रीढ़ की हड्डियों से संबंधित प्रमुख जटिलताएं।
रीढ़ को हड्डी में दर्द हल्की मोच या चोट की वजह से हो सकता है। आमतौर पर झुककर बैठने या खड़े होने की आदत भी कई बार इंसान को बेहद कष्ट पहुंचा सकती है। इंसानी हड्डियों के विकास में यही आदतें रोड़ा बन जाती है। हड्डियों के जोड़ों में संक्रमण हो या लिगमेंट में सूजन हर स्थिति में नर्म ऊतकों का क्षय होना स्वाभाविक माना जाता है। फ्लूड की कमी या सूखने की वजह से जोड़ों में व्याप्त गठिया या अर्थराइटिस रोग भी कई बार तकलीफ का बड़ा कारण बनते हैं। रीढ़ की हड्डियों के रोग वास्तव में कई बार न्यूरोलॉजी या मानसिक परेशानी की वजह बन जाते हैं। रीढ़ के संक्रमण के वजह से दिमाग काम करना भी बंद कर सकता है क्योंकि इसकी वजह से मस्तिष्क की तरंग सही से सूचना का आदान प्रदान नही कर पाती है। रीढ़ में ट्यूमर या गांठ की वजह से अक्सर ट्यूबरक्लोसिस जैसी गंभीर बीमारी का खतरा बना रहता है। वैसे मोटापा और मधुमेह जहां शरीर को बेहद नुकसान पहुंचाते हैं तो दूसरी तरफ आनुवांशिक कारणों की वजह से होने वाला रीढ़ का रोग मानव जीवन को गुणवत्ता को बेहद प्रभावित कर सकता है।
रीढ़ के दर्द का उपचार में यूनानी दवाओं के लाभ।
रीढ़ की हड्डी दर्द की यूनानी दवा वास्तव में बेहद लाभ पहुंचाने का काम करती है। रीढ़ में हुई किसी भी परेशानी में हर्बल आधारित इन दवाओं का असर थोड़ा कम तेजी शरीर पर होता है लेकिन बेहद सटीक होता है। महिला या पुरुष बूढ़े बुजुर्ग या युवा सहित किसी भी लिंग उम्र वाले इंसानी क्या में दर्द अलग अलग कारणों की वजह से हो सकता है। यदि दर्द हल्की चोट या मोच की वजह से हो रहा हो तो हकीम उसके लिए कुछ मलहम लगाने की सलाह देते हैं। मलहम लगाने के साथ ही कुछ प्राकृतिक दवाओं के सेवन की सलाह दी जाती है जो दर्द में राहत देकर मानसिक संतुष्टि प्रदान कर सके। गठिया या अर्थराइटिस को वजह से रीढ़ में उठ रहे दर्द में हकीम के तरह के सुरंजन के सेवन की सलाह दे सकते है जिनका निर्माण दुर्लभ जड़ी बूटियों से होता है। इसके साथ ही इस तरह के रोगों पर नियंत्रण पाने के लिए कई तरह के परहेज की भी सलाह दी जाती है। परहेज के साथ ही यह भी बताया जाता है कि किस समय और कितनी मात्रा में औषधि का सेवन करना है। यह बात मरीज की उम्र और वजन पर आधारित होती है वर्गीकरण होता है कि किस मरीज को कितना मात्रा में किसी दवा का प्रयोग करना है। इस तरह से परहेज में लाल मिर्च, गरम मसाला, अधिक खट्टा और जंक फूड पर विराम लगाने जी सलाह दी जाती है। पीठ का दर्द होने की वजह से हो रहे दर्द में अवशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकलने वाली एंटीऑक्सीडेंट दवाओं के सेवन की सलाह दी जाती है। एक स्वास्थ्य सर्वे की माने तो पता चलता है कि दुनिया के हजारों मरीज हर साल यूनानी दवाओं का सेवन कर रीढ़ जैसे रोग की समस्याओं से निजात प्राप्त करते हैं। वैसे यदि दर्द के दौरानं तुरंत राहत की जरूरत हो तब इन दवाओं का शरीर पर कोई भी असर नही होता हालांकि लंबे समय तक उपचार काफी राहत दिला सकता है।
रीढ़ की हड्डी दर्द में यूनानी दवाओं संबंधित जटिलतायें।
रीढ़ के रोग में यूनानी वास्तव में एक बेहतरीन विकल्प के रूप में दुनिया के सामने है। आए दिन लगातर हो रहे नए आविष्कार इस विधा को एक नई ऊँचाई तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं। यूनानी में बनी दवाएं वैसे तो हर्बल विधा ओर आधारित होती हैं और इनका किसी तरह का कोई साइड इफेक्ट भी नही होता। लेकिन यूनानी उपचार और दवाओं को प्रयोग करने के लिए कई सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। जब भी मरीज यूनानी दवा का सेवन आरम्भ करें अपने पुरानी रोग से संबंधित इलाज या उपचार को चिकित्सक को जरूर बताएं। यूनानी उपचार की दवाओं के सेवन के साथ किसी अन्य उपचार माध्यम की दवाओं का सेवन जीवन के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। यूनानी और ऐलोपैथिक या होम्योपैथी दवाओं के आपसी अभिक्रिया करने से शरीर को नुकसान होने की संभावना बनी रहती है। इसलिए यदि चिकित्सा के दौरान फौरी राहत की दवाई खाने की आवश्यकता पड़े तो दोनों दवाओं के बीच कम से कम 4 घंटे का अंतर रखें या चिकित्सक की सलाह से दवाओं का सेवन करें। इसके साथ ही मरीज को कई तरह के परहेज जानने की जरूरत के साथ अपनाने की भी आवश्यकता होती है। यदि यूनानी दवाओं के साथ परहेज ना अपनाये जाएं तो दवाओं का असर शरीर पर ना के बराबर होता है। धूम्रपान या मदिरापान को छोड़ने की भी जरूरत होती है। नशे की लत की वजह से भी इस तरह की समस्याओं को होते देखा जाता है। शराब के सेवन ओर यूनानी की दवाओं का सेवन साथ करना बेहद घातक साबित हो सकता है। कोशिश करें जी गर्मियों के मौसम में दवा के साथ पानी की मात्रा की कमी शरीर को ना होने दें। दर्द बढ़ने पर चिकित्सकीय परामर्श से दवाओं का सेवन करें।