प्रकृति सबसे रचनात्मक होती है इस बात से बिलकुल भी इंकार नही किया जा सकता। इसकी रचना से मानव शरीर का पैदा होना बढ़ना फल्न्बा फूलना तो होता है है अपितु इंसानी काया कई बार बीमारी की चपेट में भी आ जाता है. इसी प्रकृति की गोद में कई तरह के औषधीय खजाने भी छुपे होते हैं जिनके सेवन से इंसान का कष्ट मिट जाता है.
आज इसी कड़ी में हम बात करेंगे यूनानी चिकित्सा से जोड़ों के दर्द का इलाज़ करने की कला का. यूनानी दवाएं पूरी तरह से हर्बल पद्धतियों पर आधारित होती हैं जो शरीर को बेहद फायदा पहुंचाती हैं. हालांकि दुनिया की सभी चिकित्सा विधाओं का कोई ना कोई नकारात्मक पहलू भी होता है इस बारे में भी आपको जानना जरूरी है.
सुरंजन
सुरंजन एक प्रकार की हर्बल दवा होती है जिसका सेवन यूनानी विधा में दर्द उतारने के लिए किया जाता है. इसका सेवन करने के साथ ही लेप जोड़ों में हो रहे दर्द को कम करता है.
मेथी दाना
मेथी को भिगोकर अंकुरित हो जाने पर कै नमक के साथ मिलाकर सेवन करने से काफ पित्त और वाट जैसी समस्याएँ दूर भाग जाती हैं. यूनानी में इसका खासा प्रयोग किया जाता है. इस विधा में यह बात मानी जाती है कि काफ, पित्त, वाट की वजह से ही जोड़ों का दर्द शरीर को परेशानी में डालता है. इस तरह से इसका सेवन दिन में एक चम्मच की मात्रा में गुनगुने पानी के साथ करने से जोड़ों के दर्द में बहुत आराम प्राप्त होता है.
चोबचीनी
100 ग्राम तालमखाने के बीज, बराबर मात्रा में चोबचीनी,और मोचरस को 250 ग्राम मिश्री मिलाकर कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। अब इस चूर्ण को एक चम्मच सुबह शाम दूध से सेवन करने से शरीर की हड्डियों में होने वाला किसी भी प्रकार का दर्द छूमंतर हो जाएगा। यह यूनानी पद्धति में जोड़ों के दर्द का सटीक इलाज़ माना जाता है.
यूनानी विधा से नुकसान
यूनानी हड्डियों का दर्द दूर करने में दुनिया की सर्वश्रेष्ट चिकित्सा विधा मानी जाती है. हालांकि इस इलाज़ के दौरान चिकित्सक कई तरह के परहेज करने को कहते हैं. यदि मरीज द्वारा परहेज ना किया जाए तो दवाओं का माकूल असर नही होता. मसलन यूनानी दवा के इस्तेमाल के दौरान खट्टी, मिर्च मसाले वाली चीजों को मेनू से हटाना चाहिए. इसके अलावा दवाओं के इस्तेमाल से पहले चिकित्सक की राय बहुत जरूरी होता है. बिना चिकित्सकीय राय के दवाओं का सेवन शरीर को प्रभावित कर सकता है.