इन यूनानी उपचार से दूर होगा स्पॉन्डिलाइटिस का दर्द

इन यूनानी उपचार से दूर होगा स्पॉन्डिलाइटिस का दर्द

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    स्पॉन्डिलाइटिस एक गठिया रोग है जो आपकी रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है। यह एक तरह का आर्थराइटिस (गठिया का एक प्रकार) है जिसमें कशेरुकाओं के जोड़ सख़्त हो जाने से रीढ़ की हड्डी कठोर हो जाती है। लचीलेपन के अभाव में आपका उठना-बैठना, चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है। आपको गर्दन, पीठ, कमर के निचले हिस्से, जांघों व कूल्हों में दर्द महसूस हो सकता है। आमतौर पर इसे बढ़ती उम्र का नतीजा माना जाता है। यह बीमारी मुख्यत: किशोरावस्था से 30 की उम्र के बीच होती है। इस बीमारी के कई प्रकार हैं, जैसे कि सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, लम्बर स्पॉन्डिलाइटिस और एन्किलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस। इलाज के भी कई विकल्प हैं, जैसे कि आयुर्वेदिक, यूनानी, होम्योपैथी व एलोपैथी।

    कैसा होता है स्पॉन्डिलाइटिस का यूनानी इलाज

    स्पॉन्डिलाइटिस के यूनानी इलाज के लिए विभिन्न तकनीकों का प्रयोग किया जाता है। दवाओं के साथ-साथ सर्जरी और घरेलू नुस्खों का भी इस्तेमाल किया जाता है। रीढ़ की हड्डी में सूजन, अकड़न, दर्द व ऐंठन दूर करने के लिए यूनानी इलाज की निम्न तकनीकों का प्रयोग किया जाता है:

    • इलाज-बिल-तदबीर (रेजीमेंटल थेरेपी): रेजीमेंटल थेरेपी में कुछ विशेष तकनीकों द्वारा शरीर से विषैल पदार्थों को बाहर निकाला जाता है जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सके। इसके लिए फ़सद, अल-हिजाम, तारीक (पसीना), हमाम, काई (उल्टी), रियाज़ (व्यायाम), मालिश आदि तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है।
    • इलाज-बिल-ग़िज़ा (डायटोथेरेपी): इस चिकित्सा पद्धति में सबसे ज़्यादा डाइट पर ही ज़ोर दिया जाता है। संतुलित आहार के माध्यम से स्पॉन्डिलाइटिस के दर्द को दूर करने का प्रयास किया जाता है।
    • इलाज-बिल-दवा (फर्माकोथेरेपी): फर्माकोथैरेपी में मिनरल, जानवरों व पौधों के विभिन्न हिस्सों से बनी दवाओं द्वारा सूजन व दर्द आदि का इलाज किया जाता है। ये दवाइयां अपने नम, गर्म, ठंडे और सूखे मिजाज़ के अनुसार असर छोड़ती हैं।
    • इलाज-बिल-याद (सर्जरी): ज़रूरत पड़ने पर यूनानी चिकित्सक आपको सर्जरी की सलाह भी दे सकते हैं। लेकिन सर्जरी के मामले में यह चिकित्सा पद्धति बहुत अधिक विकसित नहीं है। इसलिए केवल छोटी-मोटी सर्जरी ही की जाती है।

    स्पॉन्डिलाइटिस के दर्द की यूनानी दवा

    यूनानी दवाइयां गठिया खासकर आर्थराइटिस के उपचार में बेहद कारगर साबित होती हैं। क्योंकि स्पॉन्डिलाइटिस भी एक तरह का आर्थराइटिस ही है इसलिए यूनानी दवाएं इसमें भी मददगार साबित हो सकती हैं। स्पॉन्डिलाइटिस के दर्द के दर्द के लिए हर्बल दवाइयां दीं जाती हैं। ये दवाइयां मिनरल और जानवरों से भी बनी हो सकती हैं जो पाउडर, काढ़े, अर्क, जवारिश, खमीरा, गोलियों या सिरप के रूप में हो सकती हैं।

    स्पॉन्डिलाइटिस का यूनानी इलाज में निम्न दवाइयां दी जा सकती हैं:

    • माजून सुरंजन (Majoon Suranjan): अदरक, घृतकुमारी, शीतराज, सफेद मिर्च व शहद जैसी 20 जड़ी-बूटियों से निर्मित इस यूनानी औषधी में एंटी-इंफ्लामेट्री, लैक्सेटिव और एंटी-आर्थ्रेटिक गुण होते हैं। इसलिए यह जोड़ों की सूजन दूर करने और रूमेटाइड, गाउट, सायटिका आदि के दर्द से राहत पहुंचाने में मदद करता है। जोड़ों और रक्त में से यूरिक एसिड बाहर निकालने में भी यह दवा मदद करती है। गैस और कब्ज़ जैसी पाचन संबंधी दिक्कतों को दूर करने में भी यह मदद करता है। आमतौर पर 5-10 ग्राम की मात्रा में रात के समय यह औषधी ली जाती है।
    • माजून उशबा (Majoon Ushba): उशबा, कबाब चीनी, दालचीनी व शहद जैसी 18 जड़ी-बूटियों से निर्मित यह औषधी रक्त में विकार संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद करती है। आमतौर पर 5-10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम दो दफ़ा इस औषधी का सेवन किया जाता है।
    • हब्बे गुल आख (Habbe Gule Aakh): इस यूनानी औषधी में एंटी-इंफ्लामेट्री गुण होते हैं। इसलिए इस औषधी को जोड़ों की सूजन व दर्द के लिए बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है। कमर दर्द सर्वाइकल पेन, और स्पॉन्डिलाइटिस के उपचार में भी यह औषधी मदद करती है। यह औषधी जंजाबील, काली मिर्च, क्राउन फ्लार और बांस से निर्मित है। दर्द व सूजन से निजात पाने के लिए दिन में दो बार एक-एक गोली लें।
    • रोगन बाबूना (Roghan Babuna): इसे मसाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है। सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के इलाज की यह बेहद कारगर दवा है। इसके अलावा यह जोड़ों के दर्द, घुटने के दर्द, रूमेटाइड, आर्थराइटिस व मिरगी के उपचार में भी मदद करती है। प्रभावित क्षेत्र पर आपको दिन में दो दफा रोगन बबूना से मसाज करनी चाहिए।

    यूनानी में स्पॉन्डिलाइटिस का खान पान

    स्पॉन्डिलाइटिस का यूनानी इलाज में डाइट का विशेष महत्व है। डायटोथेरेपी के अंतर्गत खान पान के ज़रिए बीमारियों के लक्षणों को दूर करने का प्रयास किया जाता है। स्पॉन्डिलाइटिस में आपको हड्डियों को मज़बूत करने वाले खाद्य पदार्थ खाने चाहिए। इसके लिए आप अपने आहार में कैल्शियम, फॉस्फोरस और विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। इसके लिए आप दूध, चीज़, दही, बीन्स, बादाम, हरी पत्तेदार सब्ज़ियां, कद्दू के बीज, नट्स, सोयाबीन आदि का सेवन कर सकते हैं।

    यूनानी में स्पॉन्डिलाइटिस के लिए जीवन शैली में सुधार

    यूनानी चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के बेहद करीब है। आयुर्वेद की तरह यूनानी चिकित्सा पद्धति में भी जीवन शैली में सुधार की सलाह दी जाती है। यूनानी में स्पॉन्डिलाइटिस के लिए जीवन शैली में निम्न तब्दीलियों की सलाह दी जाती है:

    • हल्का आहार लें। अधिक तैलीय पदार्थों से परहेज़ करें।
    • उचित वज़न बनाए रखें।
    • धूम्रपान और शराब से परहेज़ करें।
    • दर्द और अकड़न से निजात पाने के लिए प्रभावित क्षेत्र पर गर्म या ठंडी सिंकाई करें।
    • दिन में सोने से बचें।
    • सख़्त गद्दे पर सोए।

    स्पॉन्डिलाइटिस का यूनानी इलाज संबंधी सावधानी

    अन्य चिकित्सा पद्धियों की तरह यूनानी चिकित्स पद्धति के भी कुछ साइडिफेक्ट्स हैं। क्योंकि प्राचीन यूनानी ग्रंथों में दी गईं औषधियों को आधुनिक चिकित्सा पद्धति के मानको के आधार पर जांचा नहीं गया है इसलिए इस चिकित्सा पद्धति को कई देशों में कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं है। कई यूनानी दवाएं कुष्ठ (विषैल धातुओं से बना पाउडर) से बनी होती हैं। ये शरीर को नुकसान पहुंचा सकती हैं।

    डॉ आकांक्षा

    • 7 Years of Experience
    • (BHMS)
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    मै डॉ आकांक्षा होम्योपैथिक चिकित्सा में बैचलर हैं. इन्हें जॉइंट्स पेन (जोड़ों का दर्द) और बैक पेन (पीठ दर्द) जैसे रोगों का विशेषज्ञ माना जाता है. इन्होने अपने उपचार से देश के हजारों मरीजों को नया जीवन दिया है. डॉ आकांक्षा को जॉइन्स पेन( जोड़ों का दर्द) और बैक पेन

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