मांसपेशियों में खिंचाव और रक्त प्रवाह का बाधित होना एक आम समस्या है जिसके कारण पैरों और पिंडलियों में दर्द उत्पन्न हो सकता है। पैरों और पिंडलियों में दर्द की समस्या रात के समय अधिक होती है।
पिंडलियों में दर्द के कई कारण हो सकते हैं
- ट्रॉमा: खेल के दौरान या किसी अन्य दुर्घटना के कारण लगीं चोटें, पिंडलयों में दर्द का एक अहम कारण हैं।
- हड्डियों में विकार: आर्थराइटिस और ओटोइम्यून बीमारियों के कारण हड्डियां कमज़ोर हो सकती हैं। कई दफ़ा हड्डियां जन्म से ही कमज़ोर होती हैं। हड्डियों में किसी भी तरह का विकार दर्द का कारण हो सकता हैं।
- शिनबोन का घिसना: बहुत अधिक प्रयोग के कारण पिंडली की हड्डी (शिनबोन) घिस जाती है। इसके कारण भी पिंडलियों में दर्द उत्पन्न हो सकता है।
- मांसपेशियों में खिंचाव : यह एक आम समस्या है जो तब होती है जब मांसपेशियां अत्यधिक स्ट्रेच होने के कारण टूट जाती हैं या उनमें छिद्र हो जाते हैं। पिंडलियों के आस-पास की मांसपेशियों में खिंचाव से दर्द की समस्या हो सकती है।
- स्ट्रेस फ्रैक्चर: यह हड्डियों में छोटी-छोटी टूट-फूट होती है जो बहुत अधिक दर्दनाक होती है। यदि उन्हें ठीक होने का वक्त न दिया जाए तो हड्डियां पूरी तरह टूट सकती हैं।
- नसों का क्षतिग्रस्त होना: टांगों की नसें क्षतिग्रस्त होने से उनमें दर्द, सुन्न होना और झुनझुनी जैसी समस्याएं होने लगती हैं।
- नसों में गहरा थंब्रोसिस : इसे सक्षेप में DVT भी कहा जाता है। यह वह स्थिति है जब शरीर के किसी गहरी जगह पर नसों में खून का थक्का जमा हो जाता है। इससे टांगों में सूजन और दर्द उत्पन्न होता है।
- संक्रमण : टांगों के ऊतकों या हड्डियों में संक्रमण से भी प्रभावित क्षेत्र में सूजन, जलन, लालिमा या दर्द की समस्या हो सकती हैं।
पिंडलियों में दर्द के लक्षण
पिंडलियों में दर्द के लक्षण उसके कारण पर निर्भर करते हैं। पिंडलियों में दर्द होने पर आमतौर पर निम्न लक्षण देखने को मिलते हैं:
- टांगों के निचले हिस्से के अग्र भाग में हल्का दर्द रहना।
- चलते समय या व्यायाम करते समय दर्द महसूस होना।
- पिंडली की हड्डी के दोनों ओर दर्द महसूस होना।
- आराम करते समय भी दर्द महसूस होना
- मांसपेशियों में दर्द, सूजन और ऐंठन
- टांगें पीली पड़ जाना और छूने पर ठंडा महसूस होना।
- टांगें लाल हो जाना और छूने पर गर्म महसूस होना।
- पैर सुन्न हो जाना और कमज़ोरी महसूस करना।
पिंडलियों में दर्द का इलाज
पिंडलियों में दर्द का इलाज उसके अंतर्निहित कारणों पर निर्भर करता है। हल्के दर्द का इलाज तो घर पर किया जा सकता है। पर अगर दर्द तीव्र है तो उसके लिए विशेषज्ञ की सलाह लेनी पड़ सकती है। पिंडलियों में दर्द का इलाज करने के लिए विशेषज्ञ निम्न चिकित्सा पद्धतियों का इस्तेमाल करते हैं
पिंडलियों के दर्द का एलोपैथी उपचार
यह आधुनिक चिकित्सा पद्धति है जिसमें लक्षणों के आधार पर दवाइयां दी जाती हैं। कई प्रकार की दवाएं जैसे एसिटामिनोफेन या एंटि-इंफ्लामेट्री दवाएं जैसे, इबुप्रोफेन, नेप्रोक्सेन सोडियम हल्के दर्द से राहत पहुंचा सकते हैं। दर्द तीव्र और काफ़ी लंबे समय से हो तो डॉक्टर सर्जरी की सलाह भी दे सकते हैं।
पिंडलियों के दर्द का होम्योपैथी उपचार
इस चिकित्सा पद्धति में रोग की बजाए रोगी का इलाज किया जाता है। उसे तंदुरुस्त बनाने की कोशिश की जाती है जिससे कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि की जा सके। कई होम्योपैथिक दवाएं जैसे, गुआएकम 6, डायोस्कोरिया (मूल अर्क) 3, बैडियागा 6 और कार्बो ऐनीमैलिस 30 पिंडलियों में दर्द के इलाज में मददगार हैं। पर ये दवाएं चिकित्सक की सलाह से ही लें।
पिंडलियों के दर्द का आयुर्वेदिक उपचार
इस चिकित्सा पद्धति में पिंडलियों में दर्द के लिए पीड़ांतक तेल से मालिश की जाती है या दर्द की तीव्रता के अनुसार सेकाई की जाती है। कई आयुर्वेदिक दवाएं जैसे योगराज गुग्गुलु, पीड़ांतक वटी, चंद्रप्रभा वटी आदि दवाइयां पिंडलियों के दर्द में मददगार साबित हो सकती हैं। पर ये दवाएं वैद्य की सलाह से ही लें।
पिंडलियों के दर्द को यूनानी चिकित्सा से करें दूर
यूनानी चिकित्सा पद्धति में मरीज़ का इलाज तीन चरणों में किया जाता है- पहला, डायटोथैरेपी; दूसरा, फर्माकोथैरेपी और तीसरा, रेजीमेंटल थैरेपी। डायटोथैरेपी में टांगों और पिंडलयों को मज़बूत बनाने के लिए डाइट चार्ट बनाकर दिया जाता है। फर्माकोथैरेपी में पौधों के विभिन्न हिस्सों से बनी दवाओं द्वारा सूजन व दर्द आदि का इलाज किया जाता है जबकि रेजीमेंटल थेरेपी के अंतर्गत टांगों की मालिश की जाती है या स्टीम दिया जाता है।
पिंडलियों में दर्द के घरेलू उपचार
अगर आप पिंडलियों में दर्द की समस्या से ग्रस्त हैं तो कुछ बातों का ख़्याल रखकर दर्द से छुटकारा पाया जा सकता है।
- 1 अधिक से अधिक पानी पीएं: पानी हमारे शरीर में नमी बनाए रखने में मदद करता है। इसकी कमी से शरीर में जकड़न, दर्द आदि समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसके अलावा यह शरीर से विषैल पदार्थों को बाहर निकालने में भी मदद करता है। दिन में थोड़ा-थोड़ा पानी डालने की आदत डालें। सोने से पहले पानी ज़रूर पीएं।
- 2 तेल से मालिश: पाइन, लैवेंडर, पिपरमेंट और अदरक आदि तेल की मालिश से मांसपेशियों के दर्द और सूजन से राहत मिलती है।
- 3 हीट थेरेपी: गर्मी से मांसपेशियों के दर्द से आराम मिलता है और जकड़न कम होती है। दर्द बहुत अधिक हो तो भी हीट थेरेपी लें क्योंकि ज़्यादा हीट लेने से सूजन बढ़ सकती है।
- 4 स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज़: स्ट्रेचिंग से मांसपेशियों के तनाव को कम किया जा सकता है और मांसपेशियों को लचीला बनाया जा सकता है। लचीली मांसपेशियों में चोट लगने की संभावना कम होती है।
- 5 खिंचाव या मोच के लिए RICE: मामूली चोटों, खिंचाव या मोच के लिए उपचार के रूप में RICE (Rest, Ice, Compression, Elevation) आपनाएं
- आराम (Rest): दर्द से राहत पाने के लिए आराम करें।
- बर्फ (Ice): दर्द वाली जगह पर लगभग 20 मिनट तक बर्फ लगाने से दर्द से छुटकारा मिलेगा।
- दबाव (Compression): सूजन व दर्द कम करने के लिए दर्द वाली जगह को लोचदार पट्टी से बांधे, पर बहुत कसकर नहीं।
- ऊपर उठाना (Elevation): इसमें टांगों को हृदय तक ऊपर उठाने की कोशिश की जाती है। यह तकनीक सूजन दूर करने के लिए इस्तेमाल की जाती है।
मौसम के बदलाव का पिंडलियों पर असर
कई दफ़ा मौसम में बदलाव भी पिंडलियों में दर्द का कारण हो सकता है। सर्दी के मौसम में जोड़ों की समस्या अधिक होती है। वहीं गर्मी में नर्जलीकरण के कारण शरीर जल्दी थक सकता है और पिंडलियों में दर्द उत्पन्न हो सकता है। जबकि बरसात के मौसम में पुरानी बीमारियां या अंदरूनी चोट उभर सकते हैं। यदि टांगों या पिंडलियों में कोई चोट लगी है तो बरसात के मौसम में वह उभर सकती है और दर्द उत्पन्न हो सकता है। इसके अलावा इस मौसम में संक्रमण फैलने का खतरा भी अधिक होता है।
पुरुषों में पिंडलियों का दर्द
महिलाओं की तुलना में पुरुषों की हड्डियां अधिक लंबे समय तक विकसित होती हैं। इसलिए महिलाओं की तुलना में वे अधिक मज़बूत होती हैं। लेकिन बहुत अधिक धूम्रपान करने से उनकी सेहत को नुकसान पहुंचता है और वे कई लाइलाज बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। इससे नसों में गहरा थंब्रोसिस हो सकता है। ऑफ़िस की कुर्सी पर अधिक लंबे समय तक बैठे रहने से भी पुरुषों को पिंडलियों में दर्द, सुन्न होना और झुनझुनी की शिकायत हो सकती है। खेलकूद के दौरान लगी चोटों के कारण मांसपेशियों में खिंचाव और टेंडन में सूजन आने से भी दर्द उत्पन्न हो सकता है।
महिलाओं में पिंडलियों का दर्द
पुरुषों की तुलना में महिलाओं की हड्डियों का विकास जल्दी होता है। लेकिन वे पुरुषों की हड्डियों की तुलना में अधिक नाज़ुक होती हैं। घर के काम काज भी अधिकतर महिलाएं ही करती हैं इसलिए अकसर वे थकी हुई होती हैं। ऊर्जा की कमी के कारण महिलाओं को पिंडलियों में दर्द महसूस हो सकता है। मासिक धर्म या हार्मोन्स में बदलाव के कारण भी दर्द की शिकायत हो सकती है। वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि 30 के बाद महिलाओं की हड्डियां कमज़ोर हो जाती हैं। ठीक से न खाने पीने के कारण भी कैल्शियम की कमी हो जाती है। गर्भावस्था में वज़न बढ़ जाने के कारण शरीर के ऊपरी हिस्से का सारा भार पैरों पर पड़ता है। इस कारण भी पिंडलियों में दर्द की शिकायत हो सकती है। इसके अलावा खेल के दौरान मांसपेशियों में खिंचाव, टेंडन में सूजन व संक्रमण भी महिलाओं में पिंडलियों का दर्द का कारण हो सकता है।
पिंडलियों में दर्द होने से पहले रोकथाम
निम्न तरीकों की मदद से उन मेडिकल स्थियों को रोका जा सकता है जिससे पिंडलियों में दर्द उत्पन्न होता है:
- ऐसे जूतें पहनें जो आपको पूरी तरह फिट आएं और आपको अच्छा सपोर्ट दें।
- बहुत अधिक व्यायाम करने से बचें। ऊबड़-खाबड़ भू-भाग पर व्यायाम न करें।
- रोज़ाना व्यायाम करें लेकिन धीरे-धीरे व्यायाम की तीव्रता बढ़ाएं। पैदल चलना और साइकिल चलाना अच्छे और हल्के व्यायाम हैं।
- एक्सरसाइज़ करने से पूर्व वार्म-अप ज़रूर करें।
- धूम्रपान और शराब का सेवन बंद करें।
- स्वस्थ वज़न बनाए रखें।
- पिंडलियों की मांसपेशियों को मज़बूती प्रदान करने वाले व्यायाम करें। जैस कि पैर के अंगूठे का व्यायाम ।
- दर्द में कभी भी व्यायाम न करें।
पिंडलयों में दर्द का योग
योग एक बहुत ही उपयोगी प्राचीन तकनीक है जो कई बीमारियों के उपचार में सहायक है। निम्न योग पिंडलियों के दर्द में मददगार साबित हो सकते हैं:
- एकपादासन: इस आसन के नियमित अभ्यास से शरीर सुदृढ़ और संतुलित बनता है। यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थय बनाए रखने में सहायक है। इससे एकाग्रता बढ़ती है, चित्त शांत होता है और पिंडलियों का दर्द दूर होता है।
- उत्तनासन: यह आसन पिंडलियों और कूल्हों की मांसपेशियों को स्ट्रेच करता है और घुटनों और जांघों को मज़बूती प्रदान करता है।
- पूर्वोत्तानासन: यह आसन पिंडलियों को स्ट्रेच कर दर्द से निजात दिलाता है।
- एक पद अधोमुख श्वानास: एक टांग पर खड़े होने पर यह पिंडलियों को गहराई तक स्ट्रेच करता है। इसके अलावा यह ऊर्जा प्रदान करता है और रक्त प्रवाह को सक्रिय करता है। इससे दर्द से निजात मिलता है।
- वीरभद्र आसन: यह आसन नियमित रूप से करने से शरीर का संतुलन और सहनशीलता बढ़ती है। कूल्हे और जांघे मज़बूत होती हैं।
पिंडलियों में दर्द के लिए खानपान के तरीके
बहुत अधिक शारीरिक श्रम के बाद शरीर में ऊर्जा बनाए रखने, मांसपेशियों की मरम्मत और निर्माण के लिए प्रोटीन की ज़रूरत होती है। ऐसे में प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करें। इसके लिए आप अपने भोजन में अंडे, चिकन, मछली, स्प्राउट्स और दालें शामिल कर सकते हैं।