कूल्हे दर्द में फौरी राहत देने वाली एलोपैथिक दवाएं होती हैं बेहद कारगर

कूल्हे दर्द में फौरी राहत देने वाली एलोपैथिक दवाएं होती हैं बेहद कारगर

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    उम्र की ढलान हो या फिर जीवनशैली की बिगड़ी हुई स्थिति, खान पान में विकृति हो या फिर चोट या मोच वजह हो, ऐसी सभी स्थितियों में कूल्हे का दर्द एलोपैथी दवा वाकई लाभ पहुंचाती ही है। यह दुनिया की ऐसी दवा है जो बड़े से बड़े दर्द के दौरान तुरंत राहत पहुंचाती है। कूल्हे की हड्डियां कमर से होकर पैरों के जोड़ों तक जाती हैं। हड्डियों के लिगामेंट में चोट की वजह से सूजन आ जाने से फ्लूड का जोड़ों में सूखना एक दुरूह स्थिति होती है। वैसे तो इस तरह की समस्या के कई बेहद सामान्य कारण होते हैं जो हल्के उपचार के बाद समाप्त हो जाते हैं।

    गठिया या फिर अर्थराइटिस जैसी गंभीर समस्याओं म3न भी एलोपैथ के बेहद तकनीकी फायदे होते हैं जो स्पॉट पर ही नजर आ जाते हैं। वैसे तो दुनिया इन कई उपचार माध्यम की दवाइयां हड्डियों से संबंधित रोगों का उपचार करने का दावा करती हैं लेकिन तुरंत राहत एलोपैथी के अलावा किसी भी दवा में उपलब्ध नही है। इस लेख का मुख्य उद्देश्य ऐलोपैथी दवा के कूल्हे दर्द मवन फायदे के साथ इसकी जटिलताओं पर प्रकाश डालने का है।

    कूल्हे दर्द संबंधित जटिलताएं।

    कूल्हे दर्द संबंधित जटिलताएं

    कूल्हे या हिप में कई वजहों से तकलीफ हो सकती है। खेल के दौरान दौड़ते या मूवमेंट करते समय कूल्हे की हड्डियों का खिसकना या फिर खिंचाव एक बेहद सामान्य प्रक्रिया है। इस दौरान मांसपेशियों से जुड़े नर्म प्लेटों में रगड़ के चलते ऊतकों की क्षति भी हो सकती है। कूल्हा शरीर का ऐसा हिस्सा है जिसपर शरीर का पूरा भार पैरों के सहारे टिका होता है। एक सर्वे के मुताबिक ऐसी समस्याएं पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा देखी जाती है। महिलाएं कूल्हे दर्द से बेहद परेशान होती हैं। 40 साल से लेकर 60 साल की उम्र वाली महिलाओं की हड्डियों में उम्र के बढ़ने के साथ गैप आना शुरू हो जाता है। गैप के कारण अक्सर हड्डियों में घर्षण होने के चलते लिगामेंट में सूजन उत्पन्न हो जाती है। इस दौरान मरीज कई बार या अक्सर गठिया रोग का शिकार हो जाता है। अर्थराइटिस का शिकार हो जाने पर काफी लंबा इलाज चलता है। यह स्थिति कूल्हे की समस्या की सबसे जटिल स्थिति होती है। इस स्थिति का आखिरी उपाय महज शल्य चिकित्सा ही होता है। शल्य चिकित्सा के साथ ही घुटने के जोड़ों में मौजूद अवशिष्ट पदार्थों को बाहर निकलकर उन्हें रिपेयर किया जाता है।

    कूल्हे का दर्द एलोपैथी दवा के लाभ।

    कूल्हे का दर्द एलोपैथी दवा के लाभ

    कूल्हे का दर्द ऐलोपैथी दवा वाकई बेहद असरदार होती है। दर्द के दौरान चिकित्सक उम्र और मौके पर मरीज की स्थिति यानि किस वजह से दर्द हो रहा है के आधार पर चिकित्सा आरम्भ करता है। यदि दर्द किसी सामान्य चोट या मोच की वजह से हो रहा हो तो मरीज को हल्का पेनकिलर का प्रयोग करने को कहा जाता है। इस तरह के दर्द में आमतौर पर हल्के पावर की असलोफेनक या फिर डायक्लोफ़ेनाक या फिर ब्रोफ़ैन जैसी दर्द नाशक जेनरिक दवाओं के सेवन की सलाह दी जाती है। हालांकि ऐसी दवाएं मार्केट में कई नामों से विक्री की जाती है। इन दवाओं के इस्तेमाल के साथ ही इसी तरह की क्रीम और स्प्रे के प्रयोग की सलाह भी दी जाती है जो चमड़ी के प्लाज्मा से होते हुए सीधा मांसपेशियों में पहुंचकर खिंचाव कम कर दर्द दूर करने का कार्य करती हैं। इसके अलावा यदि पुरानी चोट के उभरने या फिर गठिया बाई जैसी समस्या महसूस होती है तब चिकित्सक मरीज को सबसे पहले कई तरह के टेस्ट कराने की सलाह देते हैं।

    मसलन ऐसे टेस्टों में एक्सरे से लेकर एमआरआई और खून के कुछ सैम्पलों की जांच के लिए निर्देशित किया जाता। जांच के दौरान आई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हो जाता है कि किस वजह से दर्द हो रहा है। या तरह जटिल रोगों के इलाज में चिकित्सक पेन किलर के साथ ही एन्टी ऑक्सीडेंट और कुछ एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग करता है। एंटीबायोटिक दवाओं के प्रयोग से लिगामेंट में मौजूद सूजन को कम करने के साथ ऊतकों में संक्रमण को भी कम करने का कार्य किया जाता है। हालांकि ऐसी परिस्थिति काफी जटिल होती है जिसका इलाज करीब 2 से 3 महीने लगातार करने की जरूरत होती है। इलाज के बाद भी यदि मरीज को राहत ना मिल रही हो तब एक मात्र आखिरी विकल्प बचता है और वह है शल्य चिकित्सा। शल्य चिकित्सा में मरीज के जोड़ों को चीरकर उसमें मौजूद संक्रमण के साथ अवशिष्ट पदार्थों को बाहर निकलकर रिपेयर किया जाता है। यह बेहद जटिल प्रक्रिया का हिस्सा होता है। यदि इसकी सफलता की बात करें तो पता चलता है कि ऐसे मामलों में करीब 80 फीसदी मरीज ठीक होकर स्वास्थ्य लाभ उठाते हैं लेकिन 20 फीसदी मरीज या तो स्थायी रूप से अपंग हो जाते हैं या फिर दवा के सहारे आजीवन कूल्हे का दर्द ढोते रहते हैं

    कूल्हे का दर्द एलोपैथी दवा संबंधित जरूरी सुझाव/ सलाह।

    कूल्हे का दर्द एलोपैथी दवा संबंधित जरूरी सुझाव

    कूल्हे का दर्द एलोपैथी दवा वाकई बेहद असरदार साबित होती है। इस तरह की दवाओं का कई तरह का साइड इफेक्ट होता है। दवाएं फौरी राहत तो देती हैं लेकिन इसके दुष्परिणाम काफी परेशान करने वाले होते हैं। यदि पेन किलर की बात करें तो पता चलता है कि इनके ज्यादा इस्तेमाल से पेट में घाव या अल्सर होने की संभावना बढ़ जाती है। एंटीबायोटिक दवाओं के लगातार प्रयोग से रोग प्रतिरोधक क्षमता का क्षय होना शुरु होने लगता है। बिना चिकित्सकीय सलाह के ली गई दवाएं शरीर में कई तरह के एलर्जी का कारण बन जाता है। एलोपैथी दवा का ओवर डोज़ शरीर को बेहद नुकसान पहुंचा सकता है। उसके अलावा अभिक्रिया करने वाली दवाओं के सेवन से पहले चिकित्सक की सलाह जरूरी होता है।

    डॉ आकांक्षा

    • 7 Years of Experience
    • (BHMS)
    • Quora

    मै डॉ आकांक्षा होम्योपैथिक चिकित्सा में बैचलर हैं. इन्हें जॉइंट्स पेन (जोड़ों का दर्द) और बैक पेन (पीठ दर्द) जैसे रोगों का विशेषज्ञ माना जाता है. इन्होने अपने उपचार से देश के हजारों मरीजों को नया जीवन दिया है. डॉ आकांक्षा को जॉइन्स पेन( जोड़ों का दर्द) और बैक पेन

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