कुछ इन तरीकों से पाया जा सकता है एड़ी के दर्द का सम्पूर्ण समाधान

कुछ इन तरीकों से पाया जा सकता है एड़ी के दर्द का सम्पूर्ण समाधान

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    यह जरूरी नही कि एड़ी में उठने वाला हर दर्द जटिल ही हो लेकिन आरंभिक अवस्था में इलाज ना करने से यह दुरूह अवश्य बन जाता है। एड़ी का दर्द आम तौर पर तंग जूते, सैंडल पहनने से भी ही सकता है। सख्त या छोटे जूते जहां पैरों के अंगूठे को प्रभावित करते हैं तो दूसरी तरफ एड़ियों को भी नुकसान पहुंचाते हैं। जूतों की वजह से होने वाला दर्द वैसे तो बेहद सामान्य होता है लेकिन सही समय पर आदत में सुधार ना करने पर स्थिति जटिल बन जाती है। इस स्थिति में हड्डियों और मांसपेशियों में रक्तसंचार कम होने लगता है और लिगामेंट में सूजन और खिंचाव के चलते परेशानी बढ़ जाती है। एक एथलीट के पैर भी इस तरह की समस्याओं का सामना करते हैं। अक्सर दौड़ते समय नंगे पैर एड़ी पर पड़ने वाला कंकड़ काफी परेशानी का सबब बन सकता है। इस दौरान मांसपेशियों के ऊतकों की क्षति और समुचित रक्तस्राव ना होने के कारण गांठ पड़ने का भी खतरा बना रहता है। ऐसे ही कई अन्य आंतरिक कारण होते हैं जो एड़ी दर्द का कारण बन जाते हैं। इस लेख के माध्यम से एड़ी से जुड़ी समस्याओं के मुख्य कारण और लक्षण सहित समाधान के हर उस तरीके पर प्रकाश डालेंगे जिसने आधुनिक तरीक़े से मर्ज को सही किया जा सकता है।

    एड़ी दर्द का कारण।

    एड़ी दर्द का कारण

    एड़ी का दर्द वैसे तो कई सामान्य कारणों से भी हो जाता है जिनमें हल्की चोट मोच या मांसपेशियों में खिंचाव शामिल है। इसके अलावा भी कई अन्य वजहें हैं जो एड़ी दर्द की जटिलताओं को बढ़ा देती हैं।
    तंग जूतों के पहनने से एड़ियो को भारी नुक़सान पहुंच सकता है।
    दौड़ के दौरान आई मोच एड़ी दर्द का कारण हो सकता है।
    हड्डियों में कठोर स्थिति के चलते भी ऐसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
    कैल्शियम या विटामिन डी की कमी भी एड़ी रोग का कारण हो सकता है।
    मोटापा या बढ़ता वजन इस तरह की समस्याओं का बड़ा कारण माना जाता है।
    अनुवांशिक कारणों से भी यह दर्द कभी भी बढ़ सकता है।
    बढ़ती उम्र के साथ कमजोर होती हड्डियों के कारण भी एड़ी में दर्द उत्पन्न हो जाता है।
    मधुमेह या आंतरिक रोगों की वजह से भी यह परेशानी ही सकती है।

    एड़ी दर्द के प्रमुख लक्षण।

    एड़ी दर्द के प्रमुख लक्षण

    एड़ी का दर्द हो जाने पर कई तरह के लक्षण प्रकट होना आरम्भ होने लगते हैं।
    पैरों के सबसे निचले हिस्से में तेज दर्द की अनुभूति का होना।
    कूल्हों में हल्का दर्द होना जो धीरे- धीरे पैरों के निचले हिस्से में फैल जाना।
    पैरों के अंगूठे में हल्का या तेज दर्द होने के साथ ही एड़ी में भी सुन्नता या दर्द।
    एड़ियो में सूजन का होना।
    जमीन पर पैर रखते ही दर्द से बिलबिला उठना।

    ऐसे ही कुछ सामान्य शुरुआती लक्षण प्रकट होते हैं जो आरंभिक स्थिति में होते हैं।

    पुरुषों में एड़ी का दर्द।

    पुरुषों में एड़ी का दर्द

    पुरुषों में महिलाओं की अपेक्षा एड़ी का दर्द होने के चांसेज बढ़ जाते हैं। अधिक शारीरिक श्रम करने वाले पुरुषों में इस तरह के लक्षण आसानी से देखे जा सकते हैं। धूम्रपान करने वाले युवा या अधिक उम्र वाले पुरुषों में कैल्शियम और विटामिन डी की भारी कमी हो जाती है। इसके अलावा एक जगह खड़े होकर ज्यादा देर तक काम करने के के कारण भी इस तरह की समस्या देखी जा सकती है। अधिक मोटापा भी एड़ी के दर्द का बड़ा कारण माना जाता है। वजन के बढ़ने से हड्डियों में घर्षण होना आरम्भ हो जाता है। जीवनशैली में बदलाव के साथ खान पान पर ध्यान न देने और एथलीट या खिलाड़ियों के एड़ियों में दर्द बेहद आम होता है।

    महिलाओं में एड़ी का दर्द।

    महिलाओं में एड़ी का दर्द

    महिलाओं का अंग पुरुषों की अपेक्षा नाजुक होता है। एड़ी दर्द के मामले में घरेलू कामकाजी महिलाएं ज्यादा प्रभावित होती हैं। एक जगह खड़े होकर काम करने से कूल्हों की हड्डियों में दबाव पड़ता है। दबाव के चलते प्लेटों में सूजन और मांशपेशियों में खिंचाव के चलते एड़ी का दर्द शुरू होने लगता है। पिंडलियों में सूजन का लगातार बने रहने अर्थराइटिस और गठिया जैसे रोगों का कारण माना जा सकता है। महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा गठिया जैसे जटिल रोगों से ग्रस्त हो जाती हैं।

    एड़ी में दर्द होने से पहले रोकथाम।

    एड़ी में दर्द होने से पहले रोकथाम

    सामान्यतः नृत्य करने या फिर पैरों में तंग जूते पहनने की वजह से एड़ी में तेज या हल्का दर्द हो सकता है। इसके अलावा भी अन्य कई अनुवांशिक और आंतरिक कारण हैं जो इसे सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं। एड़ी दर्द का इलाज करना ही ना पड़े उसके लिए कुछ जरूरी एहतियात अपनाकर इससे काफी हद तक बचाव किया जा सकता है।

    गर्मियों के मौसम में अधिक से अधिक पानी का सेवन करते रहें। संभव हो तो इसमें ग्लूकोज या फिर नीबू पानी नमक चीनी का घोल लें। ऐसा करने से हड्डियों को मजबूती प्राप्त होगी और दर्द नही सताएगा।
    हरी साग सब्जियों को नियमित अपने आहार में शामिल करें। इन सब्जियों में प्रचुरता से कैल्शियम सहित खनिज तत्व पाए जाते हैं। शरीर को सकारात्मक खनिज आपूर्ति होने पर हड्डियों के रोग काम होने के चांस रहते हैं।
    विटामिन सी युक्त आहार का सेवन बेहद महत्वपूर्ण होता है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होने से हड्डियों के रोग नही पनपते।
    कैल्शियम युक्त आहार जैसे दूध, चिकन आदि का नियमित सेवन काफी लाभदायक होता है।
    नियमित तौर पर योग या व्यायाम करते रहने से हड्डियों का लचीलापन बना रहता है।

    एड़ी का दर्द हो जाने पर उपचार।

    एड़ी का दर्द हो जाने पर उपचार

    वैसे तो ऊपर दिए गए तरीकों को अपनाने के बाद एड़ी दर्द की समस्या होने के मौके बेहद कम हो जाते हैं लेकिन यदि दर्द हो जाये तो उसका उपचार बेहद आवश्यक हो जाता है। घरेलू उपचार से हड्डियों को बल मिलता है लेकिन ज्यादा दर्द या रोग हो जाने पर आधुनिक दवाओं का इस्तेमाल बेहद आवश्यक हो जाता है। नीचे दी गई उपचार विधाओं को अपनाकर काफी हद तक एड़ी दर्द से छुटकारा पाया जा सकता है।

    आयुर्वेदिक दवाओं से एड़ी दर्द का उपचार।

    आयुर्वेदिक दवाओं से एड़ी दर्द का उपचार

    प्राचीनकाल से ही भारत आयुर्वेद का बड़ा ज्ञाता रहा है। आयुर्वेद की विधा से कई असाध्य रोगों पर विजय भी प्राप्त की जा चुकी है। इस उपचार माध्यम से जड़ी बूटियों द्वारा हड्डियों को पोषण और कैल्शियम की आपूर्ति की जाती है। कई तरह की दुर्लभ जड़ी बूटियों के प्रयोग से एड़ी का इलाज किया जाता है। सबसे खास बात यह होती है कि इस पद्धति का कोई खास साइड इफेक्ट नजर नही आता। पंचकर्मा से लेकर कई पद्धतियों से हड्डियों का इलाज आयुर्वेद में सदियों से होता आया है।

    एलोपैथी माध्यम से एड़ी दर्द का उपचार।

    एलोपैथी माध्यम से एड़ी दर्द का उपचार

    आधुनिक दौर की आधुनिक दवा एलोपैथी एड़ी के दर्द का इलाज में फौरी राहत देने का काम करती है। दर्द के समय तुरंत प्रयोग से आराम प्राप्त हो जाता है। एड़ी के दर्द में कुछ पेनकिलर और एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करने की सलाह दी जाती है। कई बार शल्य चिकित्सा से भी इस तरह की समस्याओं का समाधान किया जाता है। एलोपैथी ही दुनिया की इकलौती ऐसी उपचार विधा है जो रोग पर तुरंत राहत प्राप्त करने का काम करती है। इस पद्धति की दवाओं का असर फौरी तो होता है लेकिन कई तरह के साइड इफेक्ट लोगों के जीवन को संकट में डाल देते हैं। बिना चिकित्सक के सलाह के पेन किलर दवाओं का सेवन बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।

    होम्योपैथी पद्धति से एड़ी दर्द का उपचार।

    होम्योपैथी पद्धति से एड़ी दर्द का उपचार

    जर्मन तकनीक की दवाओं का आज के दौर में एक बड़ा बाजार स्थापित हो चुका है। इसकी बड़ी वजह यह है कि इस उपचार माध्यम की दवाएं कई तरह की एलर्जी को जड़ से समाप्त करने का दावा करती हैं। एड़ी दर्द के इलाज या फिर अर्थराइटिस या गठिया में इन दवाओं का सेवन काफी लाभकारी साबित हुआ है। या पद्धति की दवाइयां लंबे अरसे तक मरीज को उपयोग के लिए दी जाती हैं और कई तरह के परहेज के लिए भी बताया जाता है। होम्योपैथी उपचार माध्यम में लहसुन और प्याज जैसी चीजों को बर्जित किया जाता है इसके अलावा अधिक खट्टी और मसालेदार चीजों से भी परहेज करने को कहा जा सकता है। एड़ी में सूजन या फिर पिंडलियों में खिंचाव के दौरान उठने वाले दर्द में होम्योपैथी दवाएं असरदार तो होती हैं लेकिन इनका असर धीमी गति से होता है। होम्योपैथी विधा की दवाइयां फौरी राहत में किसी भी काम की नही होती हैं।

    यूनानी से एड़ी दर्द का उपचार।

    यूनानी से एड़ी दर्द का उपचार

    आयुर्वेदिक और यूनानी को आपस में मौसेरी बहन भी कहा जाता है। यूनानी दवाओं का इतिहास काफी प्राचीन रहा है। इस पद्धति में एड़ी दर्द में उपचार जड़ से हो सकता है। कई सुरंजनों की मदद से हकीम हड्डियों के मर्ज में दवाओं के सेवन की सलाह देते हैं। नियमित तौर पर युनानी दवाइयां का सेवन हड्डियों से संबंधित रोगों में बेहद लाभकारी होता है। इस माध्यम में उपचार के दौरान कुछ परहेज बताये जाते हैं जिनका पालन कर एड़ी का दर्द जड़ से मिटाया ज सकता है। सबसे खास बात इस उपचार माध्यम की यह है कि इसका किसी भी तरह का कोई साइड इफेक्ट नही होता।

    एड़ी के दर्द में क्या करें/ क्या ना करें।

    एड़ी के दर्द का उपचार किये जाने के साथ कुछ जरूर एहतियात भी अपनाने चाहिये। नीचे दिए कुछ जरूरी मुद्दों पर गौर करने से एड़ी की समस्या से काफी हद तक बचा जा सकता है।
    जीवनशैली को नियमित बनाएं और समय पर आहार लें।
    हड्डियों और शरीर को स्वस्थ रखने के लिए 8 घंटे की नींद बेहद आवश्यक है। नीद पूरी न होने पर मानसिक तनाव और अवसाद जैसी स्थिति जो सकती है जो हड्डियों के लिए जहर का काम करती है।
    आहार में नियमित तौर पर मौसमी फलों को शामिल करना चाहिए।
    सूखे मेवे को दूध के साथ नियमित लेने से एड़ी का दर्द नही सताता।
    वजन पर नियंत्रण की आवश्यकता होती है। मोटापा हड्डियों का सबसे बड़ा दुशमन होता है।
    गर्मियों के मौसम में पानी अधिक से अधिक इस्तेमाल में लाएं।
    मदिरा और धूम्रपान की लत को ना कहें।
    नियमित तौर पर व्यायाम करते रहें और ज्यादा दर्द होने पर फौरन चिकित्सक की सलाह से दवाओं का सेवन करें।

    डॉ नीतू

    • 6 Years of Experience
    • (BHMS)

    डॉ नीतू होम्योपैथी चिकित्सा से स्नातक हैं. इनके इलाज से घुटना दर्द के हज़ारों मरीज ठीक हुए हैं. इन्हें इस विधा में 5 साल का अनुभव है. होम्योपैथी को लेकर आम समझ यही है कि यह केवल मामूली बीमारियों के उपचार में ही कारगर है. इसके अलावा होम्योपैथी चिकित्सा के

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