रीढ़ के दर्द संबंधित प्रमुख जटिलतायें
रीढ़ के रोग वैसे तो बेहद सामान्य होते हैं लेकिन कई बार इनके स्वरूप में परिवर्तन जानलेवा साबित हो जाता है। एक सामान्य चोट या मोच के दौरान बेहद सावधानी से इलाज या उपचार की आवश्यकता होती है। यदि चोट गहराई तकलग जाए तो कई बार स्पाइनल कॉर्ड को भी प्रभावित कर सकती है। लिगामेंट में सूजन के साथ नर्म ऊतकों में संक्रमण और मज्जा में मौजूद द्रव के सूखने के चलते कई तरह के संक्रमण के फैलने का खतरा बढ़ जाता है। वास्तव में अनुवांशिक रोग जीवन को प्रभावित करते हैं लेकिन किसी भी चोट की अनदेखी उससे ज्यादा खतरनाक साबित हो सकती है। एक स्वास्थ्य सर्वे के मुताबिक भारत में घरेलू काम करने वाली 30 से 50 साल की करीब 50 फीसदी महिलाएं रीढ़ के रोगों की जटिलताओं से खास तौर पर बेहद प्रभावित होती हैं। कुपोषण से शरीर में कैल्शियम और विटामिन डी की कमी का होना भी एक बड़ा स्वास्थ्य मुद्दा है लेकिन खानपान और जीवनशैली में लगातार परिवर्तन इंसान के हड्डियों के लिए अनदेखे घुन का काम करता है।
एलोपैथी दवा का रीढ़ की हड्डी दर्द में लाभ।
रीढ़ की हड्डी दर्द का एलोपैथी दवा वास्तव में लाभदायक होती है। यह ऐसी उपचार पद्धति है जो बड़े से बड़ा दर्द सेकण्ड्स में दूर कर देता है वजह चाहे जो भी हो। रीढ़ के रोग में रोगी को डॉक्टर कई तरह की दवाओं के सेवन की सलाह दे सकता है। दवाओं में पेनकिलर के साथ एंटीबायोटिक ओर एंटीऑक्सीडेंट भी शामिल किया जा सकता है। एन्टी अलर्जी द्वता के इस्तेमाल से लेकर पेनकिलर ट्यूब ओर स्प्रे लगाने की सलाह भी दी जा सकती है। कोई भी पंजीकृत चिकित्सक कभी भी रोगों की वजह को सही से समझे बगैर किसी भी तरह की दवा का सुझाव नही देते। यदि हल्की चोट की वजह से दर्द हो रहा हो तो महज स्प्रे या ट्यूब मालिश की सलाह दी जाती है जो दर्द को समाप्त करने का काम करते हैं। रीढ़ में दर्द के दौरान कुछ पेन किलर दवाओं से आरंभिक उपचार करने की सलाह दी जा सकती है वह भी मरीज ई मौके पर उम्र और स्थिति के अनुरूप। ट्यूबरक्लोसिस या फिर हड्डियों से जुड़े जटिल रोगों की आशंका होने पर एक्सरे के साथ बायो स्कोपी या खून के नमूनों को जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा जा सकता है। जांच के उपरांत आए परिणामों के बाद रोग के अनुरूप दवाओं के सेवन की सलाह दी जा सकती है। लंबे समय तक दवाओं की मदद से इंसान दर्द से छुटकारा प्राप्त कर सकता है। इस पद्धति में इलाज का आखिरी विकल्प शल्य चिकित्सा होती है जो अक्सर सफल साबित हो जाती है। शल्य चिकित्सा के दौरान खराब हो चुके नर्म ऊतकों को साफ कर नए ऊतकों के निर्माण का कार्य किया जाता है। कई बार यह देखा गया है कि शल्य चिकित्सा रीढ़ के हड्डियों के रोगों के मामलों में ज्यादा सफल नही साबित हो पाती। यह एक बेहद जटिल स्थिति हो सकती है। बीमार व्यक्ति एलोपैथ दवाओं के सहारे लंबे समय तक अपने पैरों के बल पर रहकर अपनी क्रिया निपटा सकता है। अक्सर देखा जाता है कि एलोपैथी विधा में कई बार रीढ़ की हड्डियों का ऑपरेशन किया जाता है हालांकि यह काफी पेनफुल और खर्चीला साबित होता है। चिकित्सक की कोशिश हमेशा यह रहती है कि दवाओं के द्वारा ही मरीज को समुचित उपचार मुहैया कराया जा सके।
रीढ़ की हड्डी का दर्द एलोपैथी दवा के नुकसान/जरूरी सुझाव।
रीढ़ की हड्डी का दर्द एलोपैथी दवा वास्तव में दुनिया का ऐसा उपचार माध्यम है जो दर्द को चुटकियों में दूर कर सकता है। दुनिया की इकलौती उपचार विधा एलोपैथ ही बड़े से बड़े दर्द को देखते ही देखते दूर कर सकती है। वास्तव में यह दवा जितनी तेजी से शरीर पर असर दिखाना शुरू करती है उतनी तेजी से इसके कई साइड इफेक्ट भी होते हैं। एंटीबायोटिक दवाओं का दुष्प्रभाव इतना ज्यादा हो सकता है कि कई आंतरिक बीमारी भी जो सकती है। इन दवाओं की एलर्जी का असर शरीर के किस भी अंग पर देखा जा सकता है। एलोपैथी दवाओं का ओवरडोज बेहद नुकसान पहुंचा सकता है। ओवरडोज से शरीर के कई आंतरिक अंग काम करना बंद कर सकते हैं जिनसे इंसान का जीवन संकट में भी आ सकता है। इस उपचार माध्यम की दवा के साथ किसी अन्य उपचार माध्यम की दवाओं का सेवन शरीर में अभिक्रिया कर संकट में डाल सकता है। जब भी आपको दर्द महसूस हो तब बिना चिकित्सक की सलाह के पेनकिलर का प्रयोग ना करें। हर बार चिकित्सक की सलाह से ही दवाओं का सेवन सुनिश्चित ।