रीढ़ की हड़डी के टेढ़ेपन की समस्या में कारगर हैं ये योग

रीढ़ की हड़डी के टेढ़ेपन की समस्या में कारगर हैं ये योग

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    शरीर में होने वाला कोई भी दर्द हो इसे सहने के लिए अत्यधिक पीड़ा का सामना करना पड़ता है। खासतौर पर जब बात रीढ़ की हड्डी के दर्द की हो तो ये व्यक्ति को चलने-फिरने में भी असमर्थ बना देता है। क्योंकि रीढ़ की हड्डी का दर्द इतना कष्टदायक होता है कि ये व्यक्ति का उठना तक मुश्किल कर देता है।

    रीढ़ की हड्डी में टेढ़ापन और दर्द के कारणों की बात करें तो इसके कई कारण हो सकते हैं। कुछ लोगों के नसों या मांशपेशियों से संबंधित कोई समस्या या बीमारी होती है तो ये रीढ़ के टेढ़ेपन का कारण बन सकता हैं। ये समस्या ज़्यादातर बच्चों में सुनने को मिलती है। इसके अलावा रीढ़ की हड्डी में दर्द के कारणों की बात करें तो इसका कारण गिरना, फिसलना, चोट लगना और देर तक गाड़ी चलाना आदि हो सकता है।

    रीढ़ की हड्डी के टेढ़ापन से बचने के लिए योग

    रीढ़ की हड्डी के टेढ़ापन से बचने के लिए योग

    योग हर रोग की दवा है। यदि आप भी रीढ़ की हड्डी में दर्द व नसों में खिंचाव संबंधी किसी समस्या से झूझ रहे हैं तो ऐसे में योग ही आपका सच्छा साथी है। तो आज हम आपको रीढ़ की हड्ड़ी को स्वस्थ रखने के लिए कुछ योग बताने जा रहे हैं जिसे अपनाकर आप रीढ़ की हड्डी संबंधित किसी भी समस्या से आसानी से बच सकते हैं। तो आइए जानते हैं।

    • भुजंगासन- इस आसन को करने के लिए खुली हवा में पेट के सहारे लेटें। और अपने सिर को ज़मीन पर सटा कर रखें। अब अपने शरीर के अलगे हिस्से को पीछे की ओर खिंचने की कोशिश करें। इस मुद्रा में सांस को लेते और छोड़ते रहें।

       लाभ- नियमित रूप से इस आसन को करने से रीढ़ की हड्डियां मज़बूत होती हैं।

    • धनुरासन- इस आसन को करने के लिए सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं और अपनी बाजुओं को शरीर के समानंतर ही सटा कर रखें। इसके बाद अपने दोनो पैरों को मोड़कर टखनों को हाथों से पकड़ने की कोशिश करें। और धनुष का शेप बना लें। ध्यान रहे ऐसा करते समय नाभी को ज़मीन से सटा कर ही रखें।

       लाभ- इस आसन को करने से रीढ़ की हड्डियों में लचीलापन आता है। और हड्डियों में दर्द से संबंधित समस्या भी नहीं होती है।

    • अर्धमत्स्येन्द्रासन- इस आसन को करने के लिए पैरों को सीधे रखें। और ज़मीन पर बैठ जाएं। अब अपने दाएं पैर के तलवे को बाएं टखनों के पास बाहर की तरफ़ घुमाकर रखें। और दूसरे पैरों के साथ भी यही मुद्रा दोहराएं। अब अपना दायां हाथ पीठ के ऊपर की तरफ ले जाएं।

       लाभ- इस आसन से रीढ़ की हड्डियों में गतिशीलता आती है। साथ ही कुल्हों में दर्द भी नहीं होता हैं।

    • उष्ट्रासन- इस योग को करने के लिए सबसे पहले घुटनों के बल बैठ जाएं और पंजों को खड़ा कर लें। इसके बाद अपने हाथों को घुमाकर एड़ियों को छूएं। इस स्थिति में सांस लेते और छोड़ते रहें।

       लाभ- इस योग से रीढ़ की हड्डी में टेढ़ेपन की समस्या नहीं होती है।

    • मेरूदंड- इस आसन को करने के लिए अपने शरीर को सामने की तरफ़ घुमाकर बैठें। अब दोनों घुटनों को अंदर की तरफ मोड़कर और दोनों पैरों के बीच में थोड़ी जगह बनाएं। और दाएं हाथ से दाएं पैर का अंगूठा और बाएं हाथ से बाएं पैर का अंगूठा पकड़ें। लगभग 15 से 20 सेकेंड के लिए इसी मुद्रा में बने रहें। फिर सामान्य स्थिति में आ जाएं।

       लाभ- मेरूदंड आसन को रोज़ाना करने से रीढ़, कमर, और पीठ, की हड्डियां मजबूत होती हैं। और दर्द जैसी शिकायत भी दूर होती हैं।

    • मारजारी- मारजारी आसन को करने के लिए सबसे पहले घुटनों के बल बैठ जाएं। और दोनों हाथों को आगे की तरफ़ लाकर ज़मीन से सकाटर रखें। और कमर को बीच से ऊपर उठाएं। इसके बाद गर्दन को ऊपर की तरफ़ करें। और 4 से 5 बार इस प्रक्रिया को दोहराएं। संतुलन के साथ सांस लेते और छोड़ते रहें।

       लाभ- इस आसन से रीढ़ की हड्डी संतुलित रहती है। और ये शरीर में होने वाले किसी भी तरह के दर्द को खत्म करता है।

    यदि आप भी रीढ़ की हड्डी में टेढ़ेपन से परेशान हैं तो ऊपर बताए गए योगासन को ज़रूर फॉलो करें।

    डॉ वैशाली

    • 7 Years of Experience
    • (Physiotherapist)

    डॉ वैशाली, योगा, व्यायाम जैसे माध्यम से हड्डियों के रोग का इलाज करती हैं. इन्हें इस विधा में करीब 6 साल का अनुभव है. इनके साथ योग, व्यायाम जैसे तरीके सीखकर देश के हज़ारों मरीज स्वास्थ्य लाभ उठाते हैं. पिछले कई सालों में लगभग हर मरीज डॉक्टर वैशाली के बताए

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