रीढ़ की हड्डी सम्बंधित मुख्य जटिलताएं
रीढ़ की हड्डी के रोग कई प्रकार के होते हैं. इनमें कुछ रोग बेहद सामान्य होते हैं तो कइयों की जटिलताओं से जीवन खतरे में पड़ जाता है. रीढ़ में स्पाइनल स्टेनोसिस एक ऐसा रोग है जो शरीर को अपंगता की तरफ ले जाता है. इस रोग में स्पाइनल के नरम ऊतकों में बड़ी तेजी से संक्रमण होना आरम्भ हो जाता है. यह संक्रमण अक्सर इतना छुपा रहता है कि जल्दी इसकी जानकारी नहीं हो पाती। जानकारी के आभाव में लोग कई सालों बाद इस रोग के बारे में जान पाते हैं. इस समस्या के हो जाने पर टांगों में दर्द के साथ ही कमर के निचले हिस्से में सुन्नता और सूजन देखी जा सकती है. इसकी वजह से पेशाब में दर्द और जलन की शिकायत भी हो सकती है बढ़ती उम्र या फिर अनुवांशिक कारणों से स्पाइनल के ऊतकों में कड़ापन आना शुरू हो जाता है. कई बार बढ़ते हार्मोनल विषंगतियो से भी इस तरह की बीमारियों के जटिल होने का ख़तरा बढ़ जाता है. रीढ़ में दर्द मधुमेह के बढ़ते स्तर की वजह भी बन सकता है. अक्सर देखा गया है कि महिलायें जो घर
का कामकाज संभालती हैं वे पुरुषों की अपेक्षा सबसे ज्यादा इस तरह की समस्या का शिकार होती हैं. रीढ़ के रोग में गठिया और अर्थराइटिस भी बड़ी भूमिका का निर्वहन करते हैं. समय से उपचार ना होने की दशा में रीढ़ का संक्रमण कई बार इंसान के जीवन पर भारी पड़ जाता है.
योग भगाये रीढ़ की समस्या।
शशांकासन आसान – रीढ़ का दर्द का योग में शशांकशान बेहद चमत्कारी उपाय साबित हो सकता है. यह एक ऐसा आसान या योग है जो रीढ़ की हड्डियों को नई ताकत और ऊर्जा देने का कार्य करता है. रीढ़ को कैल्शियम के साथ रक्तसंचार की गति बढ़ाने वाला यह योग वास्तव में दर्द में बेहद कारगर होता है. इस योग को खाली पेट और सूर्य के उदय होते हुए किये जाने से बेहद लाभ प्राप्त होता है.
शशांकशान योग की विधि – इस आसान का मतलब होता है कि इंसान खरगोश के आकृति का शरीर बना ले और कुछ समय तक वैसे ही शरीर को किये रखे. किसी फर्श या चटाई पर पेट के बल लेट जाएँ। अपनी दोनों भुजाओं को आगे बढ़ाते हुए पैरों को सीधा फैला लें. चेहरे को आगे करते हुए दोनों हाथों को पीछे पीठ की तरफ ले जाएँ। ऐसा करते हुए हलकी साँस नाक के माध्यम से अंदर की तरफ खींचना शुरू करे. ऐसा करीब 4 से ५ बार करें। इस योग से पीठ और रीढ़ की हड्डी सपाट रूप से एक साथ हो जाती है. हड्डियों में खिंचाव होने से मांशपेशियों को बल मिलता है और दर्द दूर होने लगता है.
पवनमुक्तासन योग के लाभ -रीढ़ का दर्द का योग में यह आसान बेहद उपयोगी हो सकता है. इस आसान से जहाँ हड्डियों को नई प्राणवायु प्राप्त होती है तो दूसरी तरफ आत्मीय सकारात्मक शक्ति का भी विकास होता है. यदि किस भी वजह से इंसान अवसाद का शिकार है तो इस आसान के प्रयोग से उसे काफी रहत प्राप्त होती है.
पवनमुक्तासन योग की विधि – इस आसान को करने के लिए किसी फर्स या चटाई पर पीठ के बल लेट जाएँ। पथ के बललेटने के साथ ही बायां पैर उठायें और घुटने तक मोड़ लें. अब हलकी साँस अंदर ले और थोड़ी देर तक रोके रहें, अब दाहिना पैर ऊपर उठाकर घुटनों तक मोड़ लें हलकी साँस लें और धीरे धीरे छोड़ें। इस अवस्था में आपके सीने की हड्डियों को तो बल मिलता ही है बल्कि स्पाइनल से सम्बंधित रोग भी नष्ट होना आरम्भ हो जाते हैं.
रीढ़ का दर्द का योग सम्बंधित जरूरी सुझाव/ सलाह
वास्तव में योग ऐसा प्राकृतिक उपाय है जिसका किसी तरह का साइड इफेक्ट नहीं होता लेकिन दर्द के समय इन आसनों को बड़ी सावधानी से करने की जरूरत होती है. योग को यदि किसी माहिर फिज़ियोथेरेपिस्ट की देखरेख में किया जाये तो यह सबसे उत्तम साबित हो सकता है. डेढ़ में दर्द कम करने या मिटने में योग बेहद कारगर साबित हो सकता है लेकिन दर्द बढ़ जाने की स्थिति में तुरंत चिकित्स्कीय परामर्श से दवाओं का सेवन करें।