होम्योपैथी में है बिना सर्जरी घुटने की लिगामेंट इंजरी का सफल इलाज

होम्योपैथी में है बिना सर्जरी घुटने की लिगामेंट इंजरी का सफल इलाज

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    लिगामेंट इंजरी किसी को भी हो सकती है। आमतौर पर घुटने पर घुमावदार ज़ोर पड़ने पर इस प्रकार की चोट लगती है। बॉस्केटबॉल, हॉकी, फुटबॉल आदि खेलों के दौरान ऐसी चोटें लगना आम है। लिगामेंट में चोट लगने पर आपके घुटने के आस-पास सूजन आ जाती है और आपको तीव्र दर्द होता है। रोज़मर्रा के आम काम-काज करने में भी तकलीफ़ होती है। इस तकलीफ़ से निजात पाने के लिए लोग अक्सर ऐलोपैथी का सहारा लेते हैं। दर्द निवारक दवाइयां खाते हैं। कई दफ़ा लिगामेंट को ठीक करने के लिए सर्जरी की जाती है। जबकि अधिकतर मामलों में सर्जरी की आवश्यकता नहीं पड़ती।
    घुटने का लिगामेंट का होम्योपेथिक इलाज के माध्यम से बिना सर्जरी लिगामेंट की चोट को ठीक किया जा सकता है।

    कैसा होता है घुटने का लिगामेंट का होम्योपेथिक इलाज

    होम्योपैथी एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है जिसमें यह माना जाता है कि शरीर खुद बीमारियों को ठीक कर सकता है। यानी रोग की बजाए रोगी का इलाज किया जाता है। यह समरूपता के सिद्धांत (like cures like) पर आधारित है जिसमें चिकित्सक रोग के लक्षणों के समान लक्षण उत्पन्न करने वाली औषधी का चयन करता है। इसका मकसद शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली को मज़बूत करना होता है। इस चिकित्सा पद्धति का विकास जर्मनी में हुआ था। बाद में 1810 में एक फ्रेंच विद्वान द्वारा यह भारत में लाई गई। भारत सरकार ने 1970 के बाद इसे चिकित्सा के एक अन्य विकल्प के रूप में मान्यता दी।

    घुटने का लिगामेंट का होम्योपेथिक इलाज संबंधी जड़ी-बूटियां

    घुटने का लिगामेंट का होम्योपेथिक इलाज संबंधी जड़ी-बूटियां

    होम्योपैथिक दवाएं पौधों, जानवरों और धातुओं से बनाई जाती हैं। ये दवाएं रोगी के आनुवांशिक, शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक कारकों को ध्यान में रखकर दी जाती हैं। रोग के लक्षणों के समान औषधियों का चयन किया जाता है। उदाहरण के लिए प्याज से आपकी आंखों में जलन होती है। इसलिए उसका इस्तेमाल विभिन्न प्रकार की एलर्जी के उपचार में किया जाता है।

    अधिकतर होम्योपैथिक दवाएं फूलों वाले पौधों से बनाई जाती हैं। निम्न जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल घुटने का लिगामेंट का होम्योपेथिक इलाज में किया जाता है

    • अर्निका: साइबेरिया और मध्य यूरोप में पाया जाने वाला यह पौधा सूरजमुखी के परिवार से ताल्लुक़ रखती है। इसके फूल को विभिन्न औषधियों के निर्माण में उपयोग किया जाता है। यह मांसपेशियों में खिंचाव संबंधी दर्द व सूजन को दूर करने में मदद करता है। लिगामेंट में सूजन होने पर अर्निका के तेल से मालिश की जा सकती है।
    • पॉइज़न आइवी: यह एक फूलों वाला पौधा है जो एशिया और उत्तर-पूर्वी अमेरिका में पाया जाता है। हालांकि यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करता है लेकिन इसके कुछ साइडिफेक्ट्स भी हैं। यह सूजन, ऐंठन व दर्द को दूर करने में मदद करता है इसलिए लिगामेंट की चोट के उपचार में इसका उपयोग किया जाता है।
    • नागदमनी: इस पौधे में पीले रंग के फूल होते हैं जिनसे तेज़ अप्रिय गंध आती है। जोड़ों के आस-पास नरम उतकों, लिगामेंट और टेंडन में तनाव, खिंचाव और चोट के लिए यह हर्ब बेहद फायदेमंद है। हाथ व पैरों में अकड़न व साइटिका के उपचार में भी इसका उपयोग किया जाता है। इसके कुछ साइडिफेक्ट्स भी होते हैं इसलिए गर्भवती महिलाओं को इसका या इससे बनी दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए।
    • मार्श टी: जोड़ों के दर्द, सूजन व ऐंठन के उपचार में इसका उपयोग किया जाता है। इसके अलावा यह सर्दी और श्वास संबंधी समस्याओं के उपचार में भी उपयोगी है।

    घुटने का लिगामेंट का होम्योपेथिक इलाज संबंधी घरेलू उपचार

    होम्योपैथी में कम से कम दवाओं के माध्यम से रोग को ठीक करने का प्रयास किया जाता है। इसलिए कुछ घरेलू नुस्खों को अपनाने की सलाह भी दी जा सकती है।
    घुटने की लिगामेंट इंजरी के लिए आप निम्न घरेलू नुस्खों का उपयोग कर सकते हैं

    • अपने घुटनों को आराम दें। ऐसा कोई काम न करें जिससे घुटनों पर दबाव पड़े।
    • विटामिन सी में एंटी इंफ्लामेट्री गुण होते हैं जबकि प्रोटीन मांसपेशियों, टेंडन और लिगामेंट के निर्माण में मदद करता है। इसलिए विटामिन सी और प्रोटीन से भरपूर आहार का सेवन करें।
    • चोट से प्रभावित क्षेत्र पर बर्फ लगाएं। इससे सूजन और दर्द को कम करने में मदद मिलेगी।
    • विभिन्न औषधीय तेलों से घुटनों की मालिश की करने से आराम मिलेगा। उदाहरण के लिए अर्निका के तेल की मालिश जोड़ों को मज़बूती प्रदान करती है।

    घुटने का लिगामेंट का होम्योपेथिक इलाज संबंधी सावधानी

    होम्योपैथिक इलाज के प्रभाव को लेकर डॉक्टर आपस में बंटे हुए हैं। जहां कुछ डॉक्टरों का कहना है कि होम्यपैथिक इलाज के कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं होते वहीं कई डॉक्टर इस मत से सहमत नहीं हैं। उनका मानना है कि होम्योपैथिक दवाओं में इस्तेमाल किए जाने वाले धातु शरीर के लिए बेहद खतरनाक हैं। उनका यह भी तर्क है कि ये दवाएं अधिक प्रभावी नहीं होतीं क्योंकि इनमें औषधीयों को पानी या शराब मिलाकर फ़ीका किया जाता है। साल 2016 में फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने होम्योपैथिक दवाओं को लेकर एक वॉर्निंग जारी की थी कि ये शिशु और बच्चों के लिए ठीक नहीं हैं।

    डॉ नीतू

    • 6 Years of Experience
    • (BHMS)

    डॉ नीतू होम्योपैथी चिकित्सा से स्नातक हैं. इनके इलाज से घुटना दर्द के हज़ारों मरीज ठीक हुए हैं. इन्हें इस विधा में 5 साल का अनुभव है. होम्योपैथी को लेकर आम समझ यही है कि यह केवल मामूली बीमारियों के उपचार में ही कारगर है. इसके अलावा होम्योपैथी चिकित्सा के

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