स्पॉन्डिलाइटिस के दर्द में यह घरेलू उपचार हैं कारगर

स्पॉन्डिलाइटिस के दर्द में यह घरेलू उपचार हैं कारगर

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    स्पॉन्डिलाइटिस एक प्रकार का गठिया है जो आपकी रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है। इसमें कशेरुकाओं के जोड़ सख़्त हो जाते हैं जिससे रीढ़ की हड्डी कठोर हो जाती है। आपको रीढ़ की हड्डी के विभिन्न हिस्सों में सूजन, ऐंठन और दर्द की शिकायत होने लगती है। यह बीमारी कुछ आनुवांशिक कारणों की वजह से भी हो सकती है। लेकिन इसका अहम कारण खराब जीवन शैली है। इसलिए जीवन शैली में आवश्यक सुधार लाकर इस बीमारी को ठीक किया जा सकता है।

    निम्न स्पॉन्डिलाइटिस का घरेलू उपचार से इस बीमारी को कंट्रोल करने में काफ़ी मदद मिल सकती है:

    व्यायाम और स्ट्रेचिंग करें

    स्पॉन्डिलाइटिस से पीड़ित मरीज़ों के लिए व्यायाम और स्ट्रेचिंग बहुत अधिक फायदेमंद है। लेकिन यह भी ज़रूरी है कि आप अपने शरीर पर ज़्यादा ज़ोर न डालें। इसलिए किसी भी तरह का व्यायाम शुरु करने से पहले फ़ीज़िकल थेरेपिस्ट की सलाह लेना उचित होगा। वे आपको अच्छी तरह से गाइड कर पाएंगे कि आपके लिए कब और किस प्रकार का व्यायाम करना उचित होगा।

    मसाज थेरेपी से मिलेगा आराम

    मसाज करवाने से शरीर की जकड़न दूर होती है और आपको दर्द से राहत मिलती है। इसके अलावा यह थकान और तनाव दूर करने में भी सहायक है। लेकिन किसी भी तरह की मसाज थेरेपी लेने से पूर्व चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।

    सही मुद्रा में उठे-बैठें

    गलत मुद्रा में उठने बैठने से आपकी रीढ़ की हड्डी कमज़ोर हो जाती है। इससे आप हमेशा कंधे झुकाकर चलते हैं। इसलिए ज़रूरी है कि आप घर या बाहर, अपने चलने-फिरने और उठने-बैठने की मुद्राओं पर गौर फ़रमाएं। ऑफ़िस की कुर्सी पर अधिक लंबे समय तक एक ही पोज़ीशन में बैठकर काम न करें। बैठते समय कमर झुकाकर न बैठें। थोड़ी-थोड़ी देर में उठकर थोड़ा टहल लें।

    सही मुद्रा में सोएं

    सोने के लिए सख़्त गद्दे का प्रयोग करें। एक ही पोज़ीशन में न सोएं। करवट बदलते रहें। आप चाहें तो पेट के बल भी सो सकते हैं। इससे आपकी रीढ़ की हड्डी पर दबाव नहीं पड़ेगा। अगर आपको सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस की समस्या है तो गर्दन को 15 डिग्री पर मोड़ने वाले तकिए का प्रयोग करें।

    एक्यूपंचर तकनीक का कर सकते हैं प्रयोग

    यह एक प्राचीन तकनीक है जिसमें दर्द वाली जगह पर सुई चुभाने से दर्द से राहत मिलती है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह तकनीक कमर दर्द दूर करने में काफी कारगर साबित होती है। दिसंबर 2015 में एक जर्मन जरनल-कॉम्पलीमेंट्री मेडिसन रिसर्च में एक लेख़ छपा था जिसमें दावा किया गया था कि एक्यूपंचर, एन्कीलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस के उपचार में कारगर साबित हो सकता है। लेकिन अधिकतर आधुनिक विद्वान इस मत से सहमत नहीं हैं। इसलिए ज़रूरी है कि किसी अच्छे विशेषज्ञ की निगरानी में ही इस तकनीक का प्रयोग किया जाए।

    ठंडी व गर्म सिकाई करें

    दर्द वाले हिस्से पर ठंडी व गर्म सिकाई की जा सकती है। ठंडी सिकाई के लिए दर्द वाली जगह पर बर्फ़ लगाई जा सकती है। गर्म सिकाई के लिए हीटिंग पैड का इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन बहुत अधिक देर तक गर्म सिंकाई न लें। इससे सूजन बढ़ने का खतरा रहता है।

    धूम्रपान न करें

    विशेषज्ञों का कहना है कि धूम्रपान करने से सेहत को बहुत अधिक नुकसान पहुंचता है। इससे कई बीमारियां जन्म लेती हैं। यहां तक कि आपको स्पॉन्डिलाइटिस भी हो सकता है। क्योंकि पुरुष अधिक धूम्रपान करते हैं, इसलिए अक्सर वे इस बीमारी के शिकार हो जाते हैं। इसलिए ज़रूरी है कि आप धूम्रपान बंद करें। इससे बीमारी से लड़ने में मदद मिलेगी।

    शराब से रहें दूर

    शराब के अधिक सेवन से हड्डियां कमज़ोर हो जाती हैं। इसलिए ज़रूरी है कि शराब से दूरी बनाए रखें। यदि पीनी ही है तो कम मात्रा में पीएं। पुरुष एक दिन में 2 गिलास और महिलाएं एक दिन में 1 गिलास से अधिक शराब का सेवन न करें।

    नियमित योग से होगा फायदा

    योग एक ऐसी प्राचीन भारतीय तकनीक है जो आपको मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रखती है। नियमित रूप से स्पॉन्डिलाइटिस का योग करने से आपके शरीर की अकड़न और सूजन दूर होती है। इससे दर्द से राहत मिलती है। स्पॉन्डिलाइटिस में रोज़ाना बालासन, ताड़ासन, गोमुखासन, सेतुबंधासन, भुजंगासन, शलभासन, अधोमुख श्वानासन, मार्जरी आसन और दंडासन करने से आपको लाभ होगा।

    इन घरेलू नुस्खों के नियमित अभ्यास से आप स्पॉन्डिलाइट के दर्द से छुटकारा पा सकते हैं। लेकिन यदि इन नुस्खों से आराम न मिले तो दर्द को नज़रअंदाज़ न करें। इसके लिए विशेषज्ञ की सलाह ज़रूर लें।

    डॉ फहद

    • 6 Years of Experience
    • (BUMS)

    डॉ फाहद यूनानी चिकित्सा पध्दति के विशेषज्ञ हैं। इन्हें यूनानी दवाओं से विभिन्न जटिल रोगों जैसे जोड़ो में दर्द, बैक पेन, रीढ़ की हड्डी का इलाज करते हुए लगभग पाँच साल का अनुभव हो गया है। आयुर्वेद की तरह यूनानी में भी नब्ज यानी नाड़ी देखकर रोग की पहचान की

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