आयुर्वेदिक दवा के नियमित प्रयोग से दूर किया जा सकता है कूल्हे का दर्द।

आयुर्वेदिक दवा के नियमित प्रयोग से दूर किया जा सकता है कूल्हे का दर्द

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    कूल्हा या हिप हमारे शरीर का आया हिस्सा है जिसपर बैठने के दौरान शरीर का पूरा भर निहित हो जाता है। पैरों को मोटी हड्डियों से जुड़े शरीर के इस हिस्से का सीधा ताल्लुक रीढ़ ओर कमर की हड्डियों से होता है। कूल्हे की परेशानी होना अक्सर सामान्य बात हो सकती है लेकिन कुछ स्थिति में दर्द बेहद जटिल समस्या बन जाती है। दर्द चाहे जिस भी वजह से हो था हो कूल्हे का दर्दयुर्वेदिक दवा वाकई काफी लाभदायक होती है। आयुर्वेद हमारे देश का ऐसा परम्परागत माध्यम है जिससे कई असाध्य रोगों पर भी विजय पाई जा सकी है। कूल्हे की हड्डी से जुड़ी कई लेयर की मोटी हड्डियों में संक्रमण या प्लेटों के साथ जुड़ी मांसपेशियों में खिंचाव या फिर चोट, मोच के दौरान नर्म ऊतकों के क्षति काफी दर्द देने वाली होती है। दुनिया में रोगों का इलाज करने के लिए कई तरह की उपचार पद्धतियां मौजूद हैं। कई विधियों से उपचार किया भी जाता है लेकिन इन सब में आयुर्वेद की एक अलग ही विशेषता रही है। इस लेख के माध्यम से सदियों पुरानी अपनी पारंपरिक उपचार माध्यम से दर्द के उपचार और कूल्हे की समस्या से संबंधित जटिलताओं पर चर्चा करेंगे।

    कूल्हे दर्द संबंधित जटिलताएं

    कूल्हे दर्द संबंधित जटिलताएं

    हड्डियों का दर्द यूँ ही नही होता। कूल्हे की हड्डी में दर्द सामान्य चोट या मोच की वजह से भी जो सकता है। हालांकि ऐसे दर्द सामान्य ही नही बेहद सामान्य होते हैं जो हल्के मसाज के बाद स्वतः समाप्त हो जाते हैं। खान पान में विकृति के चलते हड्डियों का कमजोर होना स्वाभाविक है। बढ़ती उम्र या बुढापे में इस तरह की समस्या का होना स्वाभाविक माना जाता है लेकिन जवानी या फिर किशोरावस्था में होने वाला दर्द वास्तव में बड़ी समस्या में शामिल होता है। एक हेल्थ सर्वे की माने तो पता चलता है कि खराब जीवनशैली के चलते हड्डियों का विकृत होना या संक्रमण के साथ लिगामेंट में नर्म ऊतकों की क्षति बेहद जटिल समस्या बन जाती है। ऐसी स्थितियां अक्सर पुरानी चोट या फिर आहार से समझौते के बाद प्रकट होती हैं। इन्हीं समस्याओं के चलते इन्सानी काया गठिया या अर्थराइटिस जैसे रोगों का शिकार हो जाती है। गंभीर चोट के परिणामस्वरूप होने वाले संक्रमण से कई बार हड्डियों के जोड़ों को काटकर शरीर से अलग करने की भी नौबत आ जाती है। इस तरह से होने वाली समस्याएं वाकई काफी घातक होती हैं और लंबे उपचार के बढ़ी इनमे आराम मिलती है।

    कूल्हे का दर्द आयुर्वेदिक दवा के लाभ।

    कूल्हे का दर्द आयुर्वेदिक दवा के लाभ

    कूल्हे का दर्द आयुर्वेदिक दवा वास्तव में जड़ी बूटियों पर आधारित ऐसा उपचार है जिसका लाभ तो शरीर को मिलता ही है बल्कि इन दवाओं के किसी भी तरह के साइड इफेक्ट नही देखे जाते। कूल्हे के सामान्य दर्द के दौरान मरीज को अशोक के छल से बनी कुछ दवाओं के सेवन की सलाह दी जाती है। इसके अलावा अरंड के तेल सहित कपूर और लौंग के तेल की मालिश जैसे उपायों की सलाह दी जाती है। साधारण दर्द में इस तरह के तेल और जड़ी बूटियों से बनी दवाएं कुछ समय के सेवन के बाद स्वतः समाप्त होने लगती हैं। आयुर्वेद में टेबलेट से लेकर कैप्सूल और कई तरह के सीरप प्रयोग में लाये जाते हैं। चिकित्सक उम्र के लिहाज से दवाओं के सेवन और उसकी मात्रा के बारे बताते हैं। गठिया या अर्थराइटिस जैसे रोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बढ़ती उम्र के साथ पनपने वाला गठिया भी कई तरह के रूपों में सामने आता है। यह खान पान की विसंगतियों की वजह के अलावा मधुमेह या फिर अनुवांशिक भी हो सकता है। अनुवांशिक गठिया रोग बेहद जटिल होता है। आयुर्वेद में इस तरह के रोगों के लिए कई तरह की जड़ी बूटियों से बनाई गई गुग्गुल का प्रयोग किया जाता है। साथ ही मरीज को खान पान में सुधार के साथ जीवनशैली बेहतर बनाने के लिए भी कहा जाता है।

    कूल्हे दर्द की समस्या यदि गठिया बाई की वजह से हो रही है तो चिकित्सक कई बार इसके इलाज के लिए चिकित्सकीय परिणामों को कराने की सलाह भी देता है। यदि शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा ज्यादा है तो जाहिर है कि पैरों के जोड़ों में निकिल जैसी वस्तुएं जमा होने लगेंगी। इससे जोड़ों के लिगामेंट में दिक्कत तो आती ही है बल्कि सूजन के चलते फ्लूड सूखने के भी खतरा बना रहता है। इस तरह दर्द नाशक क्रीम या तेल मालिश की सलाह के अलावा खट्टी तैलीय चीजों से परहेज भी बताया जाता है। मरीज को जड़ी बूटियों से बनी दवा तो दी ही जाती है साथ ही योग के कुछ आसनों को अपनाने की सलाह भी दी जाती है। आयुर्वेदिक दवाओं का स्वरूप इस बात पर निर्भर करता है कि कितने कुशल चिकित्सक की सलाह से दवाओं का सेवन किया गया है। कुल मिलाकर ऐसी दवाएं निश्चित तौर पर काफी उपयोगी साबित होती हैं।

    कूल्हे का दर्द आयुर्वेदिक दवा संबंधित जरूरी सलाह/सुझाव।

    कूल्हे का दर्द आयुर्वेदिक दवा संबंधित जरूरी सलाह

    इसमें कोई शक नही कि आयुर्वेदिक दवाएं हड्डी रोग में बेहद असरदार होती हैं लेकिन इनके उपयोग की कई शर्ते होती हैं। चिकित्सक की सलाह के बगैर ली गई दवा शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है। कम या ज्यादा मात्रा लेने से भी मरीज को नुकसान होता है। दवा के दौरान सिरका या अचार के साथ तैलीय खाद्य पदार्थों का सेवन रोग ठीक होने में बाधक होती है। इस तरह की दवाओं के सेवन के साथ किसी अन्य पद्धति की दवा का सेवन जीवन पर भारी पड़ सकता है। जब भी अन्य दवाओं का इस्तेमाल करें अपने चिकित्सक से तुरंत सलाह लें।

    डॉ आलिया

    • 7 Years of Experience
    • (BUMS)

    डॉ आलिया यूनानी चिकित्सा में स्नातक हैं. इन्हें कंधे के दर्द को ठीक करने में महारत हासिल है. इस विधा में इन्हें करीब 6 साल का अनुभव है. अपने इलाज से डॉ आलिया ने कंधे दर्द जैसे रोगों के लिए देश के हज़ारों मरीजों का सफलता से उपचार किया है.

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