उपचार के इन तरीकों को अपनाकर रीढ़ की हड्डी का दर्द से पाया जा सकता है छुटकारा

उपचार के इन तरीकों को अपनाकर रीढ़ की हड्डी का दर्द से पाया जा सकता है छुटकारा

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    रीढ़ की हड्डी का दर्द वाकई बेहद परेशानी का सबब बन जाता है। इसकी हड्डियों की संरचना जितनी जटिल है उससे ज्यादा इसके शारीरिक महत्व भी होते हैं। रीढ़ की हड्डी के जोड़ स्पाइनल में बेहद सुरक्षित रहते हैं। इन जोड़ों का सीधा संबंध दिमाग से होता है। मष्तिष्क को सूचना आदान प्रदान करने में रीढ़ के हड्डियों की उपयोगिता जगजाहिर है। वैसे तो कई बेहद सामान्य कारण होते हैं जो इस तरह के दर्दनाक कारण बनते है। लेकिन रीढ़ की हड्डी का ट्यूमर बेहद जटिलता पैदा कर सकता है। रीढ़ के किसी भी हिस्से में हुई गांठ वैसे तो कोशिकाओं ओर ऊतकों का एक समूह होता है जो दिमाग से सीधा संबंध वाली तरंगों के वेग को रोकने का का करता है। इस समस्या से इंसान को मानसिक रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। रीढ़ की समस्याओं की कई वजहें होती हैं और इसे रोक पाने में कई तत्व अपनी भूमिका का निर्वाह करते हैं। इस लेख से कुछ ऐसे ही उपायों के बारे इन जाना जा सकता है।

    रीढ़ की हड्डी में दर्द का कारण।

    रीढ़ की हड्डी में दर्द का कारण

    एक अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वे के मुताबिक भारत जैसे विकासशील देश में रीढ़ के रोग कई कारणों से उत्पन्न होते हैं। साथ ही यह समस्या पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा देखने को मिल जाती है। इस तरह के हड्डियों से संबंधित कई प्रमुख कारण हो सकते हैं।
    • चोट या फिर मोच के दौरान मांसपेशियों में खिंचाव से ऊतकों की क्षति या फिर लिगामेंट में सूजन होंने से रीढ़ का दर्द बढ़ सकता है।
    • रीढ़ की हड्डी का दर्द सही से खड़े ना होने से भी हो सकता है। ज्यादा समय तक झुक कर खड़े होने से हड्डियों में झुकाव हो जाता है जिससे सही ऊर्जा और रक्तवाहिनियों में संक्रमण होने की संभावना प्रबल हो जाती है। इस वजह को भी एक मुख्य कारक माना जा सकता है।
    • शरीर में अवशिष्ट पदार्थों के जमाव से भी कई तरह के हड्डी विकार सामने आते हैं। अवशिष्ट पदार्थो के जमाने से हड्डियों के जोड़ों में तेज दर्द हो सकता है इसमें रीढ़ की हड्डी भी शमिल है।
    • खून में यूरिया का बढा हुआ स्तर भी रीढ़ में दर्द बढ़ा सकता है। यूरिक एसिड से हड्डियों को नुकसान तो होता ही है साथ ही किडनी समेत कई अन्य आंतरिक अंग भी प्रभावित होते हैं।
    रीढ़ की हड्डी में आंतरिक विकार जैसे टीवी सहित कुछ अन्य रोग बेहद जटिल समस्या उत्पन्न कर सकते हैं।
    • पीठ के दर्द को वजह से भी कई बार रीढ़ की हड्डियां प्रभावित हो जाती हैं। कई तरह के रोगों को वजह के रीढ़ की हड्डी में दर्द हो ही जाता है।
    • खानपान में त्रुटि या समझौता अक्सर हड्डियों पर भारी पड़ता है। आहार में विकार रीढ़ की हड्डियों को भारी क्षति पहुंचा सकता है।
    • बदलती जीवनशैली से इंसान हमेशा परेशान रहता है। इसकी वजह से कई बार तनाव और अनिद्रा उत्पन्न हो जाती है जो रीढ़ के रोग का बड़ा कारण बन जाती है।
    • कई अनुवांशिक समस्याओं की वजह से भी रीढ़ की हड्डी की समस्या का होना देखा जाता है जो गठिया या अर्थराइटिस के रूप में सामने आती रहती है।

    बदलता मौसम भी रीढ़ की हड्डियों को कर सकता है प्रभावित।

    बदलता मौसम भी रीढ़ की हड्डियों को कर सकता है प्रभावित

    मौसम का बदलाव रीढ़ की हड्डी में दर्द उत्पन्न कर सकता है। सर्दी के मौसम में जहां हड्डियों के जोड़ों की समस्या बढ़ती है तो दूसरी तरफ गर्मी और बरसात भी इसके बड़े कारण होते हैं। गर्मियों के मौसम में कई बार शरीर निर्जलीकरण की तरफ जाता है जिसके कई कारण हो सकते हैं। इस वजह से लू लगने या अन्य कारणों से हड्डियों के दर्द बढ़ जाते हैं। बरसात या गर्मी के दिनों में बहती हुई पुरवाई हवा हड्डियों के पुराने चोट उभार देती है। पुरानी चोट के उभरने की वजह से रीढ़ की समस्या तो होती ही है साथ ही कई अन्य हड्डी रोग उत्पन्न होने लगते हैं। कई बार वायुमण्डल के दबाव से मौसम का परिवर्तन कई तरह के हड्डी विकारों को उत्पन्न करने का कारण बन जाता है।

    रीढ़ की हड्डी में दर्द के प्रमुख लक्षण।

    रीढ़ के दर्द के प्रमुख लक्षण

    रीढ़ की हड्डियों में कई डिस्क होती है जो आपस में एक चैन की तरह एक दूसरे से जुड़ी होती है। हड्डियों के चेन की तरह जुड़ाव के दौरान किसी भी भाग में आये संक्रमण या अन्य कारणों से होने वाले लक्षण भिन्न- भिन्न ही सकते हैं।
    • रीढ़ की हड्डियों में संकुचन होने की स्थिति में सूजन महसूस होती है और लगता है कि शरीर इधर उधर करने पर भी दर्द हो जाएगा।
    • रीढ़ के निचले भाग में दर्द का अनुभव हो सकता है यह तेज या फिर धीमा हो सकता है।
    • पेशाब में जलन और मलत्याग में परेशानी का अनुभव हो सकता है।
    • आंतरिक रोगों की वजह से पीठ में दर्द होने से रीढ़ को इधर उधर करने में परेशानी या पीड़ा का अनुभव महसूस किया जा सकता है।
    • बुखार या गर्दन में तेज दर्द का अनुभव होने की संभावना बढ़ जाती है।

    महिलाओं में रीढ़ की हड्डी का दर्द।

    महिलाओं में रीढ़ की हड्डी का दर्द

    महिलाओं की काया पुरुषों की तुलना में ज्यादा कोमल होती है। कामकाजी महिलाएं जो ज्यादा देर तक खड़ी होकर दिनचर्या निपटने का काम करती हैं उनकी हड्डियों में दर्द उत्पन्न हो ही जाता है। रीढ़ में दर्द कई तरह के हार्मोन्स के परिवर्तन की वजह से भी देखा जा सकता है। गर्भवती महिलाओं में यह समस्या ज्यादा देखी जाती है। गर्भावस्था के दौरान कई बार कमर के नीचे दर्द भी रीढ़ की हड्डी के दर्द का कारण बन सकता है। बेशक यह कई वजहों से देखा जाता है। कुपोषण सहित शरीर में कैल्शियम की कमी भी कई बार इस तरह की समस्या का कारण बन जाता है। एक स्वास्थ्य सर्वे के मुताबिक महिलाओं में रीढ़ की समस्या 30 से 50 साल की उम्र में ज्यादा दिखाई देती है। बेशक कई बार यह समस्या अर्थराइटिस या गठिया रोग के रूप में देखने को मिल जाती है। बढ़ता मोटापा और शुगर रोगों की वजह से कई बार रीढ़ के रोग बड़ी तेजी परेशानी की वजह बन जाते हैं।

    पुरुषों में रीढ़ की हड्डी का दर्द।

    पुरुषों में रीढ़ की हड्डी का दर्द

    कई लोग जो हमेशा झुक कर खड़े होते हैं उन्हें यह समस्या हो ही जाती है। झुककर खड़े होने से रीढ़ की हड्डी में खिंचाव ओर मुड़ाव होने लगता है। झुकाव की वजह से हड्डियों को सही पोषण नही मिल पाता। कई बार यही आदत जोड़ों में गांठ या ट्यूमर का रूप धारण कर लेता है। ट्यूमर बन जाने पर इंसान के दिमाग की तरंगों का रीढ़ को हड्डी को सही निर्देश ना दे पाने से समस्या जटिल होने लगती है। इसके अलावा भी कई अन्य कारण है जिससे रीढ़ की हड्डियां कमजोर भी हो जाती हैं। भारत जैसे देश मे कुपोषण ओर प्रदूषण एक बड़े कारण हैं साथ ही तनाव और अवसाद भी कई बार पुरुषों को इस तरह की बीमारियों की चपेट में ले लेता है। बढ़ता वजन या मोटापा भी इसके बड़े कारण माने जाते हैं।

    रीढ़ की हड्डी का दर्द होने से पहले रोकथाम।

    रीढ़ की हड्डी का दर्द हो जाने पर रोकथाम

    रीढ़ का दर्द होने से पहले इसकी रोकथाम जहां बेहद सरल है वहीं कम खर्चीला भी है। दवाओं से बचने और रीढ़ का दर्द शरीर को ना सताए यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ जरूरी एहतियात अपनाकर तकलीफ से बचा जा सकता है।
    • खानपान या आहार की गुणवत्ता में सुधार की बेहद आवश्यकता होती है। आहार की गुणवत्ता में सुधार से जीवन को कई तरह के कष्टों से मुक्ति दिलाई जा सकती है।
    • अनियमित जीवनशैली या दिनचर्या में सुधार लाने की जरूरत होती है। दिनचर्या नियमित कर रीढ़ के दर्द से बच सकते हैं।
    • महिलाओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके अंदर कैल्शियम या विटामिन डी की मात्रा की कमी न होने पाए। इस कमी से बचने पर उन्हें इस तरह की समस्या से निजात मिलेगी।
    • कभी भी झुककर ना खड़े हों।
    • ज्यादा देर तक एक जगह बैठकर काम करने से बचें।
    • अल्कोहल से परहेज रखें
    • तैलीय भोजन से करें तौबा।

    रीढ़ की हड्डी का दर्द हो जाने पर रोकथाम।

    रीढ़ की हड्डी का दर्द हो जाने पर रोकथाम

    रीढ़ में दर्द या रोग वास्तव में एक जटिल स्थिति है। दर्द के कारण कई बार इंसान बिस्तर पकड़ लेता है। कुछ स्थिति में इंसान को अपंगता भी हो जाती है। इस तरह के रोग ओर दर्द से बचाव के लिए आधुनिक युग में कई तरह की औषधि मौजूद है जिनके सटीक प्रयोग से काफी हद तक इससे बचाव किया जा सकता है।

    यूनानी से रीढ़ का दर्द का उपचार।

    यूनानी से रीढ़ का दर्द का उपचार

    रीढ़ का दर्द का यूनानी उपचार वास्तव में बेहद फायदेमंद होता है। जड़ी बूटियों के प्रयोग से निर्मित पूरी तरह से हर्बल आधारित इस उपचार माध्यम से रीढ़ के दर्द का इलाज काफी प्रचलित है। हालांकि इस उपचार माध्यम में थोड़ा समय जरूर लगता है लेकिन अक्सर समस्या जड़ से समाप्त हो जाती है। दुर्लभ जड़ी बूटियों से बनाई गई सुरंजन की दवाइयां वास्तव में हड्डियों के लिए किसी वरदान से कम नही होती। समय पर हकीम की सलाह से परहेज करने के साथ दवाओं का सेवन काफी लाभदायक साबित होता है। इस विधा में सबसे खास यह होता है कि इन दवाओं का।शरीर पर किसी भी प्रकार का साइड इफेक्ट नही होता है।

    होम्योपैथी दवाओं से रीढ़ की हड्डी के उपचार।

    होम्योपैथी दवाओं से रीढ़ की हड्डी के उपचार

    रीढ़ की हड्डी के रोग में होम्योपैथी एक कारगर विकल्प साबित हुआ है। जर्मन तकनीक की इन दवाओं का एक व्यापक बाजार स्थापित है। कुछ मामलों में तो कहा जाता है कि इस उपचार की दवाओं से कई तरह के रोगों या एलर्जी के लक्षण जड़ से समाप्त हो जाते हैं। जर्मन तकनीक की इन दवाओं को द्रव ओर टैबलेट के रूप में सेवन किया जाता है। खासकर गठिया या अर्थराइटिस जैसे रोग में इसके उपचार का बड़ा व्यापक लाभ होता दिखा है। यूरिक एसिड जैसी समस्या से होने वाले रोगों को इस उपचार माध्यम से दूर किया जा सकता है। वैसे इस उपचार के लिए कई तरह के परहेज की आवश्यकता होती है। बिना परहेज इन दवाओं का सेवन बेकार होता है। होम्योपैथी दवाएं शरीर पर असर करने में समय लगती हैं और फौरी राहत में इन दवाओं का कोई उपयोग नही होता।

    आयुर्वेदिक दवाओं से रीढ़ के दर्द का उपचार।

    आयुर्वेदिक दवाओं से रीढ़ के दर्द का उपचार

    आयुर्वेदिक दवाएं पारंपरिक रूप से सदियों से हमारे लिए किसी वरदान से कम नही हैं। दुर्लभ जड़ी बूटियों से मिलाकर बनाई गई दवाएं मानव शरीर के लिए बेहद लाभ पहुंचाती हैं। आयुर्वेद में रीढ़ के रोगों को समाप्त करने की शक्ति होती है वह भी तब जब रोगों की जटिलता अपने चरम पर हो। कई असाध्य रोगों को जड़ से ठीक करने का दावा करने वाली आयुर्वेद की दवा द्वारा रीढ़ की समस्या समाधान के लिए चिकित्सक रोगी की मर्ज के अनुसार दवाओं के सेवन की सलाह देता है। आयुर्वेद की दवाओं का असर शरीर पर तेजी से होता है और अक्सर रोगी इन दवाओं के नियमित सेवन से ठीक होते देखे गए हैं।

    एलोपैथी दवाओं से रीढ़ की हड्डी दर्द का उपचार।

    एलोपैथी दवाओं से रीढ़ की हड्डी दर्द का उपचार

    एलोपैथी एक ऐसा उपचार माध्यम है जिसे दुनिया के कई कीर्तमानों को बनाने का श्रेय प्राप्त है। यह ऐसी उपचार पद्धति है जो दर्द के दौरान फौरी राहत प्रदान करती है। रीढ़ की समस्या में इस तरह की दवाएं तुरंत लाभ देती ही हैं साथ ही लंबे समय तक शरीर पर इनका प्रभाव रहता है। हर विधा से हारकर रोगी एलोपैथी दवा की तरफ ही जाता है। इस उपचार द्वारा शल्य चिकित्सा सहित कई ऐसे उपाय किये जाते हैं जो किए अन्य माध्यम में नही पाए जाते। एलोपैथी दवाईयां शरीर को तुरंत पोषण देने का भी कार्य करती हैं। बिना चिकित्सकीय सलाह के इन दवाओं का सेवन जीवन पर भारी पड़ सकता है।

    रीढ़ की हड्डी दर्द उपचार संबंधित जरूरी सलाह/सुझाव।

    रीढ़ की हड्डी का उपचार और निदान किस तरह से संभव है इसका चित्रण ऊपर बखूबी बताया गया है। ऊपर दिए गए तरीकों को अपनाकर काफी हद तक किसी भी तरह की रीढ़ संबंधित बीमारियों से बच सकते हैं। इनके अलावा भी कई अन्य मसले हैं जिन पर ध्यान देना जरूरी है। खासकर तब हम दवाओं का सेवन नही करेंगे जब तक किसी पंजीकृत डॉक्टर ने हमे दवाओं के सेवन की सलाह ना दी हो। इसके साथ ही जीवनशैली में लगातार परिवर्तन भी नियमित कर अच्छी नीद और तनाव से बचाव कर हड्डियों के रोगों से बच सकते हैं।

     

    डॉ आकांक्षा

    • 7 Years of Experience
    • (BHMS)
    • Quora

    मै डॉ आकांक्षा होम्योपैथिक चिकित्सा में बैचलर हैं. इन्हें जॉइंट्स पेन (जोड़ों का दर्द) और बैक पेन (पीठ दर्द) जैसे रोगों का विशेषज्ञ माना जाता है. इन्होने अपने उपचार से देश के हजारों मरीजों को नया जीवन दिया है. डॉ आकांक्षा को जॉइन्स पेन( जोड़ों का दर्द) और बैक पेन

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