कलाई दर्द में एलोपैथिक दवा के कुछ इस तरह हो सकते नफा नुकसान

कलाई दर्द

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    कलाई दर्द एलोपैथिक दवा वास्तव में तुरंत राहत पहुंचाती है दर्द चाहे जैसा भी हो! वास्तव में दर्द के दौरान तुरंत राहत देने में इस दवा का मुकाबला दुनिया मे किसी भी उपचार माध्यम के पास मौजूद नही है। कलाई दर्द हो या फिर शरीर मे किसी भी जगह पीड़ा, तुरंत राहत देने वाली एलोपैथी दुनिया की एकमात्र सर्वमान्य दवा होती है। यह शरीर मे पहुंचते ही असर दिखाना शुरू कर देती है। ऐसी दवाइयां बाजार में कई रूपों टेबलेट, कैप्सूल या फिर इंजेक्शन के रूप में उपलब्ध होती हैं।

    कलाई में दर्द की समस्या कई बार अर्थराइटिस या फिर गठिया रोग का रूप ले लेती है। आमतौर पर ऐसे दर्द खेलकूद के दौरान मांसपेशियों के खिंचाव या फिर देर तक लिखने के कारण दिखाई देते हैं। एक जमाने मे इस तरह के दर्द बढ़ती उम्र के साथ शुरू होते थे लेकिन आज के दौर में बच्चे और युवा भी इससे अछूते नही रह गए। एक स्वास्थ्य सर्वे के मुताबिक भारत जैसे देश मे काम काजी महिलाएं आज भी बुरी तरह से इसके चपेट में हैं। मसलन 30 से 50 साल की उम्र वाली महिलाएं इस तरह के रोगों से ग्रस्त हैं। वास्तव में गंभीर रोग या चोट के चलते एलोपैथिक दवा ही सबसे बेहतर उपाय होती है। इस तरह की दवाएं शरीर पर किस तरह असर करती हैं और इनके क्या नफा नुकसान होते हैं जिनके बारे में इस लेख के माध्यम से प्रकाश डालने की कोशिश की गई है।

    कलाई दर्द से संबंधित जटिलताएं

    खानपान में बदलाव और बदलती जीवनशैली के चलते हड्डियों में कमज़ोरी की शिकायतें बढ़ने लगी हैं। पर्यावरण के दूषित होने के कारण मानव शरीर में यूरिक एसिड जमना शुरू हो जाता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी होने के कारण कलाई में दर्द उत्पन्न होता है। खेल कूद के दौरान लगने वाली चोट अक्सर कलाई के जोड़ों से हुदी मांसपेशियों के ऊतकों में संक्रमण उत्पन्न कर देती है।

    संक्रमण के दौरान शल्य चिकित्सा जैसी दर्दनाक उपचार विधा का प्रयोग ही आखिरी विकल्प होता है। हालांकि इस उपचार के साथ ही कोशिकाओं का कई बार मांसपेशियों से सही मिलान नही हो पाता। इस तरह से अक्सर चोट के चलते ऊतकों के नष्ट होने से कलाई की समस्याएं बढ़ जाती हैं। इस तरह से कई बार यह समस्या हार्मोनल विसंगति अथवा अनुवांशिक परिस्थितियों की वजह से देखी जाती है। अनुवांशिक तौर पर बीमार व्यक्ति का इलाज बेहद मुश्किल काम होता है। हलांकि लंबे उपचार के बाद दर्द पर अंकुश लाया जा सकता है।

    कलाई दर्द में एलोपैथिक दवा के लाभ

    दुनिया की इकलौती उपचार विधा जो किसी भी दर्द को मिनटों में कम कर देती है इसी को एलोपैथी कहा जाता है। हाथों के जोड़ कलाई में दर्द होने के साथ कई तरह के लक्षण प्रकट होना शुरू हो जाते हैं। मर्ज और मरीज की उम्र के लिहाज से दर्द के मामले अलग-अलग तरीक़े से सामने आते रहते हैं। हाथों के बीच स्थित जोड़ में दर्द होने पर के तरह से उपचार किये जाने की व्यवस्था होती है। मर्ज के लिहाज से यदि चिकित्सक को यह लगता है कि दर्द किसी आम वजह से उत्पन्न हुआ है तो हल्की पेनकिलर के साथ कुछ एंटीबायोटिक दवाओं के सेवन की सलाह देता है। यदि मोच से दर्द उत्पन्न हुआ हो तो इस अवस्था मे गर्म पट्टी सहित दर्द निवारक क्रीम का प्रयोग की सलाह दी जाती है।

    यदि इतना सब होने के बाद भी कलाई के दर्द में आराम आराम नही मिलता तब चिकित्सक एक्सरे सहित कुछ खून टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। इसमें यूरिक एसिड सहित कैल्शियम की जांच भी शामिल होती है। एक्सरे या डिजिटल एक्सरे में स्थिति साफ ना होने पर एमआरआई कराने की भी व्यवस्था एलोपैथिक का एक अभिन्न अंग माना जाता है।

    स्थिति बिगड़ने के साथ ही मरीज को एन्टी बायोटिक दवाएं दी जाती हैं। इनका काम मांसपेशियों का सूजन कम करके हाथों के जोड़ को मुड़ने लायक बनाना होता है। लंबे समय से इलाज के बाद भी राहत ना मिलने पर हड्डी को बाहर निकालकर उसे रिपेयर किया जाता है। यह एलोपैथी चिकित्सा व्यवस्था का आखिरी विकल्प होता है जिससे मरीज को दर्द से लंबे समय तक राहत मिल जाती है।

    कलाई दर्द में एलोपैथी दवा के नुकसान और जटिलताएं

    कलाई दर्द का एलोपैथी दवा वास्तव में बेहद लाभ पहुंचाती है लेकिन इस पद्धति के कई तरह के दुष्प्रभाव और साइड इफेक्ट भी सामने आते हैं। इस पद्धति की दवाओं का शरीर पर जितनी तेजी से असर होता है इसके साइड इफेक्ट भी उतने ही घातक होते हैं। लगातार एन्टी बायटिक दवाओं के इस्तेमाल से हड्डियों का कमजोर हो जाना स्वाभाविक होता है। इसके अलावा चमड़ी रोग, आंखों में जलन सहित शरीर के अंदरूनी हिस्सों में घाव और अप्रत्याशित आंतरिक रक्त श्राव भी इसके प्रमुख साइड इफेक्ट में शामिल होता है।

    इस चिकित्सा व्यवस्था के रिएक्शन बेहद खतरनाक होते हैं जिससे मरीज की जान तक जाने का खतरा रहता है। एलोपैथी दवाओं की मात्रा ज्यादा होने पर लीवर और किडनी सहित शरीर के अन्य अंदरूनी अंगों में विकृति उत्पन्न होने का खतरा बढ़ जाता है। जब भी इस तरह की दवाओं का इस्तेमाल करें चिकित्सक की राय जरूर ले लें।

    डॉ आकांक्षा

    • 7 Years of Experience
    • (BHMS)
    • Quora

    मै डॉ आकांक्षा होम्योपैथिक चिकित्सा में बैचलर हैं. इन्हें जॉइंट्स पेन (जोड़ों का दर्द) और बैक पेन (पीठ दर्द) जैसे रोगों का विशेषज्ञ माना जाता है. इन्होने अपने उपचार से देश के हजारों मरीजों को नया जीवन दिया है. डॉ आकांक्षा को जॉइन्स पेन( जोड़ों का दर्द) और बैक पेन

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