एड़ी दर्द/ एडियों का फटना सम्बंधित प्रमुख जटिलतायें
सामान्य से दिखने वाला एड़ी का दर्द किस वजह से हो रहा है यह जानना बेहद आवश्यक होता है। अक्सर इंसान किसी भी चोट या मोच की स्थिति को नजर अंदाज कर देता है। कभी कभार यही चोट बेहद परेशानी का सबब बन जाती है। चोट या एड़ी में किसी चीज के चुभने के बाद हम हल्का सा उपाय कर उसे यह सोचकर छोड़ देते हैं कि यह तो खुद ही सही हो जाएगा। दरअसल चोट के दौरान कभी कभी नर्म ऊतकों सहित हड्डियों की पिंडलियों में आंतरिक रक्तस्राव हो जाता है। इस बाबत हल्की मसाज या सिंकाई के बाद समस्या सामान्य हो जाती है। समस्या सामान्य तो हो जाती है लेकिन आगे चलकर उत्तकों की यही क्षति या संक्रमण भारी पड़ जाता है। यह अक्सर गुरखुल या फिर एड़ियों के फटने के तौर पर दिखाई देता है। एड़ियों का फटना एक बड़ी समस्या तो नही है लेकिन इलाज के अभाव में यह नासूर भी बन सकता है। एड़ियो के फटनी किसी भी मौसम में दर्द हो सकता है। यह स्थिति कभी कभार गठिया या फिर अर्थराइटिस की वजह तो होती है साथ ही कई बार विटामिन डी की कमी भी इसकी विसंगतियों को बढ़ाने का कार्य करती है। मधुमेह सहित अनकंट्रोल वजन तो हड्डियों को गलाता ही है बल्कि कई बार तनाव और अनिद्रा शरीर को भारी नुकसान पहुंचाने का काम करती है। एड़ी दर्द का इलाज के लिए हमेशा कुछ सावधानियां अपनाकर निरोगी रहा जा सकता है।
एड़ी दर्द और ऐलोपैथिक से उपचार
एड़ी का दर्द उपचार की फौरी राहत देने वाली दवा एलोपैथी आधुनिक दौर में एक बेहतर विकल्प के रूप में दुनिया के सामने है। दुनिया का यह इकलौता ऐसा उपचार माध्यम है जो दर्द को तुरंत काम कर राहत प्रदान करता है। एड़ी का दर्द क्यों और किस वजह से हो रहा है यह जानने के लिए चिकित्सक कुछ दवाओं जैसे पेन किलर आदि सेवन के लिए देता है। हालांकि यह बेहद प्रारंभिक उपचार होता है। यदि इससे दर्द कम नही हो रहा है तब कुछ टेस्ट के लिए कहा जा सकता है। यह टेस्ट एक्सरे से लेकर खून जांच के नमूने तक हो सकते हैं। जांच के उपरांत मरीज की स्थिति के आधार पर दवाएं सेवन के लिए दी जाती हैं। कई बार पेन किलर स्प्रे के साथ क्रीम और जेल लगाने की भी सलाह दी जाती है। कई बार तो गठिया या अर्थराइटिस जैसे जटिल रोगों की वजह से शल्य चिकित्सा जैसी कष्टकारी दौर से भी दो चार होना पड़ता है। वैसे एड़ी दर्द के उपचार में एलोपैथिक दवाओं का सेवन काफी महत्वपूर्ण होता है। यह शरीर में असर तो करता ही है साथ ही तत्कालीन परिणाम भी देता है। तात्कालिक राहत देने के साथ ही लंबे समय तक इन दवाओं का असर बना रहता है। उपचार की इस विधा से जीवन में सालों तक असाध्य हड्डी के रोगों पर संतुलन पाया जा सकता है। आज के दौर मवन दुनिया के बड़े हिस्से पर आधुनिक दवाओं का आधिपत्य है। इन दवाओं का तुरंत असर तो होता ही है बल्कि इससे संबंधित कई जटिलतायें इंसान को भविष्य में भारी नुकसान पहुंचा सकती है। हालांकि इस उपचार माध्यम में अन्य विधाओं की तरह ज्यादा परहेज करने की आवश्यकता नही होती।
एड़ी दर्द और ऐलोपैथिक उपचार संबंधित जटिलतायें।
एड़ी का दर्द एलोपैथिक दवा वास्तव में बेहद कम की चीज है। यह पिंडलियों की सूजन सहित ऊतकों की क्षति को तुरंत भरने का काम तो करती ही है बल्कि तुरंत राहत भी पहुंचाती है। एड़ी दर्द में इन दवाओं का जितनी तेजी से असर होता है इनका साइड इफेक्ट भी उतना तेजी से ही असर करता है। एलोपैथिक दवाओं से सम्बंधित के तरह की जटिलतायें सामने आती हैं। एंटीबायोटिक दवाओं के लगातार सेवन से शरीर की हड्डियों पर असर तो पड़ता है है बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर होने लगती है। कई प्रकार की स्किन एलर्जी से लेकर आंखों की रोशनी पर भी इन दवाओं का सीधा असर पड़ता है। सबसे खास बात यह होती है कि बिना चिकित्सक की सलाह के हल्का सा भी दर्द होने पर दवाओं का सेवन काफी नुकसान पहुंचा सकता है। इंसान की यही आदतें उसे काफी खतरनाक स्थिति में पहुंचा देती हैं। दवाओं का सेवन किसी पंजीकृत चिकित्सक की सलाह पर ही करें। इसके साथ ही आहार और जीवनशैली की गुणवत्ता में सुधार लाने की कोशिश करनी चाहिए।