एड़ी दर्द की मुख्य वजह और जटिलतायें।
एड़ी का दर्द कई वजहों से शरीर को तकलीफ पहुंचा सकता है। हल्की चोट लगने पर भी पैरों का यह मुलायम जोड़ बेहद प्रभावित हो सकता है। पैरों के तलवे के पिछले भाग में स्थिति इस जोड़ का सीधा संबन्ध कूल्हे और अंडाशय से भी होता है। इसमें चोट या झटका लगने से शरीर की अन्य आंतरिक ग्रंथि भी प्रभावित हो सकती है। चोट के दौरान जोड़ों के ऊतकों को नुकसान होता है और कभी कभार ब्लड के थक्के भी जम जाते हैं। ब्लड जमने से ऊतकों को भारी क्षति होती है क्योंकि उस दौरान मांशपेशियों को सही मात्रा में ऑक्सीजन और संचार नही मिल पाता। इसके साथ ही हड्डियों के चटकने से भी ऊतकों और मज्जा जो भारी क्षति होती है। चोट के अलावा खान पान की गुणवत्ता से समझौता इंसान को भारी पड़ता है। गलत खानपान से अक्सर शरीर भारी हो जाती है। वजन बढ़ने से शरीर का पूरा भार एड़ियों पर आ जाता है जिसके चलते हड्डियों में घर्षण होता है और अक्सर हड्डियों की प्लेट्स घिसकर कमजोर होने लगती हैं। इसके अलावा यूरिक एसिड के जमने से गठिया या अथराइटिस कई बार एड़ी के दर्द की जटिलताओं को बढ़ा देता है।
एड़ी दर्द में अंकुरित अनाज का सेवन दे सकता है लाभ।
सामान्य अनाज की जगह अंकुरित अनाज में कैल्शियम और खनिज तत्वों की प्रचुरता बढ़ जाती है। एड़ी दर्द का इलाज के लिए अंकुरित चने और मूंग का सेवन काफी लाभदायक होता है। इसके साथ ही अंकुरित मूंगफली भी काफी लाभ दे सकती है। इन खाद्य पदार्थों में हड्डियों को ऊर्जा देने की ताकत होती है। प्रतिदिन अपनी आहार प्रणाली में इन तत्वों के शामिल करना आवश्यक होता है। अंकुरित अनाज का सेवन करने से शरीर में मोटापा नही आता। मोटापा कई बीमारियों की वजह होता है जिसमें एड़ी का दर्द भी शामिल होता है। एक मनुष्य को अपने दैनिक आहार में कितनी मात्रा में अंकुरित अनाज का सेवन करना है यह उसके वजन और शरीर की मौके की स्थिति पर निर्भर करता है। मूंग में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। गठिया जैसे रोगों या फिर यूरिक एसिड के बढ़ने पर डायटीशियन की सलाह से अंकुरित अनाज का सेवन एड़ी के इलाज में लाभदायक होता है।
सलाद और हरी पत्तेदार साग सब्जियों का सेवन।
गर्मियों के मौसम में हरे साग सब्जियों का सेवन एड़ी का दर्द खानपान के लिए बेहद लाभकारी होता है। मौसमी हरी सब्जियों में पालक, सोया, मेथी और मरसा जैसे साग खनिज तत्व ओर विटामिन डी का भंडार तो होते ही हैं साथ ही ये प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं। पालक के जूस का सेवन खून में मौजूद अवशिष्ट पदार्थों को बाहर निकाल देता है। इसके साथ ही मेथी के रस कैल्शियम की मात्रा को संतुलित करने के साथ रक्तसंचार सामान्य करने का कार्य करता है। सब्जियों के रूप में जहां टेस्ट बढ़ा देती हैं तो वहीं इनका दैनिक सेवन एड़ी के दर्द का इलाज में भी सहायक होता है। सलाद के रूप में गाजर, प्याज, अदरक आदि का सेवन हड्डियों के जोड़ों को मजबूती प्रदान करता है।
एड़ी दर्द में दूध और हल्दी के लाभ।
एड़ी की हड्डी का बढ़ना बेहद दर्द नाक होता है। वैसे तो शरीर के किसी भी जोड़ में दर्द तकलीफ देता है लेकिन एड़ियो की तकलीफ होने पर उठना बैठना मुश्किल हो जाता है। दूध का सेवन हड्डियों के लिए बेहद उपयोगी होता है। शरीर की हड्डियों का निर्माण ही कैल्शियम से होता है। दूध कैल्शियम और विटामिन डी का सबसे बड़ा स्रोत माना जाता है। इसमें मौजूद मल्टी विटामिन तत्व जहां हड्डियों को मजबूती देते हैं तो वहीं शरीर को भी बलिष्ठ बनाते हैं। दूध को कई रूपों में प्रयोग किया जाता है। डेयरी प्रॉडक्ट के तौर पर पनीर, घी, दही और छाछ इसके अन्य स्वरूप होते हैं। गर्मियों के मौसम में दही और छाछ बेहद उपयोगी होते हैं। दूध को रात में सोते समय और नास्ते के साथ प्रयोग करने से दिन भर ऊर्जा बनी रहती है। दूध के साथ हल्दी का प्रयोग एड़ी दर्द के उपचार में चार चांद लगा सकता है। हल्दी एक ऐसा प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबायोटिक है जो शरीर से यूरिक एसिड तो निकलता ही है बल्कि मल्टी विटामिन का भी काम करता है। दिन में एक से दो चम्मच हल्दी का दूध के साथ मिलाकर सेवन करने से हड्डियों को बल मिलता है। इसका नियमित सेवन करने से हड्डियों से संबंधित सारे रोग दूर होने लगते हैं।
एड़ी दर्द का खानपान के लिए जरूरी सुझाव।
इसमें कोई शक नही है कि खानपान या आहार का दोष इंसान को बीमार बना देता है एड़ी का दर्द का खान पान के लिए ऊपर दिए गए तरीके बेहद उपयोगी होते हैं। नितमित रूप से इनके सेवन से जहां हड्डियों से सम्बंधित रोग पास नही फटकते तो वहीं दर्द होने पर भी बेहद लाभ पहुंचाने का काम करते हैं। यदि खान पान की विधियां अपनाने पर भी दर्द हो रहा हो और आराम ना मिल रहा हो तब डॉक्टर की सलाह पर दवाओं का सेवन उत्तम होता है।