जब स्पॉन्डिलाइटिस सताएं तो करें ये 9 योगासन

जब स्पॉन्डिलाइटिस सताएं तो करें ये 9 योगासन

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    स्पॉन्डिलाइटिस एक ऐसी बीमारी है जो आपकी रीढ़ की हड्डी को नुकसान पहुंचाती है। इस बीमारी में कशेरुकाओं के जोड़ आपस में गुंथ जाते हैं। इससे रीढ़ की हड्डी सख़्त हो जाती है और उसमें सूजन आ जाती है। आपको गर्दन, कमर, कंधों और नितंबों में तनाव और दर्द की समस्या होने लगती है। स्पॉन्डिलाइटिस होने के कुछ आनुवांशिक कारण हो सकते हैं। इसके अलावा यह बीमारी खराब जीवन शैली की वजह से भी हो सकती है। जीवन शैली में आवश्यक बदलाव के साथ स्पॉन्डिलाइटिस का योग करने से आप इस बीमारी को काफ़ी हद तक कंट्रोल कर सकते हैं।
    निम्न स्पॉन्डिलाइटिस का योग करने से आपको स्पॉन्डिलाइटिस का दर्द से राहत मिलेगी:

     

    बालासन (Child Pose)

    यह आसन करते समय आपकी आकृति मां की कोख में रखे बच्चे के समान हो जाती है इसलिए इसे बालासन या चाइल्ड पोज़ कहते हैं। यह आसन आपके कमर के निचले हिस्से और कूल्हे में खिंचाव लाता है। इससे आपको दर्द से राहत मिलती है।
    सावधानियां: पीठ या घुटने का ऑपरेशन हुआ हो तो यह आसन न करें। दस्त की परेशानी होने पर भी यह आसन न करें। गर्भवती महिलाएं यह आसन कभी न करें। इससे महिला और शिशु दोनों को नुकसान पहुंच सकता है।

    अधोमुख श्वानासन

    यह आसन गर्दन और रीढ़ की हड्डी को स्ट्रेच करता है और छाती की मांसपेशियों को लचीला बनाता है। सिरदर्द, थकान और तनाव दूर करने में भी यह आसन मदद सकता है। साथ ही शरीर को ऊर्जा प्रदान कर आपको तरो-ताज़ा महसूस कराता है।
    सावधानियां: उच्च रक्तचाप, कंधे की चोट या दस्त की समस्या होने पर यह आसन न करें। इसके अलावा जिनकी आंख की कोशिकाएं कमज़ोर हैं, वे भी यह आसन न करें।

    ताड़ासन (mountain pose)

    यह आसन शारीरिक और मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। यह रीढ़ की हड्डी में खिंचाव लाकर उसके विकारों को दूर करता है। इसके अलावा यह जांघो, घुटनों और टखनों को मज़बूती प्रदान करता है। सायटिका के उपचार में भी यह आसन उपयोगी है।
    सावधानियां: अनिद्रा, सिर दर्द और निम्न रक्तचाप की समस्या हो तो यह आसन न करें। गर्भवती महिलाएं इस आसन से परहेज़ करें।

    गोमुखासन (Cow pose)

    यह आसन जांघों, पीठ, बांह और कंधों की मासपेशियों को मज़बूती प्रदान करता है। रीढ़ की हड्डी की कठोरता और सूजन दूर करने में भी यह आसन मदद करता है। इसके अलावा यह सायटिका और गठिया के उपचार में भी उपयोगी है।
    सावधानियां: कंधे या गर्दन में अधिक गंभीर दर्द हो तो यह आसन न करें। बवासीर के मरीज़ और गर्भवती महिलाएं यह आसन न करें।

    सेतुबंधासन (Bridge pose)

    सेतुबंध आसन आपकी पीठ, गर्दन और छाती में अच्छा खिंचाव उत्पन्न करता है। पीठ की मांसपेशियों को मज़बूती प्रदान करता है और फेफड़ों को खोलता है। इसके अलावा यह आसन साइनस और आस्टियोपोरोसिस के उपचार में भी उपयोगी है।
    सावधानियां: गर्दन, पीठ या कमर में चोट या अधिक तकलीफ़ हो तो यह आसन न करें।

    भुजंगासन (Cobra pose)

    यह आसन आपकी पूरी पीठ और छाती को स्ट्रेच करता है। कंधे व गर्दन के तनाव को दूर कर थकान दूर करता है। दमा व श्वास संबंधी अन्य बीमारियों के उपचार में भी यह मदद करता है।
    सावधानियां: कार्पल टनल सिंड्रोम (Carpal tunnel syndrome) और हर्निया के मरीज़ों को यह आसन नहीं करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को भी यह आसन नहीं करना चाहिए।

    शलभासन (Locust pose)

    यह आसन कमर के नीचे की मासपेशियों को मज़बूती प्रदान करता है और रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है। इसके अलावा यह गर्दन व कंधों की नसों को आराम पहुंचाता है। पाचन प्रक्रिया को सक्रिय करने में भी यह आसन मददगार है।
    सावधानियां: यह आसन खाली पेट किया जाता है। गर्भवती महिलाओं को यह आसन नहीं करना चाहिए।

    मार्जरी आसन (Cat pose)

    यह आसन आपकी गर्दन और रीढ़ की हड्डी में खिंचाव लाता है और उसे मज़बूती प्रदान करता है। इसके अलावा दमा के उपचार में भी यह उपयोगी है।
    सावधानियां: पीठ और गर्दन में चोट हो तो यह आसन न करें।

    दंडासन (Staff pose)

    दंडासन आपकी कमर, गर्दन और कंधों को मज़बूती प्रदान करता है और रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है। इससे आपकी मुद्रा में सुधार आता है। मस्तिष्क को शांत करने और सायटिका के उपचार में भी यह मदद करता है।

    सावधानियां: पीठ के निचले हिस्से या कलाई में चोट हो या उच्च रक्तचाप की समस्या हो तो यह आसन न करें।

    उपरोक्त स्पॉन्डिलाइटिस का योग के नियमित अभ्यास से आप स्पॉन्डिलाइटिस के दर्द से छुटकारा पा सकते हैं। लेकिन ये आसन किसी योग विशेषज्ञ की निगरानी में ही करें।

    डॉ वैशाली

    • 7 Years of Experience
    • (Physiotherapist)

    डॉ वैशाली, योगा, व्यायाम जैसे माध्यम से हड्डियों के रोग का इलाज करती हैं. इन्हें इस विधा में करीब 6 साल का अनुभव है. इनके साथ योग, व्यायाम जैसे तरीके सीखकर देश के हज़ारों मरीज स्वास्थ्य लाभ उठाते हैं. पिछले कई सालों में लगभग हर मरीज डॉक्टर वैशाली के बताए

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