अर्थराइटिस की बढ़ती समस्या का करो अब आसानी से उपचार

अर्थराइटिस की बढ़ती समस्या का करो अब आसानी से उपचार

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    इन दिनों भागदौड़ भरी ज़िंदगी की वज़ह से लोगो की लाइफस्टाइल बदलती जा रही है। समय पर खानपान ना करना, बाहर का ज्यादा खाना और शरीर पर ध्यान ना देना लोगो के रूटीन में शामिल हो चुका है। ऐसे में अर्थराइटिस जैसी बीमारी इन दिनों ज़्यादातर लोगो में देखने को मिल जाती है। हालांकि कुछ सालों पहले तक अर्थराइटिस का नाता सिर्फ बुजर्गों से था लेकिन अब ये जवान लोगो में भी आसानी से देखने को मिल रही है।

    क्या है अर्थराइटिस?

    जब किसी के शरीर में जोड़ों में दर्द होता है या किसी को गठिया में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है तो वह अर्थराइटिस का शिकार होता है। अर्थराइटिस का ज़्यादा प्रभाव घुटनों में होता है। इसके साथ ही इसका असर कूल्हे की हड्डियों पर भी दिखाई देता है। जिन लोगो को अर्थराइटिस का रोग होता है उन्हें अक्सर ही दर्द और अकड़न की शिकायत रहती है। जोड़ों में मौजूद टिशूज़ या ऊतक में जलन होने की वज़ह से अर्थराइटिस होता है। जब जलन होती है तो टिशू लाल, गर्म औद दर्दनाक हो जाते हैं और फिर सूझ जाते हैं। ऐसा होने पर आपको एहसास होता है कि आपके जोड़ों को किसी प्रकार की समस्या है।

    अर्थराइटिस के दो प्रकार होते हैं

    अर्थराइटिस के दो प्रकार होते हैं

    ऑस्टियोआर्थराइटिस

    जब एक या अधिक जोड़ों के कार्टिलेज या तो टूट जाते हैं या धीरे-धीरे घिसते रहते हैं। जब कार्टिलेज पूरी तरह खराब हो जाता है तब हड्डियाँ आपस में रगड़ने लगती हैं और इस प्रकिया के दौरान जोड़ भी खराब हो सकते हैं। ज्यादातर ओस्टियोआर्थराइटिस घुटनों, कूल्हों, हाथों, और पैरों में होता है और यह महिलाओं में खासतौर से देखने को मिलता है।

    रूमेटाइड आर्थराइटिस

    इस प्रकार के अर्थराइटिस में प्रतिरक्षा कोशिकाएं जोड़ों के आसपास की झिल्ली पर अटैक करती हैं जिसके कारण जोड़ों में सूजन हो जाती है और दर्द बढ़ जाता है। इस गतिविधि में प्रोटेक्टिव कार्टिलेज नष्ट हो जाता है। इन सबकी वजह से हड्डियां कमजोर होने लगती हैं।

    धीरे-धीरे जो लिगामेंट्स हड्डियों को आपस में जोड़ते हैं वह कमज़ोर हो जाते हैं। इसके परिमाणस्वरूप हड्डी अपनी जगह से हट जाती है। रूमेटाइड अर्थराइटिस सबसे पहले शरीर में हाथ और पैर के छोटे जॉइंट्स को प्रभावित करता है। बाद में इसका असर लाई, कोहनी, टखनों, घुटनों, कूल्हों और कंधों धीरे-धीरे फैलता है।

    अर्थराइटिस के लक्षण

    • बार-बार बुखार आना-
    • भूख का कम लगना
    • मांसपेशियों में दर्द रहना
    • वज़न का अपने आप घटना
    • दर्द की तीव्रता का बढ़ना
    • शरीर का अक्सर ही गर्म रहना
    • लाल चकत्तों का पड़ना
    • जलम महसूस होना
    • सूजन का आना
    • जोड़ों के आस-पास गोलाकार गांठों का उभरना

    अर्थराइटिस होने से पहले रोकथाम

    अर्थराइटिस होने से पहले रोकथाम

    पौषण से भरपूर खाना खांए – अर्थराइटिस होने की एक वज़ह शरीर में कैल्शियम की कमी भी होता है। इसलिए पौष्टिक खाना खाने की कोशिश करें। पौष्टिक खाने में कैल्शियम, प्रोटीन इत्यादि अच्छी मात्रा में मौजूद हो।

    वजन पर रखें काबू – वज़न अगर काबू में ना रहे तो कई तरह की बीमारियों होने की संभावनांए बढ़ जाती है। उनमें से एक अर्थराइटिस भी है। इसलिए जैसे ही आपको लगे कि आपका वज़न बढ़ने लगा है उसे कंट्रोल करने की कोशिश करें जिससे की वह किसी तरह की बीमारी का शिकार ना हो।

    व्यायाम को दिनचर्या में करें शामिल – शारीरिक गतिविधियां बीमारी को शरीर से दूर रखती हैं। इसलिए रोज़ 20 मिनट ही सही पर व्यायाम ज़रूर करें।

    जितना हो सकें पानी पिंए: पानी ज़्यादा से ज़्यादा पीने की सलाह हर डॉक्टर देता है क्योंकि जितनी ज़रूरत शरीर को कैल्शियम, प्रोटीन या किसी अन्य पदार्थ की होती है उससे कई ज़्यादा पानी की होती है। अगर सही मात्रा में पानी ना पिया जाए तो डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है।

    धूप लें: दिन में 20 मिनट का समय निकालकर धूप में जरूर बैठें।

    गर्म पानी से सिकाई करें: यदि घुटनों में दर्द महसूस हो तो गर्म पानी में सही मात्रा में नमक डालकर सिंकाई कर लें।

    अर्थराइटिस में क्या खांए क्या ना खांए

    • अर्थराइटिस में चीनी का सेवन कम से कम करें
    • शराब और सॉफ्ट ड्रिंक्स से दूर रहें।
    • टमाटर ना खांए
    • मछली ना खांए

    बदलते मौसम का अर्थराइटिस पर असर

    सर्दी के मौसम में उन हड्डियों का दर्द बढ़ जाता है जो कमज़ोर होती हैं। खासतौर से उम्रदराज लोगो के लिए सर्दी का मौसम काफी नुकसानदेह है। इसकी मुख्य वज़ह बोन डेंसिटी का काम होना है।

    कैसे करें अर्थराइटिस का उपचार?

    अर्थराइटिस को दूर करने के अलग-अलग तरीके हैं। आइए जानते हैं कौन से हैं वो उपचार?

    घरेलू उपायों से पांए अर्थराइटिस से राहत

    घरेलू उपायों से पांए अर्थराइटिस से राहत

    • जब आपको दर्द महसूस हो आप उससे तुरंत राहत चाहते हों तो आप सन बाथ ले सकते हैं।
    • सुबह उठने के बाद खाली पेट एक गिलास पानी में 5-10 ग्राम मेथी के दानों को लें और फिर उनका चूरण बनाकर पानी में डालकर पी लें।
    • अगर आपको लहसुन पसंद है तो आप 4 से 5 लहसुन की कलियां पावभर दूध में डालकर उबालकर पी सकते हैं।
    • दर्द से जल्द राहत पाने के लिए रोज़ लहसुन को पीसकर उसके रस को कपूर में मिला लें और फिर समय समय पर मालिश करते रहें।
    • मालिश के लिए आप लाल तेल का भी इस्तेमाल कर सकती हैं। इससे भी आपको आराम मिलेगा।
    • यो तो आप सबको पता होगा की हल्दी किसी भी तरह के दर्द को खत्म करने में कितमा सहायक होता है। ऐसे में आप गर्म दूध में हल्दी मिलाकर दिन में दो से तीन बार पी सकते हैं। इससे आपको जल्द ही राहत मिलेगी।
    • जब भी सोंए तब जिस हिस्से में दर्द हो रहा हो वहां पर गर्म सिरके से मालिश कर लें।
    • जोड़ों के दर्द से बचने के लिए सबसे अच्छा। योगासन है गोमुखआसन।

    आयुर्वेद से करें अर्थराइटिस का समाधान

    आयुर्वेद की मानें तो जोड़ा में दर्द होने का कारण होता है उनमें टॉक्सिन यानी जहरीले पदार्थ जमा होना। आयुर्वेदिक इलाज के मुताबिक अर्थराइटिक की समस्या से निजात पाने के लिए सबसे पहले कोलन विषविहीन करवाना होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि जो तत्व वहां सड़ रहे होते हैं वहीं खून के ज़रिए जोड़ों तक पहुंचते हैं और समस्या पैदा करते हैं। अर्थराइटिस से बचने के लिए यह आर्युवेदिक उपाय कारगर है।

    एलोपैथ से पांए अर्थराइटिस से राहत

    एलोपैथिक इलाज में डॉक्टर बिना स्टेरॉइड्स वाली दवाइयों के जरिए अक्सर सुबह होने वाली जकडऩ, सूजन व दर्द को कम कर के नियंत्रण में करते हैं। इसके साथ ही डॉक्टर एंटीरुमेटिक दवाओं की भी मदद लेते हैं जो अर्थराइटिस को आगे बढऩे से रोकती है। और अगर जोड़ पूरी तरह से खराब हो चुका है तो इस हालत में स्थिति में मरीज को जोड़ का ट्रांसप्लांटेशन करवाने की सलाह दी जाती है।

    सर्जरी से करें अर्थराइटिस दूर

    दवाईयों से अगर आपको कोई फर्क महसूस नहीं हुआ है तो हो सकता है वो आपको सर्जरी की सलाह दे। ऐसे में घबरांए नहीं बल्कि डॉक्टर की सलाह को मानें। लेकिन सर्जरी किस प्रकार की होगी यह आपकी समस्या पर निर्भर करती है जैसे-

    जोड़ों में समस्या- इस सर्जरी में सर्जन जोड़ों की सतह को चिकना करता है और उन्हें दोबारा एक साथ एक जगह पर करता है। इस सर्जरी से जोड़ो का दर्द कम हो जाता है और गुठने पहले के जैसे काम करने लगते हैं।

    सर्जरी के ज़रिए घुटनों के जोड़ो का बदलना: इस सर्जरी में सर्जन जो जोड़ खराब होता है उसे नकली जोड़ से बदलता है।

    सर्जरी के ज़रिए दो हड्डियों को आपस में जोड़ना: इस सर्जरी में छोटे जोड़ों के लिए किया जाता है।

    होम्योपैथ से अर्थराइटिस का इलाज

    होम्योपैथ से अर्थराइटिस का इलाज

    अर्थराइटिस में हड्डियां कमज़ोर हो जाती हैं। ऐसे में डॉक्टर मरीज को स्थिति के अनुसार होम्योपैथिक की दवाईयां देता है। हालाँकि होम्योपैथिक दवाईयां अपना असर दिखाने में टाइम लेती हैं लेकिन कुछ मामलों में गठिया रोग के जड़ से दूर होने की सम्भावना प्रबल हो जाती है।

    यूनानी चिकित्सा से अर्थराइटिस का इलाज

    अर्थराइटिस को दूर करने के लिए यूनानी चिकित्सा प्राचीन काल से इस्तेमाल की जा रही है। युनानी चिकित्सा ने अर्थराइटिस जैसी बीमारी को जड़ से मिटाने में महारथ हासिल की है। युनानी चिकित्सा में कुदरती जड़ी बूटियों के प्रयोग से ऐसी दवाई बनाई जाती है जो हड्डियों पर अपना असर भले ही धीरे करती हों लेकिन अगर परहेज के साथ इनका इस्तेमाल किया जाए तो रोग को जड़ से समाप्त कर देती है।

    फिज़ियोथेरेपी से मिलेगी राहत

    कुछ लोग अर्थराइटिस को दूर करने के लिए फीजियोथेरेपी का भी सहारा लेते हैं। फिज़ियोथेरेपी में फिज़ियोथेरेपिस्ट शरीर की मांसपेशियों को अलग- अलग एक्सरसाइजों के ज़रिए ठीक करने की कोशिश करता है।

    योग करेगा अर्थराइटिस दूर करने में सहयोग

    योग करेगा अर्थराइटिस दूर करने में सहयोग

    योगा तो ना जाने कितने सालों से हर तरह को रोग को दूर करने का ज़रिया बना हुआ है। योगा अर्थराइटिस के इलाज में भी सहायक साबित हुआ है। जिस व्यक्ति को अर्थराइटिस है और वो योगा के ज़रिए अपनी इस दिक्कत को दूर कर सकता है। अर्थराइटिस के के लिए त्रिकोणासान, वीरासान, गोमुखासान इत्यादि आसनों का कर सकता है।

    अर्थराइटिस होने पर क्या करें क्या ना करें

    • एक जगह ज़्यादा देर तक खड़े या बैठे ना रहें।
    • घर में इंडियन टॉयलट हो तो उसे हटवाकर कमोड यानी वेस्टर्न स्टाइल की टॉयलेट लगवांए और उसी का स्तेमाल करें।
    • कैल्शियम की कमी को पूरा करने के लिए जितना हो सके उतना दूध पिंए
    • कोशिश करें कि ज़मीन पर पालथी मारकर न बैठें। कुर्सी, सोफे पर बैठें।
    • ज़मीन पर घुटनों व पंजे के बल पर ना बैठें।

    डॉ विवेक

    • 9 Years of Experience
    • (BHMS)

    डॉ विवेक को होम्योपैथी में स्नातक हैं. इनकी चिकित्सा से देश के हज़ारों मरीज गठिया रोग से निजात पा चुके हैं. डॉ विवेक को इस क्षेत्र में 8 साल का अनुभव है. डॉ विवेक का कहना है कि होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति समरूपता के सिद्धांत (like cures like) पर काम करती

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