होम्योपैथी का घुटने दर्द में होता है कुछ ऐसा असर

होम्योपैथी

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    होम्योपैथी का नाम सामने आने पर घरेलू दवा की बात मन मे आ ही जाती है लेकिन यह बात मिथ्या के सिवा कुछ भी नही। असल मे होम्योपैथी चिकित्सा जर्मन विधा या तकनीक द्वारा विकसित दवा होती है जिसका इस्तेमाल पूरी दुनिया मे व्यापक पैमाने पर दशकों से हो रहा है। बात घुटने दर्द की करें तो यह इंसान को बेहद पीड़ा देता है। पैरों के मध्य में स्थित गांठ या घुटना के पीड़ा में होने के चलते लोग उठने बैठने ओर चलने फिरने तक मे पीड़ा का अनुभव करने लगते हैं। सदियों से वैज्ञानिक इस तरह के मर्ज बुढ़ापे में होने वाली व्याधियों के लिए रेखांकित करते थे लेकिन आज के दौर में यह पीड़ा हर उम्र के लोगों में शगल बनता जा रहा है। बच्चे और युवा पीढियां भी इसकी जद में हैं। युवाओं में यह समस्या अधिक शारीरिक श्रम करने या फिर खेल के दौरान चोट लगने के कारण हो जाता है। बच्चों में कैल्शियम की कमी के चलते यह समस्या उत्पन्न हो जाती है

    लोगों से एक कदम आगे निकलने की होड़ ने इंसान को रोबोट की मानिन्द काम करने पर विवश कर दिया है। लोग आपाधापी के चलते अपनी दिनचर्या तेजी से बदल रहे हैं। दिनचर्या बदलने के साथ ही लोग खान पान भी या तो समय से नही कर पाते या
    उसकी गुणवत्ता से समझौता कर बैठते हैं। इंसान की यही आदत उसकी हड्डियों के लिए जहर बन जाती है

    मसलन इस तरह के दर्द के कई और भी कारक हो सकते हैं। बढ़ती उम्र के साथ मोटापा या वजन का बढ़ना भी एक बड़ा कारण होता है। मधुमेह, उच्च रक्तचाप सहित अनुवांशिक और हार्मोनल परिवर्तन भी हड्डियों के जोड़ों को कमजोर कर देता है। आज इस लेख के माध्यम से हम होम्योपैथी द्वारा इलाज करने से घुटने के दर्द में क्या लाभ और क्या नुकसान होता है इसके बारे में बात करेंगे

    घुटनों के दर्द में होम्योपैथी के फायदे

    होम्योपैथी चिकित्सा बहुत धीमी गति से ही सही लेकिन घुटना दर्द जैसी मर्ज को जड़ से समाप्त करने का दावा करती है। मसलन होम्योपैथी चिकित्सक इस तरह की मर्ज के इलाज के लिए मरीज को सबसे पहले अमुक लक्षण उत्पन्न होने वाली दवा के सेवन की सलाह देते हैं। यदि दी गई दवा से लक्षण प्रकट हो जाता है तब मरीज के बिल्कुल ठीक होने के चांसेज बढ़ जाते हैं। आमतौर पर चिकित्सक दर्द कम करने के लिए बलगेरिस या फिर ऐसी ही कुछ लिक्यूड की कुछ बूंदों को पानी मे मिलाकर सुबह शाम इस्तेमाल की सलाह देते हैं। इन दवाओं के सेवन की सीमा कई महीने या साल तक हो सकती है। सबसे जरूरी बात यह होती है कि मरीज को इस तरह की दवाओं के सेवन के साथ धैर्य की भी जरूरत होती है क्योंकि इस विधा में मर्ज ठीक होने में समय लगता है। दवा के इस्तेमाल के साथ परहेज जैसे लहसुन, अचार जैसे खट्टे पदार्थों के सेवन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जाता है। सबसे अहम बात होती है कि भोजन से करीब 1 घंटे बाद ही इस उपचार माध्यम की दवा का सेवन किया जाना चाहिए तभी इसका सही असर होता है

    होम्योपैथी के नुकसान

    वैसे होम्योपैथी के बारे में यहाँ तक माना जाता है कि ऐसी दवाइयां कई तरह की एलर्जी और साइड इफेक्ट दूर कर देती हैं लेकिन इनके कुछ नुकसान भी देखने को मिलते हैं। घुटना दर्द में फौरी राहत देने में होम्योपैथी बिल्कुल भी असरदार नही है। यह फौरी राहत नही दे सकती। इस तरह की दवा के साथ एलोपैथिक दवाओं का तगड़ा रिएक्शन देखने को मिलता है। परहेज ना किये जाने की स्थिति में होम्योपैथी शरीर पर असर नही करती। हड्डियों के दर्द में कैल्शियम की कमी भी एक बड़ा कारण हो सकता है लेकिन इस विधा की दवाइयां पोषण देने में नाकाफी साबित हुई हैं। सबसे बड़ी बात कि किसी भी दवा के इस्तेमाल से पहले चिकित्सक की राय लेना जरूरी होता है

    डॉ विवेक

    • 9 Years of Experience
    • (BHMS)

    डॉ विवेक को होम्योपैथी में स्नातक हैं. इनकी चिकित्सा से देश के हज़ारों मरीज गठिया रोग से निजात पा चुके हैं. डॉ विवेक को इस क्षेत्र में 8 साल का अनुभव है. डॉ विवेक का कहना है कि होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति समरूपता के सिद्धांत (like cures like) पर काम करती

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