यूनानी उपचार दिला सकता है एड़ी दर्द का स्थाई समाधान

यूनानी उपचार दिला सकता है एड़ी दर्द का स्थाई समाधान

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    एड़ी का दर्द में यूनानी उपचार बेहद लाभकारी साबित हो सकता है। यह उपचार माध्यम दुनिया के प्राचीनतम दवा पद्धतियों में अग्रणी माना जाता है। सदियों से हकीमों द्वारा ईजाद की गई इस उपचार पद्धति का पूरा लब्बोलुबाब हर्बल पर निर्भर करता है। हर्बल द्वारा पूरी तरह से तैयार की गई यूनानी दवा जहां हड्डियों के रोगों पर बेहद असरदार साबित होती है तो कुछ तकनीक अपनाकर हड्डियों के जटिलतम रोगों को भी जड़ से समाप्त किया जा सकता है। बात एड़ी के दर्द की करें तो कई परिस्थितियों में इस तरह के दर्द बेहद सामान्य होते हैं। एक खिलाड़ी जो अपनी दिनचर्या में खेलने कूदने के दौरान पैरों के निचले हिस्से में मोच या चोट का शिकार हो जाता है वह भी इस तरह की समस्या से दो चार होता ही है। दर्द कैसा है यह उस बात पर निर्भर करता है कि चोट कैसी है और कितनी गहरी है। सामान्य मोच या चोट तो हल्की मालिश या मसाज के बाद स्वतः समाप्त होने लगते हैं लेकिन गहरी चोट मांसपेशियों को तो प्रभावित करती ही है बल्कि हड्डियों के नर्म ऊतकों को भारी क्षति का सामना भी करना पड़ता है। हल्की दर्द के दौरान अक्सर लोग फौरी राहत की दवाओं का सेवन बिना चिकित्सकीय सलाह के करते हैं। यही आदत इंसान को कई बार हड्डियों से संबंधित बड़े जोखिम की तरफ खींच ले जाती है। यूनानी की बात करें तो एड़ी की समस्या में कई सुरंजनो के प्रयोग से दर्द पर काबू पाया जाता है। इस लेख के माध्यम से एड़ी के इलाज में यूनानी किस तरह असर करता है इस बात पर भी चर्चा करेंगे और साथ ही इसकी जटिलताओं पर भी प्रकाश डालेंगें।

    एड़ी का दर्द कारण और जटिलतायें।

    एड़ी का दर्द कारण और जटिलतायें

    कई बार चोट के दौरान सामान्य से दिखने वाला लक्षण सटीक उपचार ना होने की दशा में काफी गंभीर स्थिति में पहुंच जाता है। एक स्वास्थ्य सर्वेक्षण की मानें तो पता चलता है कि आहार से समझौता करने वाले युवा तबके की एक बड़ी जनसंख्या हड्डियों के रोगों से बुरी तरह से ग्रसित है। आहार में सन्तुलित मात्रा में कैल्शियम और विटामिन डी की मात्रा का उपयोग ना करने पर बोन्स के टूटने और हल्का दबाव पड़ने पर हड्डियों की पिंडलियों के चटकने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। हड्डियों का विकास संतुलित आहार और नियमित जीवनशैली से ही संभव है। इसके अलावा कुपोषण के शिकार लोगों का इम्युन सिस्टम इतना वीक होता है कि उनकी हड्डियां आसानी से रोग की चपेट में आ जाती हैं। घरों से बाहर ना निकलने वाले लोग विटामिन डी की कमी का शिकार होते हैं। ऐसा कदापि नही है कि विटामिन डी की कमी से हड्डियां ही कमजोर होती हैं बल्कि इसकी कमी से लिवर जैसे शरीर के कई बेहद जरूरी आन्तरिक अंग भी प्रभावित होने लगते हैं। वैसे अनुवांशिक कारण सहित मोटापा और धूम्रपान सहित मदिरा पान के लती लोग हड्डियों से सम्बंधित रोगों का शिकार हो जाते हैं। एड़ी दर्द का उपचार के लिए स्थिति जटिल होने से पहले जागरूक होना आवश्यक होता है।

    एड़ी का दर्द में यूनानी उपचार के लाभ।

    एड़ी का दर्द में यूनानी उपचार के लाभ

    एड़ी का दर्द का यूनानी उपचार दुनिया का एक बेहद नुकसान रहित माध्यम है। हर्बल पद्धति पर आधारित दवाओं के सेवन से जहां हड्डियों को बल मिलता है तो वहीं इसका सेवन बेहद सुरक्षित भी होता है। एड़ी में दर्द के दौरान हकीम या यूनानी चिकित्सक मरीज के मौके की स्थिति, लिंग, उम्र सहित कई अन्य चीजों को देखकर उपचार आरम्भ करता है। मरीज की वास्तविक स्थिति और मौके पर दर्द के क्या कारण हैं उसको अच्छे से जानने के बाद हकीम दवाओं के सेवन और परहेज की सलाह देता है। सामान्य रोगों में हर्बल की कुछ क्रीम मालिश के लिए देने की सलाह के साथ कुछ सुरंजन पाक खाने जी सलाह दी जा सकती है। गठिया या अन्य आंतरिक रोगों की वजह से होने वाले दर्द में चिकित्सकीय रूप से मर्ज के बारे में गहन अध्ययन करने के उपरांत एड़ी दर्द का इलाज आरम्भ किया जाता है। यूनानी दवा का सेवन मर्ज को ठीक करने के लिए जितना महत्वपूर्ण है उससे ज्यादा परहेज भी आवश्यक होता है।

    यूनानी उपचार में दवाओं की गुणवत्ता परहेज पर आधारित होती है। समय पर परहेज करके दवाओं की गुणवत्ता बढ़ाई जा सकती है और मर्ज पर जल्द ही काबू पाया जा सकता है। यूनानी दवाओं का सबसे सकारात्मक पहलू यह होता है कि इन दवाओं का किसी बि तरह का साइड इफेक्ट होते नही देखा गया है और यह दवाएं कई मर्ज को जड़ से ठीक भी करने का माद्दा रखती हैं।

    एड़ी दर्द में यूनानी संबंधित जटिलतायें/ सुझाव

    एड़ी दर्द में यूनानी संबंधित जटिलतायें

    वैसे तो एड़ी का दर्द में इलाज के लिए बेहद असरदार साबित हो सकती हैं और इनका किसी भी तरह का कोई साइड इफेक्ट नही होता, लेकिन इससे संबंधित कुछ जटिलतायें भी होती हैं। यूनानी एक ऐसा उपचार माध्यम है जो शरीर को दर्द के दौरान किसी भी काम का नही होता। यदि किसी भी वजह से एड़ी में दर्द हो रहा है तो इस दशा में यूनानी की दवाइयां तुरंत दर्द नही मिटा सकती। इन दवाओं के साथ परहेज बेहद आवश्यक होता है। परहेज ना करने पर दवाओं का असर नही होता है। आमतौर पर यूनानी हर्बल की एक ऐसी विधा है जो रोग को जड़ से ठीक करने का दावा करती है लेकिन कई बार मरीज परहेज का पालन नही कर पाते और दवाओं को दोष देने लगते हैं। यूनानी उपचार के दौरान सिरका, और आचार जैसी वस्तुओं के सेवन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया जाता है। इसके अलावा धूम्रपान सहित अल्कोहल लेने की भी मनाही होती है। उपचार के साथ ही कुछ जरूरी चीजों को जीवन मे अपनाने से एड़ी दर्द की समस्या से छुटकारा प्राप्त होता है। जीवनशैली का नियमित होना तो जरूरी होता ही है बल्कि आहार की गुणवत्ता में सुधार भी बेहद आवश्यक कार्य होता है। दवा के साथ ही हल्का व्यायाम करके शरीर को काफी सालों तक एक्टिव किया जा सकता है बल्कि सकारात्मक विचारों को अपनाकर भी लाभ प्राप्त कर सकते हैं। नियमित तौर पर 8 घंटे नीद पूरी करके काफी हद तक हड्डियों को सुरक्षित किया जा सकता है।

    डॉ आकांक्षा

    • 7 Years of Experience
    • (BHMS)
    • Quora

    मै डॉ आकांक्षा होम्योपैथिक चिकित्सा में बैचलर हैं. इन्हें जॉइंट्स पेन (जोड़ों का दर्द) और बैक पेन (पीठ दर्द) जैसे रोगों का विशेषज्ञ माना जाता है. इन्होने अपने उपचार से देश के हजारों मरीजों को नया जीवन दिया है. डॉ आकांक्षा को जॉइन्स पेन( जोड़ों का दर्द) और बैक पेन

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