गठिया का दर्द बेहद दुखदाई होता है और सबसे बड़ी बात यह है कि इस रोग का सटीक उपचार खोजने में कई शोध संस्थाएं कार्य कर रही हैं लेकिन जड़ से 100 फ़ीसदी इलाज़ शायद ही अब तक खोजा गया हो. गठिया रोग को आमवात, संधिवात और अर्थराइटिस जैसे नामों से जाना पहचाना जाता है. यह रोग शरीर में घुन की तरह काम करता है.
इसकी वजह से शारीरिक दुर्बलता और भारीपन जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है. इससे शरीर को हिलाने-डुलाने और उठने-बैठने तक में परेशानी हो जाती है वह भी खासकर सुबह उठने के समय. गठिया का योगा के तहत कुछ ऐसे आसन होते हैं जिनके नियमित प्रयोग से कुछ हद तक इस पर विजय प्राप्त की जा सकती है.
गठिया रोग में योगासन
गठिया रोग में सूर्यनमस्कार योग बेहद सार्थक सिद्ध हो सकता है. अक्सर मरीज के जोड़ों में तकलीफ चोट या फिर खिंचाव की वजह से हो जाता है। इन परिस्थितियों में डॉक्टर भारी व्यायाम या योग से बचने की सलाह देते हैं. वैसे तो इस आसान के कई तरीके होते हैं जिनके सटीक प्रयोग से शरीर को जरुरी विटामिन डी प्राप्त हो जाता है।
अधोमुखश्वानासन
यह योग शरीर को लचीला बनाता है। योग शुरू करने के लिए शरीर को आगे की तरफ झुकाते हुए स्वांस को हल्का-हल्का बाहर की तरफ निकालें. दोनों हाथों को गर्दन के साथ रखते हुए कान के साथ लगाते हुए नीचे की तरफ ले जाएं। दोनों हाथ से फर्श को छुएं। थोड़ी देर ऐसी ही दशा में रुकें रहें और पैरों को बिलकुल सीधा कर दें. इस योग को सुचारु रूप से क्रियान्वित करने से दर्द गायब हो जाता है।
हस्तपादासन
हस्तपादासन एक ऐसा योग है प्रयोग से पैरों की हड्डियां मजबूत होती हैं। पैरों को सीधा रखते हुए शरीर को एकदम से पैरों की तरफ ले जाएं। दोनों हाथों को पैरों के पंजों पर रखें। इस स्थिति में कमर नीचे की तरफ झुकेगी और पैरों को बिलकुल सीधा रखें। हलकी सांस लें और धीरे-धीरे छोड़ें। ऐसा करीब २ से ३ मिनट करने पर पैरों के जोड़ मजबूत होते हैं।
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अश्वसंचालासन
सूर्य नमस्कार आसन की 12 कलाओं में यह भी एक बेहतरीन कला है. इसे करने के लिए हाथों को जमीन या फर्श पर रखें। गहरी सांस लेते हुए दाहिने पैर को शरीर के पीछे की ओर करें. आपका पैर पीछे की तरफ़ पहुँच जाने पर अपनी गर्दन को ऊपर की तरफ उठाइए. इस स्थिति में थोड़ी देर के लिए शरीर को स्थिर रखें. यह ऐसी स्थिति है जिसके नियमित प्रयोग से हड्डियों को नया जीवन पत्राप्त होता है।
भुजंग आसन
सूर्य नमस्कार जैसे योग की विधियों में इस स्थिति का एक अलग ही महत्त्व होता है। इसे कोबरा योग भी कहा जाता है। इस योग में मुंह के बल सीधा लेट जाएं. अब हाथों को जमीन से सहारा दें. सांस गहरी लें और अंदर की तरफ़ खींचें। हांथो के बल पर सीने को ऊपर की तरफ़ ले जाएं। कमर को गोलाकार स्थिति में रखते हुए चेहरे को ऊपर करें। ऐसी स्थिति में २ से 3 मिनट तक रहने से कमर और सीने की हड्डियां मजबूत होती हैं।
पर्वतासन
इस योग को करने के लिए शरीर को सामान्य रखें। विश्राम की अवस्था में शरीर को ढीला कर सकते हैं। अब हांथों को ऊपर उठाकर पीछे की तरफ़ ले जाएं. जितना संभव हो पीछे की तरफ झुकने की कोशिश करें. अब आकाश की तरफ देखते हुए सीना फुलाइए और हल्की साँस लेते हुए साँस बहार छोड़िए। यह योग सुबह के वक्त करने पर हडियों को लाभ प्राप्त होता है।