और वात दोष को नियंत्रण में रखें। स्पॉन्डिलाइटिस के मरीज़ को रोज़ाना 8-10 गिलास पानी पीना चाहिए। इससे निर्जलीकरण की समस्या नहीं होगी। साथ ही पानी शरीर से विषैल पदार्थों को बाहर निकालने में भी मदद करता है। धूम्रपान और शराब से परहेज करें। यदि चोट लगी हो तो उस पर शीत और मधुर रस के हर्ब से बना लेप लगाएं। इसके अलावा अपनी डाइट में घी शामिल करें।

    आयुर्वेद में स्पॉन्डिलाइटिस के लिए जीवन शैली में सुधार

    आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में दवाइयों और उचित खान पान के साथ-साथ जीवन शैली में तब्दीली की भी सलाह दी जाती है। इसके लिए आप निम्न नियमों का पालन कर सकते हैं:

    • अपनी पाचन प्रक्रिया ठीक रखें। किसी भी कीमत पर कब्ज़ से दूर रहें।
    • दर्द और अकड़न से निजात पाने के लिए प्रभावित क्षेत्र पर गर्म सिंकाई करें।
    • दिन में न सोएं।
    • हल्का आहार लें। अधिक तैलीय पदार्थों से परहेज़ करें।
    • रोज़ाना प्राणायाम करें। नाड़ी शोधन, चंद्रभेदी, भ्रामरी आदि प्राणायाम स्पॉन्डिलाइटिस के उपचार में मददगार साबित हो सकते हैं।
    • कई योगासन जैसे कि पवन मुक्तासन, भुजंगासन, धनुरासन, पश्चिमोत्तानासन, सेतुबंधासन आदि स्पॉन्डिलाइटिस के उपचार में उपयोगी हैं।

    स्पॉन्डिलाइटिस का आयुर्वेदिक इलाज संबंधी सावधानी

    हालांकि ऐसा दावा किया जाता है कि आयुर्वेदिक इलाज के कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं होते लेकिन फिर भी कुछ सावधानियां बरतना ज़रूरी है। आयुर्वेद में स्पॉन्डिलाइटिस के लिए दवाएं एक निश्चित मात्रा में दी जाती हैं। दवा की मात्रा बच्चों और वयस्कों के लिए अलग-अलग होती है। इसलिए खुद कभी इन दवाओं का सेवन न करें। किसी भी घरेलू उपचार से अगर फायदा न हो तो दर्द को नज़रअंदाज़ न करें। किसी विशेषज्ञ से सलाह ज़रूर लें। कोई भी प्रणायाम या योग किसी योग विशेषज्ञ की निगरानी में ही करें।

    डॉ आकांक्षा

    • 7 Years of Experience
    • (BHMS)
    • Quora

    मै डॉ आकांक्षा होम्योपैथिक चिकित्सा में बैचलर हैं. इन्हें जॉइंट्स पेन (जोड़ों का दर्द) और बैक पेन (पीठ दर्द) जैसे रोगों का विशेषज्ञ माना जाता है. इन्होने अपने उपचार से देश के हजारों मरीजों को नया जीवन दिया है. डॉ आकांक्षा को जॉइन्स पेन( जोड़ों का दर्द) और बैक पेन

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