कुछ इस तरह असर करती है कलाई के दर्द में आयुर्वेदिक दवाएं

कलाई के दर्द

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    आज का आधुनिक युग ऐसी हर्बल उपचार पद्धति की तरफ आकृष्ट हो रहा है जिसके कोई साइड इफैक्ट नहीं है। वर्तमान समय में इंसान बढ़ते प्रदूषण की वजह से हर रोज़ एक नई बीमारी का शिकार हो रहा है। हाथ के जोड़ों में दर्द भी इन्हीं समस्याओं में से एक है। हम अनेक उपचार माध्यमों से अपने शरीर में मौजूद दर्द से तुरंत राहत पाने वाली दवाओं का प्रयोग करते हैं। ऐसी दवाओं के प्रयोग से अनेक दुष्परिणाम सामने आए और कलाई दर्द आयुर्वेदिक दवा की तरफ रुख करते हैं। यह एक ऐसा माध्यम है जो परंपरागत होने के साथ पूरी तरह जड़ी बूटियों पर आधारित होता है। इस तरह की दवाओं से एक तरफ जहां कलाई के जोड़ों में मौजूद फ्लूड सूखने से बचता है तो दूसरी तरफ कई अन्य लाभ भी होते हैं। कलाई इंसान की खूबसूरती का अहम हिस्सा होती है। जिनमें तकलीफ हो जाने से इंसान की दिनचर्या बिगड़ जाती है। एक सर्वे के मुताबिक भारत जैसे देश में पर्यावरण प्रदूषण सहित खान पान और जीवनशैली की विसंगतियों के चलते युवाओं पर इसका अधिक प्रभाव पड़ रहा है। खासतौर पर लेखक जो अपना पूरा दिन लिखने में बिताता है उसके कारण भी कई बार उंगलियों के जोड़ से जुड़ी मांसपेशियों में संकुचन के चलते दर्द हो ही जाता है।

    भारत में एक हेल्थ सर्वे के अनुसार 30 से 50 साल की उम्र वाले लोग इस समस्या से अधिक परेशान हैं। इस लेख में बताया जाएगा कि आयुर्वेदिक दवा से इस तरह के दर्द पर कैसे अंकुश लगाया जा सकता है।

    कलाई दर्द से संबंधित जटिलताएं

    कलाई दर्द चोट लगने पर या मोच आदि के कारण होता है। एक तरफ जहां दुनिया उन्नति का आसमान चूम रही है वहीं दूसरी ओर कुपोषण जैसी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। कुपोषण के कारण शरीर में मौजूद खून लगातार घटता चले जाता है। हृदय रोगों का सीधा संबंध कलाई या फिर उंगलियों में संक्रमण के दौरान देखने को मिल ही जाता है। डायबिटीज़ और मधुमेह भी कलाई में दर्द का कारण बन सकता है।इससे पीड़ित लोगों को लगातार हड्डियों में दर्द रहता है। इसके बढ़ते साइड इफेक्ट को कम करने और रोगों का जड़ से उपचार के लिए आयुर्वेदिक दवाओं का उपयोग काफी हितकर होता है।

    कलाई दर्द में आयुर्वेदिक दवाओं के फायदे

    कोहनी दर्द का आयुर्वेदिक दवा से उपचार भारत में सदियों से किया जा रहा है। आर्युवेद की मदद से हमारे पूर्वजों ने जड़ी बूटियों के माध्यम से कई असाध्य रोगों पर नियंत्रण किया है। वास्तव में आयुर्वेदिक दवाओं में ऐसे राज़ छिपे हैं जो अनेक समस्याओं का समाधान करने में कारगार साबित होते हैं। अश्वगंधा में कई प्राकृतिक गुण पाएं जाते हैं जिनसे शरीर के किसी भी हिस्से के दर्द का आसानी से इलाज कर सकते हैं। गुनगुने दूध में एक चम्मच अश्वगंधा पाउडर मिला कर पीने से लाभ मिलता है। दूध में कैल्शियम पाया जाता है जिससे हड्डिया मजबूत होती है। यदि मरीज को लिखने या खेल के दौरान मोच आ जाए और दर्द होने लगे तो अशोक के पेड़ की छाल का प्रयोग फायदेमंद साबित हो सकता है। 1 लीटर पानी में अशोक की छाल को उबाल लें। उसके बाद उसे ठंडा होने के लिए रख दें। इसको आप सुबह शाम 2 चम्मच पी सकते हैं। यदि आप रोज़ाना ऐसा करते हैं तो उंगलियों में सूजन है वो कम होने लगेगी। अशोक के पत्तों को पीसकर सूजन वाली जगह लेपन करने से दर्द में बेहद आराम प्राप्त होता है।

    इसके अलावा अशोक की छाल दर्द में बेहद असरदार होती है। यदि मरीज को लिखने या खेल के दौरान मोच की वजह से कलाई में दर्द हुआ है तो इसमें अशोक बेहद असरदार होता है। अशोक की छाल को लेकर करीब 1 लीटर पानी में अच्छे से उबाल लें। जब पानी का एक चौथाई हिस्सा बच जाए तो इसे ठंडा कर लें। अब इस द्रव्य को नियमित रूप से सुबह शाम 2 चम्मच की मात्रा में सेवन करें। ऐसा करने से उंगलियों में हो रही सुन्नत दूर होने के साथ दर्द भी दूर होने लग जाता है। दर्द के लिए करीब एक महीने तक इस प्रक्रिया का पालन काफी लाभ पहुंचाता है। अशोक के पत्तो को पीसकर सूजन वाली जगह लेपन करने से दर्द में बेहद आराम प्राप्त होता है।

    आयुर्वेदिक दवाओं का वास्तव में असर तो होता है लेकिन कई तरह की जटिलताएं भी होती हैं। कुछ ऐसी दुर्लभ प्रजातियां जो संरक्षण के अभाव में दुनिया से लुप्त हो चुकी हैं जिनकी खोज असंभव होने से संहिताओं में दर्द दवाओं का निर्माण भी नही हो पाता। इसके अलावा दर्द के दौरान फौरी राहत के समय इन दवाओं का असर शरीर पर नही होता। आधुनिक दवाओं के साथ इन दवाओं का सेवन तो किया जा सकता है अन्य उपचार माध्यमों की दवाओं के साथ अभिक्रिया कर दवाएं शरीर को भारी नुकसान पहुंचा सकती हैं। कलाई दर्द के दौरान इन दवाओं का असर धीरे-धीरे होता है और रोगी को ठीक होने में समय लगता है।

    कलाई दर्द में आयुर्वेदिक दवाओं संबंधित जरूरी सलाह

    यदि हेल्थ सर्वे और आंकड़ों के लिहाज से देखें तो पता चलता है कि कलाई दर्द में आयुर्वेदिक दवा का बेहद सकारात्मक असर होता है। जब भी इस तरह की दवाओं का इस्तेमाल करें तो चिकित्सक से जरूर सलाह लें। दवाओं की मात्रा और सेवन की विधि जान लेने के बाद ही उपचार आरम्भ करें।

    डॉ आलिया

    • 7 Years of Experience
    • (BUMS)

    डॉ आलिया यूनानी चिकित्सा में स्नातक हैं. इन्हें कंधे के दर्द को ठीक करने में महारत हासिल है. इस विधा में इन्हें करीब 6 साल का अनुभव है. अपने इलाज से डॉ आलिया ने कंधे दर्द जैसे रोगों के लिए देश के हज़ारों मरीजों का सफलता से उपचार किया है.

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