संयमित आहार दिला सकता है सर्वाइकल की समस्या से मुक्ति

संयमित आहार दिला सकता है सर्वाइकल की समस्या से मुक्ति

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    सर्वाइकल या गर्दन का दर्द इंसान को बेहद तकलीफ देता है। स्नायुबंधन का खिंचाव या फिर शंधिसोथ जैसी समस्या के चलते इंसानी रीढ़ की हड्डी में विकृति आ जाती है। गर्दन हमारे शरीर का ऐसा हिस्सा है जिसका सीधा संबंध रीढ़ से होता है। रीढ़ के स्नायुतंत्रो का गर्दन से जुड़ाव हल्का खिंचाव या मोच के चलते दर्द का कारण बन जाता है। अक्सर यह समस्या एक तरफ करवट लेकर लेटने या फिर ऊंची तकिया के इस्तेमाल के बाद उत्पन्न होती देखी गई है लेकिन इसकी कई अन्य जटिलतायें भी हैं। गर्दन का दर्द खानपान की विकृति से होने वाला रोग भी माना जाता है। जीवनशैली में लगातार परिवर्तन और आहार से हर बार समझौता करने वाले लोगों में गर्दन की समस्या आम है। हालांकि टॉन्सिल के बढ़ाव के साथ या फिर अल्कोहल के लती लोगों में इस तरह के रोग अक्सर देखे गए हैं। दुनिया में इलाज की कई विधाओं की मौजूदगी है लेकिन समुचित और संयमित खान पान इस तरह की मर्ज को कैसे ठीक कर सकता है इस लेख के माध्यम से बखूबी जाना जा सकता है।

    गर्दन का दर्द संबंधित जटिलतायें।

    गर्दन का दर्द संबंधित जटिलतायें

    गर्दन का दर्द खानपान में सन्तुलन जहां इस मर्ज को जड़ से ठीक करने में सहायक हो सकता है तो दूसरी तरफ इस रोग की कई जटिलतायें भी होती हैं। शरीर का सबसे वजनी भाग हमारा सिर ही होता है जो गर्दन पर टिका होता है। गर्दन कई हड्डियों सहित मांसपेशियों का ऐसा गुच्छा होता है जो रीढ़ और कमर की हड्डी की ग्रंथियो को सीधे तौर पर जोड़े रखने का कार्य करता है। अक्सर गर्दन की समस्या अल्कोहल जनित रोगों के कारण देखी गई है तो कई बार थॉयराइड सहित टॉन्सिल की समस्या भी इसमें दर्द बढ़ा देती है। कई बार यह समस्या बेहद सामान्य होती है तो कई बार यही मुश्किल बन जाती है। सर्वाइकल पेन अक्सर ऐसी तकलीफ लाता है कि इंसान अपने सिर को भी घुमाने में तकलीफ महसूस करने लगता है। गर्दन की हड्डियों में मौजूद नर्म ऊतकों में संक्रमण के चलते कई बार तो शल्य चिकित्सा तक का सहारा लेना पड़ जाता है। बढ़ती उम्र में कमजोर होती हड्डियां भी इसका बड़ा कारण हैं तो वहीं गलत तरीके से सोना भी गर्दन की समस्या ओर जटिलताओं को बढ़ा सकता है।

    गर्दन दर्द में लें विटामिन डी ओर कैल्शियम युक्त भोजन।

    गर्दन दर्द में लें विटामिन डी ओर कैल्शियम युक्त भोजन

    खून में विटामिन डी की कमी से रिकेट्स जैसे रोग होने की संभावना काफी बलवती हो जाती है तो कैल्शियम की कमी से हमारे बोन्स कमजोर हो जाते हैं। हमारे शरीर की हड्डियों का निर्माण इन्ही तत्वों से मिलकर होता है। अपने दैनिक आहार में मछली, अंडे सहित दूध का भरपूर मात्रा में उपयोग करें। हरी पत्तेदार सब्जियों की मात्रा को भोजन में बढ़ाने के साथ ही सलाद का भी प्रयोग करना ना भूलें। शरीर में कैल्शियम की मात्रा का सामान्य स्थिति में होना ही हड्डियों के स्वस्थ होने का संकेत होता है।

    दूध, हल्दी और शहद का सेवन।

    गर्दन दर्द में दूध, हल्दी और शहद का सेवन

    दूध में सारे विटामिन और मिनिरल तो पाए ही जाते हैं बल्कि यह विटामिन डी ओर कैल्शियम का बड़ा स्रोत होता है। दूध में हल्दी डालकर अपने आहार में उपयोग करने से गर्दन की समस्या दूर हो जाती है। गर्दन दर्द का आहार के लिए हल्दी ऐसा एन्टी ऑक्सीडेंट होता है जो दर्द तो कम करता ही है बल्कि सूजन भी कम करने का कार्य करता है। हल्दी में मौजूद क्यूरोकुमिन तत्व प्राकृतिक मल्टी विटामिन का काम करता है। एक गिलास दूध में एक चम्मच हल्दी मिलाकर पीने से दर्द और सूजन दोनों दूर होने लगते हैं। शहद में मौजूद तत्व दूध के साथ मिला देने से कैल्शियम का बेहतरीन स्त्रोत हो जाते हैं। एक गिलास दूध में एक से दो चम्मच शहद मिलाकर सेवन करने से शरीर को तुरंत ऊर्जा प्राप्त होने लगती है। इसके अलावा गुनगुने पानी के साथ शहद के प्रयोग से भी हड्डियों के जोड़ स्वस्थ रहते हैं। हल्दी इस तत्व है जो खाने के साथ लगाने के काम भी आता है। गर्दन दर्द के दौरान हल्दी को गर्दन पर गुनगुना लेपन भी किया जा सकता है यदि चोट या मोच की वजह से दर्द हो रहा हो तो। इसके प्रयोग से मांसपेशियों में रक्तसंचार सामान्य होता है और सूजन समाप्त हो जाती है।

    निर्जलीकरण से बचें, करें पानी का भरपूर प्रयोग।

     

    गर्दन का दर्द खानपान में जितना महत्व खादय पदार्थो का है उससे ज्यादा महत्व पानी का भी होता है। इंसानी काया 70 फीसदी से ज्यादा पानी से ही बनी होती है। भोजन के बिना कुछ घण्टे या दिन तक जीवित रहा जा सकता है लेकिन पानी के बिना इंसान निष्प्राण हो सकता है। पानी की मात्रा बढ़ाने से हमारे शरीर से अवशिष्ट पदार्थ बाहर निकलने शुरू हो जाते हैं। हड्डियों के जोड़ो में मौजूद यूरिक एसिड भी पानी की मात्रा बढ़ाने से बाहर निकलना शुरू हो जाते हैं। सुबह खाली पेट गुनगुने पानी का सेवन शरीर के लिए बहुत उपयोगी तो होता ही है बल्कि हड्डियों के लिए संजीवनी का काम करता है। इसके सेवन से जहां वात पित्त जैसी समस्याएं समाप्त होती हैं तो दूसरी तरफ मोटापे से भी निजात मिलती है। कई बार मोटापा बढ़ने से भी गर्दन की समस्या होते हुए देखी गई है इसलिए वजन पर नियंत्रण लगाने के लिए पानी का समुचित प्रयोग काफी लाभदायक होता है। खासकर गर्मियों के मौसम में पानी अधिक से अधिक पीने की जरूरत होती है। एक स्वस्थ मनुष्य को दिन भर यानी 24 घंटे में 6 से 8 लीटर पानी पीना चाहिए। इसके साथ हल्का नामक चीनी और नीबू घोलकर पीना गर्दन के दर्द में बेहद लाभ पहुंचा सकता है।

    गर्दन का दर्द खानपान संबंधित जरूरी सलाह/ सुझाव।

    गर्दन का दर्द खानपान में ऊपर बताये गए तरीके वाकई बेहद लाभदायक होते हैं लेकिन कुछ अन्य सुझाव भी आवश्यक होते हैं। किसी भी वस्तु की मात्रा का सेवन व्यक्ति या इंसान की मौजूदा स्थिति, वजन या रोग पर आधारित होता है। खानपान के तरीकों से वास्तव में शरीर की बीमारियों को नियंत्रित किया जा सकता है। कभी भी इस तरह के दर्द के दौरान कोल्ड ड्रिंक या अल्कोहल का प्रयोग न करें नही तो दर्द में बढ़ोत्तरी भी हो सकती है और जीवन संकट में पड़ सकता है। हल्का व्यायाम सहित सूर्योदय के समय सूर्य नमस्कार के कुछ योग गर्दन के लिए बेहद फायदा पहुंचा सकते हैं। हालांकि ज्यादा दर्द के समय चिकित्सक की सलाह से दवाएं लेना लाभकारी होता है।

    डॉ अनस

    • 6 Years of Experience
    • (BUMS)

    मैं डॉ अनस यूनानी चिकित्सा पद्धति में बैचलर हूँ। जोड़ों के दर्द ( Joints pain) और बैक पेन ( back pain) पीठ दर्द, रीढ़ की हड्डी में दर्द जैसी समस्या के उपचार में मुझे 5 साल का अनुभव है। मैनें अपने उपचार से हजारों रोगियों को एक नया जीवन प्रदान

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