घुटने का दर्द – Knee Pain in Hindi

घुटने के दर्द

आमतौर पर घुटने का दर्द किसी भी अवस्था वाले स्त्री पुरुषों बच्चे बूढ़ों में हो सकता है. मसलन यह रोग बुढ़ापे में कुछ ज्यादा ही परेशान करता है. पैरों के बीच बने जोड़ों को ही घुटना कहा जाता है. घुटनों का काम उठने बैठने घुमने चलने दौड़ने से लेकर कई तरह के कामों में किया जाता है. जब इन्ही जोड़ों में दर्द होता है तो इंसान की दिनचर्या ही बदल जाती है. मसलन इस दर्द के पीछे कई कारण होते हैं जो कम समय तक भी रह सकते हैं और जीवनभर भी परेशान कर सकने की क्षमता रखते हैं. मसलन दिनों-दिन बढ़ते काम के बोझ के चलते ऑफिस में सुबह जाना और फिर अपनी डेस्क पर बैठे-बैठे ही नाश्ता, चाय, लंच सारा कुछ निपटा लेना यह सब भी घुटनों के दर्द का बड़ा कारण माना जाता है. पैरों को एक ही पोजीशन में काफी समय तक रखने से घुटनों पर इसका बहुत बुरा असर पड़ता है.

घुटनों के दर्द का कारण

कमोवेश घुटने के दर्द का उपाय इंसान के खानपान और दिनचर्या पर निर्भर करता है. हलांकि इस तरह के दर्द के कई कारण भी होते हैं. मसलन जोड़ों में पुरानी चोट के चलते, अर्थराइटिस, गठिया, घुटनों में सिस्ट के बनने से, यूरिक एसिड बढ़ जाने से, ज्यादा वजनी सामान उठाने से, अनुवांशिक और मोच के चलते घुटने का दर्द हो ही जाता है.

घुटनों के दर्द के लक्षण

स्वस्थ पैर किसी भी इंसान की सबसे बड़ी जरूरत होते हैं. इनके बिना इंसान अपंग जैसी स्थिति में पहुँच जाता है. मसलन घुटना दर्द के कई तरह के लक्षण हो सकते हैं. इस समस्या में घुटनों के जोड़ों में खिंचाव महसूस होता है, दर्द वाली जगह लाल चकत्ते और खुजली के साथ सूजन भी हो सकती है. जोड़ों पर रगड़ने यह खटखटाहट की भी आवाज सुनाई देती है. घुटने को मोड़ने और सीधा करने में बहुत तेज दर्द होता है. इन लक्षणों के चलते इंसान चलने- फिरने में असमर्थ हो जाता है.

मौसम के बदलाव के साथ घुटनों में दर्द

बदलता मौसम खासकर सर्दियां जोड़ों और घुटनों के दर्द साथ ले आती हैं. पुरानी चोट अथवा अनुवांशिक रोग इस समय में घुटने का दर्द बढ़ा देते हैं. सर्दियों में उतकों में फैलाव आ जाने से जोड़ों में स्पेस बन जाने के चलते रक्तसंचार सुचारू रूप से नही हो पाता जिससे दर्द बढ़ जाता है. इस मौसम में धूप में कमी आने से विटामिन डी की नेचुरल मात्रा भी इंसानी काया तक नही पहुँच पाती.

पुरुषों में घुटने का दर्द

पुरुषों में घुटने का दर्द

पुरुषों में घुटने का दर्द कई कारणों से होता है. मसलन धूम्रपान और अल्कोहल सहित ड्रग्स का नियमित सेवन करने वाले पुरुष इस समस्या से ज्यादा प्रभावित होते हैं. दफ्तरों में लम्बे समय तक बैठकर काम करने वाले पुरुष भी इसकी जद में आते हैं. मसलन यह समस्या 40 से 60 साल के पुरुषों में अधिकायत देखने को मिलती है लेकिन आज एके दौर में नई पढ़ी भी इससे ख़ासा प्रभावित दिखती है. पैरों में मोच और खिंचाव भी घुटना दर्द का कारण माना जाता है. कैल्शियम की कमी और कुपोषण भी इस समस्या का बड़ा कारण माना जाता है.

    महिलाओं में घुटने का दर्द

    महिलाओं में घुटने का दर्द

    पुरुषों की अपेक्षा महिलाऐं इस समस्या से ज्यादा प्रभावित होती हैं. मुख्यतः 40 से 60 साल की कामकाजी महिलाएं घुटनों के दर्द से प्रभावित हो जाती हैं. गलत खानपान, मधुमेह और हार्मोनल विकृतियों के चलते महिलाओं के घुटनों में सिस्ट पैदा हो जाती है जो कई बार गठिया रोग का रूप धारण कर लेती है.

    घुटनों के दर्द होने के पहले सावधानी

    पैरों के जोड़ों में दर्द ना हो इसके लिए कई तरह की सावधानी बरतने की जरुरत होती है. शरीर के जोड़ इंसान के अभिन्न अंग होते हैं. इन जोड़ों में पैरों का जोड़ इंसानी संरचना में बेहद ख़ास होता है. हमारे घुटने ही हैं जिनकी मदद से हम चल फिर पाते हैं. घुटनों का दर्द ना हो इसके लिए कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत होती है. किसी भी कुर्सी पर बैठकर लगातार काम करने से बचें. अनियमित दिनचर्या से बचने की जरूरत होती है महिलाएं गर्भावस्था के दौरान विशेष ख़याल रखें. खानपान की गुणवत्ता बनाएं रखें. योगा और व्यायाम नियमित रूप से करें. आहार में कैल्सियम और विटामिन्स को प्रचुरता से शामिल करें. अल्कोहल या धूम्रपान से जितना संभव हो बचने की जरूरत होती है.

    घुटनों में दर्द हो जाने पर कैसे करें रोकथाम

    घुटनों में दर्द होने से हम उठने बैठने और चलने फिरने तक में नाकाम महसूस करते हैं. खासकर बुजुर्ग व्यक्तियों में इस तरह का रोग एक सामान्य सी बात मानी जाती है. जब भी इस तरह की समस्या उत्पन्न हो तब हम घुटने के दर्द का इलाज़ ढूंढते हैं.

    घुटने के दर्द की दवा के रूप में कई चिकित्सा पद्धतियाँ मौजूद हैं मसलन एलोपैथ, यूनानी, आयुर्वेद और होम्योपैथ. इन चिकित्सा पद्धतियों के चलते दर्द को काफी हद तक कम किया जा सकता है.

    एलोपैथ से घुटनों के दर्द का इलाज

    एलोपैथ ऐसी चिकित्सा विधा होती है जिसमें दर्द का तुरंत इलाज़ किया जा सकता है. जोड़ों के दर्द की दवा के रूप में चिकित्सक कई तरह के इंजेक्शन का प्रयोग करके दर्द को कम तो कर देते हैं लेकिन इसका स्थाई इलाज़ अभी तक इस विधा में मौजूद नही पाया जाता. ख़ास बात यह होती है कि इस पद्धति की दवाइयों का दुष्परिणाम शरीर के लिए काफी नुकसान पहुंचाता है. (और पढ़ें – घुटने दर्द का एलोपैथिक इलाज)

    यूनानी में है घुटनों के दर्द का सबसे बेहतर इलाज़

    यूनानी जोड़ों या घुटने के दर्द का सबसे सफल उपचार माना जाता है यह बात कई शोधों में सिद्ध हो चुका है. घुटनों के दर्द की दवा के रूप में यूनानी की हर्बल दवाइयां बेहद सटीक और बिना किसी साइड इफेक्ट के शरीर पर काम करती हैं. हलांकि इस विधा मे गठिया रोग में कुछ परहेज बताए जाते हैं जिनकी सहायता से मरीज एकदम फिट हो जाता है. (और पढ़ें – घुटने दर्द का यूनानी इलाज)

    आयुर्वेद से घुटनों के दर्द का उपचार

    आयुर्वेद प्राचीनकाल से ही रोगों की चिकित्सा के रूप में प्रयोग होता रहा है. खासकर इन दवाओं का प्रयोग यूनानी हर्बल के साथ किये जाने पर सोने में सुहागा जैसी स्थिति हो जाती है. इस विधा की जड़ी बूटियों से घुटनों का इलाज़ तो होता है लेकिन इलाज़ काफी लंबा चलता है.  (और पढ़ें – घुटने दर्द का आयुर्वेदिक इलाज)

    होम्योपैथ से घुटने के दर्द का उपचार

    होम्योपैथ से भी जोड़ों के दर्द या घुटनों के दर्द का इलाज़ किया जाता है. खासकर इन दवाइयों से कई तरह के साइड इफेक्ट ठीक करने के दावे किए जाते रहे हैं. हालांकि तुरंत राहत पाने में इन दवाओं का असर कम होता है लेकिन लम्बे इलाज़ के बाद कुछ हद तक गठिया रोग में राहत मिलती है. (और पढ़ें – घुटने दर्द का होम्योपैथिक इलाज)

    घुटनों के दर्द में क्या करें/ क्या ना करें

    घुटनों में दर्द ना हो इसके लिए हमें कुछ जरूरी चीजों पर ध्यान देना चाहिए. समय-समय पर उचित मात्रा में पानी पीते रहना चाहिये जिससे शरीर में मौजूद मांसपेशियों में खिंचाव की स्थिति नही आती और जोड़ों के दर्द की समस्या में भी आराम मिलता है. ज्यादा तली भुनी चीजों और खटाई लाल मिर्च का सेवन ना करें. दूध और कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें. पानी का अधिक मात्रा में सेवन करें. नियमित योग और व्यायाम करें. ज्यादा वजनी चीजों को ना उठाएं.

    डॉ नीतू

    • 6 Years of Experience
    • (BHMS)

    डॉ नीतू होम्योपैथी चिकित्सा से स्नातक हैं. इनके इलाज से घुटना दर्द के हज़ारों मरीज ठीक हुए हैं. इन्हें इस विधा में 5 साल का अनुभव है. होम्योपैथी को लेकर आम समझ यही है कि यह केवल मामूली बीमारियों के उपचार में ही कारगर है. इसके अलावा होम्योपैथी चिकित्सा के