एलोपैथी से घुटने दर्द में किस तरह के होते हैं फायदे और नुकसान

एलोपैथी से घुटने दर्द का इलाज

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    घुटने के दर्द या शरीर के किसी भी हिस्से में होने वाले दर्द से राहत पाने के लिए हम अधिकतर एलोपैथी दवाओं का उपयोग करते हैं। शरीर में होने वाले दर्द के लिए हम एलोपैथी दवाओं का प्रयोग करते इन दवाओं का शरीर पर तुरंत असर होता है। इस तरह की समस्याएं अर्थराइटिस या गठिया जैसे रोग को जन्म देती हैं। पहले के समय में इस तरह की बीमारीयां 40 की उम्र के बाद होती थी लेकिन आजकल के खानपान में बदलाव के कारण यह युवाओं को भी प्रभावित कर रहा है। भारत में एक सर्वे के अनुसार ऑफिस जाने वाली महिलाओं पर इसका अधिक प्रभाव पड़ता है। मसलन 40 से 60 साल की उम्र वाली महिलाओं में गठिया रोग हो जाना आम समस्या हो चुकी है। बच्चों में 10 साल तक कि उम्र वाले शिशु भी शरीर मे कैल्शियम की कमी के शिकार होकर इस रोग की चपेट में आ रहे हैं।

    जीवनशैली में बदलाव के कारण हड्डियों में दर्द रहता है और कमज़ोरी भी आने लगती है। खान पान में असंतुलन होने के कारण शरीर में यूरिक एसिड पैदा होता है। मसलन रोग प्रतिरोधक क्षमता के कम होने से भी गठिया होने के चान्स बढ़ जाते हैं। आज इस लेख के माध्यम से हम एलोपैथिक दवाओं का इस रोग पर क्या असर होता है इसके बारे में चर्चा करेंगे

    एलोपैथी दवाओं के घुटने दर्द में फायदे

    किसी भी दर्द से तुरंत राहत पाने के लिए हम एलोपैथी दवाईयों का प्रयोग करते हैं। गांठों में दर्द होने के पीछे कई तरह के लक्षण पाए जाते हैं। अगर आपके जोड़ों में दर्द है तो डॉक्टर आपको एक्सरे या खून टेस्ट कराने को कहते हैं। इसके साथ ही केल्शियम और यूरिक एसिड की जांच भी की जाती है।

    यदि यूरिक एसिड की समस्या से गठिया दर्द की शिकायत होती है तब डॉ कुछ एन्टी ऑक्सीडेंट के साथ पेन किलर दवाओं के इस्तेमाल की सलाह देते हैं। कुछ दिन दवा खाने पर यदि राहत नही मिलती तब एक्सरे रिपोर्ट के आधार पर एन्टी बायोटिक दवाओं के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है। एन्टी बायोटिक दवाएं गांठों में सूजन कम करके पैरों को मुड़ने लायक बना देती हैं। काफी समय उपचार करने के बाद भी राहत ना मिलने पर घुटने दर्द में शल्य चिकित्सा के माध्यम से हड्डियों के घर्षण को बाहर निकलकर उसे रिपेयर किया जाता है हालांकि यह आखिरी विकल्प होता है जिससे मरीज लंबे समय तक दर्द और मर्ज से छुटकारा पा लेता है

    एलोपैथी दवा के नुकसान

    घुटने दर्द में लगातार दवाओं के सेवन की सलाह दी जाती है जिससे दर्द पर काबू पाया जा सके। एलोपैथी दवाईयां जितनी जल्दी शरीर के दर्द पर असर करते इस पद्धति की दवाओं का शरीर पर जितनी तेजी से असर होता है उतने ही उसके साइड इफैक्ट भी होते हैं। इसके अलावा अन्य बीमारीयों के होने का खतरा बढ़ जाता है जैसे स्किन रोग, आंखों में जलन आदि। ऐलोपैथ उपचार माध्यम में बिना चिकित्सक की सलाह के दवाओं का सेवन इंसान की जान के लिए भारी जोखिम पैदा कर सकता है। इसके रिएक्शन बेहद खतरनाक होते हैं जिससे मृत्यु तक हो सकती है। दवाओं की मात्रा ज्यादा होने पर लिवर और किडनी के साथ शरीर के अन्य अंदरूनी अंगों के खराब होने के चान्स बढ़ जाते है। जब इस तरह की उपचार विधा को इस्तेमाल में लाएं पंजीकृत चिकित्सक की सलाह जरूर लें क्योंकि जान है तो जहान है

    डॉ नीतू

    • 6 Years of Experience
    • (BHMS)

    डॉ नीतू होम्योपैथी चिकित्सा से स्नातक हैं. इनके इलाज से घुटना दर्द के हज़ारों मरीज ठीक हुए हैं. इन्हें इस विधा में 5 साल का अनुभव है. होम्योपैथी को लेकर आम समझ यही है कि यह केवल मामूली बीमारियों के उपचार में ही कारगर है. इसके अलावा होम्योपैथी चिकित्सा के

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