हड्डी के रोग से संबंधित जटिलतायें।
हड्डी के रोग कई रूपों में इंसान के जीवन को प्रभावित करते हैं। मसलन हल्की चोट या मोच का भी इलाज समय से और जड़ से ना करने से कई बार इनकी जटिलतायें जीवन को दूभर बना देती हैं। एक इंसान जो अपने खान पान में संतुलन नही बनाता वह हड्डी के रोग का शिकार हो जाता है। एक खिलाड़ी को खेलते समय लगी चोट आंतरिक तौर पर शल्य चिकित्सा तक कि स्थिति उत्पन्न कर सकती है। शल्य चिकित्सा वैसे तो आजकव दौर में बेहद आसान हो चुका है लेकिन काफी तकलीफों से गुजरना पड़ता है। कभी कभी इसकी वजह से नर्म ऊतकों में भारी क्षति या संक्रमण होने से बीमारी लाइलाज या नासूर भी हो जाती है। वाहन सही खान पान भी जो सकता है या आंतरिक रोग। हालांकि मोटापा एक बड़ा कारण है हड्डी के रोग बढ़ाने का लेकिन अनुवांशिक वजहें भी इस तरह की जटिलताओं को बढ़ाने का काम करती हैं। कई अन्य वजहों जैसे गठिया या फिर अर्थराइटिस रोग हड्डियों के जोड़ो में मौजूद फ्लूड के सूखने के बड़ा कारण बन जाते हैं। इस स्थिति में कई बार रोग जानलेवा और लाइलाज साबित हो जाता है। आजकल बाजार कुछ जरूरी एहतियात अपनाकर पैर के रोगों से पाया जा सकता है छुटकारा।
पैर में दर्द के उपचार के लिए जितना जरूरी दवाएं होती हैं उनसे ज्यादा जरूरी होता है कि समस्या से बचाव कैसे किया जाए। अक्सर खान पान संबंधी जरूरतों को सही से पूरा ना करने के चलते हड्डियों से संबंधित तकलीफों का होना स्वाभाविक माना जाता है। हड्डियों के रोगों में पैर की तकलीफें शरीर को बेहद परेशानी में डाल देती हैं।
हड्डी दर्द से बचाव के लिए अपनाएं कुछ ऐसे उपाय।
हड्डी में दर्द ना हो इसलिए कुव्ह जरूरी उपाय अपनाना आवश्यक होता है। हड्डियों की देखभाल के लिए सूर्योदय के समय सनबाथ बेहद आवश्यक होता है। सनबाथ से हड्डियों को नई ऊर्जा तो प्राप्त होती ही है साथ ही प्रचुर मात्रा में कैल्शियम और विटामिन डी भी प्राप्त होती है। जीवनशैली इंसान के जीवन को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। यदि किसी भी वजह से इंसान अपनी नित्यक्रिया में लगातार परिवर्तन कर रहा है तो यह उसके जीवन के लिए घातक हो सकता है। इस वजह से हड्डियों में दर्द होना स्वाभाविक होता है। दर्द ना हो इसके लिए दिनचर्या में निरंतरता आवश्यक होती है। शरीर को कितनी मात्रा में कैलोरी की मात्रा की आवश्यकता होती है इसका पता अपने वजन या न्यूट्रिशन से पता लगाया जा सकता है। इस तरह से मोटापे से बचाव तो होता ही है साथ ही हड्डियों को भरपूर पोषण भी प्राप्त हो जाता है पोषण मिलने से हड्डियों को ऊर्जा प्राप्त होती है और शरीर कुपोषण का शिकार नही होता है।
जंक फूड का इस्तेमाल ना के बराबर करने स्व भी हड्डी रोग से बचाव किया जा सकता है। हड्डियों के रोग से बचना है तो कभी भी अल्कोहक का सेवन नही करना चाहिए। इसके अलावा तम्बाकू का सेवन किसी भी रूप में हानि पहुंचा सकता है। मिलावट एक ऐसा जहर है जो कमोवेश वैश्विक दुनिया का एक ऐसा शगल बन चुका है जिससे शायद ही कोई अछूता हो। भोजन में कम मिलावटी खाद्य पदार्थो के सेवन को तरजीह देकर हड्डी दर्द की समस्या से बचाव किया जा सकता है।
हड्डी रोग हो जाने पर बचाव या उपचार।
हड्डी के रोग हो जाने पर कई उपचार माध्यम बाजार में मौजूद हैं जो बेहद कारगर भी होते हैं। इस तरह से सबसे पहले प्रारंभिक उपचार को तरजीह दी जानी चाहिए। दर्द के दौरान कुछ घरेलू उपचार की मदद लिया जा सकता है। यदि इसे सेवन से दर्द सही ना हो रहा हो तब आयुर्वेदिक दवाओं को तरजीह देने की जरूरत होती है। आयुर्वेद की दवाएं पूरी तरह जड़ी बूटियां पर आधारित होती हैं। वैसे सामान्य से लेकर कई तरह के आसाध्य रोगों को ठीक करने का दावा इस उपचार माध्यम में किया जाता है लेकिन यदि इससे भी हड्डी दर्द में लाभ ना हो तो यूनानी दवाएं एक बेहतर विकल्प के रूप में काम आ सकती हैं। यूनानी दवा हड्डियों केल रोग के मामले में एक बेहतर उपचार साबित होती है।
हर्बल उपचार की इस विधा में जड़ से रोग समाप्त करने की क्षमता होती है। हालांकि कई परिस्थितियों में यूनानी दवाएं काम नही करती तब आखिरी विकल्प के रूप में आधुनिक दवाएं यानि एलोपैथी दवाओ का सेवन आखिरी विकल्प साबित होता है। एलोपैथी विधा दुनिया की एक ऐसी उपचार विधा है जिससे प्रयोग से लंबे समय तक दर्द विहीन जीवन जिया जा सकता है। हड्डी के रोग के मामले में चिकित्सक कुछ तरह के टेस्ट जी सलाह देते है। टेस्ट में आई रिपोर्ट के मुताबिक दवाओं के सेवन की सलाह से नियमित सेवन दर्द में राहत प्रदान करता है।
हड्डी में दर्द से निजात पाने से संबंधित जरूरी सुझाव।
वास्तव में ऊपर दिए गए तरीकों को जीवन में अमल करके हड्डी के रोगों से बचा भी जा सकता है और तकलीफ हो जाने पर भी इलाज किया जा सकता है। दर्द बढ़ जाने पर फौरन Joints Pain Healers के चिकित्सक से सलाह करें।