इन तरीकों को अपनाकर गठिया बाई से पाएं मुक्ति

इन तरीकों को अपनाकर गठिया से पाएं मुक्ति

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    गठिया रोग का नाम आते ही लोग यह सोचते हैं कि इस समस्या से जरूर कोई बुजुर्ग परेशान होगा। बीते दिनों में बुजुर्गों में यह समस्या एक आम बात हुआ करती थी। उम्र के ढलान पर खड़े इंसान की हड्डियों का कमजोर हो जाना एक स्वाभाविक प्रक्रिया माना जाता है लेकिन आज के दौर में इस तरह के दर्द से हर उम्र वर्ग प्रताड़ित है। इसके दंश से युवा, बच्चे और महिलाएं शायद ही कोई बचा हो। एक सर्वे के मुताबिक भारत जैसे विशाल देश मे हर चौथा इंसान इस रोग की चपेट में है बेशक इसके कारण अलग-अलग हो सकते हैं।

    अनियमित दिनचर्या ओर गलत खान पान के चलते हड्डियों के जोड़ प्रभावित हो जाते हैं। मसलन यूरिया की मात्रा बढ़ने से जोड़ों में निकिल की मात्रा बढ़ जाती है जिससे घर्षण होना आरम्भ हो जाता है।

    हड्डियों में घर्षण के फलस्वरूप विकृति उत्पन्न होने लगती है। आमतौर पर लोग इसके इलाज के लिए कई तरह की दवाओं का इस्तेमाल करते हैं जिससे कुछ हद तक आराम तो मिलता है लेकिन दवाओं के दुष्परिणाम भी गम्भीर होते हैं। आज हम बात करेंगे कुछ ऐसे घरेलू उपाय या  उपचार की जिसको अमल में लाकर काफी हद तक गठिया की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।

    गठिया रोग के कारण

    गठिया या अर्थराइटिस रोग के कई कारण होते हैं। पुरानी चोट भी मौसम बदलने के साथ कष्ट देने शुरू कर देती है। अनुवांशिक परिस्थितियों से प्राप्त रोग बेहद जटिल होता है। इस तरह के रोगी को किसी भी उम्र में इस समस्या का सामना करना पड़ जाता है। खान पान की गुणवत्ता में असंतुलन के चलते शरीर मे कई तरह की हड्डी संबंधित विकृतियां उत्पन्न होने लगती हैं जो आगे चलकर गठिया बाई का रूप धारण कर लेती हैं। वात रोग भी इसका कारण बन सकता है। जीवनशैली में परिवर्तन के चलते अनिद्रा ओर अवसाद से भी हड्डियां क्षतिग्रस्त होने का खतरा बन जाता है। मोटापा भी हड्डियों के घर्षण का कारक होता है। शरीर मे विटामिन डी या कैल्शियम की कमी से भी इस तरह की समस्या उत्पन्न होने लगती है। हृदय रोगों या फिर रक्त संचार में असंतुलन को भी गठिया रोग से जोड़कर देखा जाता है।

    गठिया रोग के लक्षण

    गठिया रोग में रोगी के जोड़ों में अचानक दर्द होने की अनुभूति होती है। यह दर्द धीरे-धीरे हो सकता है या फिर काफी देर तक बना राह सकता है। इसके लक्षणों में जोड़ों या घुटनों में सूजन हो जाती है। सूजन के साथ ही तनाव और हड्डियों में खट-खट की आवाजें सुनाई पड़ती है। यह रोग अपने साथ तेज दर्द लेकर आता है। दर्द के चलते मरीज को चक्कर ओर तेज बुखार भी हो सकता है।

    गठिया का प्राकृतिक या घरेलू उपचार

    दिनचर्या में रोजाना उपभोग की जाने वाली वस्तुओं में ही छुपा होता है उपचार का कई तरीका। कुछ ऐसे ही नुस्खे अपनाकर गठिया रोग से बचा जा सकता है।

    कपूर और सरसों तेल

    एक टुकड़ा करीब 2 से 10 ग्राम कपूर को सरसों के तेल में गर्म कर लें। गर्म किये तेल को एक शीशी में रखकर रोजाना 2 से 3 बार दर्द वाली जगह मालिश करने से लाभ प्राप्त होता है। ऐसा करीब 10 दिन करने से गठिया रोग जाता रहता है।

    कपूर और सरसों तेल के फायदे

    खाली पेट लहसुन का सेवन

    लहसुन एक प्राकृतिक दर्द नाशक माना जाता है। इसको के रूपों में सेवन करने की पद्धतियाँ प्रयोग में लाई जाती हैं। वात रोग की वजह से होने वाले दर्द में खाली पेट एक कली लहसुन का इस्तेमाल गुनगुने पानी के साथ करने पर जोड़ों में उठ रहा अर्थराइटिस का दर्द दूर होने लगता है

    खाली पेट लहसुन का सेवन के फायदे

    दूध और शहद

    दूध कैल्शियम का सबसे बड़ा प्राकृतिक स्रोत होता है। शहद में भी कैल्शियम की मात्रा बहुतायत से पाई जाती है। एक गिलास गुनगुने दूध में 1 चम्मच देशी शहद डालकर दिन में दो बार इस्तेमाल करने से गांठों में सूजन और दर्द समाप्त होने लगता है और हड्डियां मजबूत हो जाती हैं।

    जरूरी सुझाव और सलाह

    गठिया या अर्थराइटिस रोग में ऊपर दिए गए नुस्खे बेहद असरदार होते हैं। मसलन इनके उपयोग से पहले चिकित्सक की राय लेना हितकर होता है। हड्डियों को रोग से बचाने के लिए जीवन शैली और खान पान में सुधार की आवश्यकता होती है। उसके अलावा धूम्रपान, शराब के सेवन से बचना चाहिए और अधिक मात्रा में पानी का सेवन भी करते रहना लाभकारी होता है।

    डॉ विवेक

    • 9 Years of Experience
    • (BHMS)

    डॉ विवेक को होम्योपैथी में स्नातक हैं. इनकी चिकित्सा से देश के हज़ारों मरीज गठिया रोग से निजात पा चुके हैं. डॉ विवेक को इस क्षेत्र में 8 साल का अनुभव है. डॉ विवेक का कहना है कि होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति समरूपता के सिद्धांत (like cures like) पर काम करती

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