आहार के कुछ ख़ास तरीकों को अपनाकर रीढ़ दर्द पर पाया जा सकता है काबू

आहार के कुछ ख़ास तरीकों को अपनाकर रीढ़ दर्द पर पाया जा सकता है काबू

हमारे डॉक्टर से सलाह लें

    आहार या खानपान दुनिया की ऐसी नेमत है जिसकी सकारात्मकता जीवन को सार्थक बना देती है. रीढ़ का दर्द का खानपान एक ऐसी स्थिति है जिसे सुधारने के बाद इंसान दर्द पर काबू तो प्राप्त करता ही है साथ ही रोगों के होने की संभावना पर भी अंकुश लगा सकता है. रीढ़ के रोग की बात करें तो इसकी कई स्थितियां बेहद सामान्य तो कई बेहद जटिल होती हैं. सामान्य रूप से उकडू बैठने, झुककर खड़े होने, एक जगह ज्यादा देर तक बैठने या खड़े होकर दिनचर्या निपटाने वाले लोगों में यह समस्या अक्सर देखी जाती है. 30 साल से अधिक उम्र वाले व्यक्तियों में रीढ़ की हड्डियों के रोग होने की संभावना काफी बढ़ जाती है. उम्र के ढलान के साथ ही हड्डियों के कठोर होने और उनकी मज्जों में प्रोटीन के लगातार घटते स्तर से कई बार हार्मोनल विसंगतियों का ख़तरा बढ़ जाता है. घरेलू कामकाजी महिलायें और ज्यादा शारीरिक श्रम करने वाले लोग इस तरह की समस्याओं से ज्यादा दो चार होते हैं. वैसे तो यह रोग आज के दौर में बेहद सामान्य हो गया है लेकिन कई मायनों में इसकी जटिलता बेहद चौंकाने वाली होती है. ट्यूबरकोलासिस हो या फिर रीढ़ की हड्डी का संक्रमण, गठिया हो या फिर अर्थराइटिस का खतरनाक रोग हर स्थिति में आहार में सुधार बेहद आवश्यक होता है. दर्द के लिए आज के दौर में बाजार में बेहद सस्ती और तुरंत राहत देने वाली उपचार पद्धतियों का बिना चिकित्स्कीय सलाह के लगातर सेवन करना भी हड्डियों का बड़ा दुश्मन बन बैठा है. आज इस लेख के माध्यम से हम रीढ़ की हड्डियों के रोगों के प्रमुख कारण सहित खानपान के कुछ ऐसे सटीक उपायों पर चर्चा करेंगें जिनके सही प्रयोग से काफी हद तक इस तरह के रोगों पर अंकुश लगाया जा सकता है.

    रीढ़ की हड्डी में दर्द के प्रमुख कारण और जटिलताएं।

    रीढ़ की हड्डी में दर्द के प्रमुख कारण और जटिलताएं

    रीढ़ की हड्डी मानव शरीर का ऐसा अंग है जिस पर शरीर की पूरी निर्माण स्थिति टिकी होती है. रीढ़ की हड्डी में सामान्य तौर पर मोच या खिंचाव जैसी स्थिति की वजह किसी बड़े रोग का कारण तो नहीं बनती लेकिन कई बार इंसान को बेहद परेशान कर देती है. रीढ़ के रोग के प्रमुख कारकों में जीवनशैली में लगातार परिवर्तन तो है ही साथ ही नींद की कमी भी एक बड़ी वजह माना जाता है. रीढ़ का दर्द का खानपानवास्तव में एक ऐसा महत्त्व रखता है जिसमें हुआ समझौता बेहद नुकसान पहुंचा सकता है. इंसान की शरीर भी मशीन की तरह होती है. उसमें क्या जा रहा है यह जानना बेहद आवश्यक होता है. यदि हम स्वस्थ भोजन करेंगे तो शरीर भी सही और स्वस्थ रहेगी। रोगों की जटिलता की बात करें तो रीढ़ की हड्डी का टीबी बेहद नुक्सान पहुंचाता है. कई बार यह रोग मानव जीवन को अपाहिज तक बना देता है. इसके अलावा रीढ़ का बुखार या फिर अर्थराइटिस या गठिया जैसे लक्षण बेहद चिंताजनक होते हैं. रीढ़ के रोगों में अनुवांशिक कारण सबसे जटिल होता है जिसका इलाज कभी कभार नामुमकिन हो जाता है.

    रीढ़ का दर्द का खानपान में अपनाएं हरी पत्तेदार सब्जियां।

    रीढ़ का दर्द का खानपान में अपनाएं हरी पत्तेदार सब्जियां

    मौसमी सब्जियां जहां रीढ़ का दर्द का खानपान में बेहद लाभकारी साबित हो सकती हैं वहीं हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन काफी फायदा। पालक के साग को जूस के रूप में सेवन करने से शरीर को फोलिक एसिड की मात्रा प्राप्त होती है इसके अलावा ढेर सारे खनिज तत्व भी मिलते हैं. सोया और मेंथी का सेवन शरीर को कई तरह के खनिज और कैल्शियम उपलब्ध कराता है. मूली का सेवन जहां ह्रदय रोगों में लाभ पहुंचाता है तो वहीं बथुआ का सेवन हड्डियों के जोड़ों में मौजूद फ्लूड की सुरक्षा करने का काम करता है. हरी साग सब्जियों को नियमित रूप से अपने आहार में सेवन करने से काफी लाभ प्राप्त होता है. इसके अलावा इनका प्रयोग सलाद के रूप में भी किया जा सकता है।

    दूध और कैल्शियम युक्त आहार का करें भरपूर सेवन।

    दूध और कैल्शियम युक्त आहार का करें भरपूर सेवन

    दूध एक ऐसा पदार्थ है जिसमें कैल्शियम की मात्रा भरपूर होती है. इंसान की हड्डियों का निर्माण कैल्शियम से होता है इसलिए आहार में ज्यादातर दूध का सेवन करें। दूध डेयरी प्रोडक्ट जैसे पनीर, दही सहित गर्मियों में छाछ का प्रयोग बेहद उत्तम होता है. कैल्शियम युक्त आहार में मौसमी ताजे फल और आंवले का सेवन बेहद लाभकारी माना जाता है. दूध के साथ सूखे मेवे का सेवन करने से हड्डियों के ऊतकों की सुरक्षा तो होती ही है साथ ही मांसपेशियों को नया बल प्राप्त होता है. रात को सोते समय दूध में शहद या हल्दी डालकर सेवन करने से रीढ़ की हड्डियों में हुई सूजन समाप्त होने लगती है और दर्द में लाभ मिलने लगता है.

    रीढ़ का दर्द का खानपान संबंधित जरूरी सुझाव

    गर्मियों के मौसम में पानी शरीर के लिए बेहद आवश्यक होता है. हमारे शरीर का दो तिहाई हिस्सा पानी से मिलकर बना होता है. गर्मियों में निर्जलीकरण से बचने की जरूरत होती है और साथ नीबू पानी पीते रहना चाहिए। किस मरीज को कितने कैलोरी मात्रा का सेवन करना है यह बात एक अच्छा न्यूट्रीशियन बेहतर तरीके से बता सकता है. वैसे ऊपर दिए आहार के तरीके रीढ़ के रोग में बेहद लाभकारी होते हैं लेकिन यदि दर्द बढ़ जाये तो तुरंत चिकित्सक की सलाह से दवाओं का सेवन आरम्भ कर दें.

    डॉ अनस

    • 6 Years of Experience
    • (BUMS)

    मैं डॉ अनस यूनानी चिकित्सा पद्धति में बैचलर हूँ। जोड़ों के दर्द ( Joints pain) और बैक पेन ( back pain) पीठ दर्द, रीढ़ की हड्डी में दर्द जैसी समस्या के उपचार में मुझे 5 साल का अनुभव है। मैनें अपने उपचार से हजारों रोगियों को एक नया जीवन प्रदान

    हमारे डॉक्टर से सलाह लें