जानिए गर्दन दर्द में कितना कारगर है आयुर्वेद

गर्दन दर्द में कारगर है आयुर्वेद

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    भारत का पारंपरिक उपचार माध्यम आयुर्वेद, जो वेदों और ग्रंथों की पंक्तियों से निकल कर दुनियाभर के कई असाध्य रोगों को ठीक करने का काम कर रहा है. दुर्लभ जड़ी बूटियों के संगम से कूट-पीसकर तैयार की गई दवाएं इंसानी रूह को आंतरिक तौर पर स्वास्थ्य लाभ देता है. बात गर्दन दर्द की करें तो यह स्थिति कई कारणों से शरीर में उत्पन्न होती है. खानपान में दोष और खराब जीवनशैली के साथ ही शारीरिक श्रम की अधिकता के चलते मांशपेशियों में खिंचाव भी दर्द की वजह बन जाता है. हार्मोनल विसंगतियों के साथ मोटापा और अंदरूनी रोगों के साथ पुरानी चोट भी सर्दियों के मौसम में गर्दन दर्द के रूप में उभर कर सामने आती है. इसके अलावा अनुवांशिक रोग भी इसके बड़े कारण बन जाते हैं.

    दुनिया भर में कई तरह की चिकित्सा विधा मौजूद है लेकिन आयुर्वेद को हड्डियों के दर्द के उपचार में उत्तम विधा माना जाता रहा है. मसलन कई तरह की जड़ी बूटियों के माध्यम से शरीर में मौजूद कई तरह के दर्द पैदा करने वाले कारकों को बाहर निकालने का काम किया जाता है. इस लेख के माध्यम से हम जानने की कोशिश करेंगे कि आयुर्वेद के गर्दन दर्द में क्या फायदे और नुकसान होते हैं.

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      तुलसी का सेवन

      तुलसी का सेवन

      भारतीय हिन्दू सभ्यता में तुलसी के पौधों की पूजा की जाती है. मसलन यही पौधा एक अच्छे दर्जे का प्राकृतिक या आयुर्वेदिक दर्दनाशक दवा के रूप में सदियों से इस्तेमाल होता आया है. गर्दन दर्द के समय तुलसी के कुछ पत्तों को 2 से 3 काली मिर्च के साथ मिलाकर मुंह में रखें और धीरे-धीरे इसका रस अन्दर लें. ऐसा एक सप्ताह करने से गर्दन दर्द में आराम मिलता है.

      लौंग का सेवन

      लौंग एक बेहतरीन आयुर्वेदिक दवा मानी जाती है. दर्द दूर करने में इसका महत्वपूर्ण योगदान होता है. दिन में 1 से 2 लौंग का सेवन दर्द दूर भगा देता है. इसके अलावा लौंग के तेल से गर्दन पर मालिश करने से दर्द दूर होने लगता है.

      लहसुन का सेवन

      lahsun ke fayde

      लहसुन को आयुर्वेदिक एंटीबायोटिक का नाम भी दिया जाता है. इसको कच्चे तौर पर या फिर सूप बनाकर पीने से हड्डियाँ मजबूत होती हैं. कई तरह के खनिज सम्पदा के साथ ही लहसुन में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है जो हड्डियों को नवजीवन प्रदान करता है. इसके अलावा लहसुन को तेल में खौलाकर गर्दन पर मालिश करने से दर्द में राहत मिलती है.

      हल्दी वाला दूध

      दूध में कैल्शियम की सबसे ज्यादा मात्रा पाई जाती है. इसके साथ एक चुटकी हल्दी जो आयुर्वेदिक दवा के रूप में घाव तक ठीक करने की क्षमता रखती है का सेवन हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है. रोजाना सोते समय एक गिलास गुनगुने दूध में एक चुटकी हल्दी पाउडर मिलाकर सेवन करने से गर्दन दर्द दूर होने लगता है.

      आयुर्वेदिक विधा के नुकसान

      आयुर्वेदिक पद्धति पूरी तरह से प्राकृतिक विधा पर आधारित उपचार माध्यम होता है. इसके सटीक इलाज से साइड इफेक्ट का ख़तरा न के बराबर रहता है. मसलन इसकी कम या ज्यादा मात्रा आपके शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है. जब भी इन दवाओं का सेवन करें चिकित्सक की सलाह जरूर लें.

      डॉ आलिया

      • 7 Years of Experience
      • (BUMS)

      डॉ आलिया यूनानी चिकित्सा में स्नातक हैं. इन्हें कंधे के दर्द को ठीक करने में महारत हासिल है. इस विधा में इन्हें करीब 6 साल का अनुभव है. अपने इलाज से डॉ आलिया ने कंधे दर्द जैसे रोगों के लिए देश के हज़ारों मरीजों का सफलता से उपचार किया है.

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