आयुर्वेदिक से पाएं बिना ऑपरेशन लिगामेंट इंजरी का सफल इलाज

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    किसी को भी लिगामेंट में चोट लग सकती है। लेकिन अक्सर खिलाड़ियों को यह चोट अधिक लगती है। आमतौर पर घुटने पर घुमावदार ज़ोर पड़ने पर इस प्रकार की चोट लगती है। यह चोट बेहद दर्दनाक होती है जो दैनिक जीवन को बेहद कष्टदायक बना देती है।
    इस तरह की चोट बेहद गंभीर तो नहीं होती पर अगर समय पर उचित उपचार न किया जाए तो घुटने अधिक क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।

    आमतौर पर तीन तरह की लिगामेंट इंजरी होती है

    • एसीएल: सबसे ज़्यादा एंटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट में ही चोट लगती है। यह एक बेहद महत्वपूर्ण लिगामेंट है जो घुटने के जोड़ को स्थिरता प्रदान करता है। इस लिगामेंट में चोट लगने से सूजन, अकड़न और तीव्र दर्द की समस्या होती है।
    • एलसीएल: यह लिगामेंट किनारे से घुटने के मूवमेंट को कंट्रोल करता है। इसमें चोट लगने पर बेहद तीव्र दर्द होता है।
    • पीसीएल: पीसीएल टिबिया (घुटने के नीचे की हड्डी) को सहारा देता है। आमतौर पर बहुत बड़े एक्सीडेंट के कारण ही इस लिगामेंट में चोट लगती है।

    कैसा होता है घुटने का लिगामेंट का आयुर्वेदिक इलाज

    कैसा होता है घुटने का लिगामेंट का आयुर्वेदिक इलाज

    लिगामेंट का आयुर्वेदिक इलाज लिगामेंट की चोट में बेहद कारगर है। आयुर्वेद में इलाज के लिए विशेष पंचकर्म तकनीक का प्रयोग किया जाता है जो तनाव दूर कर आपको शारीरिक और मानसिक तौर पर स्वस्थ रखता है।
    लिगामेंट इंजरी में सर्जरी की बजाए आयुर्वेदिक इलाज से अधिक फायदा होता है। लिगामेंट की चोट का इलाज चार चरणों में किया जाता है

    • दर्द दूर करना: लिगामेंट की चोट का दर्द बेहद तीव्र होता है। सबसे पहले मरीज़ को दर्द से निजात दिलाने का प्रयास किया जाता है
    • लिगामेंट का इलाज: उसके बाद टूटे हुए लिगामेंट का इलाज किया जाता है जिससे कि घुटने फिर से अपना काम कर सके।
    • अक्षमता दूर करना: लिगामेंट में चोट लगने के बाद घुटने कमज़ोर हो जाते हैं। जोड़ों की स्थिरता बाधित होती है। चलने-फिरने और उठने-बैठने के लिए घुटने मोड़ने में तकलीफ होती है। इलाज के इस चरण में इस तरह की अक्षमता को दूर करने का प्रयास किया जाता है।
    • जोड़ों को मज़बूत करना: इलाज के आखिरी चरण में घुटने के जोड़ को मज़बूत बनाने का प्रयास किया जाता है जिससे फिर से चोट लगने की संभावना को कम किया जा सके।

    घुटने का लिगामेंट का आयुर्वेदिक इलाज संबंधी जड़ी-बूटियां

    1-हल्दी

    हल्दी एक बेहद महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक औषधी है। प्राचीन समय से ही कई बीमारियों के उपचार में इसका उपयोग होता रहा है। यह सूजन दूर करने और शरीर से विषैल पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।
    ऐसे करें इस्तेमाल: थोड़ा हल्दी और पानी लेकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को प्रभावित क्षेत्र पर लगाकर सूती कपड़े से बांध लें। इसे कुछ समय तक ऐसे ही रहने दें। खोलने के बाद गुनगुने पानी से धोएं। आप चाहें तो गर्म दूध में हल्दी डालकर भी पी सकते हैं।

    2-अदरक

    आयुर्वेद में लिगामेंट के उपचार के लिए अदरक के इस्तेमाल की सलाह दी गई है। इसमें एंटी-इंफ्लामेट्री गुण होते हैं इसलिए यह सूजन दूर करने में मदद करता है।
    ऐसे करें इस्तेमाल: इसका सेवन करने के लिए 1 लीटर पानी में थोड़ा ताज़ा अदरक, एक छोटा चम्मच ग्रीन टी, नींबू का रस और शहद मिलाकर उबाल लें। लिगामेंट की चोट के दौरान इसका नियमित रूप से सेवन करें।

    3-अरंडी

    अरंडी के तेल में फैटी-एसिड और रिकोनेलिक एसिड होता है जो सूजन दूर करने में मदद करते हैं। आयुर्वेद में सूजन दूर करने के लिए अरंडी के तेल से मसाज की जाती है। यह साइटिका, रूमेटाइड आर्थराइटिस, ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षणों को दूर करने में भी उपयोगी है।
    ऐसे करें इस्तेमाल: थोड़ी सी मात्रा में अरंडी का तेल लें। उससे घुटनों पर धीरे-धीरे मसाज करें। अब घुटने को सूती के कपड़े से ढक दें और उसके ऊपर हीटिंग बॉटल या कंबल रख दें। इसे 20-30 मिनट के लिए ऐसे ही छोड़ दें। दिन में 2-3 दफा ऐसा करें।

    4-सेंधा नमक

    सेंधा नमक में कई औषधीय गुण होते हैं। यह लिगामेंट की चोट से जल्दी उबरने में मदद करता है। यह मांसपेशियों में खिंचाव, रक्त-प्रवाह में वृद्धि करने और तनाव दूर करने में मदद करता है।
    ऐसे करें इस्तेमाल: नहाने के पानी में सेंधा नमक मिलाकर 20-30 मिनट के लिए स्नान करें। ध्यान रहे कि पानी गर्म हो।

    आयुर्वेद में घुटने के लिगामेंट का खान पान

    आयुर्वेद में इलाज के साथ-साथ उचित खान पान की सलाह भी दी जाती है। घुटने के लिगामेंट में चोट लगने पर लिगामेंट और मांसपेशियों को मज़बूती प्रदान करने वाले खाद्य पदार्थ खाने चाहिए। इसके लिए प्रोटीन, ज़िंक, कॉपर, विटामिन सी और ओमेगा-3 से भरपूर आहार का सेवन करें। हरी पत्तेदार सब्ज़ियां, खट्टे फल खाएं।
    लिगामेंट की चोट में अनानास का जूस बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है। अनानास में ब्रोमेलिन नाम का एंजाइम होता है जो सूजन और दर्द दूर करता है। साथ ही इसमें विटामिन सी भी होता है।

    जीवन शैली में बदलाव संबंधी सलाह

    आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में उचित खान पान के साथ जीवन शैली में सुधार की भी सलाह दी जाती है। जीवन शैली में बदलाव लाकर आप लिगामेंट में चोट की संभावना कम कर सकते हैं। इसके लिए आप निम्न नियमों का पालन कर सकते हैं:

    • टांगों को मज़बूती प्रदान करने वाले व्यायाम करें।
    • चोट के बाद तुरंत प्रभावित क्षेत्र पर ठंडी सिंकाई करें। इससे सूजन नहीं बढ़ेगी।
    • सही तरह से कूदें। कूदते वक्त घुटनों को सही दिशा में मोड़ने की तकनीक सीखें।
    • जब तक सूजन कम न हो तब तक चलने के लिए बैसाखी का उपयोग करें।
    • सूजन व दर्द दूर करने के लिए प्रभावित क्षेत्र पर थेरेपी की जा सकती है। लेकिन इसके लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।
    • नियमित योग के ज़रिए आप अपनी मांसपेशियों, टेंडन और लिगामेंट को मज़बूत कर सकते हैं। इससे शरीर का लचीलापन और उचित वज़न बनाए रखने में भी मदद मिलती है। वृक्षासन, बालासन, अर्ध कपोतासन, पद्मासन, वीरभद्रासन आदि लिगामेंट को मज़बूती प्रदान करते हैं।

    डॉ नीतू

    • 6 Years of Experience
    • (BHMS)

    डॉ नीतू होम्योपैथी चिकित्सा से स्नातक हैं. इनके इलाज से घुटना दर्द के हज़ारों मरीज ठीक हुए हैं. इन्हें इस विधा में 5 साल का अनुभव है. होम्योपैथी को लेकर आम समझ यही है कि यह केवल मामूली बीमारियों के उपचार में ही कारगर है. इसके अलावा होम्योपैथी चिकित्सा के

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