होम्योपैथी दवा के प्रयोग से कलाई दर्द को दूर करने के सटीक तरीके

कलाई दर्द

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    कलाई दर्द होम्योपैथी दवा वाकई कई मायनों में बेहद चमत्कारी और लाभदायक होती है। वैसे तो दुनिया मे कई तरह की उपचार तकनीक मौजूद हैं जो इस तरह की समस्याओं के लिए प्रयोग में लाये जाते हैं लेकिन होम्योपैथी कुछ अलग तरह का उपचार माध्यम साबित हुआ है। आमतौर पर चोट या मोच की वजह से इस तरह के दर्द बहुतायत से देखे जाते हैं। कई बार तो कुपोषण से शरीर मे कैल्शियम की कमी भी इस तरह के दर्द का कारण बन जाती है। जीवनशैली के अलावा गलत खान पान और समय से नींद ना पूरा होने की स्थिति में इस तरह की समस्याएं हो जी जाती हैं। होम्योपैथी दवा कलाई दर्द में किस तरह काम करती और उससे संबंधित क्या जटिलताएं हैं, इस संबंध में इस लेख के माध्यम से जानने की कोशिश करेंगे।

    कलाई दर्द संबंधित कारण और जटिलताएं

    इंसान जितना उपचार करता है कई बार उससे ज्यादा मर्ज की जटिलताओं से परेशानी उठाता है। कई बार यह समस्या काफी जटिल स्थिति में पहुंच जाती है। जोड़ों पर लगातार दबाव के पड़ने या फिर गठिया हो जाने से कलाई की समस्या जटिल रूप धारण कर लेती है। इसके अलावा कार्पल टनल सिंड्रोम जैसी स्थिति के चलते अक्सर मरीजों की स्थिति काफी तकलीफ देती है। ऐसी स्थितियों में कई बार कलाई के दर्द का इलाज काफी मुश्किल हो जाता है। इस तरह की समस्याएं वाकई में मरीज को काफी कष्ट देती हैं। वैसे कलाई 8 हड्डियों की एक जटिल संरचना होती है जो हाथों में 2 पंक्ति में व्यवस्थित होती हैं। लिगामेंट की पट्टियां कलाई को आपस में जोड़े रहती हैं। जब किसी वजह से इनमें चोट या मोच का असर होता है तो इसका सीधा असर हृदय तक पहुंचता है। स्मार्टफोन पर या फिर कम्प्यूटर पर लगातार काम करने के चलते ऊतकों में सूजन जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

    कई बार गिरने या खेल के दौरान चोट लगने पर हड्डियों में फ्रैक्चर भी हो जाता है। हालांकि फ्रैक्चर की स्थिति में अक्सर प्लास्टर की सहायता से हड्डियों को जोड़ने का काम किया जाता है। स्थिति खराब होने पर शल्य चिकित्सा काफी हद तक मर्ज को दुरूह बना देती है। इस तरह जब भी दर्द की अनुभूति होती है तो इंसान हल्की से हल्की वस्तु उठाने में दर्द का अनुभव करता है। कलाई दर्द के दौरान कई बार मरीज को तेज बुखार होने का खतरा बढ़ जाता है।

    कलाई दर्द होम्योपैथी दवा से उपचार और लाभ

    कलाई दर्द का होम्योपैथी दवा के रूप में ब्रायोनिया का इस्तेमाल काफी असरदार होता है। हालांकि कुछ मामलों में जब कोहनी में गठिया की वजह से दर्द हो रहा हो तब रुट नामक जेनरिक दवा का प्रयोग होम्योपैथी में काफी लाभदायक साबित हो सकता है। इसके अलावा चिकित्सक मरीज की उम्र के हिसाब से दवाओं के सेवन की सलाह देता है। उम्र, लिंग और मौजूद स्थिति के हिसाब से ही जर्मन तकनीक की होम्योपैथी दवाएं उपयोग के लिए दी जाती हैं। द्रव सहित खाने के लिए टेबलेट और चीनी की गोली जैसी दवाओं का असर वाकई काफी अच्छा होता है। एक सर्वे के मुताबिक होम्योपैथी चिकित्सा में एलर्जी को जड़ से समाप्त करने का माद्दा होता है।

    इस तरह की दवाएं काफी लंबे वक्त तक चलती हैं। हालांकि यह बात मरीज की मौके की स्थिति पर निर्भर करता है गठिया या फिर अनुवांशिक कारणों से हीन वाले कलाई दर्द में होम्योपैथी दवा काफी लंबे समय तक उपचारित की जाती है। मरीज और चिकित्सक दोनों को इस माध्यम की दवाओं के आठ इलाज में धैर्य की जरूरत होती है। इस उपचार माध्यम की सबसे बड़ी खासियत है परहेज। यदि मरीज ने दवाओं के साथ परहेज अमल में नही लाया तो रोग समाप्त होने के चांसेज कम हो जाते हैं। कलाई का उपचार करने से पहले होम्योपैथी चिकित्सक कुछ ऐसी दवा के सेवन की सलाह देते हैं जिससे मर्ज उभरती है। मर्ज के उभरने के साथ ही उसका सटीक उपचार किया जाता है।

    कलाई दर्द का होम्योपैथी दवा संबंधित जटिलताएं

    कलाई दर्द का दवा वास्तव में लाभदायक होती हैं लेकिन इनकी ढेर सारी जटिलताएं भी होती हैं। यदि दवा लेते समय लहसुन या प्याज का इस्तेमाल किया गया तो दवाओं का असर ना के बराबर होता है। इसके अलावा खट्टी चीजों जैसे अचार और सिरका जैसी वस्तुएं वास्तव में हड्डियों के लिए दुश्मन का काम करती हैं। होम्योपैथी चिकित्सा में दवा खाने के एक घंटा पहले और बाद में कुछ भी नही खाना चाहिए। ऐसा करने से ही दवा का असर होता है। इसके अलावा इस तरह की पद्धति में कुपोषण को कम करने या शरीर मे कैल्शियम की आपूर्ति करने की परोक्ष क्षमता कतई नही होती।

    होम्योपैथी दवा दर्द के समय किसी भी काम की नही होती। इस तरह की दवाओं का सेवन अन्य विधा की दवाओं के साथ करने से शरीर को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। इस तरह की दवाओं से इलाज काफी लंबा होता है जिससे अक्सर मरीज हार मानकर दवाएं बन्द कर देते हैं।

    कलाई दर्द का होम्योपैथी दवा सम्बंधित जरूरी सलाह

    ऊपर बताये गए होम्योपैथी दवा के तरीके और उपाय वाकई काफी कम के हैं लेकिन किसी भी स्थिति में दवा का सेवन करने से पहले चिकित्सक की सलाह लेना बेहद आवश्यक होता है। यदि मरीज कलाई दर्द होने के चलते होम्योपैथी दवा खाने के बाद किसी अन्य उपचार माध्यम की दवाओं का सेवन करना चाहता है तो सबसे पहले अपने चिकित्सक से सीधा संपर्क कर यथास्थिति से अवगत कराएं तभी दवाओं का सेवन करें।

    डॉ करुणा

    • 10 Years of Experience
    • (BAMS)

    डॉ करुणा आयुर्वेद विधा में स्नातक हैं. आयुर्वेद से उपचार के लिए इन्हें कई मैडल भी मिल चुके हैं. इनके इलाज से गर्दन दर्द के हज़ारों मरीज स्वास्थ्य लाभ उठा चुके हैं. इन्हें इस विधा में 9 साल का अनुभव है. डॉ. करुणा कहती हैं कि आयुर्वेद उपचार प्राचीन काल

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