रीढ़ की हड्डी में टेढ़ेपन के कारण
रीढ़ की हड्डी में टेढ़ेपन का कोई निश्चित कारण नहीं होता। अक्सर ये बीमारी 10 से 12 वर्ष के बच्चों में होती है। तो आज हम आपको रीढ़ की हड्डी में टेढ़ेपन के कुछ संभव कारण बताने जा रहे हैं जो इस प्रकार हैं-
- हड्डियों का विकसित ना होना- रीढ़ की हड्डी में टेढ़ापन होने का एक कारण हड्डियों का पूरी तरह विकसित ना होना है। जब रीढ़ की हड्डियों का पूरा विकास नहीं हो पाता तो इस स्थिति में रीढ़ की हड्डी टेढ़ी हो जाती है।
- लकवा का आक्रमण- लकवा भी रीढ़ की हड्डी में दर्द का एक सामान्य कारण है। क्योंकि पैरालिसिस के प्रभाव के कारण शरीर के अंग व उसकी प्रतिक्रियाएं बोलने और महसूस करने की क्षमता खो देती हैं। जिसके कारण रीढ़ की हड्डी में टेढ़ापन आ जाता है।
- पैरों की लंबाई में अंतर होना- यदि व्यक्ति के दोनों टांगों की लंबाई एक दूसरे से छोटी है तो ये रीढ़ की हड्डी में टेढ़ापन का कारण बन सकता है।
- अनुवंशिकता भी है वजह- यदि आपके वसंजों में रीढ़ की हड्डी में टेढ़ेपन की शिकायत है तो निश्चय ही ये समस्या आपको भी हो सकती है।
- गिर जाने के कारण- अचानक से कूल्हों के बल गिर जाने कारण भी रीढ़ की हड्डी में परेशानी हो सकती है। क्योंकि अचानक ज़ोर से गिरने के कारण रीढ़ की हड्डी में चोट आ जाती है। जिसके बाद हड्डी में असहनिय दर्द होता है। और इसे नज़रअंदाज़ करना रीढ़ की हड्डी में टेढ़ापन होने का कारण बन सकता है।
रीढ़ की हड्डी में टेढ़ेपन के लक्षण
रीढ़ की हड्डी पूरे शरीर को संतुलित करने का काम करती है। ऐसे में इनमें ही किसी तरह की समस्या हो जाए तो आपका शरीर काम करना बंद कर देता है। यदि आपके रीढ़ की हड्डी में भी टेढ़ेपन की शिकायत है तो सबसे पहले इसके लक्षण को पहचानना बहुत ज़रूरी है।
- तो आइए जानते हैं रीढ़ की हड्डी में टेढ़ेपन के क्या लक्षण हैं।
- इस स्थिति में व्यक्ति के पीठ पर कूबड़ सा बन जाता है।
- खड़े होने या चलने में रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से में दर्द महसूस होना।
- उठने-बैठने और लेटने आदि में परेशानियों का सामना करना।
- बच्चे के दोनों पैरों के बीच फासला होना।
- कमर में दर्द होना व लगातार थकान महसूस होना।
रीढ़ की हड्डी में टेढ़ेपन का एलोपैथी उपचार
रीढ़ की हड्डी में टेढ़ापन होना एक ऐसी समस्या है। जो 12 से 15 साल तक बच्चों को ज़्यादा प्रभावित करती है। क्योंकि ये बीमारी जन्मजात होती है। जिसका पता समय के साथ लगता है। यदी बचपन में ही आपको इस बीमारी का पता लग जाता है तो अपने बच्चे को डॉक्टर से ज़रूर दिखाएं। अन्यथा समय बीतने के बाद ऑपरेशन की स्थिति आ सकती है। और अगर बचपन में ही इस पर ध्यान दिया जाए तो एलोपैथी चिकित्सक की मदद से मामूली उपचारों द्वारा ही इसे ठीक किया जा सकता है। क्योंकि इन सभी रोगों के लिए एलोपैथी उपचार संजीवनी बूटी का काम करती है।
रीढ़ की हड्डी में टेढ़ेपन का होम्योपैथी उपचार
होम्योपैथी दवाइयों का एक अलग ही महत्व है। ये अपना असर दिखाने में काफ़ी समय तो लेती है लेकिन बीमारी को हमेशा के लिए आपसे दूर कर देती है। ये एक सुरक्षित और सौम्य चिकित्सा प्रणाली है जो बिना किसी दर्द व पीड़ा के बीमारियों का प्रभावी इलाज करती है। इसका शरीर पर किसी भी प्रकार का कोई दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ता है।
होम्योपैथी दवाइयों को प्राकृतिक तत्व मिलाकर तैयार किया जाता है। जिसके सेवन के समय मछली और खट्टी चीज़े आदि को आहार में शामिल नहीं करना चाहिए।
रीढ़ की हड्डी में दर्द का यूनानी उपचार
प्राचीन काल से ही यूनानी दवाइयों का महत्व अधिक रहा है। ये आयुर्वेदिक दवाइयों की तरह ही काम करती है। जो रोग का इलाज करने के बजाय बीमारी को जड़ से खत्म करने पर जोर डालती है। इन दवाइयों को विशेष तरह की औषधियों को मिलाकार बनाया जाता है। जो हड्डी में दर्द, तनाव, व रीढ़ की हड्डी में टेढ़ेपन को खत्म करने का एक अचूक उपचार है। इन दवाइयों के सेवन के समय तली-भूनी, मिर्च मसाले, या बाज़ार की किसी भी ऐसे खाने को खाने से बचना चाहिए जिससे गैस बनती हो। क्योंकि यदि आपके पेट में गैस की समस्या रहेगी तो यूनानी दवाइयां आपकी बीमारी में बिल्कुल भी असर नहीं दिखाएंगी।
रीढ़ की हड्डी में टेढ़ेपन का आयुर्वेदिक इलाज
आजकल के इस एलोपैथी दवाइयों के युग में भी लोग आयुर्वेदिक दवाइयों पर ज़्यादा भरोसा रखते हैं। क्योंकि अक्सर हमने सुना है कि आयुर्वेदिक दवाइयां कभी भी कोई नुकसान नहीं पहुंचाती हैं। और लंबे समय तक शरीर में इसका असर बना रहता है। यही कारण है कि आयुर्वेदिक उपचार पर लोगो का ज़्यादा भरोसा है। लेकिन यदि आपको इन दवाइयों के सेवन के नियम नहीं मालूम हैं तो यही भरोसेमंद उपचार आपके लिए खतरा साबित हो सकती है। अगर आप आयुर्वेदिक दवाइयों के सेवन के नियमों से अनजान हैं तो आपको बता दें कि इनके सेवन के लिए आयुर्वेदाचार्यों द्वारा कुछ नियम बनाए गए हैं। जैसे दिन के समय भोजन, शाम के समय भोजन, सूर्योदय के समय और रात में इन दवाइयों को लेने का सही समय तय किया गया है। इन नियमों को ध्यान में रखकर आप आयुर्वेदिक उपचार का सहारा ले सकते हैं।
रीढ़ की हड्डी में टेढ़ेपन का घरेलू उपचार
यदि आपके रीढ़ की हड्डी में टेढ़ापन है तो इसके लिए एलोपैथी उपचार ही एक बेहतर विकल्प है। लेकिन यदि आपकी रीढ़ की हड्डी में टेढ़ेपन के कारण दर्द की शिकायत रहती है तो ऐसे में कुछ प्रभावी घरेलू उपचारों की मदद से इसे ठीक किया जा सकता है। और इसका आपके शरीर पर कोई गलत प्रभाव भी नहीं पड़ता है। तो आज हम आपको रीढ़ की हड्डी में दर्द से आराम पाने के कुछ घरेलू उपचार बताने जा रहे हैं जिसके इस्तेमाल से आप रीढ़ की हड्डी में दर्द से छुटकारा पा सकते हैं। तो आइए जानते हैं।
- नरम गद्दों पर सोएं- रीढ़ की हड्डी में टेढ़ेपन से बचने व दर्द में आराम पाने के लिए नरम गद्दे पर सोएं। क्योंकि सख्त बिस्तर पर सोने के कारण रीढ़ की हड्डियां अकड़ जाती हैं। जिसके कारण दर्द होता है।
- गर्म तेल की मालिश- गर्म तेल की मालिश से किसी भी तरह का दर्द हो आराम मिल जाता है। ऐसे में सरसों के तेल में कुछ लहसुन की कलियां डालकर उसे पका लें। अब किसी की सहायता से पूरे पीठ की मालिश करें। निश्चय ही आपको दर्द में आराम मिलेगा।
- बर्फ से सिकाई करें- बर्फ के सेक से दर्द में काफ़ी आराम मिलता है। क्योंकि ये हड्डियों के तनाव को दूर करके दर्द में आराम दिलाता है। इसके लिए सूती कपड़े में कुछ बर्फ के टुकड़े को डालकर रीढ़ की हड्डी की सिकाई करें। ऐसा करने से आपको दर्द में राहत मिलेगा।
रीढ़ की हड्डी में टेढ़ापन होने से पहले सावधानियां
आपने देखा होगा की कई बच्चों की रीढ़ की हड्डी डेढ़ी होती है। इसके होने के कई कारण होते हैं जैसे अगर परिवार में किसी को ये समस्या है तो आने वाला बच्चा भी इस बीमारी का शिकार हो सकता है। गर्भावस्था में उठने-बैठने में सावधानियों का ध्यान ना रखना भी आपके बच्चे को कूबड़ से प्रभावित कर सकता है। तो आज हम आपको रीढ़ की हड्डी में टेढ़ेपन से बचने के कुछ सावधानियां बताने जा रहे हैं जिसका ध्यान रखकर आप इस रोग के शिकार होने से बच सकते हैं। तो आइए जानते हैं।
- गर्भावस्था में आगे की तरफ़ झुककर कोई भी काम ना करें।
- भारी वज़न उठाने से बचें।
- कमर को स्पोर्ट देकर बैठें।
- विटामिन-डी युक्त पदार्थों का सेवन करें।
- दौड़ते-भागते व खेलते समय सावधानी बरतें।
रीढ़ की हड्डी में टेढ़ापन होने के बाद रोकथाम
यदि आपकी रीढ़ की हड्डी टेढ़ी हो गई है और तमाम उपचारों के बावज़ूद भी ये ठीक होने का नाम नहीं ले रहा है तो ऐसे में आपको कुछ रोकथाम करने की ज़रूरत है। तो आइए जानते हैं कैसे आप कुछ परहेजों के साथ इस बीमारी को जल्द ठीक कर सकते हैं।
- कभी भी सोने के लिए सख्त गद्दों का इस्तेमाल ना करें।
- शारीरिक, मानसिक तनाव से बचें।
- धूम्रपान करने से बचें।
- शरीर का स्वस्थ भार बनाए रखें।
- तैरना, झूकना, साइकल चलाना जैसी गतिविधियां कम करें।
रीढ़ की हड्डी में टेढ़ेपन से बचने के कुछ योग
योग हर रोग की दवा है। यदि आप भी रीढ़ की हड्डी में टेढ़ेपन व नसों में खिंचाव संबंधी किसी समस्या से झूझ रहे हैं तो ऐसे में योग ही आपका सच्छा साथी है। तो आइए जानते हैं रीढ़ की हड्डी को स्वस्थ रखने के कुछ आसान योग।
- धनुरासन- इस आसन को करने के लिए पेट के बल लेट जाएं और बाजुओं को शरीर के पास ही रखें। अब दोनों टांगों को मोड़कर टखनों को हाथों से पकड़ लें। और धनुष का शेप बना लें। ऐसा करते समय नाभी को ज़मीन के समांतर रखें। शरीर के अगले हिस्से को उठाकर ऊपर की तरफ़ देखें। इस आसन से रीढ़ की हड्डियों में लचीलापन आता है।
- भुजंगासन- इस आसन को करने के लिए सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं और माथे को ज़मीन पर टिका कर रखें। धर के आगे वाले हिस्से को पिछे की ओर खिंचे। इस अवस्था में सांस लेते व छोड़ते रहें। ऐसा करने से रीढ़ की हड्डियां सशक्त बनाती हैं।
- अर्धमत्स्येन्द्रासन- इसे करने के लिए टांगों को सीधे रखकर बैठ जायें। दायें पैर के तलवे को बायें घुटने के बाहर की तरफ़ रखें। दूसरे पैरों के साथ भी ऐसा ही करें। अब अपने धड़ को दायीं ओर मोड़ने की कोशिश करें। दायां बाजू पीठ के ऊपर रखें और दायें कंधे के ऊपर से देखें। ऐसा करने से कूल्हों की गतिशीलता बढ़ती है। साथ ही टेढ़ी हड्डियों की शिकायत भी दूर होती है।
- उष्ट्रासन- उष्ट्रासन करने के लिए घुटनों के बल बैठकर पंजों को खड़ा कर लें। अब हाथों को घुमाकर एड़ियों को छूने की कोशिश करें। इस अवस्था में संतुलन के साथ सांस ले और गर्दन को नीचे झुकाकर रखें। इस आसन को नियमित रूप से करने से रीढ़ में टेढ़ेपन की समस्या दूर होती है।
रीढ़ की हड्डी में टेढ़ेपन के लिए खानपान
शरीर के आधे रोग गलत खानपान के कारण होते हैं। यदि आप भी रीढ़ की हड्डी में टेढ़ेपन के शिकार हैं और इसका इलाज करवा रहे हैं तो ऐसे में आपको कुछ खानपान का ध्यान रखना ज़रूरी है। तो आज हम आपको बताएंगे कि इस रोग में किस तरह का भोजन करना चाहिए। तो आइए जानते हैं।
क्या खाएं-
- अपने आहार में हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे साग, ब्रोकली, और गोभी आदि को शामिल करें।
- लहसुन प्याज़ में सल्फर के गुण होते हैं। जो हड्डियों को मजबूत करने में मदद करते हैं। तो अपने आहार में प्याज़ व लहसुन आदि को शामिल करें।
- दूध में कैल्शियम, विटामिन-डी, प्रोटीन और पोटेशियम पाया जाता है। जो हड्डियों के लिए बहुत फायदेमंद हैं।
क्या ना खाएं-
- हाई प्रोटीन वाले मांस का सेवन करने से बचें।
- कोल्ड ड्रिंक और चाय कॉफी आदि ना पिएं
- बाज़ार का खाना-खाने से बचें।
यदि आप भी रीढ़ की हड्डी के टेढ़ेपन से परेशान हैं तो ऐसे में ऊपर बताई गई बातों का ध्यान रखना बिल्कुल ना भूलें।