खानपान के इन तरीकों को अपनाकर पाया जा सकता है घुटना दर्द पर काबू

खानपान के इन तरीकों को अपनाकर पाया जा सकता है घुटना दर्द पर काबू

हमारे डॉक्टर से सलाह लें

    घुटना दर्द में खानपान का बड़ा महत्व है। एक सर्वे के मुताबिक खान पान की विसंगतियों की वजह से ही घुटने के रोग पनपते हैं। गठिया ओर अर्थराइटिस जैसी जटिल समस्याएं भी खानपान के विकारों से ही उत्पन्न होती हैं। घुटना पैरों के बीच का आया हिस्सा है जिसके बिना इंसान चलना तो दूर खड़ा भी नही उव सकता। हड्डियों की कमजोर होती स्थिति से आये दिन इस तरह के दर्द का आभास हो ही जाता है। वैसे तो बढ़ती उम्र घुटना दर्द की बड़ी वजह मानी जाती है क्योंकि इस दौरान शरीर में तेजी से कैल्शियम और विटामिन डी की कमी होने लगती है। हालांकि खान पान से इस समस्या को सुधारा जा सकता है लेकिन आज के दौर में लोग इसी पर ध्यान नही देते। भागती दुनिया में लोग जल्दबाजी के चक्कर में खान पान की गुणवत्ता से समझौता कर बैठते हैं। एक जमाना था जब बुज़ुर्गो में ही इस तरह के रोग देखे जाते थे लेकिन बढ़ते प्रदूषण और खान पान की जीवनशैली में निरंतर बदलाव से युवा पीढ़ी भी इसकी जद में है। युवाओं के शरीर में लगातार कैल्शियम और विटामिन डी की कमी हो रही है। मोटापे की वजह से भी हड्डियों में होने वाला घर्षण के बार कई तरह के रोग पनपने का कारक बनते हैं।

    इस लेख के माध्यम से इस बात पर जोर दिया जाएगा कि खान पान हमारी हड्डियों की देखभाल के लिए कितना आवश्यक हैं और साथ ही कुछ ऐसी जटिलताओं पर भी प्रकाश डाला जाएगा जो वास्तव में मानव जीवन के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकती हैं।

    घुटना दर्द संबंधित प्रमुख जटिलतायें।

     

    घुटना दर्द संबंधित प्रमुख जटिलतायें

    चोट मोच या फिर हड्डियों के चटकने से कई बार तो प्लास्टर आदि के माध्यम से हड्डियों को जोड़ दिया जाता है। जुड़ी हुई हड्डियों में कई बार संक्रमण के चलते नर्म ऊतक नष्ट होने लगते हैं। ऊतकों के नष्ट होने या फिर फ्ल्यूड के सूखने से कई बार गठिया या अर्थराइटिस जैसी जटिल समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। अक्सर ऐसे रोग खान पान की विकृति के चलते ही उत्पन होते हैं। इसके अलावा कुछ अनुवांशिक कारण भी होते हैं जो हड्डियों की जटिल समस्या बनकर सामने आते हैं। गठिया या फिर अर्थराइटिस का इलाज कई उपचार पद्धतियों के प्रयोग से किया जाता है। शल्य चिकित्सा इसका आखिरी उपाय होता है। हमारे घुटनों में यूरिक एसिड जमने से हड्डियों में मौजूद फ्लूड सूख जाता है। शल्य क्रिया के बाद नए ऊतकों का निर्माण और मृत कोशिकाओं को बाहर निकलने का काम किया जाता है। कि बार इस प्रक्रिया के दौरान संक्रमण बढ़ने से रोग और भी मुश्किल या जटिल हो जाता है।

    घुटने दर्द में लाभदायक है दूध और शहद का नियमित सेवन।

     

    घुटने दर्द में लाभदायक है दूध और शहद का नियमित सेवन

    दूध जहां कैल्शियम और खनिज संपदाओं का बड़ा स्रोत है तो शहद में भी कैल्शियम के साथ कई तरह के विटामिन्स पाए जाते हैं। गुनगुने दूध में एक से दो चम्मच शहद डालकर रोज 2 बार पीने से रक्तसंचार सामान्य रहता है और शरीर में कैल्शियम की मात्रा भी दुरुस्त रहती है। रक्त में कैल्शियम के स्तर का सामान्य होने से शरीर में यूरिया जैसे अवशिष्ट तत्व नही जमते। दूध में फैट की मात्रा भी पाई जाती है। कोशिश यह करना चाहिए की दूध की मलाई निकालकर ही इसका सेवन करें। एक से दो चम्मच शहद के सेवन दिन भर में शरीर के लिए ऊर्जा देने के लिए काफी होता है। यदि किसी भी मरीज को मधुमेह की शिकायत की वजह से गठिया या घुटनों में दर्द होता है तो शहद का प्रयोग करने से पहले चिकित्सकीय सलाह लेना काफी आवश्यक होता है।

    सूखे मेवे और मौसमी फलों के सेवन से दूर होता है घुटने का दर्द।

     

    सूखे मेवे और मौसमी फलों के सेवन से दूर होता है घुटने का दर्द

    सूखे मेवे में भरपूर मात्रा में कैल्शियम सहित कई तरह की विटामिन्स मिनिरल ओर खनिज सम्पदायें पाई जाती हैं। अखरोट, काजू सहित बादाम और गिरी में सबसे ज्यादा कैल्शियम और खानिज पाया जाता है। अखरोट के बीज की करीब 5 से 10 ग्राम मात्रा के साथ ही 2 से 3 बादाम छिलके उतारे हुए और इसमें 3 से 5 दाना चिरोंजी और मुनक्का मिला लें। 3 से 4 दान काली मिर्च के साथ ही थोड़ी सी काजू मिलाकर अच्छे से किसी खरल में कूट लें। कूटे गए मिश्रण को खौलते हुए दूध में डालकर थोड़ी देर उबाल लें। जब यह पेय पदार्थ ठंडा हो जाये तब करीब एक गिलास मात्रा भोजन के उपरांत सेवन करने से हड्डियों के जो घुटनों के दर्द को समाप्त कर देता है। घुटना दर्द में खानपान के लिए इस पेय पदार्थ का नियमित सेवन मांसपेशियों के नर्म ऊतकों की सुरक्षा करता है तथा शरीर को नई उर्जा भी प्रदान करता है।

    धूम्रपान ओर अल्कोहल को कहें गुडबॉय।

     

    धूम्रपान ओर अल्कोहल को कहें गुडबॉय

    धूम्रपान करने या गुटखा चबाने वाले लोग हमेशा थुकते रहते हैं। इस दौरान उनकी लार से कैल्शियम सहित अन्य सकारात्मक पदार्थ शरीर से बाहर निकल जाते हैं। धूम्रपान से हड्डियों के जोड़ों की कमजोरी लगातार बढ़ती है यह बात एक स्वास्थ्य सर्वे कहता है। सिगरेट, बीड़ी या फिर गुटखे के सेवन से शरीर में तेजी से अवशिष्ट पदार्थों का जमाव शुरू हो जाता है जिससे घुटनों की समय बढ़ने लगती है। शराब, या अल्कोहल से बनी कोई भी चीज लिवर सहित शरीर क्व अन्य आन्तरिक ऑर्गन्स को क्षति पहुंचाने का काम करता है। एक सर्वे के मुताबिक अल्कोहल का सेवन करने वाले अधिकांश लोगों में विटामिन डी 3 और कैल्शियम की कमी के साथ ही लिवर संबंधित रोग होने का खतरा बढ़ जाता है। घुटना दर्द में खानपान के तहत अल्कोहल का परित्याग बेहद जरूरी होता है। इसके सेवन से हड्डियों के जोड़ों में यूरिक एसिड बड़ी तेजी से जमना शुरू होता है। कई बार वजन बढ़ने की वजह से हड्डियों के जोड़ों में घर्षण बढ़ जाता है। जोड़ों में घर्षण होने से हड्डियों की क्षति होना स्वाभाविक होता है।

    घुटना का दर्द में खानपान सम्बंधित सुझाव।

    जिस तरह रीढ़ की हड्डी कमर के लिए आवश्यक होती है ठीक उसी तरह पैरों के लिए घुटनों का होना आवश्यक होता है। घुटनों में दर्द को खानपान के संतुलन से रोक जा सकता है। हरे पत्तेदार साग सब्जियों के सेवन पर जोर देना चाहिए। समय से नींद लेना भी आवश्यक होता है। अवसाद से दूर सकारात्मक जीवनशैली अपनाना बेहद आवश्यक होता है। इसके अलावा ज्यादा मात्रा में कहवा या चाय के सेवन से बचने की जरूरत होती है। ज्यादा ठंडा पानी नही पीना चाहिए और तकलीफ बढ़ने पर चिकित्सकीय परामर्श लेना सबसे उत्तम होता है।

    डॉ नीतू

    • 6 Years of Experience
    • (BHMS)

    डॉ नीतू होम्योपैथी चिकित्सा से स्नातक हैं. इनके इलाज से घुटना दर्द के हज़ारों मरीज ठीक हुए हैं. इन्हें इस विधा में 5 साल का अनुभव है. होम्योपैथी को लेकर आम समझ यही है कि यह केवल मामूली बीमारियों के उपचार में ही कारगर है. इसके अलावा होम्योपैथी चिकित्सा के

    हमारे डॉक्टर से सलाह लें