इन यूनानी जड़ी बूटियों से ठीक होगी घुटने की लिगामेंट इंजरी

इन यूनानी जड़ी बूटियों से ठीक होगी घुटने की लिगामेंट इंजरी

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    बहुत अधिक शारीरिक काम करने या खेल-कूद के दौरान घुटने के लिगामेंट में चोट लग सकती है। ये चोटें बहुत गंभीर तो नहीं होतीं लेकिन बहुत तकलीफदेह होती हैं। रोज़ के आम काम-काज करने में घुटने अहम भूमिका अदा करते हैं। चलना-फिरना, उठना-बेठना, खेलना-कूदना आदि के लिए घुटने की ज़रूरत पड़ती है।

    घुटनों के लिगामेंट के क्षतिग्रस्त होने का कारण केवल चोट नहीं, उम्र भी है। बढ़ती उम्र के साथ आपकी हड्डियां, मांसपेशियां, टेंडन व लिगामेंट कमज़ोर होते रहते हैं। इसलिए ज़रूरी है कि आप अपने घुटनों का ध्यान रखें। घुटने के पूरी तरह क्षतिग्रस्त होने पर रोगी को अपनी ज़िंदगी व्हीलचेयर पर भी गुज़ारनी पड़ सकती है। लेकिन घबराएं नहीं! यूनानी में लिगामेंट की चोट का सफल इलाज मौजूद है। आमतौर पर लिगामेंट की चोट में यूनानी इलाज एलोपैथी इलाज से अधिक फायदेमंद साबित होता है। इसमें इलाज के लिए ऑपरेशन का सहारा नहीं लिया जाता और इसके साइडिफेक्ट्स भी कम हैं।

    कैसा होता है घुटने का लिगामेंट का यूनानी इलाज

    कैसा होता है घुटने का लिगामेंट का यूनानी इलाज

    घुटने का लिगामेंट का यूनानी इलाज यूनानी चिकित्सा पद्धति के सिद्धांतों के आधार पर किया जाता है। ये सिद्धांत हैं- अरकान (तत्व), मिज़ाज (तबीयत), अख़लात (स्वभाव), आज़ा (इन्द्रीय), अरवाह (आत्मा), कुवा (क्षमता) और अफ़ाल (कर्म)।
    इस चिकित्सा पद्धति के साक्ष्य सबसे पहले ग्रीस में पाए गए थे। भारत में अरबों द्वारा यह चिकित्सा पद्धति लाई गई। मुख्य तौर पर अब भारत में ही इस चिकित्सा पद्धति का उपयोग किया जाता है।

    यूनानी चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के बेहद करीब है। इसमें इलाज के लिए मुख्य तौर पर निम्न तकनीकों का उपयोग किया जाता है

    • इलाज-बिल-तदबीर (रेजीमेंटल थेरेपी):यह बेहद प्रसिद्ध यूनानी तकनीक है। प्राचीन समय से ही इसका उपयोग विभिन्न बीमारियों के इलाज में किया जाता रहा है। इसके माध्यम से शरीर से विषैल पदार्थों को बाहर निकालकर शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली को मज़बूती प्रदान करने का प्रयास किया जाता है। इसके लिए फ़सद (खून निकालना), अल-हिजाम (खिंचाव), तारीक (पसीना), हमाम (तुर्की स्नान), काई (उल्टी), रियाज़ (व्यायाम), दलक (मसाज) आदि तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है।
    • इलाज-बिल-दवा (फर्माकोथेरेपी): अन्य चिकित्सा पद्धति के मुकाबले यूनानी दवाएं प्रकृतिक तरीकों से बनाईं जाती हैं। ये दवाएं पौधों, जानवरों और खनिज पदार्थों से बनती हैं जो अपने नम, गर्म, ठंडे और सूखे मिजाज़ के अनुसार असर छोड़ती हैं।
    • इलाज-बिल-याद (सर्जरी): ज़रूरत पड़ने पर यूनानी चिकित्सा पद्धि में सर्जरी की सलाह भी दी जा सकती है। लेकिन ये सर्जरी बहुत बड़ी नहीं होतीं। आमतौर पर लिगामेंट इंजरी के लिए जर्जरी की आवश्यकता नहीं पड़ती।
    • इलाज-बिल-ग़िज़ा (डायटोथेरेपी): आयुर्वेद की तरह ही इस चिकित्सा पद्धति में भी डाइट का विशेष महत्व है। प्रभाविक अंग या लक्षणों के आधार पर ही डाइट चार्ट तैयार किया जाता है। उदाहरण के लिए लीवर कमज़ोर होने पर बकरे के लीवर को आहार में शामिल किया जा सकता है। लिगामेंट के कमज़ोर होने या उसमें चोट लगने पर घुटनों को मज़बूत बनाने वाले खाद्य पदार्थ खाने की सलाह दी जाती है।

    घुटने की लिगामेंट इंजरी के लिए कौन सी यूनानी तकनीक कारगर होगी यह समस्या के अंतर्निहित कारणों और उसके लक्षणों पर निर्भर करता है। लेकिन आमतौर पर लिगामेंट की चोट के लिए रेजीमेंटल थेरोपी और डायटोथेरेपी का उपयोग किया जाता है।

    घुटने का लिगामेंट का यूनानी इलाज संबंधी जड़ी बूटियां

    कई यूनानी जड़ी-बूटियां लिगामेंट की चोट के उपचार में मदद कर सकती हैं। ये जड़ी-बूटियां चोट के बाद की सूजन और दर्द को दूर करने में मदद करती हैं।

    • दालचीनी: दालचीनी सिनामोमुम नामक परिवार के पेड़ों की छाल से निकाला जाता है जो भारत, चीन और दक्षिण-पूर्वी एशिया में पाया जाता है। इसमें कई औषधीय गुण होते हैं। अपने एंटी-इंफ्लामेट्री गुण के कारण यह सूजन कम करने में मदद करता है व कोशिकाओं को नष्ट होने से बचाता है। इसके अलावा यह मधुमेह, कैंसर और मानसिक विकारों के उपचार में भी उपयोगी है।
      ऐसे करें इस्तेमाल: इसे आप अन्य मसालों की तरह ही अपने खाने में इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे खाना स्वादिष्टि तो होगा ही साथ ही आपको इसके औषधीय गुणों से फायदा भी मिलेगा।
    • अदरक: सूजन और दर्द से निजात पाने के लिए नॉन स्टेरॉयडेल एंटी-इंफ्लामेट्री दवाइयों के मुकाबले अदरक ज़्यादा बेहतर विकल्प है। इसके अलावा यह ब्लड शुगर को नियंत्रित करने, थकान दूर करने और हृदय संबंधी दिक्कतों को दूर करने में भी मदद करता है।
      ऐसे करें इस्तेमाल: लिगामेंट में चोट लगने पर आपको अदरक की चाय पीने से फायदा होगा। अदरक की चाय बनाने के लिए 1 लीटर पानी में थोड़ा ताज़ा अदरक, एक छोटा चम्मच ग्रीन टी, नींबू का रस और शहद मिलाकर उबाल लें। लिगामेंट में चोट के दौरान इसका नियमित रूप से सेवन करें।
    • आंवला: आंवले में विटामिन सी होता है जो कोलेजन के निर्माण में मदद करता है। यह एक तरह का प्रोटीन है जो ऊतको, मांसपेशियों, टेंडन और लिगामेंट के बनने में मदद करता है। इसके अलावा आंवले में एंटी-इंफ्लामेट्री गुण भी होते हैं जो चोट के बाद सूजन को बढ़ने से रोकते हैं। इससे सर्जरी करवाने की नौबत नहीं आती। इसके अलावा यह वज़न घटाने, हड्डियों को मज़बूत करने, रक्त साफ करने में मदद करता है और कोशिकाओं को नष्ट होने से बचाता है।
      ऐसे करें इस्तेमाल: आप आंवले का जूस पी सकते हैं या उसका मुरब्बा बनाकर खा सकते हैं।
    • हल्दी: यूनानी चिकित्सक हल्दी का प्रयोग प्राचीन समय से ही कई बीमारियों के उपचार में करते रहे हैं। यह सूजन दूर करने और शरीर से विषैल पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।
      ऐसे करें इस्तेमाल: गर्म दूध में 500 मिलीग्रीम हल्दी मिलाकर पीएं। इसके नियमित सेवन से लिगामेंट में चोट के बाद की सूजन कम करने में मदद मिलेगी और दर्द से निजात मिलेगा।
    • जीवन शैली में बदलाव संबंधी सलाह

      आयुर्वेद की तरह ही यूनानी चिकित्सा पद्धति में भी जीवन शैली में सुधार की सलाह दी जाती है। घुटने का लिगामेंट संबंधी चोट में आप निम्न नियमों का पालन कर सकते हैं

    • बर्फ लगाएं: चोट से प्रभावित क्षेत्र पर बर्फ लगाएं। आप चाहें तो बर्फ को सूती कपड़े में लपेटकर घुटने पर बांध भी सकते हैं। इससे सूजन दूर करने में मदद मिलेगी।
    • मसाज करें: प्रभावित क्षेत्र पर विभिन्न औषधीय तेलों से मसाज की जा सकती है। लेकिन चोट के तुरंत बाद मसाज न करें। चोट के ठीक होने के बाद घुटनों को मज़बूती प्रदान करने के लिए मसाज की जाती है। आपके लिए कौन सी मसाज फायदेमंद होगी इसके लिए फीज़ियोथेरेपिस्ट की सलाह ज़रूर लें।
    • गर्म स्नान: गर्म स्नान शरीर का उचित तापमान बनाए रखने और शरीर को ऊर्जा प्रदान करने में मदद करता है। गर्म स्नान से विषैल पदार्थों को बाहर निकालने और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी मदद मिलती है। साथ ही यह सूजन और दर्द से भी निजात दिलाता है।
    • नियमित व्यायाम: नियमित रूप से व्यायाम करने से आपकी मांसपेशियों, टेंडन और लिगामेंट में खिंचाव उत्पन्न होता है। इससे शरीर का लचीलापन बनाए रखने में मदद मिलती है। लचीली मांसपेशियों और लिगामेंट में चोट लगने की संभावना कम होती है।
    • उचित आहार: ज़िंक, कॉपर, प्रोटीन और विटामिन सी से भरपूर आहार का सेवन करें। इसके लिए आप अपने आहार में खट्टे फल, अनाज, दालें, सुअर, बकरे, मुर्गे, हरी पत्तेदार सब्ज़ियां आदि शामिल कर सकते हैं।

     

    डॉ नीतू

    • 6 Years of Experience
    • (BHMS)

    डॉ नीतू होम्योपैथी चिकित्सा से स्नातक हैं. इनके इलाज से घुटना दर्द के हज़ारों मरीज ठीक हुए हैं. इन्हें इस विधा में 5 साल का अनुभव है. होम्योपैथी को लेकर आम समझ यही है कि यह केवल मामूली बीमारियों के उपचार में ही कारगर है. इसके अलावा होम्योपैथी चिकित्सा के

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