आमतौर पर कमर में दर्द हो जाना किसी बड़े रोग का संकेत नही होता. जब यह दर्द दवा खाने के बाद भी ना मिटता हो तब किसी आंतरिक तकलीफ़ की तरफ अंदेशा होना स्वाभाविक है. अमूमन ऐसे दर्द चोट, मोच या फिर हड्डियों के रेशों में हो रहे विकारों के द्वारा भी हो सकते हैं. यदि इन वजहों से कमर की समस्या हो रही है तो डरने वाली बात नही है. कभी कभार शरीर में कमर की पीड़ा आंतरिक रोगों की वजह भी बन जाता है. इन रोगों में किडनी की समस्या सबसे मुख्य वजह होती है.
किडनी में यूरिक एसिड की अधिकता से इस तरह की समस्याएँ उत्पन्न हो जाती है. भागदौड़ भरी जिन्दगी में इंसान अपने खानपान पर नियंत्रण खो बैठता है. खानपान और जीवनशैली में अचानक हुए परिवर्तन से आंतरिक अंगों पर बुरा असर पड़ता है. मसलन हमारे विश्व पटल पर कई तरह की दवाइयां इजाद की गई हैं जो दर्द रोकने का काम करती हैं लेकिन इन्ही विधाओं में एक उपचार माध्यम का नाम होम्योपैथी है. होम्योपैथी दवा कमर की पीड़ा को किस तरह कम करती है या इसके क्या फायदे नुकसान हैं आज हम इस लेख के माध्यम से बताने वाले हैं.
होम्योपैथी दवा का कमर दर्द में फायदा
होम्योपैथी दवाओं को जर्मन पद्धति के उपचार के रूप में जाना जाता है. फायदे की बात करें तो कमर दर्द के स्थाई इलाज के लिए बहुत से मरीज इस विधा का इस्तेमाल करते हैं और भले चंगे भी हो जाते हैं. आपने अपने आसपास कभी भी कुछ लोगों को एक डिब्बे में रखी छोटी चीनी की गोलियों को खाते हुए देखा होगा. यह वही दवाइयां हैं जिन्हें हम उपचार की विधा में होम्योपैथ के नाम से जानते हैं, दर्द की स्थिति में चिकित्सक कुछ गोलियों को एक डिब्बी में डालकर उसमें थोड़ा सा द्रव मिलाते हैं. इस द्रव के साथ ही दवाइयां काफी तीक्ष्ण गंधयुक्त होती हैं मसलन अल्कोहल की मानिंद. इसके साथ ही कुछ द्रव से भरी दवाओं को पानी में डालकर पीने की सलाह भी दी जाती है. इन दवाओं में बल्गेरिस, सल्फर आदि से मरीज के उपचार का दावा किया जाता है. कई शोधों में यह बात सामने आई है कि इस उपचार से कमर दर्द सहित हड्डियों से सम्बंधित विकार दूर हो जाते हैं. इसके अलावा यह यूरिक एसिड को भी शरीर में जमने नही देता है. ख़ास बात यह है कि ऐसी दवाइयां शरीर पर साइड इफेक्ट को भी कम करने का काम करती हैं.
होम्योपैथिक के नुकसान
इन दवाओं के लेने से पहले कई तरह के परहेज की सलाह दी जाती है. हालंकि ऐसी दवाएं शरीर पर साइड इफेक्ट तो नही करती लेकिन इनके रियक्शन काफी खतरनाक होते हैं. इस विधा के इस्तेमाल से पहले खट्टी, मीठी, तीखी वस्तुओं के सेवन के साथ ही प्याज लहसुन आदि तक के इस्तेमाल से परहेज बताया जाता है. सबसे कठिन बात यह है कि दर्द के समय यह दवाइयां तुरंत राहत पहुचाने में सहायक नही होती हैं. इन दवाइयों से कैल्शियम सहित किसी भी तरह का पोषण हड्डियों को नही प्राप्त हो पाता है. चिकित्सक की सलाह के बिना इस विधा की दवाइयों के साथ अन्य उपचार माध्यम की दवाइयों का सेवन शरीर के लिए काफी नुकसान पहुंचा सकता है.