घुटने की लिगामेंट इंजरी के बारे में पूरी जानकारी

घुटने की लिगामेंट इंजरी के बारे में पूरी जानकारी

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    घुटनों का लिगामेंट संबंधी चोट के बारे में जानने से पूर्व लिगामेंट और घुटने की संरचना के बारे में जानना ज़रूरी है। लिगामेंट ऊतकों के लोचदार रस्सीनुमा समूह होते हैं जो हड्डियों को जोड़कर रखते हैं। घुटने का जोड़ शरीर के सबसे मज़बूत जोड़ों में से एक है। शरीर के ऊपरी हिस्से का सारा भार घुटनों पर ही पड़ता है। रोज़मर्रा के सभी काम-काज में घुटने अहम भूमिका अदा करते हैं, जैसे कि चलना, दौड़ना, उठना, बैठना आदि।
    घुटने का जोड़ ऊपर से फीमर (femur) और नीचे से टिबिया (tibia) नामक हड्डी से बनता है। पैटिला (patella) नाम की एक तीसरी हड्डी फीमर के अग्र भाग में होती है।

    घुटने की हड्डियों को निम्न 4 लिगामेंट आपस में जोड़ कर रखते हैं

    • एन्टीरियर क्रूसिएट लिगामेंट (ACL): यह लिगामेंट फीमर (thigh bone) और टिबिया (Shin bone) को जोड़ता है।
    • पोस्टेरेयर क्रूसिएट लिगामेंट (PCL): एन्टीरियर क्रूसिएट लिगामेंट की तरह पीसीएल भी फीमर और टिबिया को जोड़ता है। हालांकि पीसीएल एसीएल से अधिक बड़ा और मज़बूत होता है लेकिन इस लिगामेंट में भी चोट लग सकती है।
    • लेटरल कोलेटरल लिगामेंट (LCL): यह लिगामेंट घुटने के साइड में होता है जो फीमर को फिबुला (fibula) से जोड़ता है। फिबुला घुटने के निचले हिस्से की छोटी हड्डी है।
    • मीडियल कोलेटरल लिगामेंट (MCL): इसका काम भी एलसीएल की तरह फीमर को टिबिया से जोड़कर रखना है। यह लिगामेंट घुटने के अंदरूनी हिस्से में होता है।

    घुटने का लिगामेंट संबंधी चोट के कारण

    घुटने का लिगामेंट संबंधी चोट के कारण

    घुटने का लिगामेंट संबंधी चोट के कई कारण हो सकते हैं। घर या मैदान के बाहर खेले जाने वाले खेलों के दौरान घुटने पर घुमावदार ज़ोर पड़ने से घुटने के एक या उससे अधिक लिगामेंट्स को नुकसान पहुंच सकता है। फुटबॉल, क्रिकेट, बॉस्केटबॉल, दौड़ आदि खेलों के दौरान ऐसी चोटें लगना आम है।
    आमतौर पर एन्टीरियर क्रूसिएट लिगामेंट इससे सबसे अधिक प्रभावित होता है। हालांकि पोस्टेरेयर क्रूसिएट लिगामेंट एसीएल से अधिक बड़ा और मज़बूत होता है लेकिन किसी बड़े एक्सीडेंट से इस लिगामेंट में भी चोट लग सकती है। इसकी वजह से दूसरे लिगामेंट्स या नरम ऊतक भी प्रभावित हो सकते हैं।

    घुटने का लिगामेंट संबंधी चोट के लक्षण

    घुटने के लिगामेंट के क्षतिग्रस्त होने पर आपको कुछ ऐसा महसूस हो सकता है:

    • घुटने में दर्द होना जो अचानक तीव्र हो जाए।
    • चोट के 24 घंटे के भीतर घुटने में सूजन आ जाना।
    • घुटने से कभी-कभी क्लिक की आवाज़ उठना।
    • घुटनों के जोड़ में ढिलाई महसूस करना।
    • भारी सामान उठाने में कठिनाई महसूस करना।
    • घुटने का एक ही पोज़ीशन में जाम हो जाना।
    • सीढ़ियां चढ़ने व उतरने में कठिनाई होना।
    • पालथी मारकर या उकड़ू होकर बैठने में कठिनाई महसूस करना।

    मौसम के बदलाव का घुटने का लिगामेंट संबंधी चोट पर असर

    मौसम में बदलाव से भी बीमारियां प्रभावित होती हैं। सर्दी के मौसम में चोट बेहद दर्दनाक लगती है। हल्की सी चोट भी बर्दाश्त नहीं होती। इस दौरान गर्म सिंकाई से आराम मिलता है।
    वहीं गर्मी में नर्जलीकरण के कारण शरीर जल्दी थक सकता है, जबकि बरसात के मौसम में पुरानी बीमारियां या अंदरूनी चोट उभर सकते हैं। यदि लिगामेंट में चोट लगी हो और उसका उपचार न किया जाए तो बरसात के मौसम में वह उभर सकती है।

    पुरुषों में घुटने का लिगामेंट संबंधी चोट

    अमेरिकन एकेडमी ऑफ़ ऑर्थेपेडिक सर्जन्स के अनुसार (2012 की रिसर्च) महिलाओं की तुलना में पुरुष लिगामेंट की चोट से कम पीड़ित होते हैं। इसका कारण है पुरुषों के टिबियल प्लेट का अधिक मज़बूत होना। पुरुष अधिकतर एसीएल में लगने वाली चोट से प्रभावित होते हैं।

    महिलाओं में घुटने का लिगामेंट संबंधी चोट

    पुरुषों की तुलना में महिलाएं घुटने का लिगामेंट संबंधी चोट से अधिक प्रभावित होती हैं। इसका कारण जेंडर नहीं बल्कि घुटने की संरचना है।
    इसे लेकर 2012 में अमेरिका में एक रिसर्च की गई थी। यह रिसर्च जेबीजेएस (Journal of Bone and Joint Surgery) में प्रकाशित हुई थी। इसमें पाया गया कि एंटीरियर क्रूसेट लिगामेंट की चोट से प्रभावित लोगों में शिनबोन का निचला हिस्सा (जहां वह टिबिया से जुड़ा होता है) अधिक छोटा और अधिक गोलाकार है। घुटने के जोड़ की यह स्थिति अधिकतर महिलाओं में देखने को मिली।

    घुटने का लिगामेंट संबंधी चोट का इलाज

    घुटने का लिगामेंट संबंधी चोट का इलाज

    घुटने में लिगामेंट संबंधी चोट के निम्न विकल्प उपलब्ध हैं:

    • एलोपैथी: आधुनक चिकित्सा पद्धति को एलोपैथी कहा जाता है। घुटने का लिगामेंट संबंधी चोट में मरीज़ को दर्द निवारक दवाएं दी जा सकती हैं। इन दवाओं से मरीज़ को दर्द से तुरंत राहत मिलती है। यदि आपके घुटनों में सूजन और खून के थक्के जमा हैं तो डॉक्टर उसे निकालने के लिए सुई का प्रयोग कर सकते हैं। बोन फ्रैक्चर या लिगामेंट में चोट के लिए आपको एक्स-रे या एमआरआई की भी ज़रूरत पड़ सकती है। आमतौर पर लिगामेंट में चोट के लिए सर्जरी नहीं की जाती लेकिन हालत गंभीर हो तो सर्जरी की सलाह भी दी जा सकती है।
    • यूनानी: यह चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के बेहद करीब है। इस चिकित्सा पद्धति में घुटने में लिगामेंट संबंधी चोट के लिए विभिन्न तकनीकों का प्रयोग किया जाता है। रेजीमेंटल थेरेपी के अंतर्गत मालिश के ज़रिए जोड़ों की अकड़न दूर करने का प्रयास किया जाता है जबकि फर्माकोथेरेपी में हर्बल दवाएं दी जाती हैं। इस चिकित्सा पद्धति में डाइट का विशेष महत्व है। डायटोथेरेपी के अंतर्गत दवाईयों के साथ-साथ उचित खान पान की सलाह भी दी जाती है।
    • आयुर्वेदिक: लिगामेंट को आयुर्वेद में मांस धातु कहा जाता है। लिगामेंट में चोट के कारण वात और पित्त दोष अनियंत्रित हो जाता है। आयुर्वेद में लिगामेंट की चोट में सूजन और जलन को दूर करने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है जिससे लिगामेंट का पुन: विकास हो सके। इसके अलावा लीच थेरेपी दी जा सकती है। साथ ही उचित योग व खान पान की सलाह भी दी जा सकती है।
    • होम्योपैथी: होम्योपैथी में चिकित्सक बीमारी के समान लक्षणों को प्रकट करने वाली औषधियों का चयन करते हैं। मरीज़ को कम से कम दवाइयां देकर स्वस्थ करने का प्रयास किया जाता है। लिगामेंट और हड्डियों की चोट के लिए नागदमनी (Ruta graveolens) एक बहुत ही कारगर होम्योपैथिक दवा है। सिर दर्द, सायटिका, सीने के दर्द और आर्थराइटिस के उपचार में भी इसका उपयोग किया जाता है।

    घुटने का लिगामेंट संबंधी चोट का घरेलू उपचार

    घुटने का लिगामेंट संबंधी चोट का घरेलू उपचार

    घुटने के लिगामेंट में लगी चोट अगर अधिक गंभीर नहीं है तो कुछ घरेलू उपचार के माध्यम से इसे ठीक किया जा सकता है:

    • आराम करें: अगर घुटनों में बहुत अधिक दर्द हो तो भारी बोझ उठाने से बचें। घुटनों को आराम दें।
    • घुटनों पर दबाव: सूजन से बचने के लिए घुटनों को इलास्टिक बैंडेज या पट्टी से बांध कर रखें।
    • नी-ब्रेस पहनें: और अधिक चोट से बचने के लिए नी-ब्रेस पहनें। यह घुटने के मूवमेंट को भी नियंत्रण में रखेगा।
    • बर्फ़ लगाएं: हर तीन-चार घंटे में प्रभावित क्षेत्र पर 20-30 मिनट के लिए बर्फ लगाएं। ऐसा दो से तीन दिन तक करते रहें जब तक कि सूजन दूर न हो जाए।
    • तकिए का प्रयोग करें: बैठते या लेटते समय घुटने के नीचे तकिया रखें।
    • स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज़ करें: घुटनों को लोचदार बनाने के लिए स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज़ की जा सकती है। लेकिन अनावश्यक बहुत अधिक स्ट्रेच न करें। इसके लिए फीज़ियो-थेरेपिस्ट की सलाह ज़रूर लें।

    आप ऊपर बताए गए इलाजों के साथ अगर योगासन भी करेंगे तो आपको जल्द राहत मिलेगी। ऐसे में आप नीचे दिए गए योग को कर के आराम पा सकते हैं

    घुटने का लिगामेंट संबंधी चोट का योग

    घुटने का लिगामेंट संबंधी चोट का योग

    घुटने के लिगामेंट में चोट की रोकथाम के लिए निम्न योग फायदेमंद साबित हो सकते हैं:

    • बालासन (Child Pose): एन्टीरियर क्रूसिएट लिगामेंट की चोट के बाद घुटने की अकड़न दूर करने के लिए यह आसन बेहद प्रभावी है। इसके अलावा यह मीडियल कोलेटरल लिगामेंट (MCL) को स्ट्रेच भी करता है।
    • वृक्षासन (Tree Pose): यह आसन करने से मुड़े हुए पैर का एमसीएल स्ट्रेच होता है और खड़े हुए पैर की मांसपेशियां मज़बूत होती हैं।
    • अर्ध कपोतासन (Half pigeon post): यह आसन करने से घुटने के जोड़ पर दबाव पड़ता है। यह आसन शरीर के निचले हिस्से में गहरा खिंचाव उत्पन्न करता है और आपके तंत्रिका तंत्र को सक्रिय करता है।
    • पद्मासन (Lotus pose): इस आसन के नियमित अभ्यास से मांसपेशियों का तनाव कम होता है और रक्तचाप नियंत्रित होता है।
    • पादंगुष्ठासन (Big Toe Pose): यह आसन करते वक्त आपकी पिंडलियां और हैमस्ट्रिंग (पैर के पीछे की नस) स्ट्रेच होते हैं। इसे नियमित रूप से करने से आपकी जांघे मज़बूत होती हैं।
    • सेतुबंधासन (Bridge Pose): यह आसन करने से पैरों की थकान दूर होती है। यह पैर और घुटने की मांसपेशियों को मज़बूती प्रदान करता करता है और चिंता व तनाव दूर कर शरीर को आराम पहुंचाता है।
    • वीरभद्रासन (Warrior Pose): यह आसन पूरे पैर की मांसपेशियों को मज़बूती प्रदान करता है। आपके घुटने के जोड़ को मज़बूत और लोचदार बनाता है।

    घुटने का लिगामेंट संबंधी चोट का खान पान

    घुटने का लिगामेंट संबंधी चोट का खान पान

    इसके लिए टेंडन और लिगामेंट को मज़बूती प्रदान करने वाले खाद्य पदार्थ का सेवन करें। इसके लिए आप प्रोटीन, ओमेगा 3 फैटी एसिड, कैल्शियम, ज़िंक, विटामिन बी, विटामिन सी व विटामिन डी से भरपूर आहार का सेवन करें। अपने आहार में मीट, फिश, बीन्स, नट्स, कीवी, सिट्रस फ्रूट्स, ब्रॉकोली, आम, पपीता, दूध व हरी पत्तेदार सब्ज़ियां शामिल करें।

    टेंडन, लिगामेंट्स और मांसपेशियों के पुन: निर्माण के लिए प्रोटीन बहुत ज़रूरी है। शरीर में प्रोटीन की भरपूर मात्रा को बनाए रखने के लिए एमिनो एसिड का बनना ज़रूरी है। विटामिन बी6 और बी12 एमिनो एसिड बनने में मदद करता है जबकि विटामिन सी कोलेजन के निर्माण के लिए ज़रूरी है।

    घुटने के लिगामेंट में चोट संबंधी सावधानी

    घुटने के लिगामेंट में चोट से बचना बेहद मुश्किल है। लेकिन कुछ सावधानियां बरतकर आप लिगामेंट की चोट से बच सकते हैं। इसके लिए निम्न नियमों का पालन करें:

    • कोई भी कठोर शारीरिक श्रम करने से पूर्व वार्मअप ज़रूर करें। आपने अक्सर देखा होगा कि खिलाड़ी मैच शुरु करने से पूर्व वार्मअप एक्सरसाइज़ करते हैं।
    • रोज़ाना व्यायाम और स्ट्रेच करके मांसपेशियों को मज़बूत रखें।
    • शरीर का लचीलापन बनाए रखें।
    • धीरे-धीरे शरीरिक क्रिया में तब्दीली करें। एकदम से बहुत अधिक व्यायाम न करें। इससे शरीर पर अधिक ज़ोर पड़ेगा।

    डॉ नीतू

    • 6 Years of Experience
    • (BHMS)

    डॉ नीतू होम्योपैथी चिकित्सा से स्नातक हैं. इनके इलाज से घुटना दर्द के हज़ारों मरीज ठीक हुए हैं. इन्हें इस विधा में 5 साल का अनुभव है. होम्योपैथी को लेकर आम समझ यही है कि यह केवल मामूली बीमारियों के उपचार में ही कारगर है. इसके अलावा होम्योपैथी चिकित्सा के

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