पिंडलियों में दर्द की शिकायत किसी भी व्यक्ति को हो सकती है। आमतौर पर ये शिकायत उन लोगों को होती है जो या तो ज़रूरत से अधिक शारीरिक काम करते हैं या जिन्हें एक ही पोज़ीशन में बैठकर काम करना पड़ता है।
महिलाओं में पिंडलियों का दर्द ज़रूरत से अधिक घर का काम करने, जैसे कि रसोई में बहुत देर तक खड़े रहकर काम करना, अधिक चलना और कपड़े धोने के कारण होता है। इसके अलावा मधुमेह, हार्मोन्स में बदलाव, हड्डियों में कैल्शियम की कमी और हाई हील्स की चप्पल पहनने से भी पैरों और पिंडलियों में दर्द की समस्या हो सकती है।
पुरुषों में पिंडलियों के दर्द का मुख्य कारण कुर्सी पर काफ़ी देर तक पैर लटकाकर काम करना है। इसके अलावा बहुत अधिक व्यायाम करने, खेल-कूद के दौरान मांसपेशियों में खिंचाव आने, ज़्यादा ड्राइविंग करना या सख़्त जूते पहनना भी पिंडलियों में दर्द का कारण हो सकता है।
लेकिन सवाल यह उठता है कि आख़िर इस दर्द से छुटकारा कैसे पाया जाए? इसके लिए ज़रूरी है कि आप जीवन शैली में आवश्यक बदलाव लाएं और नियमित रूप से योग करें।
इन योगासनों से मिल सकता है पिंडलियों के दर्द से आराम
आप चाहें तो नीचे दिए गए योगासनों की मदद से भी पिंडलियों के दर्द से निजात पा सकते हैं. हालांकि इन योगासनों का करने का फायदा तभी मिलेगा जब आप इनको सही ढंग और ज़्यादा से ज़्यादा करेंगे.
वीरभद्रासन बनाएगा मांसपेशियां मज़बूत
इसे वॉरियर पोज़ (warrior pose) भी कहते हैं। यह आसन हाथों, जांघों और कमर की मांसपेशियों को मज़बूती प्रदान करता है। शरीर को संतुलित करता है और सहनशक्ति को बढ़ता है। इससे पिंडलियों पर कम दबाव पड़ता है और दर्द से राहत मिलती है। बैठकर काम करने वालों के लिए यह आसन बहुत अधिक फ़ायदेमंद है।
सावधानियां: घुटनों में दर्द, गठिया, रीढ़ की हड्डी की बीमारी या दस्तग्रस्त होने पर यह आसन न करें। उच्च रक्तचाप वाले मरीज़ भी यह आसन न करें।
उत्तान से पिंडलियों का दर्द हो जाएगा दूर
उत्तान का अर्थ है ‘खिंचा हुआ’। यह आसन घुटने की पीछे की नस, कूल्हों और पिंडलियों में खिंचाव उत्पन्न करता है और जांघों और घुटनों को मज़बूती प्रदान करता है। दमा, उच्च रक्तदाब, आस्टियोपोरोसिस और साइनस के उपचार में भी यह आसन मददगार है। इसके अलावा रजोनिवृत्ति (मेनोपोज़) के लक्षणों को कम करने और थकान व चिंता को दूर करने में भी यह आसन सहायक है।
सावधानियां: अगर कमर में चोट लगी हो तो यह आसन न करें। कमर में अधिक दर्द हो तो उत्तानासन के विकल्प के तौर पर अर्ध उत्तानासन करें। आसन करते वक्त पीठ में दर्द हो और दर्द बर्दाश्त न हो रहा हो जो अनावश्यक ज़ोर न डालें।
कूल्हों के साथ पिंडलियों के दर्द से अश्वसंचालासन दिलाएगा निजात
यह आसन घुटनों के पीछे की नस और पिंडलियों में खिंचाव उत्पन्न करता है। कूल्हों और पिंडलियों की मांसपेशियों को मज़बूती प्रदान करता है और आपको पिंडलियों के दर्द से छुटकारा दिलाता है। इसके अलावा दर्द और बेचैनी को दूर करने में भी यह आसन मददगार है।
सावधानियां: कूल्हो, घुटनों, टखनों, या कमर के निचले हिस्से में चोट लगी हो तो यह आसन न करें। यह आसन करते वक्त शरीर पर अनावश्यक ज़ोर न डालें। गर्भवती महिलाओं को यह आसन धीरे-धीरे करना चाहिए।
पीठ मजबूत करने में मदद करेगा उत्कटासन
उत्कटासन का शाब्दिक अर्थ है तीव्र या शक्तिशाली मुद्रा। यह आसन किसी काल्पनिक कुर्सी पर बैठने जैसा है। पीठ के निचले हिस्से को यह आसन मज़बूती प्रदान करता है। इस आसन के नियमित अभ्यास से जांघों, एड़ी, पैर व घुटनों की मांसपेशियों को ताकत मिलती है। इसके अलावा शरीर में संतुलन और दृढ़ता बढ़ती है।
सावधानियां: घुटनों के पुराने दर्द, गठिया या एड़ी की मोच होने पर इस आसन के अभ्यास से बचें। कमर के नीचे के दर्द और मासिक धर्म के दौरान यह आसन धीरे-धीरे करें।
कमर और पैर के दर्द को दूर भगाएगा नौकासन
यह आसन करते वक्त नौका के समान आकार ग्रहण किया जाता है इसलिए इसे नौकासन कहते हैं। कमर व पेट की मांसपेशियों, हाथ और पैर को मज़बूती प्रदान करने के लिए यह आसन काफी फायदेमंद है। इसके अलावा कूल्हों के जोड़ को यह लचीला बनाता है। हर्निया के रोगियों के लिए भी यह फायदेमंद है।
सावधानियां: कम रक्तचाप, अधिक सिरदर्द व माइग्रेन की समस्या होने पर यह आसन न करें। यदि कभी भी पीठ में चोट लगी हो तो यह आसन करने से बचें। गर्भवती महिलाएं और मासिक धर्म के पहले दो दिन यह आसन न करें।
घुटनों की हर समस्या को जड़ से खत्म करेगा पूर्वोत्तानासन
पैरों और कूल्हों के व्यायाम के लिए यह आसन बहुत अधिक फायदेमंद है। यह आसन हैमस्ट्रिंग (घुटनों के पीछे की नसें) और पिंडलियों को स्ट्रेच करता है। पिंडलियों की मांसपेशियों में खिंचाव लाकर दर्द से राहत पहुंचाता है।
सावधानियां: यह आसन करने के दौरान शरीर का सारा भार कलाई और हाथों पर आ जाता है इसलिए अगर कलाई या हाथ में चोट लगी हो, तो यह आसन न करें। गर्दन में चोट की स्थिति में भी यह आसन न करें।
थकान और तनाव में राहत पहुंचाएगा एक पद अधोमुख श्वानासन
यह आसन करने के दौरान आप एक पैर ऊपर उठाते हैं। इससे पिंडलियों की मांसपेशियों को अधिक गहराई तक स्ट्रेच करने में मदद मिलती है। यह आसन करने से घुटनों के पीछे की नसें (हैमस्ट्रिंग) और बाजू भी स्ट्रेच होते हैं। सरदर्द, अनिद्रा, पीठ दर्द, थकान और तनाव दूर करने में भी यह आसन मददगार है। उच्च रक्तदाब, साइटिका और साइनस के रोगियों के लिए भी यह आसन फ़ायदेमंद है।
सावधानियां: यह आसन करते वक्त अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक ज़ोर न लगाएं। कार्पल टनल सिंड्रोम के मरीज़ों और गर्भवती महिलाओं को यह आसन नहीं करना चाहिए।
नियमित रूप से पिंडलियों में दर्द का योग करने से आपके कूल्हों, पिंडलियों की मांसपेशियां और नसें मज़बूत होती हैं जिससे पिंडलियों के दर्द से निजात मिलता है। लेकिन ध्यान रहे, किसी योग विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार ही ये आसन करें।