जीवन के लिए घातक हो सकता है पीठ के दर्द

जीवन के लिएघातक हो सकता है पीठ का दर्द

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    पीठ के दर्द के पीछे कुछ ऐसे कारक होते हैं जो सामान्य स्थितियों में हल्का दर्द देने के साथ कुछ उपायों के उपरांत खुद समाप्त हो जाते हैं। रीढ़ की हड्डी से जुड़ी पीठ में सामान्य चोट, खिंचाव या फिर रीढ़ की हड्डियों के बीच मे स्थित रबड़ जैसी डिस्क में समस्या आने पर दर्द गंभीर रूप ले लेता है। स्पाइनल कॉर्ड में संक्रमण के चलते कई बार रीढ़ की हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं।

    पीठ का दर्द फेफड़ों के संक्रमण के चलते भी होने की संभावना बढ़ जाती है। पीठ के अग्र भाग में मौजूद सीने की हड्डियों की संरचना सीधे पीठ की हड्डियों को जोड़ने का काम करती है। फ्रैक्चर के दौरान हड्डियों की इस संरचना में विकृति या संक्रमण के चलते ऊतकों के नष्ट होने पर कई बार शल्य चिकित्सा का भी सहारा लेना पड़ता है। हार्मोनल विसंगतियों और शरीर मे वसा के बढ़ते स्तर की वजह से भी इस तरह की समस्याएं उत्पन्न होने का खतरा बढ़ जाता है। एक सर्वे के मुताबिक अपनी दैनिक दिनचर्या के दौरान गलत तरीके से खड़े और बैठने की वजह से देश मे लाखों लोग पीठ में दर्द की समस्या के शिकार होते हैं। इस लेख के माध्यम से ऐसी समस्याओं के कारण, लक्षण सहित निदान के ऐसे अनछुए तथ्यों पर प्रकाश डालने का है जिसके सटीक निर्वहन से इंसान पीठ जी समस्या से बचाव कर सकता है।

    पीठ दर्द के कारण

    पीठ दर्द के कारण

    एक सर्वे के मुताबिक किडनी रोग की समस्या से देश का एक बड़ा तबका परेशान है। किडनी में संक्रमण पीठ के दर्द का बड़ा कारण माना जाता है।

    चोट या फ्रैक्चर के दैरान रीढ़ की हड्डी में मौजूद कार्ड में चोट की वजह से पीठ दर्द की समस्या बढ़ जाती है। हड्डियों के टूटने के दौरान इससे जुड़ी मांसपेशियों में मौजूद ऊतकों में भारी क्षति होती है। कई बार ऑपरेशन के बाद भी ऊतकों में संक्रमण पैदा हो जाता है जिससे उठने-बैठने तक में परेशानी का अनुभव होता है। खेल के दौरान मोच या फिर रीढ़ जी हड्डी का एक तरफ झुकना भी कष्ट प्रदान करता है।

    स्पाइनल स्टेनोसिस एक ऐसी समस्या है जिसके चलते रीढ़ की हड्डियां सिकुड़ने लगती हैं और उनमें जरूरी ऊर्जा और रक्त संचार नही होने के चलते अपंगता जैसी स्थिति का खतरा भी बढ़ जाता है।

    संधि सोथ जैसी स्थिति में पीठ में सूजन जैसी स्थिति हो जाती है जो मौसम के बदलाव के कारण या फिर आंतरिक रोगों के चलते भी हो सकती है। इस स्थिति में इंसान को तेज दर्द का अनुभव होता है और उठने बैठने में परेशानी का अनुभव होने लगता है। कई बार ऐसी स्थितियां मानसिक रोग का भी कारण बन जाती हैं।

    पीठ दर्द के प्रमुख लक्षण

    पीठ दर्द के प्रमुख लक्षण

    पीठ दर्द कई रूप में रोगों का संकेत देता है। यदि बैठते हुए सीधा ना बैठकर झुकाव के साथ बैठने की आदत है तो कई बार इससे कंधों सहित गर्दन में भी दर्द की अनुभूति होती है। आंतरिक रोगों में जैसे फेफड़े में संक्रमण के चलते कई बार पीठ का दर्द के लक्षण प्रकट नही होते। ऐसी स्थितियों में लक्षण उत्पन्न होने और सीने की हड्डियों में जकड़न के साथ पीठ में तनाव महसूस होता है। उठने बैठने के दौरान पीठ के निचले हिस्से में दर्द के साथ ऊपरी हिस्से में जकड़न महसूस होती है। स्तन, प्रोस्टेट और किडनी कैंसर जैसी स्थितियों में पीठ के दर्द का लक्षण सामान्य नही होता। इस स्थिति में तेज दर्द के साथ मांसपेशियों में लगातार तनाव बना रहता है।

    पुरुषों में पीठ के दर्द का मुख्य कारण

    एक हेल्थ सर्वे के मुताबिक धूम्रपान करने वाले 3 में 1 व्यक्ति को फेफड़े कैंसर का खतरा हमेशा बना रहता है। हर धूम्रपान करने वाले व्यक्ति को इसका सेवन ना करने वाले की तुलना में टीबी की समस्या 90 फीसदी तक बढ़ जाती है। ट्यूबरक्लोसिस हो जाने पर पीठ के दोनों भागों में दर्द बना रहता है। पुरुषों में महिलाओं की अपेक्षा फेफड़ों में संक्रमण होने के चांसेज ज्यादा होते हैं। लगातार या फिर मदिरा सेवन के लती पुरुष किडनी की समस्या से दो चार होते ही हैं। इसकी वजह से पीठ के निचले हिस्से में दर्द होता है। किडनी स्टोन की समस्या से दर्द होता ही है। स्टोन के छोटे होने पर दर्द ज्यादा होता है लेकिन बढ़ जाने पर दर्द कम होता जाता है जो बेहद खतरनाक होता है। ज्यादा देर एक जगह खड़े होने या शारीरिक श्रम के दौरान पीठ पर वजनी वस्तु को उठाने के चलते भी पीठ दर्द की समस्या पुरुषों में देखी जाती है। बच्चों में पीठ पर बड़े बोझ का बैग टांगने के चलते दर्द हो जाता है।

    महिलाओं में पीठ का दर्द

    गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में पीठ के निचले हिस्से में दर्द बना रहता है। गर्भवती महिलाओं में कैल्शियम की कमी भी मुख्य कारण मानी जाती है। घरेलू कामकाज करने वाली महिलाओं में लगातार झुककर काम करने की प्रवृति भी पीठ का दर्द का कारण बन जाता है। मधुमेह की शिकार महिलाओं में इस तरह की समस्या होती है। गर्भाशय में संक्रमण की स्थिति भी इस दर्द का कारण बन जाता है। किडनी में संक्रमण के चलते मूत्राशय का संक्रमण भी पीठ दर्द की एक वजह मानी गई है। ऐसी समस्या 15 साल से लेकर 50 साल की महिलाओं में ज्यादा देखी गई है। मोटापा अधिक बढ़ने से कमर के साथ पीठ की समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। इस समस्या से परेशान महिलाओं की हड्डियां कठोर होने लगती हैं। मज्जा में रक्त संचार की आपूर्ति और ऊर्जा के लगातार संचरण में कमी आने के चलते दर्द हो जाता है। घरेलू हिंसा या मानसिक प्रताड़ना की शिकार महिलाओं में हार्मोनल विसंगतियां उत्पन्न हो जाती हैं जिससे पीठ दर्द हो ही जाता है।

    मौसम का बदलाव लाता है पीठ दर्द

    मौसम का बदलाव पीठ के दर्द का कारण बन जाता है। पुरानी चोट का सर्दियों के मौसम में उभरना एक बड़ी समस्या है। इस दौरान रीढ़ की हड्डियों में ऊर्जा का पर्याप्त मात्रा में संचरण ना होने के चलते पीठ दर्द हो जाता है। हालांकि बारिश और गर्मियों के मौसम में हवाओं के वेग के चलते भी इस तरह की समस्या हो जाती है। ट्यूबरक्लोसिस के मरीजों में बदलता मौसम काफी दुखदाई होता है। इस दौरान पीठ का दर्द सहित सीने के दर्द की समस्या भी हो जाती है।

    पीठ का दर्द होने से पहले रोकथाम

    पीठ का दर्द चाहे जिस कारण हो रहा है यह बड़ा दुख देता है। पीठ दर्द का उपाय वाकई कुछ सावधानियों के अपनाने से कम तो होता ही है अपितु इसके होने से पहले कुछ उपाय काफी कारगर होते हैं। शरीर को हर मौसम में निर्जलीकरण से बचाने की जरूरत होती है। इसके लिए हर मौसम में पानी की उचित मात्रा का सेवन किया जाना आवश्यक होता है। इससे हड्डियों में मौजूद फ्लूड का स्तर नियंत्रण में रहता है और ऊतकों में संक्रमण होने का खतरा भी कम हो जाता है। मदिरा सेवन से परहेज के साथ खानपान में सुधार भी पीठ के दर्द से बचाव में उपयोगी साबित होता है। जीवनशैली में निरंतरता के साथ तनाव ना लेने से भी यह समस्या आप तक नही फटकेगी। पीठ दर्द के घरेलू उपाय अपनाकर भी काफी हद तक इस तरह के दर्द से बचा जा सकता है।

    पीठ का दर्द हो जाने पर रोकथाम

    पीठ का दर्द हो जाने पर इसका उपचार बेहद आवश्यक होता है। इस तरह के दर्द में चिकित्सक की राय और टेस्ट के साथ उम्र वर्ग और किस रोग की वजह से दर्द हो रहा है, के आधार पर उपचार किया जाता है। मसलन इस तरह की समस्याओं के लिए यूनानी, एलोपैथ, आयुर्वेद के साथ होम्योपैथी विधा से इलाज किया जाता है।

    यूनानी पद्धति से पीठ दर्द उपचार

    पीठ का दर्द मिटाने में यूनानी दवाओं का बेहद असर होते देख गया है। हकीम, मरीज की मौजूदा स्थिति के अनुरूप हर्बल से निर्मित कुछ ऐसी दवाओं के सेवन की सलाह देते हैं जो नियत समय मे परहेज के साथ उपभोग की जाती हैं। चिकित्सक की सलाह पर ली गई औषधियों के सेवन पर कई बार असाध्य रोगों से होने वाला पीठ दर्द भी समाप्त हो जाता है। यूनानी उपचार की ऐसी पद्धति होती है जो हड्डियों के रोग में वरदान साबित होती हैं। इस हर्बल पद्धति से मर्ज को जड़ से खत्म किया जा सकता है वह भी बिना किसी साइड इफेक्ट के।

    एलोपैथी से पीठ दर्द का उपचार

    पीठ दर्द का इलाज करने और फौरी राहत देने में एलोपैथी सबसे कारगर पद्धति होती है। इस माध्यम में कई तरह के टेस्ट के दौरान एमआरआई सहित एक्सरे द्वारा दर्द का पता लगाकर पेन किलर और एंटीबायोटिक दवाओं द्वारा रोग को समाप्त करने का काम किया जाता है। हालांकि इस विधा की दवाएं काफी लंबे समय तक असर करती हैं लेकिन इनके दुष्परिणाम कई बार शरीर मे अन्य व्याधि भी उत्पन्न कर देते हैं।

    आयुर्वेद से पीठ दर्द का उपचार

    सदियों से पीठ दर्द का इलाज के लिए जड़ी बूटियों से निर्मित दवाएं काफी असरदार साबित हुई हैं। जड़ी बूटियों के माध्यम से किडनी स्टोन जैसी समस्या से होने वाले पीठ दर्द का इलाज किया जाता है। इसके अलावा अन्य व्याधियों से होने वाले दर्द में भी इस पद्धति की दवाएं कुछ परहेज के साथ काफी लाभ देती हैं।

    होम्योपैथी से पीठ दर्द का इलाज

    पीठ दर्द का उपचार के लिए जर्मन तकनीक द्वारा विकसित होम्योपैथ भी काफी असर डालता है। हालांकि यह एक लंबे इलाज वाली विधा है। इस माध्यम से लाखों लोग स्वास्थ्य लाभ उठाते हैं लेकिन परहेज ना करने से ऐसी दवाएं बे असर साबित होती हैं।

    पीठ दर्द में क्या करें/ क्या ना करें

    पीठ दर्द में राहत के  लिए योगासन

    पीठ का दर्द हो जाने पर कुछ सावधानियां अपना जरूरी होता है। जीवनशैली में निरंतरता अपनाएं। खान पान को सुधारने के साथ कैल्शियम की भरपूर प्राकृतिक मात्रा का सेवन करें। गाजर, पालक, मेंथी और मौसमी फलों का भरपूर मात्रा में सेवन करें। दूध को अपने नियमित उपभोग में शामिल करें। ज्यादा वजनी समान अपनी पीठ पर ना लादें। बैठने पर झुक कर बैठने की आदत बदलें। तनाव पूर्ण माहौल से दूरी बनाएं। धूम्रपान का त्याग करें।

    डॉ आकांक्षा

    • 7 Years of Experience
    • (BHMS)
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    मै डॉ आकांक्षा होम्योपैथिक चिकित्सा में बैचलर हैं. इन्हें जॉइंट्स पेन (जोड़ों का दर्द) और बैक पेन (पीठ दर्द) जैसे रोगों का विशेषज्ञ माना जाता है. इन्होने अपने उपचार से देश के हजारों मरीजों को नया जीवन दिया है. डॉ आकांक्षा को जॉइन्स पेन( जोड़ों का दर्द) और बैक पेन

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