एड़ी का दर्द कारण और जटिलताएं।
एड़ी शरीर का ऐसा हिस्सा है जिस पर खड़े होने पर सारा वजन आ जाता है। हड्डियों के इस जोड़ से कूल्हा सीधे तौर पर जुड़ा होता है। कुल्हे की हड्डी के साथ ही हृदय और अंडकोश से भी इसका संबंध होता है। इसमें लगी चोट कई बार जांघों के बीच स्थित मध्यभाग में सूजन पैदा कर देती है। वैसे एड़ी का दर्द बहुत सामान्य होता है जो हल्की चोट या मोच के दौरान दिखाई देता है। कई बार आंतरिक रोगों के चलते यह तकलीफ काफी जटिल हो जाती है। जटिलतायें कुछ इस कदर बढ़ती हैं कि इंसान चलने फिरने में भी सक्षम नही रह जाता। मधुमेह जहां हड्डियों के रोगों का घुन माना जाता है तो वहीं मोटापा हड्डियों का सबसे बड़ा दुश्मन होता है। मोटापा बढ़ने के साथ ही शरीर में कई तरह की समस्याओं का होना शुरू होने लगता है। सामान्य तौर ओर रकतचाप से संबंधित विकार मोटापे के कारण ज्यादा देखे जाते हैं। इस तरह की समस्याओं से हड्डियों का गलना या कमजोर होना स्वाभाविक हो जाता है। विटामिन डी या फिर शरीर में कैल्शियम की कमी से कई तरह के हड्डी रोगों के होने का खतरा बना रहता है। हमारे शरीर की हड्डियों का निर्माण कैल्शियम से मिलकर ही बना होता है।
एड़ी दर्द और होम्योपैथी के फायदे
एड़ी दर्द का इलाज के लिए होम्योपैथी का अपना अलग ही महत्त्व है. होम्योपैथी दवाओं के द्वारा अक्सर कई तरह की एलर्जी को जड़ से समाप्त करने का दावा किया जाता रहा है. एड़ी की समस्या हो जाने पर चिकित्सक सबसे पहले मरीज की उम्र और उसकी वास्तु स्थति समझता है। चिकित्सक रोगी के पुरानी चिकित्स्कीय स्थिति के बारे में भी पूछ सकता है। यदि दर्द सामान्य चोट या है तो कुछ दवाएं खाने के लिए चिकित्सक सलाह दे सकता है। मांशपेशियों के खिंचाव अथवा लिगामेंट में सूजन के चलते कभी कभार आंतरिक श्राव की स्थति भी सामने आ जाती है. इस अवस्था में सामान्य तरीके से कुछ दिन दवा खाने से दर्द में आराम प्राप्त हो जाता है. कई बार स्थिति जटिल रोगों की वजह से काफी दुष्कर हो जाती है। एड़ी की हड्डियों में लगी पुरानी चोट के उभरने की वजह से भी अक्सर अर्थराइटिस या फिर गठिया जैसे जटिल रोगों के पनपने का खतरा कई गुना तक बढ़ जाता है. एक शोध के मुताबिक दुनिया के हजारों रोगी सालाना होम्योपैथी चकित्सा से इन मामलों में स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करते हैं. होम्योपैथी में कई बार डॉक्टर रोगों का लक्षण लाने वाली दवाओं के सेवन की सलाह देते हैं. कई बार रोग के लक्षण दवाओं के सेवन के बाद आ जाने पर बेहद आसान हो जाता है. जर्मन तकनीक की इन दवाओं का लाभ तेजी से लाभ होता है लेकिन कुछ परहेज बेहद आवश्यक होते हैं. परहेज के बिना इन दवाओं का किसी भी प्रकार का लाभ नहीं मिलता है. हलांकि इन दवाओं का किसी भी प्रकार का कोई जटिल साइड इफेक्ट होता नजर नहीं आता लेकिन दवाएं शरीर पर देर से काम करती हैं. ख़ास बात यह है कि इन दवाओं का फौरी राहत में किसी भी प्रकार का उपयोग नहीं रह जाता है. देर से ही सही कई मामलों में हड्डियों से सम्बंधित रोग जड़ से समाप्त होते देखे गए हैं।
होम्योपैथी और एड़ी दर्द सम्बंधित जटिलताएं।
एड़ी का दर्द होम्योपैथी दवा बेहद लाभकारी होती है लेकिन इसके कुछ परिणाम हड्डियों को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं. जटिल स्थिति यह है कि किसी भी एमरजेंसी के दौरान होम्योपैथी दवाओं का शरीर पर ना के बराबर असर होता है. यदि रोगी होम्योपैथी दवाओं का सेवन कर रहा हो और उसे अचानक एलोपैथी दवा का सेवन करना पड़ जाए तो तो इस स्थिति में काफी सावधानी अपनाने की जरूरत होती है. इस दशा में काफी सावधानी से चकित्सक की सलाह पर दवाओं का सेवन करना चाहिए। यदि तुरंत किसी अन्य विधा की दवा का सेवन किया जाये तो वह जानलेवा साबित हो सकता है. होम्योपैथी दवाओं का एलोपैथी और अन्य दवाओं के साथ बड़ी तेजी से अभिक्रिया होते देखा गया है. इसके अलावा होम्योपैथी दवाओं में इतनी ताकत नहीं होती कि वे कैल्शियम की आपूर्ति हड्डियों को सुचारु रूप से मुहैया करा सकें। कुपोषण की वजह हो या फिर हड्डियों में कैल्शियम की कमी इस पद्धति की दवाएं इन समस्याओं को दूर करने में नाकाफी होती हैं। ज्यादा मात्रा में इन दवाओं का सेवन हो या कम दोनों स्थिति में इनका शरीर पर कुप्रभाव पड़ सकता है. लहसुन प्याज से लेकर कई तरह की खट्टी और मसालेदार चीजों का खासकर इन दवाओं के उपयोग के समय प्रयोग या सेवन वर्जित होता है. यदि इस विधा की दवाओं का सेवन करने वाला मरीज नियमित रूप से परहेज का पालन नहीं करता तो दवाएं शरीर पर किसी काम की नहीं होती। अलावा उपचार आहार में सुधार और जीवनशैली को नियमितं करने से हड्डियों से सम्बंधित रोग दूर किये जा सकते हैं।